मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 6 जनवरी 2024

युग-युग जीबथु उमेशजी!

 



युग-युग जीबथु उमेशजी
!

 

डाक्टर उमेश मंडल परिचयक मोहताज नहि छथि।  आइ-काल्हि मैथिलीसँ जुड़ल साइते केओ हेताह जे हुनका नहि जनैत हेथिन । डाक्टर उमेश मंडल भोरे उठैत छथि  तखनहि सँ जे मैथिलीक काज शुरु करैत छथि से दुपहर राति धरि चलैत रहैत छनि। बीचमे यदि कनी काल वाधित होइत छनि तँ बस जीविकोपार्जन हेतु । सेहो कोनो नियमित नौकरी नहि करैत छथि। असलमे हिनकर संपूर्ण परिवारे मैथिलीमय भए गेल अछि। हिनकर पिता आदरणीय श्री जगदीश प्रसाद मंडलजी मैथिलीमे एक सए चौदहटा किताब लिखि चुकल छथि आ अखन तँ लिखिए रहल छथि। हिनकर पत्नी,बेटीसभ दिन-राति मैथिलीक काजमे लागल रहैत छथि। पल्लवी प्रकाशनक नामसँ सत्य पुछी तँ एकटा मैथिलीक जन आन्दोलन ठाढ़ भए गेल अछि जकर ई सभगोटे कर्ता-धर्ता छथि। अत्यन्त साधारण पूँजीसँ परिश्रमक बदौलत पल्लवी प्रकाशनसँ अनेक रचनाकारलोकनिक मैथिली पोथीसभ बहुत कम दाममे छपैत छथि। एहिसँ बहुत रास मैथिली लेखककेँ अपन रचनाकेँ प्रकाशित करबाक अवसर भेटैत छनि।

असलमे हमरा डाक्टर उमेश मंडलजीसँ संपर्के भेल छल पोथी छपेबाक क्रममे । ई बात सन् २०१७क थिक । हम मैथिलीमे हाथसँ लिखैत छलहुँ । तकरा निर्मली व्हाट्सएपपर पठबैत छलहुँ । तकरा ओ टंकित करैत छलाह आ अत्यन्त परिश्रमपूर्वक पुस्तकाकार दैत छलाह । एहि तरहसँ हमर शुरुक पाँचटा पोथी ओएह टंकित केलनि,छपबो केलनि। ततबे नहि,ओकरा समय-समयपर सगर राति दीप जरए, कार्यक्रममे लोकार्पणो करबओलथि।  हमर पहिल प्रकाशित पोथी,भोरसँ साँझ धरि(आत्मकथा)क लोकार्पण दिल्लीमे मित्र संगम पत्रिकाक सहयोगसँ भेल छल। मुदा तकर बाद अनेक पोथीक लोकार्पण उमेशजीक सहयोगसँ सगर राति दीप जरए कार्यक्रममे होइत रहैत छल।

सन् १९८२सँ १९८५क बीचमे लिखल गेल हमर  उपन्यास आ कथासभक हस्तलिखित पाण्डुलिपि छत्तीस सालसँ ओहिना राखल छल। एमहर पुरनका पन्ना सभ पलटलहुँ तँ एकरा सभकेँ फेरसँ देखबाक अवसर भेटल। श्री उमेश मण्डलजी बहुत परिश्रमसँ पुरान भेल पाण्डुलिपि सभकेँ स्वच्छ प्रति टंकित केलाह जाहिसँ ई कथा सभ इजोत देखलक। एतेक पुरान कागजपर हाथसँ लिखल पाण्डुलिपिक फोटो व्हाट्सएपपर निर्मली पठाएब आ तकरा टंकित करब बहुत मोसकिल काज छल। हाथ रखितहि कागज लसकि जाइत छल। कतेको ठाम पेनसँ लिखलाहा ढबकि गेल छल। किछु पन्ना तँ फाटिओ गेल छल । उमेशजी एहि कठिन काजकेँ अत्यन्त परिश्रमपूर्वक आ उत्कृष्ट निष्ठासँ संपन्न केलनि । आखिर, डाक्टर उमेश मण्डलजी एकर पाण्डुलिपिकेँ टंकित केलाह । तकर बादे सन् २०१८मे फसाद (कथा संग्रह) आ २०२२मे प्रतिबिम्ब(उपन्यास) क्रमशः छपि सकल।

ई बात सर्वविदित अछि जे आदरणीय श्री जगदीश प्रसाद मंडलजीक पोथीसभकेँ प्रकाशित करबामे डा.उमेश मंडलजीक गंभीर योगदान अछि। ई काज ओ ततेक मनोयोग आ मेहनतिसँ करैत छथि जे हुनकर किताबमे एकटा गलती नहि भेटैत अछि। हुनके टा नहि,आन-आन लेखकसभक किताब ओ बहुत कम खर्चामे प्रकाशित कए दैत छथि। भोरसँ साँझ धरि ओ निरंतर कोनो ने कोनो उद्योगमे लागले रहैत छथि। कठोर परिश्रम आ इमानदारीसँ ओ अपन जीविकोपार्जन करैत छथि। एतेक संघर्षक बादो हुनका कखनहु एको क्षण हेतु उदास नहि देखबनि, निरंतर उत्साहसँ भरल रहैत छथि। तकर प्रमुख कारण अछि हुनकर विचारमे सकारत्मकता। मैथिलीक काज होइक चाहे जकर होइक ,ओ निधोख मदति करबाक हेतु आगू आबि जाइत छथि। यदि ओ हमर पाण्डुलिपिसभकेँ टंकित  करबाक हेतु उपलव्ध नहि भेल रहितथि तखन साइते हम एतेक लिखि सकितहुँ । (जखन कि ओ हमरा जनितहु नहि छलाह। अखन धरि हमरा हुनकासँ मात्रएकबेर भेंट भेल,ओहो साहित्य अकादमीमक परिसरमे। )बादमे हम जरूर स्वयं टंकण करए लगलहुँ ,मुदा शुरुमे तँ ओएह मदति केलनि जकर चर्च हम ऊपरमे कए चुकल छी।

बहुत कम संसाधनसँ बड़का काज कए रहल छथि उमेशजी। मैथिलीक एतेक काज करितहुँ ओ अपन अध्ययन-लेखन जारी रखने छथि। एही बीचमे ओ पीएचडी सेहो कए लेलनि। अपने अनेक किताब सेहो लिखि प्रकाशित केलनि। सभ तीन मासपर ,सगर राति दीप जरए,कार्यक्रममे सक्रिय भाग लए मैथिली कथा साहित्यकेँ एकटा आन्दोलन बना देलनि ओ । जे काज शुरुमे मिथिला मिहिर केने छल,नव-नव लेखक बनओने छल,सएह काज आब ,सगर राति दीप जरए कए रहल अछि । कतेको नव साहित्यकारक हेतु एकटा मजगूत प्लेटफार्म बनि गेल अछि,सगर राति दीप जरए। समस्त मिथिलामे मैथिलीक हेतु एहन समर्पित व्यक्ति नहि भेटत,कम सँ कम युवकमे तँ नहिए। एहन व्यक्तिक सम्मान हेबाक चाही ,उचित सहयोग  भेटबाक चाही जाहिसँ मैथिलीक काज ओ आर उत्साहपूर्वक करैत रहथि ।

मिथिला मैथिलीक एहन अनन्य अनुरागी आ संपोषक सही मानेमे मिथिला रत्न छथि,बहुत आदरणीय छथि डाक्टर उमेश मंडलजी । ओ एहिना मैथिली साहित्यकेँ आगू बढ़बैत  रहथि से जगदंबासँ मंगल कामना! युग-युग जीबथु उमेशजी!

रबीन्द्र नारायण मिश्र

m-9968502767

mishrarn@gmail.com