मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 25 जनवरी 2017

डॉ. जयकान्‍त मिश्र







डॉ. जयकान्‍त मिश्र(संस्मरण)

सन् १९७८ इस्‍वीक जनवरी मासमे दिल्‍लीसँ स्थानांतरण भए हम इलाहाबाद गेल रही। ओहि समय प्रथम बेर डॉ. जयकान्‍त मिश्रजी सँ हुनकर तीरभूक्‍ति,  सर पीसी वनर्जी  रोड स्‍थित घरमे भेँट भेल। बिना कोनो पूर्व परिचय रहितहुँ ओ सभकाज छोड़ि हमरासँ भेँट केलाह। एकटा मैथिलकेँ हमर डेरा तकबाक हेतु कहलखिन। ओतहिसँ हमर हुनका संग परिचय ओ सम्‍पर्कक क्रम प्रारंभ भेल जे अन्‍त धरि चलैत रहल। जखन-कखनो हम हुनकर डेरापर जाइ तँ ओ सभकाज छोड़ि हमरासँ अत्‍यन्‍त अपनत्‍व भावसँ गप्प करथि। अपनेटा नहि,  अपितु हुनक पत्नी,  ओ संगे रहनिहार परिवारक अन्‍य लोकनि सभ सेहो ओहिना गप्प-सप्‍पमे संग देथि। जलखै,  चाह,  पान तँ हेबे करइ। ओही क्रममे कतेको गणमान्‍य मैथिल लोकनिसँ हुनकर डेरापर भेँट भेल। हुनकर अध्‍ययन,  अध्‍यापन,  लेखन सबहक अवलोकन करबाक अद्भुत अवसर भेटल। कए दिन हुनका संगे इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी विभाग गेलहुँ,  जाहिठाम ओ अंग्रेजी विभागक अध्‍यक्षक पदपर कार्यरत छलाह। 

इलाहाबादमे रहनिहार मैथिल समाज डॉ. जयकान्‍त मिश्रसँ पूर्ण परिचित छलाह। अधिकांश मैथिल सभसँ हुनकर व्यक्तिगत सम्‍पर्क छलनि। प्रत्‍येक साल विद्यापति समारोह मनाओल जाइत छल। डॉक्‍टर जयकान्‍त मिश्र ओहिमे अवश्‍यमेव रहैत छलाह। हुनकर डेरापर निरन्‍तर मैथिलीक विकास केना हो,  तकर चर्चा होइत रहैत छल। ओ सदिखन बाजथि- 

मैथिलीमे लिखल करू। मैथिलीक हेतु काज करू।” 

संगे मैथिलीक हेतु कएल गेल अपन अनवरत संघर्षक चर्चा सेहो होइत,  जाहिसँ मैथिली विकास यात्राक साक्षात अनुभव होइत छल। 

मैथिली भाषाकेँ बिहार लोक सेवा आयोगमे हटा देल गेल रहइ। तकरा पुनश्‍च आपस अनबामे, मैथिलीकेँ बच्‍चा सबहक शिक्षाक अनिवार्य माध्‍यम बनेबाक हेतु ओ कहि नहि,  कतेको बर्ष संघर्ष करैत रहलाह आ अन्‍ततोगत्‍वा अपन प्रयासमे सफल रहलाह। मैथिलीक विकास हेतु ओ गाम-गाम घुमैत रहलाह। ततबे नहि,  जतए कतहु मैथिलीक चर्चा होइत आकि कोनो कार्यक्रम होइत तँ ओहिमे डॉ. जयकान्‍त मिश्रजी अबस्‍से भाग लेथि। 

आयु बढ़लासँ नाना प्रकारक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍बन्‍धी समस्‍या रहैत छलनि। हुनका कतेको साल पूर्व पेसमेकर लागल छल तथापि जँ कतहु मैथिलीक कार्यक्रममे हुनका बजाओल जाइत,  तँ ओ अवश्य जाथि। परिवारक लोक चिन्‍तित भए जाइत छलखिन।

एकबेर हम इलाहाबादसँ पटना जाइत रही। स्‍लीपरमे हमर आरक्षण छल। डॉक्‍टर जयकान्‍त मिश्रजी केँ देखलहुँ। ओहिना ठाढ़,  बिना सीटेक यात्रा कए रहल छलाह। बहुत आग्रह केलापर ओ हमर सीट लेबाक हेतु तैयार भेलाह। कहथि जे ओ अहिना चलि जेताह। ई छल हुनकर उत्‍साह- मैथिली कार्यक्रमे भाग लेबाक। ओहि दिन पटनामे कोनो मैथिली कार्यक्रममे भाग लेबाक हेतु जाइत छलाह। 

डॉ. जयकान्‍त मिश्रजीक भाषा ओ  व्यवहारमे अद्भुत मधुरता छल। कखनो नहि लगैत जे एतेक पैघ विद्वानसँ गप्प कए रहल छी। जे जेहने स्‍तरक लोक रहैत,  तेकरा संग तेहने भए गप्प करितथि, पूरा घ्‍यान देथि, घरक सदस्‍य जकाँ ओकर पूर्ण स्‍वागत करथि। 

घरक प्रथम तलपर हुनकर पुस्‍तकालय छल। ओहिमे बैस कए ओ अध्‍ययन,  लेखन करैत रहैत छलाह। इलाहाबादसँ एकटा लघुकाय मैथिली पत्रिकाक सम्‍पादन सेहो करै छलाह । हुनकर नाति,  भातिज सभ ओहि पत्रिकाक मैथिल लोकनिमे वितरणक व्यवस्था करथि। कहिओ काल हमरो ओहि काजमे ओ लगा लैत छलाह। 

माघ मासमे प्रयागमे संगमतर पर ओ सपरिवार मास करैत छलाह। मिथिलाक प्रसिद्ध माछबला झण्‍डा मैथिल पण्‍डा सबहक पहिचान अछि। ओहि झण्‍डाकेँ देखि कए जयकान्‍त बाबू डेराक ठेकान लागि जाइत छल। 

दिल्ली चलि अएलाक बहुत दिनबाद नवम्बर २००७ इस्‍वीमे हम इलाहाबाद गेल रही। हुनकर डेरापर गेलहुँ। परन्‍तु, ओ काशी मास करए चल गेल रहथि। हुनकासँ भेँट नहि भए सकल। हुनकर डेरापर हुनकर नाति,  एवं परिवारक अन्‍य सदस्‍य सभ छलाह। डेरा उदास-उदास लगैत छल। परिवारमे कएटा दुर्घटना भए गेल छल। किछु साल पूर्व हुनक ज्‍येष्‍ठ पुत्र डा. रूद्रकान्‍त मिश्रक आकस्‍मिक असामयिक निधन भए गेल छल। आओर कएटा गप्प-सप्‍प...। एहि सबहक आभास घरमे भए रहल छल। किछुकाल बैसला बाद हम सभ ओतए-सँ अपन स्‍मृतिकेँ पुनश्च जगा कए ओहिठामसँ विदा भए गेलहुँ। डॉक्‍टर साहेबसँ भेँट नहि भए सकल ताहिबातक मोनमे बहुत कचोट होइत रहल   

डॉक्‍टर जयकान्‍त मिश्रजीक पिता महामहोपाध्‍याय डॉ. उमेश मिश्रक बर्षी बहुत यत्न पूर्वक मनाओल जाइत छल। ओहिमे डॉक्‍टर साहेब ओतए हम (जाधरि इलाहाबादमे रहलहुँ) नियमित आमंत्रित होइत छलहुँ। हुनकर सम्‍पूर्ण परिवार अत्‍यन्‍त मनोयोग पूर्वक ब्राह्मण भोजनक व्यवस्था करैत रहलाह। नाना प्रकारक भोजनक व्‍यंजन सबहक स्‍मरणे मात्रसँ मोन आनन्‍दित भए जाइत अछि । भोजनक संग-संग कतेको गप्प-सप्‍प मैथिल लोकनिसँ ओहि अवसरपर भेँट भए जाइत छल। 

इलाहाबादमे गप्प-सप्‍पक क्रममे ओ मैथिलीकेँ साहित्‍य अकादेमीमे मान्‍यताक सम्‍बन्‍धमे हुनक कएल गेल प्रयासक वर्णन करथि। ओहि हेतु ओ दिल्‍लीमे तत्‍कालिन प्रधान मंत्री द्वारा मैथिली पोथीक प्रदर्शनीमे भाग लेब,  दिल्‍लीक उपराज्‍यपाल स्‍व. आदित्‍यनाथ झाजीक प्राप्‍त समर्थन एवं सहयोगक चर्चा सेहो करैत छलाह। 

एकबेर हम डॉ. शुभद्र झाजीक संग इलाहाबादमे डॉ. जयकान्‍त मिश्रजीक ओहिठाम जाइत रही। रस्‍तामे डॉ. जयकान्‍त मिश्रजीक मैथिलीक प्रति अनुराग ओ मैथिलीक विकास हेतु संघर्षक प्रशंसा करैत डॉ. शुभद्र झा कहलाह-

मिथिलामे डॉ. जयकान्‍त मिश्रक एवं हुनक पूर्वज लोकनिक अद्भुत योगदान अछि।” 

संगे ईहो कहलाह- 

एहन बहुत कम परिवार भेटत जाहिमे लगातार छह पुश्‍त सरस्‍वतीक एहन आर्शीवाद प्राप्‍त रहल हो।” 

ओ दिल्‍ली  आबथि तँ  हमरा सूचित करथि। कतेको बेर तँ ओ हमरे ओतए ठहरैत छलाह। कए बेर हवाइ यात्रासँ उतरि लबनचूस बच्‍चा सबहक लेल नेने अबैत छलाह। जाधरि ओ डेरापर रहथि,  निरन्‍तर मैथिली सम्‍बन्‍धी चर्चा होइत रहैत।

मैथिली आन्‍दोलनक संघर्ष यात्रा आओर अनेकानेक लोकनिक योगदानक चर्चा सेहो होइत। 

एकबेर ओ (डॉ. जयकान्‍त मिश्र) दिल्‍लीमे यूजीसीक मैथिलीक प्रश्‍न पत्र बनबए खातिर आएल रहथि। संगमे स्‍व. सुमनजी एवं डॉ. नवीन बाबू सेहो रहथिन। ओ तीनू गोटे हमर आग्रहपर पुष्‍पबिहार,  दिल्‍ली स्‍थित हमर आवासपर अएलाह आ एकसंग हुनका सभकेँ भोजन करेबाक सौभाग्‍य प्राप्‍त भेल। ओहि अवसरकेँ स्‍मरण करैत अखनो रोमांचित भए जाइत छी। तीनू गोटेक एकट्ठे हमरा ओतए आएब आओर हुनकर वार्तालाप सुनि मोन आनन्दित भए गेल। आनन्‍दितो केना ने होइतडॉ. सुमनजी एवं डॉ. नवीन बाबू सी.एम. कौलेज- दरभंगामे हमरा मैथिली पढ़ओने रहथि। 

डॉ. मिश्रजी अत्‍यन्‍त समाजिक व्यक्ति छलाह। इलाहाबाद किंवा बाहरोक मैथिल लोकनिकेँ व्यक्तिगत स्‍तरपर ओ मदति करैत छलाह। नयाकटरा,  इलाहाबाद स्‍थित हमर डेरापर कएक बेर पएरे चलि आबथि। कतेको मैथिल विद्यार्थी सभकेँ ओ अपना ओहिठाम राखि कए हुनकर शिक्षामे  सहायता करैत छलाह। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालयक अंग्रेजी विभागक अध्‍यक्ष पद हेतु हुनका बहुत विरोधक सामना करए पड़ल छलनि। ताहि खातिर ओ इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालयमे केस सेहो केने रहथिन। अन्‍तोगत्‍वा हुनकर विजय भेल,  आ ओ अंग्रेजी विभागाध्‍यक्ष भेलाह। हुनकर विरोधी सबहक कहब रहैक जे ओ मैथिलीमे लिखैत छथि। हुनकर पी.एच-डी.क विषय मैथिली भाषाक इतिहास छल तखन ओ अंग्रेजी विभागक अध्‍यक्ष केना भए सकैत छथि?

जयकान्‍त बाबू दिल्‍ली आएल रहथि। तहिया हुनकर पोती रोहिनीमे रहैत छलखिन।। हुनकासँ भेँट करबाक रहनि। हमरा संगे चलए कहलनि। बसपर ठाढ़े हम दुनू गोटे रोहिनी विदा भएलहुँ। इलाहाबादसँ एकटा पोटरी अनने रहथि। तेकरा उपहार स्‍वरूप अपन पोतीकेँ देलखिन। किछु कालक बाद हम सभ ओहिठामसँ आपस भए गेलहुँ। ओहि पोतीक बिआह दिल्‍लीएमे भेलनि एवं बिआहक हकार हमरा देबाक हेतु डॉ. रूद्रकान्‍त मिश्र (कन्‍याँक पिता) स्‍वयं आएल रहथि। हम बिआहक अवसरपर गेलो रही। बिआहमे डाक्टर साहेबक सभ भाए आएल रहथिन। कोनो प्रकारक दहेज नहि लेल गेल छल। डॉक्‍टर साहेब दहेज रूपी लेन-देनक खिलाफ छलाह एवं एकरा मिथिलाक संस्‍कृतिक प्रतिकूल कहथि। 

डॉक्‍टर जयकान्‍त मिश्रजीक पिता महामहोपाध्‍याय- डॉ. उमेश मिश्रक बनाओल मकानमे डॉक्‍टर साहेब एवं हुनकर भैयारी लोकनि सेहो रहैत छलखिन।। सभसँ शुरूबला हिस्‍सामे डॉक्‍टर साहेब रहथि आ तकर बाद बलामे आर भाए सभ। 

डॉक्‍टर साहेबक व्यक्तिगत जीवनमे,  परिवारोमे भोजन आ रहन-सहनमे मिथिलाक संस्‍कृतिक अमिट छाप छल। मकानक ओसारपर माछक मूर्ति लटकल,  सदैव झूलैत रहैत छल। घरमे भोजन बनबएकाल देहपर वस्‍त्र नहि रहक चाही। ब्राह्मण भोजनकाल परसनिहार आ भोजन केनिहार गंजी,  कमीज नहि पहिरथि। भोजनमे पियाजु-लहसुन नहि पड़ए। जखन कखनो ओ बाहर यात्रापर जाथि तँ अपन नियम सबहक पालन कठोरतासँ करथि। बाहरमे बेसीकाल चुरा-दहीसँ काज चलबथि। 

इलाहाबादमे रहितहुँ ओ गामसँ सम्‍पर्क बनओने रहथि आ सभ साल मास-दू मास गाम जा कए रहथि। गामसँ लौटैत काल सभ ग्रामीणक ओहिठाम जा कए भेँट करथि एवं पुनश्च गाम अएबाक इच्‍छा रखैत सभसँ विदा लेथि। एहि क्रममे किछु साल पूर्व ओ गाम गेल रहथि,  ओतहि बहुत जोरसँ बिमार पड़ि गेलाह। हृदयाघातभए गेल रहनि। ओहिठामसँ लोक सभ उठा-पुठा कए दरभंगा अनलकनि। दरभंगामे थोड़ेक सुधार भेला पछाइत इलाहाबाद आपस अएलाह। इलाहाबादमे हुनकर मासो इलाज चलल। बहुत मुश्‍किलसँ हुनकर जान बॉंचल। बिमारीसँ उठलाक बाद एक दिन फोनपर गप्प भेल रहए। बहुत दुखी बुझाइत रहथि। अबल भए गेल रहथि,  तथापि मैथिलीक विकासमे अभिरूचि बनल छलनि आ ओहि विषयमे गप्प करैत रहलाह। 

मैथिलीक विकासक हेतु डॉ. मिश्रजीक अद्भुत योगदान अछि। संविधानक अष्टम अनुसूचीमे मैथिलीकेँ शामिल करबाक हेतु ओ कतेको साल प्रयास करैत रहलाह। अन्‍ततोगत्‍वा हुनकर ईहो स्वपन्न साकार भेल एवं मैथिलीकेँ संविधानक अष्‍टम् सूचीमे शामिल कएल गेल। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालयसँ सेवा निवृत्त भए ओ मध्‍यप्रदेशमे चित्रकुट स्‍थित ग्रामीण विश्वविद्यालयमे विभागाध्‍यक्ष भेलाह। ओहिठाम ओ कएक साल धरि रहि संस्‍थानक शिक्षण व्यवस्थाकेँ उत्‍कृष्‍ट बनेबामे संलग्‍न रहलाह। नानाजी देसमुख विश्वविद्यालयक उपकुलपति रहथि। देसमुखजी डॉ. मिश्रक कार्यसँ अतिशय प्रभावित रहथि। हुनकर इच्‍छा रहनि जे डॉ. मिश्र ओतए बनल रहथि परन्‍तु मैथिलीक काजमे विशेष रूचि ओ व्‍यस्‍तताक कारणेँ ओ विश्वविद्यालयक काजसँ त्‍याग-पत्र दऽ देलनि। 

डॉक्‍टर मिश्र अत्‍यन्त अध्‍ययनशील व्यक्ति छलाह। रातिमे जखन-तखन ओ उठि जाथि आ पढ़ए लागथि। हुनकर स्‍वास्‍थ्‍यक चिन्‍तासँ फिरसान भए परिवारक लोक कएक बेर आपत्ति करथि जे एतेक परिश्रम नहि करथि,  मुदा ओ अपन कार्यक्रममे अनवरत लागल रहैत छलाह। मैथिलीक नाम सुनिते जेना हुनका स्‍फुर्ति आबि जाइत छल। पेसमेकर लगलाक बादो ओ मैथिलीक आन्‍दोलनक हेतु समर्पित रहलाह आ जतए कतहु हुनका  एहि काजे बजाओल जानि तँ ओ सहर्ष जाथि। 

२००८ इस्‍वीमे,  नव वर्षक आगमनक अवसरपर हम हुनका नव वर्षक मंगल कामना पत्र पठौने रहिएनि। तकर जवाबमे ओ पोस्‍टकार्ड लिखने रहथि जाहिमे थर-थर कँपैत हाथसँ लिखल गेल अक्षर ओ हस्‍ताक्षर देखि हुनक एहू अवस्थामे सकृयताक प्रमाण भेटल। तकर बाद लगभग साल भरि कोनो सम्‍पर्क नहि रहल। जनवरी (२००९) मे एक दिन डॉ. धनाकर ठाकुरजी पत्र इन्‍टरनेट पर पढ़ल,  जाहिमे डॉक्‍टर मिश्रक प्रयागमे मासक दौड़ान निधनक समाचार छल। कतेको बेर ओहि समाचारकेँ पढ़लहुँ। मैथिलीक एकटा अनन्य सेवकक चिर संघर्षक बाद देहावसान भए गेल छल। मिथिलाक गाम-गाममे शोक सभा मनाओल गेल। श्रर्द्धांजलि देनिहार लोक सबहक हुनक प्रति सिनेह अवर्णनीय छल। 

डॉ. जयकान्‍त मिश्र अपने-आपमे मिथिलाक इतिहास छलाह। मिथिलाक कोनो एहन  गाम नहि होएत जतए ओ मैथिली कार्यक्रमक हेतु नहि गेल होथि। विद्यापति समारोह हो,  किंवा मैथिलीकेँ संविधानक अष्टम सूचीमे शामिल करबाक हेतु आयोजित आन्‍दोलन हो,  वा मैथिलीकेँ शिक्षाक अनिवार्य माध्‍यम बनेबाक प्रयास हो,  सभठाम हुनकर नाम अबिते छल एवम् ओ व्यक्तिगत रूपसँ सभ कार्यक्रमे भाग लइते छलाह। 

जखन-कखनो ओ भेटितथि,  मैथिलीमे लिखबाक हेतु प्रेरित करबे करथि,  मैथिलीक सम्‍मानक हेतु कएल जा रहल प्रयासक चर्चा करितथि, सभ काजपर मैथिलीसँ जुड़ल आन्‍दोलनकेँ प्राथमिकता देबे करथि। 

मैथिलीक एहि अनन्‍य सेवकक कतेक उपकार अछि तकर वर्णन असंभव।हुनक साहृदयता, वाणीक मधुरता एवं अपनत्व सदिखन मोन पड़ैत रहत आ मोन रहत हुनका संग बिताओल गेल अद्भुत क्षण। ओ आब नहि छथि,  मुदा कोटि-कोटि मैथिलक हृदयमे ओ सदिखन विद्यमान छथि आ  रहताह।