लोक एहि दुनियाँमे अबैत अछि,चलि जाइत अछि मुदा ओकर कएल काज ओकरा जिबैत रखैत अछि । कतेको
व्यक्ति एहि संसारमे एहने भेला अछि जे अपन संघर्षसँ अपन जीवनमे एकटा नव दृष्टान्त उपस्थित
केलाह आ हुनका गेलाक बादो लोकसभ हुनक कृतित्वक चर्च कए गौरवक अनुभव करैत छथि । एहने
लोकमेसँ छलाह हमर ग्रामीण-स्वर्गीय पण्डित परमानन्द झा ।
हमसब जखन नेने रही तँ हुनका कतेको बेर पैरे अबैत
-जाइत देखिअनि । पैरे चलब ओहि समयमे कोनो अजगुतक
गप्प नहि छलैक । मुदा ओ पैरे -पैरे मुजफ्फरपुर साक्षात्कर देबए चलि जाइत छलाह । लौटि कए ओहिना दन-दन करैत
रहैत छलाह । कहिओ हुनका बैसल ,आराम करैत नहि देखलिअनि । दिन -राति ओ किछु-ने-किछु करैत भेटताह । व्यर्थ आडंवर
किंवा प्रदर्शन करबामे हुनका कोनो रुचि नहि छल । सौंसे दुनियाँ जँ खिलाफ भए जाए आ हुनका लगतनि जे ओ सहीपर
छथि तँ ओ अपन निश्चयपर अडिग रहैत छलाह ।
सत कहल जाए तँ एहन कर्मठ लोक बिरलैके देखएमे अबैत
अछि । खेत कोरब,धान रोपब ,धान काटब ,दाउुन करब सँ लए
कए इसकूलमे मास्टरी करब फेर विद्यार्थीसभ केँ ट्युशन करब,ततबे नहि पंडिताइ करब,सभटा काज ओ एकसुरे करैत रहैत छलाह। हमसभ जखन नेना रही तँ हुनके घरक पाछा ब्रम्ह
स्थानमे हमर सभक इस्कूल छल । ओतए हमसभ पढ़ए जाइत छलहुँ । कै दिन पानि पीबाक हेतु हुनका
ओहिठाम आबि जाइत छलहुँ। जखन कखनो ओतए जइतहुँ ओ निरंतर काजमे व्यस्त रहैत छलाह । छोट-छीन
फूसक घरमे अपन साधनामे लागल रहैत छलाह । कोनो काज करबासँ हुनका परहेज नहि छल । लोक
की कहत से हुनका सुनबाक समय नहि छल । जे अपना ठीक बुझाइन से ओ करथि,जकरा जे मोन हो से कहैत रहए।“हाथी चलए बजार,कुत्ता भुकए हजार |”
जीवन भरि ओ घोर संघर्ष करैत रहलाह । कठोर परिश्रम
ओ मितव्यितासँ गामक आस-पास चिकन जमीन-जाएदाद बनओलनि । अड़ेरचौकपर सेहो बहुत कीमती जमीन
ओ कीनलथि। सुनबामे आएल जे अट्ठारह बीघा जमीन ओ अपना जीवनमे मेहनति एवम् इमान्दारीसँ
कीनलथि । एतबे नहि जाहिठाम एकटा मामूली फूसक घर छल ओतहि पता नहि कतेको कोठरीक घर बना
देलथि । ओहिठाम गेलापर अहाँकेँ चारू कात घरे-घर देखएमे आएत। गाम-घरमे जकरा पोखरिआ-पाटन
कहैत छैक,ताही तरहक हुनकर ग्रामीण आवास अछि । आ से सभटा मेहनतिसँ केलाह,कोनो ककरो वइमानी नहि,अपितु अपन विद्या ओ वुद्धिसँ निरन्तर समाजकेँ सेवा करैत उपार्जन केलाह । ओ निट्ठाह कर्मयोगी छलाह।
कखनो बैसल नहि रहितथि। कोदारि पारवसँ लए कए इसकूलक मास्टरी धरि ओ जीवन पर्यन्त करैत रहलाह। अगहन मासमे माथपर धानक बोझा लदने सीताराम-सीताराम कहैत डेगार दैत अपन धानक खेतसँ खरिहान धरि अबैत-जाइत हम हुनका देखिअनि । जकरा जे बाजक होइक से
बाजए,हुनका लेल धनिसन ।
ओ खाली धने अर्जित करैत रहलाह से बात नहि,अपितु घनघोर संघर्ष कए विद्योपार्जन सेहो केलाह । कतेको विषयमे
आचार्य केलाह। फेर अंग्रेजी माध्यमसँ सेहो उच्च शिक्षा प्राप्त केलनि । बहुत दिन धरि रहिका उच्च विद्यालयमे संस्कृतक शिक्षक
रहलाह आ प्रधानाध्यापकक पद धरि प्रोन्नति प्राप्त केलनि । धर्म ओ अध्यात्मक सेहो हुनका
बहुत नीक जानकारी छलनि । कतेकोठाम धार्मिक सभा सभमे प्रवचन सेहो करैत छलाह । दड़िभंगामे
संत -समागममे प्रवचन करैत हमहुँ हुनका सुनने रही । ओहि समयमे हम ओतए सी० एम० कालेजमे
पढ़ैत रही ।
कतेको दिन हमसभ हुनका साइकलपर इंटा बन्हने,आ स्वयं ओकरा गुरकबैत पैरे-पैरे चलैत देखिअनि । कहिओ सीमेन्टक
बोरा,कहिओ बाउल,कहिओ इंटा ओही साइकिल
पर ढ़ो-ढ़ोक ओ पक्का मकान बना लेलथि । एहन धुनकेँ पक्का,कर्मठ ओ संकल्पक धनी व्यक्ति डिविआ लए कए तकनहुँ नहि भेटि
सकत ।
व्यक्तिगत जीवनमे कै बेर हुनका प्रतिकूल परिस्थितिक
सामना करए पड़ल,तथापि ओ धैर्यपूर्वक जीवनयात्रामे
लागल रहलाह । आस-पासक गामक बहुत रास लोक हुनकार अध्यात्मिक चेला छल । हुनकासँ मंत्र
लेने छल । हुनका प्रति श्रद्धाक भाव रखैत छल आ हुनक मृत्युसँ बहुत दुखी भेल छल ।
आब ओ एहि दुनियाँमे नहि छथि । खिछु साल पूर्व
एकाएक हुनकर किडनी खराप भए गेल । मास दिनक भीतरे ओ मार्च २०१४मे चलि गेलाह। ओहि समय हुनकर बएस अस्सीसँ
उपरे रहल होएत। मृत्युसँ किछुमास पूर्वे हम गाम गेल रही तँ हुनकासँ भेंट भेल रहए ।
ओ पूर्णतः स्वस्थ लगैत छलाह । अपितु बरी काल
धरि अध्यात्मिक विषयपर अपन मंतव्य दैत रहलाह । हमर माएसँ सेहो गप्प करैत रहलाह । तकर
किछुए दिनक बाद हुनक मृत्युक समाचार भेटल । आश्चर्यमे पड़़ि गेलहुँ ।
हुनक देहावसानसँ गामेक नहि अपितु परोपट्टाकेँ
एकटा अपूर्णीय क्षति भेल । कर्मठता एवम् सफल संघर्षक एहन जीवंत उदाहरण भेटब बहुत मोसकिल काज अछि । हुनका
हमर शत-शत प्रणाम !