मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मंगलवार, 15 मई 2018

परिवर्तन


परिवर्तन
हरिअरीसँ भरल गाछक डारिसँ,
कुहकि कोयली गबै छल,
ई महमही,ई हरियरी,बस दू दिनक अछि ।

नहि क्यो सूनल,चलिते रहल,
दिन रााति अबिरल भावसँ ,बढ़िते रहल,
गन्तव्य की? ततबो पता ककरो ने छल ।

जे बटुक चल,से तरुण भए,
नित भोग कए,पुनि बृद्ध भए,
ठेहिआएल ओही गाछ तर सोचैत छल ।

की भेल? जे ई गाछ,जे हरियर रहए,
सुन्दर  सुगन्धित पुष्पसँ महमह करए,
से ठुट्ठ अछि,झड़ि गेल सभटा पात अछि "

निकटवर्ती पाथरक चट्टानसँ,
प्रतिध्वनित,वो गीत एखनहुँ भए रहल अछि,
"ई हरियरी, ई महमही, बस दू दिनक अछि ।
(नवम्बर १९८१)


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