मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

रविवार, 4 जून 2023

सन् २०१८मे प्रकाशित हमर मैथिली उपन्यास महराज(ISBN: 978-93-5321-395-4)क हमर ब्लाग स्वान्तः सुखायपर धारावाहिक पुनर्प्रकाशन (भाग २१ -२५):

 


२१

 

महराजक दरबारमे हाहाकार मचि गेल। यमदूतसभ जाइत-जाइत जे चेतौनी देने गेल ताहिसँ महराजक निन्न उड़ि गेलनि। राजपंडित, महराजी भगता आ राजमंत्रीक समिति बनाओल गेल जे एहि विषयमे तीन दिनक भितरमे अपन विचार देत जे एहि संकटसँ कोना पार पाओल जाएत। कालू भगताकेँ बजाओल गेल आ ओकरा सख्त निदेष देल गेल जे कोनो हालतिमे यमपाश आ मखनाकेँ हाजिर करए। ताहि हेतु ओकरा चौबीस घंटा समय देल गेल। कालूक प्राणपर संकट छल से ओ नीकसँ बूझि रहल छल मुदा करए की?

समस्या बहुत गहींर भए गेल छल। महराजी भगता यमपाशकेँ ताकएमे लागि गेलाह। समस्त मंत्र-तंत्रक दिन-राति प्रयोग करए लगलाह। एकदिन एहिना महराजी श्मशानमे मंत्र फूकि रहल छलाह कि ध्यानमे लोटना अएलनि।

"ई के अछि?वारंबार किएक ध्यानमे आबि रहल अछि।"

-महराजी भगता सोचथि। जहन कोनो समाधान नहि फुरेलनि तँ ओ हमर मामा लग गेलाह। मामा आ हम आपसमे पढ़ाइ-लिखाइक बारेमे गप्प कए रहल छलहुँ। ओही क्रममे चंपाक गप्प सेहो उठि गेल। मामा कहलाह- तूँ चंपाक चिंता नहि करह। हम महराजसँ एहि विषयमे गप्प करब जाहिसँ ओकरा मदति भेटि जाइ" -हुनकर बातसँ बहुत प्रसन्नता भेल। चाह खतम नहि भेल छल। गप्पो चलिए रहल छल कि महराजी भगता पहुँचलाह। ओ बहुत चिंतित लगैत छलाह। मामा बजलाह- आउ, आउ। नीके छी ने?"

की नीके रहब?दिन-राति चिंतामे समय बीति रहल अछि।"

"से की?"

"मखना काबूमे नहि आबि रहल अछि। आइ पूजामे लागल रही कि एकटा युवक ध्यानमे देखाएल। ओकरा हम चिन्हि नहि सकलहुँ। पता नहि के अछि? किएक ध्यानमे आएल?" -महराजी भगता बजलाह। फेर अपन हाथसँ कागजपर ओहि व्यक्तिक फोटो बना देलथि। फोटो देखिते मामा बजलाह-

ई तँ लोटना अछि।"

"के लोटना?" -महराजी भगता बजलाह।

राजमंत्रीसँ लोटनाक हुलिआ भेटलाक बाद महराजी पुलिस ओकरा ताकएमे लागि गेल। ओ टीसनक प्लेटफार्मपर चाह-पानक दोकान करैत छल। एकदिन भोरे टहलैत रहए कि ओकरा दू हाथक एकटा बेस भरिगर ठेङा आकाशसँ खसैत देखेलैक। ओ तँ भागक तेज छल नहि तँ ओ ठेङा ओकर मुड़िएपर खसि पड़ितैक। ओ ठेङाकेँ अपन आलमीरामे राखि देलक, कारण ओहिमे किछु विचित्रता छलैक। राति कए चमकए लगैत छलैक। असगर भेलापर ओहिमेसँ विचित्र ध्वनि निकलैत छलैक। लोटनकेँ किछु नहि बुझेलैक जे आखिर ई की अछि?तेँ ओ ओकरा बंद कए राखि देलक।

महराजी पुलिस संगे सदल-वल महराजी भगता लोटनाक राजपुरा डेरापर रातिमे पहुँचल। ओ तँ सकपका गेल। महराजी भगता कहलखिन- तोरा लगमे यमपाश छौ, ओकरा लेने आबै नहि तँ तोहर मृत्यु निश्चित अछि।

हमरा एकटा ठेङा किछु दिन पहिने भेटल छल। ओ की अछि से हमरो नहि बूझल अछि। अहाँ कही तँ लेने आबी।"

"लेने आबह।"

ओ आलमारीमे राखल ठेङा लेने आएल। ठेङा देखिते महराजी भगता हँसए लगलाह। इएह यमपाश थिक। एकरा घरमे राखब अशुभ थिक। तेँ हम एकरा लेने जाइत छी ।"

"ठीक छैक।" -से कहि ओ यमपाश महराजी भगताक हाथमे थम्हा देलथि। मुदा ओकर मोनेमे गुन-धुन करैत रहलैक जे आखिर महराजी भगता एहि ठेङा लए की करताह? महराजी भगता ई बात तारि गेलाह आ ओकरा अपना संगे-संगे चलबाक हेतु कहलखिन।

यमदूतसँ कनिके दूर पर छल कि महराजी भगता हाक देलकैक आ अपन दहिना हाथमे यमपाश हिला-हिला कए देखाबैक मुदा यमदूतसभ घुरल नहि। ओ सभ गेल से गेल।आब की करी?" -महराजी भगता मोने-मोन सोचलाह। प्रश्न ई रहैक जे यमदूतकेँ केओ किएक बजाओत? भने फटकी चलि गेल।

प्रात भेने समितिक बैसारमे महराजी भगता यमपाश आ लोटनाक संगे उपस्थित भेलाह। यमपाश देखिते राजपंडितक हुलिआ खराब होमए लागल। डर भेलनि जे कहुँ ई यमपाश सक्रिय भए गेल तखन की होएत? हुनकर हाल देखि राजमंत्री पुछलखिन-

की बात छैक पंडितजी?"

पंडितजी गुम भेलाह से किछु बजबे नहि करथि। महराजी भगता लोटनाकेँ ठेङाक भेटबाक विज़यमे पुछलखिन। लोटनाकेँ राजमंत्री नीकसँ चिन्हि गेल रहथि मुदा ओ हुनका नहि चिन्हि सकलनि। खैर! जे भेल-से-भेल। समिति ई निर्णय केलक जे कालू भगता यमपाशकेँ यमलोक पहुँचेबाक जिम्मा लेथि तखने हुनकर जान बँचि सकैत अछि अन्यथा ओ जानथि आ हुनकर काज जानए। " आब कालू लग विकल्पे की छल? ओ यमपाश लए लेलक आ एहि प्रयासमे लागि गेल जे कहुना ओकरा यमलोक पहुँचा दिऐक।

प्रातः काल महराजी पोखरिक मोहारपर ओ बैसल छल। मोने-मोन मखनाकेँ आवाहन केलक। देखिते, देखिते मखना हाजिर भए गेल।

"की बात छैक कालू भाइ? किएक गोहरेलह?"

"ई यमपाश तोरे छह। एकरा लएह आ कोनो उपायसँ एकरा यमराजकेँ वापस कए दहक नहि तँ हमर जान गेले बूझह।"

से की?"

"जे कहैत छिअह से सुनह, खाली बहस केलासँ किछु नहि होएत। समय बहुत कम अछि।"

ठीक अछि। लाबह यमपाश।"मखना यमपाश लेलक आ ओकरा आगू-पाछू करए लागल। किछु-किछु कोडवर्ड दए ओकरा सक्रिय करबाक प्रयासमे लागि गेल। किछु, किछु करैत छल कि ओ एकहि बेर चिचिआ उठल-

"मोन पड़ि गेल। कोडवर्ड मोन पड़ि गेल।"मखनाक यमपाश सक्रिय भए गेल छल। आब की होएत? ई समाचार तुरंत यमराज केँ भेटलनि।

"मखनाक हाथमे यमपाश सक्रिय भए गेल। आब की करब?"-सभ सभासद गुम पड़ि गेलाह।q

२२

 

मखना सोचलक जे सभ झञ्झटिक जड़ि यमराजे थिक। किएक नहि, सभसँ पहिने एकरे साफ करी आ तकर बाद निश्चिन्तसँ यमलोकपर राज करी। बात तँ लाख टकाक रहैक। बहुत आगूक योजना बनओलक। दोसर बिचार मोनमे अएलैक जे राजपुरामे महराजक सभचीज बनले छनि, ओकरे कबजा कए लेल जाए। महराजक ऊपर यमपाश फेकि हुनके सुडाह कए देल जाए। बाह रे मखना! केहन अद्भुत माथा पओने अछि। मरिओक सभकेँ नचा रहल अछि।

मखना संगे समस्या रहैक जे ओ बेसी पढ़ल-लिखल नहि रहए। बेसी उठा-पठक कएल नहि होइक। रहल यमलोक से तँ ओतए यमराजक अधिपत्य छनि। हुनकर अपन सेना छनि,पुलिस छनि, अस्त्र-शस्त्र छनि। ओहिठाम जबरदस्त झञ्झटि भए सकैत अछि। इएह बात सभ ओ सोचैत रहलाह।

महराज तँ बेसी काल बेहोसे रहैत छलाह। छप्पन प्रकारक भोग लगैत छल। जे खेला से खेला नहि तँ हुनकर सिपहसलारसभ ओकरा राजप्रसाद बूझि बहुत आनन्दसँ पबैत छल। भोजन करितहि अपन महलमे टगि जाइत छलाह। एकटा-दुटा रानी रहनि तहन ने। कैकटा तँ बाटे तकैत रहि जाइत छलीह। महराज भोग-विलास नहि करताह तँ के करत? अहीँ कहू? से ओ कए रहल छलाह।

मुदा जहिआसँ यमदूत धमकी दए गेल हुनकर माथा बेचैन रहैत छलनि। जानक डर तँ सभकेँ होइत अछि। राजपंडितसँ लए कए राजमंत्री धरि सभ परेसान छलाह। आब की होएत?

देखैत-देखैत मासमे सँ पचीस दिन बीति गेल। मखना पकड़ल नहि जा सकल। महराजक हालति खराब भेल चलि जा रहल छल। मुदा असली संकट तँ मखनासँ आबि गेल छल जकरा हाथमे यमपाश फेरसँ सक्रिय भए गेल छल। आओर ओ आदमिओ छल खुराफाती। कहीं महराजेकेँ ने लए बैसए?

मास दिनमे आब एके दिन बाँचल छल। महराजक दरबारमे सभ परेसान छल। मखना काबूमे नहि आएल। यमलोकसँ फोन-पर-फोन आबए लागल। हालति तँ ई भए गेल जे महराजकेँ आब फोनो छुबामे डर होइत छलनि। महरानीक संगे भोरे चाह पीबि रहल छलाह कि आकाशवाणी भेल- मास दिनक अवधि आइ साँझमे समाप्त भए रहल अछि। मखनाकेँ यमलोक यदि नहि पठा सकब तखन अपनेकेँ ओतए जाए पड़त।"

एतबा कहि आकाशवाणी बंद भए गेल। महराज थर-थर काँपि रहल छलाह। महरानीकेँ किछु बूझेबे नहि करनि जे आखिर की बात भेलैक जे महराजक ई हाल भए गेलनि। महरानी चाह छोड़ि बाहर दौड़लीह। ओसारामे राजपंडित मंत्र पढ़ैत मंदिर दिस जा रहल छलाह। हुनका अपसिआँत देखि पुछलखिन- की बात?"

"महराजकेँ यमलोकसँ आकाशवाणी भेलनि अछि।"

"की कहलकनि?"

"अपने अन्दर आबि कए देखि लिअ। महराज बहुत परेसान छथि।"ताबतेमे चारूकात आपत्तिकालीन घंटी घना-घन बाजए लागल। यमलोकक दूतसभ अपन-अपन स्थान ग्रहण कए चुकल छल। महराजकेँ छातीमे भयानक दर्द उठलनि आ ओ बाप-बाप चिचिआए लगलाह। चारूकातसँ जे जतहि छल से पहुँचि गेल। महराजकेँ घेरि लेलक। महराजी भगता राजपंडितक संग किछु मंत्रणा करैत छलाह, ताबतेमे राजमंत्री सेहो ओतए पहुँचि गेल।

यमपाश भेटि गेलाक बाद मखनामे अद्भुत शक्तिक जागरण भए गेल। आब तँ यमदूतोसभ ओकरा लगीचमे अएबासँ डरा रहल छल आ महराजी भगताक तँ कथे कोन? ओ तँ अपन जान लेल प्रार्थना कए रहल छल। जोर-जोरसँ मृत्युंजय जप करए लागल।

मखनाक हाथमे यमपाश देखि कए यमराज बहुत परेसान भए गेलाह। सोचलाह जे किएक नहि एकरासँ सोझे हिसाब-किताब कए ली। पुछलखिन- मखना तूँ की चाहैत छह?"

"पहिने अपन नेत शुद्ध करबह तखने किछु गप्प करबाक फएदा छैक।"

""हम जे बाजब ओहि पर स्थिर रहब।"

"तकर की विश्वास?"

"तोरा जेना विश्वास हो सएह कएल जाए।"

"रेखाकेँ बजाउ। ओ कहतीह तखने हम मानब। अहाँक कोन ठेकान?"

यमराज रेखाकेँ मोबाइल फोनपर फोन केलाह।

"की बात छैक? जखन-तखन फोन कए दैत छी?" रेखा कहलखिन।

परिस्थिति तेहने भए गेल जे फोन करए पड़ल।

"की बात छैक?"

"मखना बजा रहल अछि।"

ओ कतए अछि?"

यमलोक आ मृत्युलोकक बीचमे। "

"ऐँ! से कोना भेल?"

ओ सभ छोड़ू। काजक गप्प करू" -से कहि यमराज मखनाकेँ रेखासँ सोझे गप्प करा देलथि। मखनाक प्रसन्नताक अंते नहि छल। ओ बाजल- यमराज अपने महान छी। यदि अपने हमर एकटा बात मानि ली तँ हम अहाँक जान बकसि देब।"

"खोलि कए बाजह जे की चाहैत छह?"

"रेखाकेँ हमरा सुंझा दिअ आ चैनक बंसी बजाउ।"

महराज तंग रहबे करथि। सोचलाह जे जान बाँचत तँ फेर कोनो ओरिआन भए जए जाएत। कहलखिन- एवमस्तु।"

एकटा बात आओर ।"

कहह।"

"यमदूतसभ हमर यमपाशसँ फराके रहथि।"

"तकर माने की?"

"माने साफ अछि जे हम जकरापर यमपाश चलाबी तकरासँ अहाँ लोकनि फराके रही।"

एहि तरहेँ तँ ब्रह्माक विधाने असफल भए जाएत। तूँ एना तँ नहि कए सकैत छह।"

"एकटा समाधान भए सकैत अछि।"

"की?"

"महराजक क्षेत्र हमरा सुंझा दिअ। एहि क्षेत्रक ब्रह्माक कागज-पत्तरसभ हमरे लग रहत। सारांश जे हिनका लोकनिक मृत्युक हिसाब-किताब सोझे राजपुरा मुख्यालयसँ नियंत्रित होएत।"

"की बात करैत छह? एकहुटा कागज सोझ रहत? एहिठाम तँ तोरा सन-सन कतेको विद्वान घूमि रहल छथि।"

"देखू, बातकेँ बतंगर नहि करू। यदि अहाँकेँ जान बचेबाक अछि तँ हमर बात मानहि पड़त, नहि तँ हम नहि जानी...।"

यमराज फेर बजलाह- एवमस्तु।"

मखना मोंछ पिजओलक आ यमपाश लहरबैत आगू बढ़ि गेल। यमराजोकेँ जान-मे-जान अएलनि।" केहन-केहन फेरल लोक होइत अछि औ बाबू! यमराज मोने- मोन सोचैत अपन महलमे विश्राम हेतु चलि गेलाह।q

२३

 

ओहि दिन हम मामा संगे गप्प करैत रही। ओ कहलाह जे चंपाक संबंधमे महराजसँ गप्प भेल रहनि। ओ ओकरा मदति करबाक हेतु तैयार छथि। पढ़ाइ-लिखाइक सभटा खर्चा महराजक तरफसँ होएत। ताहि हेतु जरूरी आदेश सेहो कए देल गेल अछि। हम तुरंत फोनसँ चंपाकेँ एकर जानकारी देबए चाहलहुँ। मुदा ओकर फोन लगबे नहि करैक। लगातार फोन बंद अछि ।" -बजैत रहैक। आब की भेल?

हमरा चिंता जोड़ पकड़लक। तुरंते ओकर घर दिस बिदा भेलहुँ। कोनो एक्का भेटबे नहि करए। पैरे चलैत-चलैत चौक धरि पहुँचि गेलहुँ। संयोगसँ एकटा तिपहिआमे एकटा जगह खाली रहैक। तुरंत ओहिमे बैसि गेलहुँ। रस्ते-रस्ते ओकर फोन लगेबाक सेहो प्रयास करैत रहलहुँ। कथी लेल फोन लागत। देखिते-देखिते गुमती लग पहुँचि गेलहुँ। तिपहिआ वला टाहि देलक- “गुमति, गुमति" तँ हमर ध्यान ओमहर गेल। तिपहिआ वलाकेँ किराया दए झपटि कए चंपाक घर दिस बिदा भेलहुँ। ओतए गेलहुँ तँ चंपाक कोनो अता-पता नहि छल। केओ-केओ कहलक जे महराजी भगता आएल छल आ ओकर खोपड़ीकेँ तोड़ि देलक। हम पुछलिऐक- आ चंपा कहाँ गेल?" केओ कोनो निजगुति बात नहि कहलक। तामसे मोन भेर भए गेल। मोन होइत छल जे महराजी भगताकेँ ओतहि नरेठी दावि दी। तुरंत मामाकेँ फोन लगेलहुँ। मामा हमर तामसकेँ तारि गेलाह। कहए लगलाह-

"एतेक परेसान किएक छह?"

'"महराजी भगता केहन जुलुम केलक अछि से नहि बुझा रहल अछि?"

"से तँ बूझि रहल छी मुदा तमसेलासँ तँ किछु नहि होएत। बनितो काज बिगड़ि जाएत। पहिने पता तँ कए ली जे बात की छैक? तूँ परेसान नहि होअ। एहिठाम आबि जाह। ताबे हम पता लगबैत छी जे बात की छैक।"

ठीक छैक। हम आबि रहल छी।" -से कहि हम फोन राखि देलहुँ आ तुरंत एकटा एक्कापर एसगरे मामाक घर दिस बिदा भए गेलहुँ।

महराजी भगता होउक,की महराजी पंडित-सभ तँ महराजेक इसारापर काज करैत अछि। ई सभ एहन व्यक्ति नहि छथि जे अपने मोने किछु करथि। तेँ राजमंत्रीकेँ अंदाज रहनि जे एहू मामिलामे कतहुँ-ने-कतहुँ महराजक घालमेल जरुर होएत आ यदि से बात अछि तँ ओहि लफड़ामे के पड़त? अड़रीक खेतमे प्राण के देत?बात खाली चंपेक नेने छलैक, ओकर माए लए कए सेहो हम बहुत परेसान रही। आखिर ओ कतए गेलीह,जीवितो छथि कि नहि? एतबा तँ अनुमान भए रहल छल जे चंपाक परेसानीक मूल कारण ओकर माए छथि। मामा एहि मामिलामे बेसी रुचि नहि लेबए चाहैत छलाह कारण यदि महराज तमसा गेलाह तँ भगवाने मालिक।

हम एक्का वलाकेँ पाइ देलिऐक आ दौरले मामा लग पहुँचि गेलहुँ। मामा जलखै कए रहल छलाह। हमरो आग्रह केलाह मुदा हमरा तँ भूख-पिआस सभ खतम छल। जाबे चंपाक हाल नहि बुझाइत अछि ताबे हमरा चैन कतएसँ होइत। ई बात मामा सेहो बूझि रहल छलाह। तेँ हमरा ओतए पहुँचितहि महराजी भगताकेँ फोन केलाह। महराजी भगता उत्तर देलकनि- हम अहीँ ओतए आबि रहल छी। सामना-सामनी बात होएत तँ बेसी नीकसँ बुझबैक। मामाकेँ अनुमान लागि गेलनि जे किछु गहींर बात छैक जे ओ सभ लग नहि बाजए चाहैत छथि।

महराजी भगता कनीके कालमे आबि गेलाह। ओ बेस चिंतित लागि रहल छलाह। अपने बाजए लगलाह- ई कालू भगताकेँ अपने एतए आनि नीक नहि केलहुँ। ओ तँ महाचौपट आदमी अछि। रनिबासक महिलासभकेँ डिठिऔने रहैत अछि। जासूससभ महराजकेँ सूचना दए देलकनि अछि। कखनो ओकर जान जा सकैत छैक। हम ओकरा बुझेबाक बहुत प्रयास केलहुँ मुदा ओ अपन चालिसँ लाचार अछि। आब अहीं कहु जे की कएल जाए? आइ-ने-काल्हि ई मामिला अहाँ लग अएबे करत? किएक ने पहिने अहाँक जानकारीमे दए दी। सएह सोचि कए हम अहाँकेँ सभ बात कहब उचित बुझलहुँ।"

"मुदा बात की छैक?"

"अरे एकटा-आधटा बात रहए तहन ने ओ कहि दी आ मामिला सलटि जाए। ई आदमी तँ महाघनचक्कर लागि रहल अछि, जतहि कोनो सुन्दर महिला देखैत अछि, एकर सुधि-बुधि खतम भए जाइत अछि।"

"ऐँ! एहन बात छैक?"

"आओर की, नहि तँ हमरा कुकुर कटने छल जे भोरे-भोर अहाँकेँ तंग करितहुँ।"

"ओ बात तँ बहुत गहींर बुझा रहल अछि। मुदा समाधान की होएत?"

"हम तँ एकरासँ तंग भए गेल छी। ऊपरसँ एकर भाए- मखना से बहुत शक्तिमान भए गेल अछि। ओ यमराजकेँ ततेक डरा देलक जे राजपुराक मृत्यक हिसाब-किताब सभटा ओकरे हाथमे सुन्झा देलखिन।"

"महराजकेँ एकर छिज्जाक जानकारी छनि कि नहि?"

"एहन कोन बात छैक जकर जानकारी हुनका नहि होनि। डेग-डेगपर तँ जासूस लागल अछि। ओहो रनिबासमे। ओहिठाम तँ महराजक खास जासूससभ दिन-राति लागल रहैत अछि।"

"तखन महराज एकरा बकसने कोना छथि?"

"महराजकेँ भांग पीबासँ होस होनि तखनने किछु आओर सोचताह? जहिए भक टुटलनि ई गेल घर अछि। अपने तँ जेबे करत, हमरो लए जाएत?"

"से कतहुँ भेलैक अछि?"

"देखैत रहबैक। एहिठाम कोनो हिसाब-किताब नहि रहैत छैक जे महराज ककरा पर बिगड़ि जेताह। तामस हेबाक काज।'

बड़ संकट बुझा रहल अछि।"

"तेँ ने हम दौड़ले अहाँ लग अएलहुँ जे अहाँ बुझनिक लोक छी, किछु समाधान निकालब। `'

"हम की समाधान निकालब? ओकरा अपन भगतैक बहुत दाबी छैक। ऊपरसँ मखना से सशक्त भए गेल अछि।"

से सभ सुनि मामा बहुत चिंतित भए गेलाह। फेर कहलखिन-

अखन टटका समस्या ई अछि जे श्रीकांतक कालेजक संगी चंपा कैक दिनसँ नहि भेटि रहल छनि। ओकर माए से निपत्ता छैक।"

मामा बाजिए रहल छलाह कि महराजी भगता लपकि लेलाह- चंपाक माए महराजक खास छैक। एमहर किछु दिनसँ ओ किछु चक्करमे पड़ि गेल छथि जे जानकारी महराजकेँ जासूस सभ देलक, तकरबादेसँ ओ निपत्ता अछि।"

आ चंपा कतए अछि?"

"कालू भगता चंपाकेँ तंग करैत छलैक। से जानकारी केना-ने-केना महराजकेँ भेलनि। ओ ओकरा महिला छात्रावासमे रखबा देलखिन अछि।"

हमरा नहि रहल गेल।

"एकर माने जे महराजकेँ सभबातक जानकारी छनि?" -ओ पुछलक।

तोरा की बुझाइत छह। राज-पाट ओहिना नहि चलैत छैक?”

"मुदा चंपा कोन छात्रावासमे छथि?"

"से महराजसँ के पुछत?"

"ककरो तँ बूझल हेतैक?"

"तोरा एतेक परेसानी कथीक छह?"

"ईहो कोनो बात भेलैक? हमर कालेजक संगी अछि। एकहि किलासमे पढ़ैत अछि। तखन चिंता कोना ने होएत?"

बाता-बाती बढ़ैत देखि मामा बीचमे पड़ि गेलाह।

"कतहुँ छैक, ठीक छैक ने। एतबे बहुत नीक बात।"

मामा बजलाह। हमहु चुप भए गेलहुँ।

ताबतेमे कालू भगता कतहुँ सँ घुमैत-फिरैत आबि गेल। महराजी भगता ओ राजमंत्रीजीकेँ प्रणाम केलक। आ पुछि बैसल-

"की हाल छैक श्री कान्त?"

हम किछु नहि बाजि सकलहुँ।q

 

२४

 

सभहक समय उदयास्त होइत अछि, सएह कालू भगताक संग सेहो भए रहल छल। एक समय महराज ततेक तमसा गेल रहथिन जे लागैक जे ओ गेल। मुदा आब? आब तँ ओकर भाए सर्वशक्तिमान भए गेल छैक। जानक भए ककरा ने होइत अछि? आ तकर कमान आबि गेल रहैक मखनाक हाथमे।

महराजी भगता होथि चाहे महराजी पंडित सभ चिंतित छलाह। महराजकेँ तँ बकोर लागल छल। बिना दंडक भयकेँ राज-काज चलत कोना? ककरो जे ओ फाँसीक दंड देथिन से चलत कोना। यमपाश तँ मखनाक हाथमे छल। एहि विषयपर मंत्रणा हेतु राजसभा बजाओल गेल। भोरे एगारह बजे महराजकेँ तैयार कराओल गेल। नहा-सोना कए राजकीय वस्त्र पहिर महराज सभामंडप बिदा छलाह कि तरमरा कए खसलाह। चारूकात हरकंप मचि गेल। सभ जहाँ-तहाँ दौड़ रहल छल।"की भेल,की भेल? सभ एक-दोसरकेँ पुछि रहल छल मुदा ककरो एतेक पलखति नहि रहैक जे दोसरकेँ उत्तर देत। चारूकात लगैत छल जेना बिड़रो मचि गेल।

मखना तँ राजक हातेमे अपन मुख्यालय बना लेलक। छोटसँ पैघ सभबातक ओकरा जानकारी भेटए लागल। जएह यमपाश देखए सएह डरा जाइत छल । हालति तँ ई भए गेल जे बिना कोन प्रयासकेँ मखना राजपुराकेँ हथिअओने जा रहल छल।

सिपहसलारसभ महराजकेँ उठा-पुठा कए अस्पताल लए गेल। ओहिठाम पहुँचितहि महराज चिकरए-भोकरए लगलाह। बैद अएलाह। उन्टा-पुन्टा कए देखलखिन, फेर कहैत छथि- महराजक तँ दहिना जांघक हड्डी टुटि गेल अछि। हिनकर हालति नाजुक अछि।'औ बाबू!ओ एतबे बाजल छलाह कि दूटा मुस्टंड ओहि बैदकेँ नरेठी पकड़लक आ लेने-लेने हातासँ बाहर लए गेल। आब बाजह- महराज ठीक हेताह कि तूँ अपन जान एतहि देबह?"

ताबतेमे मखना भभा कए हँसि देलक। ओ बाजल॒-

"आब तोहरसभक खेल खतम अछि। आब चाबुक मखनाक हाथमे अछि। बिसरि जाह ओ जमाना। महराजक जुलुम आब नहि चलत।"

से ओ बजले छल कि सिपहसलारसभ बैदकेँ ओतहि छोड़ि इएह-ले ओएह-ले भागल।

महराजक ओहिठाम नीति निर्धारक समितिक बैसार भेल। महराज अपने तँ रहथि नहि, तथापि राजमंत्रीजीक अध्यक्षतामे कार्यवाही प्रारंभ भेल। सभसँ पहिने सुरक्षासँ जुड़ल मामिलापर विचार भेल। ई कोन बात भेल जे महराजक हड्डी चूर-चूर भए गेलनि आ सभगोटे असहाय भए देखैत रहि गेल। महराजी भगता आ राज पंडित एक-दोसर दिस तकैत रहलाह। सुरक्षा अधिकारी बजलाह-

 "ई कोनो तरहेँ सुरक्षाक चूक नहि अछि। सभठाम चाक-चौबंद व्यवस्था अछि, रस्तोमे कोनो एहन पिच्छड़ वस्तु नहि अछि जे महराज एना भए कए खसि पड़ितथि। जरूर कोनो दैवी प्रकोप अछि।"

"यदि से अछि तँ महराजी भगता कए की रहल छथि? -राजमंत्री बजलाह।

"ई बड़का संकटक समय अछि। एखन आपसी वाद-विवाद उचित नहि।" -राजपंडित बजलाह।

मुदा समाधान तँ हमहीसभ करबैक। महराजक प्राण संकटमे देखितो हमसभ चुप तँ नहि रहि सकैत छी?-राजमंत्री बजलाह।q

 

२५

 

महराज दर्दसँ परेसान छलाह। बैदक औषधिक किछु असरि नहि भए रहल छल। अंग्रजी दबाइ देल जाए कि नहि से निर्णय राजपंडितसँ पुछि कए हेबाक रहैक। ताहि हेतु हुनकासँ राजमंत्री विचार-विमर्ष करबाक हेतु बजओलखिन। दुनूगोटे घंटो मंत्रणा करैत रहलाह मुदा किछु निकलि कए नहि आएल। पंडितजीकेँ सक रहनि जे महराजपर कोनो अदृश्य शक्तिक प्रकोप अछि। मुदा तकर निवारणक कोनो उपाय नहि बुझाइन।

एमहर गाम-गाम ई समाचार पसरि गेल। चारूकातसँ लोकसभ महराजक जिज्ञासामे आबए लगलाह। पुबारि गाम तँ राजपुरासँ सटले छल। एहि गामक वच्चा, युवक, बूढ़सभ बिदा भेल। ओकरसभक देखसीमे पछबारि गामक लोक बिदा भेल। रस्तामे जे जतए भेटैत गेल से संग लागि गेल। महराजक बिमारी नहि भेल,एकटा तमासा भए गेल।

लोकसभ रस्तामे गप्प करैक" महराज अपन पापक फल भोगि रहल अछि?"

से की?'-दोसर बाजल।

"गरीबसभक जमीन-जायदाद कौड़ीक भाव नीलाम करबा दैत छैक। कतेको घर उजड़ि गेल। कतेको लोक जिला-जबार छोड़ि परदेश चलि गेल। आखिर तकर पाप तँ लगबे करतैक।"

"बात तँ तूँ लाख टकाक कए रहल छह? महराजकेँ एतेक संपत्ति अएलैक कतएसँ? लोकेकेँ लुटलकैक ने?"

"हे बेसी फर-फर नहि करह। चारूकात जासूससभ पसरल अछि। व्यर्थमे मारल जेबह।"

"तेँ की? लोक उचित-अनुचित बजबो नहि करतैक। ई जे बड़का-बड़का महलसभ ठाढ़ छैक से कतए सँ बनलैक। हमरे-तोरे पसिनाक कमाइसँ ने?"

लोकक हुजुम आगू बढ़िते जा रहल छल। ताबतेमे कनीक हटि कए किछु हल्ला भेलैक।

ई कोनो उत्सव नहि छलैक जे गामक-गाम लोक उलटि जाए। मुदा लोककेँ की कहल जाए?सभकेँ महराजमे ततेक जिज्ञासा छलैक जे रोकने नहि रोकाएल। सुरक्षा अधिकारीसभ बैसार केलक आ राजक हातासँ पहिने सभकेँ रोकि देल गेल। ओहिमेसँ किछु गोटे सही मानेमे महराजक शुभचिंतक छलाह। ओ सभ काली!काली! सुमरए लगलाह। महराजपर संकट गहींर भेल जा रहल छल। कोनो इलाजसँ फएदा नहि भए रहल छल। ओमहर मखना निचैन छल। ओकर तँ दुनू हाथमे लड्डू छलैक। यदि महराज हारि मानि लेलाह तँ ओकर राजपुरा राजपर प्रच्छन्न अधिपत्य भए जाएत,यदि से नहि भेल तँ महराज ओहिना बेकार भए जाएत किंबा अकालमृत्युक सिकार भए जेताह ।s

मखनाक बढ़ैत प्रभुत्वसँ महराजे नहि यमराजो चिन्तित रहथि मुदा ओ तँ बाजी हारि गेल छलाह। ततेक तेजीसँ मखना अपन जाल-पोल बढ़ओलक जे यमराजकेँ कोनो उपाय नहि फुरेलनि। हुनका तँ अपने प्राण संकटमे छल। वाहरे बहादुर! तेहन-तेहन दिमाग अपना ओहिठाम भेल अछि जे राजपुरा के कहए,एहि लोककेँ के कहए, यमलोक धरि अपन लोहा मना कए रहल।

आब जखन राजपुराक सभगोटेक जीवन-मृत्यु मखनाक हाथमे आबि गेल छल तँ ओकरा एकटा अपन सचिवालयक आवश्यकता बुझेलैक। ताहि उपयुक्त समयक प्रतीक्षा कए रहल छल। ओहुना मखना काबिल लोक छल। ओकर उद्देश्य महराजकेँ मारब नहि रहैक, ओ तँ मात्र अपन प्रभुत्वसँ महराजकेँ अवगत करा देबए चाहए छल। ई तँ महराजक सिपहसलारसभक मूर्खता छल जाहि कारणसँ महराजकेँ एतेक जोर धक्का पड़ल। मुदा आबो केओ हुनका सही सलाह नहि दए रहल छलनि। महराजक सही इलाज तँ मखना लगमे छल।

मुदा मखना निश्चिन्त छल। ओ सोचलक- आखिर कतए जेताह? सभसँ गड़बड़ी ई भेल रहैक जे मखना राजेक हातामे अपन बासा बना लेने छल। यद्यपि मखनाकेँ कखनो कए महराजपर दया अबैक मुदा फेर सोचए लगैत छल जे ई आदमी लोककेँ बहुत परेसान केने अछि। गरीबसभक माल-जाल कनी-मनी बकिऔताक चक्करमे नीलाम करा कए कतेको लोकक घर उजारि देने अछि। से सभ सोचैत-सोचैत मखना ततेक जोरसँ भभा कए हँसल जे ओकर प्रतिध्वनि सौंसे राजक हातामे सुनाएल।

एतेक भयानक हँसी के हँसल?ई मनुक्खक अबाज तँ नहि लागि रहल अछि। मामा बजलाह।

"छलैक तँ ठीके भयानक।" -हम कहलिअनि।

महराजक ओहिठाम पता ने की-की भए रहल अछि?"

"कारण?"

की कहल जाए?सभ अपन-अपन चक्करमे लागल अछि। महराज तँ नाम मात्रक छथि। ऊपरसँ दिन-राति पीने बुत्त रहैत छथि।"

"तखन राज-काज केना चलैत अछि?"

"एकरा कहबहक राज-काज चलब? कहुनाकँ घिचा रहल अछि। जकरा जम्हरे देखू अपन सुतारमे लागल अछि। हमरा तँ कखनहुँ कए मोन उबिआइत अछि जे एहिसभसँ निकलि जाइ, मुदा महराजकेँ मनाओत के?"

मामा संगे चाहपर गप्प-सप्प भए रहल छल। ओहीक्रममे कहलाह जे चंपाक कालेज जेबाक सभटा बंदोवस्त ओ स्वयं कए देलाह अछि। आब ओ काल्हिसँ कालेज जाएत। एहि शुभ समाचारसँ हमर मोन गद-गद भए गेल। मामा छलाह पारखी लोक। ओ हमर मोनक बात बूझि गेलाह आ कहए लगलाह- सभ काज बिसरि अपन पढ़ाइ-लिखाइमे लागल रहह। एमहर-ओमहरमे समय नहि बिताबी।"

मामाक कहबाक तात्पर्य हम बुझलहुँ। मामासंग गप्प-सप्प चलिए रहल छल कि महराजी भगता राजपंडितक संग मामा लग पहुँचलाह। महराजक स्वास्थ्यक विषयमे चर्चा प्रारंभ भेल।

महराजक स्वास्थ्यमे किछु सुधार नहि अछि। महरानी लोकनि बहुत चिंतित छथि। यदि हुनका किछु भए गेल तँ हमरा लोकनिक भगवाने मालिक।" -राजपंडित बजलाह।

"बात एकदम सही अछि। सभ अपन-अपन चक्करमे लागल अछि आ ओमहर महराज दिन-राति अपन कक्षमे दहाड़ि पारि रहल छथि।"

-महराजी भगता बजलाह।

"बात जे होइक मुदा एतबा तँ बुझा रहल अछि जे एखन धरि कएल गेल प्रयास कारगर नहि भेल।" -राजमंत्री बजलाह।

"मुदा कएल की जाए? एनामे तँ हमसभगोटे नपा जाएब।"

-राजपंडित बजलाह। सभगोटे अपने जान हेतु झखि रहल छलाह। महराजसँ बेसी चिंता हुनकासभकेँ अपन रहनि। राजपंडित बजलाह- राजबैदकेँ बजाओल जाए।"

राजबैदकेँ समाद गेल। ओ धरफराएल ओतए पहुँचलाह।

"महराजक की हाल छनि?" -राजमंत्री बजलाह।

"किछु सुधार नहि अछि।"

"तखन?” -राजपंडित बजलाह।

"हमरा हिसाबे तँ हिनका इलाजक हेतु लंदने लए गेल जाए। ओहिठामक डाक्टर हिनकर कैक बेर पहिनहुँ इलाज केने अछि। की पता ओ एहू बेर सफल होथि?" -राजबैद बजलाह।

"सही राय दए रहल छथि। एकरा शीघ्र लागू कएल जाए"-राजमंत्री बजलाह।q

 

 

रबीन्द्र नारायण मिश्र