ई मोन
बड़ा विचित्र चीज अछि। कहि नहि एकर कन्तोसरमे कतेक खल होइत छै जे तरह-तरह केर गप्प-सप सालो-साल चौपेतल
रहैत अछि। जखन कखनो असगर होइत छी, गाम, गामक लोक, गामक घटना, दुर्घटना सभ मोन पडैत
रहैत अछि। हमरा सबहक परबाबा तीन भाए रहथि। स्व. गुमानी मिश्र, स्व. माना मिश्र ओ स्व.
तुफानी मिश्र। स्व. माना मिश्रक पुत्र स्व. कुमर मिश्र संस्कृतक प्रकाण्ड विद्वान छला। सुनैमे
अबैत अछि जे दड़िभंगा महाराज हुनका अपन राज पण्डित बनबाक आग्रह केलखिन जे ओ अस्वीकार
कऽ देलाह। ओ स्वयं एकटा पाठशाला चलबैत रहथि। ओहि पाठशालामे सैकड़ो विद्यार्थीकेँ
नि:शुल्क भोजन आ आवासक संग विद्या दान देल जाइत छल। हुनकासँ पढ़ल सैकड़ो
विद्यार्थी मिथिलांचलमे हुनकर गुणगान करैत छला।
गामक
चर्चा होइते स्वर्गीय कका पण्डित चनद्रधर मिश्रक नाम सभसँ पहिने मोन पडैत अछि। ओ स्व. माना मिश्रक
पुत्र छलाह। प्रधानाध्यापक छलाह। गाम अबितहि सभसँ पहिने हुनकासँ भेंट करी। अपन आध्यात्मिक
स्वभाव एवम बिद्वतासँ निरन्तर प्रेरित करैत रहैत छलाह। गामक कतेको लोक कतेको रूपमे
ध्यान रखलाह,
मानलाह, मदति केलाह। आब ओ सभ
एहि दुनियाँमे नहि छथि, मुदा हुनकर सभक अनुराग हम नहि बिसरि सकैत छी।ओ सभ हमरा
लेल भगवाने छलाह…..।
हमर
गाम अड़ेर डीह। अड़रे डीह चौदह टोलक गाम अछि। पहिने एक्के पंचायतमे सभटा टोल छल।
अड़ेर डीह टोल, अड़ेर पुबारी टोल, विष्णुपुर, जमुआरी होइत विचरवाना तक एक्के पंचायत छल- अड़ेर। ओकर
मुखिया बहुत दिन तक स्व. मार्कण्डेय भण्डारी छला आ हमर बाबूजी सरपंच रहथि।
ओहि
समय ग्राम पंचायतकेँ आइ-काल्हि जकाँ अधिकार नहि रहै
तथापि मुखिया-सरपंचक नाम तँ पंचायतमे विख्यात भइए जाइत छल। पंचायतक चुनाव
ओहू समयमे गहमा-गहमीसँ भरल होइत छल। हम सभ
स्कूलमे
पढ़ैत रही तँ चुनाव भेल रहइ। स्व. मार्कण्डेय भण्डारीजी मुखियाक चुनाव जीतल रहथि।
सप्पत
ग्रहण समारोहक क्रममे आयोजित उत्सवक प्रसंग अखनो मोनसँ मेटाएल नहि।
ओहि
समयमे स्व. मार्कण्डेय भण्डारीजीक इलाकामे फूक चलैत छल। अड़ेरक सिनुआरा टोलमे
हुनकर घर अछि। सभ तरहेँ सम्पन्नताक संग सामाजिक मान-सम्मान हुनका भरपूर भेटल छलनि।
साँझकेँ अड़ेरक सड़कपर दल-बलक संगे हुनका टहलैत देखैत बनैत छल।
अड़ेर
डीह टोलक इतिहास बहुत पुरान लगैत अछि। गाममे आब जनसंख्याक अनुपातमे आवासीय जमीन सीमित
अछि। तँए घरेपर घरक दृश्य अछि। लोक सभ अगल-बगलमे घर बना रहल छथि। कलममे सेहो बास
भऽ गेल अछि। सभसँ चमत्कारी विकास तँ चौकक लगपास भेल अछि। चौकक कातेकाते करीब-करीब
दू साए दोकान खुजि गेल अछि। तरह-तरह केर थौक आपूर्ति करएबला दोकान सभ सेहो खुजि
गेल अछि। असलमे अड़ेर चौकसँ चारूकात रोड बनि गेल अछि। तँए इलाकाक लोक क्रय-बिक्रयक
लेल ओहिठाम पहुँचै छथि।
अड़ेरमे
स्टेट
बैंक ऑफ इण्डियाक शाखा अछि, ओकरे एटीएम सेहो अछि। थाना अछि, पोस्ट ऑफिस अछि, सरकारी डिसपेंसरी अछि।
प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल तथा हाइ सकूल अछि।
संगे एकटा संस्कृत विद्यालय सेहो अछि जेतए सुनै छी जे विद्यार्थी सभ नदारद छथि
मुदा सार्टिफिकेट भेट जाइत छैन।
गाममे
तीनटा पोखरि कहि नहि कहियासँ अछि। ओकर अतिरिक्त गामक बाहर नवका पोखरि, कुट्टी लगक पोखरि
सेहो अछि। गामक बीचमे पोखरि हेबाक कारण बासक जगहक दिक्कत छइ।
हम सभ
जखन बच्चा
रही तँ गाममे हाइ स्कूल
नहि रहइ। गामक विद्यार्थी सभ पढ़बाक हेतु एकतारा, लोहा वा रहिका जाइत रहथि।
एकाघ-टा विद्यार्थी मधुबनी किंवा बेनीपट्टी सेहो जाइत छला।
कहल
जाइत अछि जे एकबेर अंग्रेज सभ गामक बाटे जाइत काल पहलमान सभकेँ सौरो करैत देखलकै आ ठिठैक गेल। पुछलकै जे ई सभ डकैत छिऐ की? तँ कियो कहलकै जे
नहि सरकार! ई सभ पहलमान छथि, सुखी सम्पन्न छथि आ
खेती-बारी कऽ कऽ प्रतिष्ठा पूर्वक जीबैत छथि।
अड़ेरमे
कमला नदीसँ जोड़ल नाला अछि जाहिमे पानि तखने अबैत अछि, जखन कि कमलामे बाढ़ि आबि
जाइत अछि। कृषि काजमे ऐ नालाक योगदान नगण्य अछि। स्थानीय किसान सभ भगवानक कृपापर
निर्भर छथि।
चिकित्साक मामलामे हमर गाम
पिछड़ल अछि। कतहुँ-कतहुँसँ इलाज-बात होइए।
पहिने दड़िभंगामे इलाजक नीक ब्यवस्था छल। पैसा खर्च केलापर लोककेँ औरुदा रहलापर
जान बाँचि जाइत छल,
मुदा आब तँ भगवाने मालिक। बेमारी किछु, इलाज कथुक। हमर एकटा परिचितकेँ दड़िभंगामे ततेक करगर
एन्टीवायोटिक देल गेल जे हुनकर दुनू किडनी फेल भऽ गेलनि। आब डयलिसिस करा कऽ कहुना
जीबि रहला अछि। जतेक दिन ससरि जाइथ।
हमर
गामक ब्रह्मस्थानमे
सालमे एकबेर नवाह अबस्स होइत
अछि। ओहिठाम युवक सभ भव्य मन्दिरक निर्माण केलथि। पहिने काली
पूजामे मूर्तिक स्थापना
होइत छल जे पूजाक बाद भँसा देल जाइत छल।
आब ओहिठाम स्थायी
रूपसँ माँ कालीक भव्य
मूर्ति स्थापित
भऽ चुकल छथि। सालमे दियावातीक रातिमे भव्य आयोजन होइत अछि जाहिमे अड़ेर चौकसँ काली मन्दिर धरि नाना प्रकारक
बल्ब सभ जगमग करैत रहैत अछि। काली पूजामे नाच-गानक अतिरिक्त तरह-तरह केर मनोरंजनक
ब्यवस्था रहैत अछि। पहिने हमरा गाममे काली पूजाक रेबाज नहि छल। लोक विष्णुपुर वा
अङेर पुरवारी टोल मे । लगभग ४५ साल पूर्व किछु युवक सभ एकरा प्रारम्भ जे तखनसँ एकटा परिपाटी भऽ गेल अछि।
अड़ेर
बहुत साविक गाम अछि। मधुबनीसँ बेनीपट्टी जेबाक क्रममे ई गाम अबैत अछि। कहियासँ ई
पक्का रोड बनल अछि से पता नहि। आब ओही रोडकेँ थोड़ेक चौड़गर सेहो कऽ देल गेल अछि।
सीतामढ़ीक हेतु दड़िभंगा-पटनासँ जाइबला बस सभ हमरे गाम दऽ कऽ जाइत-अबैत अछि। कुल
मिला कऽ देखल जाए तँ हमर गाम छोट-छीन शहरक रूप धऽ नेने अछि।
गाममे
पढ़ल-लिखल लोकक कमी नहि, देशमे सर्वत्र हमरा गामक लोक भेट जेता। दिल्ली ओ मुम्बइमे तँ भरल छथि। हमरा
लोकनि सोदरपुरिये मानिक मूलकक साण्डिल्य गोत्रीय मैथिल व्राह्मण छी।
७ पुस्त
पूर्व हमरा लोकनिक पूर्वजक विवाह अड़रे डीह गाममे भेलनि आ हुनका ससुर गामेमे बसा
देलखिन। पर्याप्त
जमीन-जत्था
देलखिन। क्रमश: ओ सभ उद्यमसँ प्रचूर धन-सम्पत्ति अर्जित कए इलाकाक प्रतिष्ठित
धनीकमे मानल जाइत छला। क्रमश: परिवारक विकास होईत गेल।
जनसंख्या बढ़ैत गेल आ ओही
क्रममे पारिवारिक सिरफुटौऐल सेहो बढ़ल। हम बच्चा रही तँ कए बेर कएक गोटाक
आपसी मारि-पीटिमे कपार फुटैत देखिअनि। मोकदमावाजी तँ चलबे कएल। ओहि समयमे अड़ेरमे
नामी पहलमान भेल रहथि स्व. बच्चा झा। हुनकर शक्तिसँ दड़िभंगा
महाराज प्रभावित रहथि। सुनबामे आयल जे ओ लोहाक हथकड़ीकेँ जोर लगा कए तोरि देने
छला।
हमरा
गाममे पूर्वकालमे मूलत: कृषि आधारित लोक क जीवन छल । अधिकांश लोककेँ जमीन-जत्था रहइ। गाम खुशहाल छल।
दुपहरियाक समयमे बरोबरि अल्हा-रूदलक गीतमय कविता पाठक आयोजन ढोलकक तालपर होइते रहै छल।
ऐ
तरहकआयोजन आम छल। मुदा आब समय-साल बदलल अछि। शिक्षा दिस लोकक रूझान बढ़ल अछि। लोक
अपन छोट-छोट बच्चाकेँ
पढ़ाइक लेल मधुबनी पठा रहल छथि। पब्लिक स्कूलक चला-चलती बढ़ल अछि। शिक्षा
ओ चिकित्साक
समस्या
हमरे गाम तक सीमित नहि अछि। ओ तँ पूरा बिहारक समस्या अछिए। तथापि लोक प्रयासरत
अछि। आशा अछि, कालान्तरमे हमरो गाममे चिकित्साक बेहतर ब्यवस्था भऽ सकत जाहिसँ
स्थानीय
लोककेँ पटना/दिल्ली नहि दौड़ए पड़तैन।
गाममे
आब धनीक लोकक भरमार भऽ गेल अछि। कतेको बेकतीकेँ आर्थिक विकास बहुत भेल। गाममे जबार
हएब आम बात भऽ गेल अछि। गाम लऽ कऽ भोज तँ होइते रहैत अछि। लोक सभ कहैत रहै छथि जे ओ सभ
भोज खाइत-खाइत तंग भऽ गेल छथि। कतेको गोटाकेँ ब्लड-सूगर बढ़ि जाइत छैन। रसगुल्ला-छेनाक
बिना तँ कोनो भोज होइते ने अछि।
पुरना
जमानामे किलोक किलो भोजन चट केनिहार लोक सबहक खिस्सा सुनैत रहै छलहुँ मुदा
आइयो-काल्हि एहन एकाध बेकती हमरा गाममे
मौजूद छथि। जँ अपनेकेँ धैर्य जवाब नहि दऽ दिए तँ हुनकर भोजनक क्रममे कदमताल देख
सकैत छी। हुनका द्वारा खाएळ गेल रसगुल्लाक गिनतीक हेतु जन लगबए पड़ि सकैत अछि।
भोजनोपरान्त लदबद चलैत अपन घर आपस जाइत
हुनका देख छगुन्तामे पड़ि जाएब। आखिर ओ केना जीब रहल छथि? आश्चर्य..!
एतेक
भोज होइत रहैत अछि, मुदा सभजाना भोजमे
अखनो स्त्रीगणकेँ शामिल नहि कएल जाइत अछि। जँ ब्यवस्थापक नीक छथि तँ घरे-घर खएक
(पारस) पहुँचा दइ छथिन, मुदा ओहो दुपहर रातिमे जखन कि कियो स्त्रीगण भोजक प्रतीक्षा
मजबुरियेमे कए सकैत छथि ।
हम
गाहे-वगाहे ऐ ब्यवस्थामे सुधारक चर्च करै छी, मुदा ग्रामीण ब्यवस्थामे
सुधारक गुनजाइश सहज नहि होइत अछि। देखै छी, आगाँ की होइत अछि।
हमरा
गाममे हाइ स्कूलक
स्थापना
हेतु इलाकाक गणमान्य
लोक सभ प्रयास केलाह। ओहिमे हमर बाबूजी सेहो अत्यन्त सक्रिय रहथि। स्व. बच्चा झाक परिवारक लोक
बहुत रास योगदान देलेथि। स्थानीय लोक सभ सेहो योगदान
केलखिन जाहिसँ हाइ स्कूलक नाम- ‘बच्चा झा जनता उच्च विद्यालय- अड़ेर’ पड़ल। किछु दिन धरि
ओ विद्यालय पंचायत भवनमे चलैत छल। क्रमश: विद्यालयक अपन पक्का मकान एवम् आन-आन
सुविधा भेल।
गेनखेलीक
हेतु हमर गाम प्रसिद्ध छल। अंग्रेजी हुकुमतक लोक सभ हमरा गामक लोक सबहक गेनखलीमे
अभिरुचि देख दंग रहथि। हमर बाबूजी सेहो ऐमे माहिर रहथि। कतेको मेडल हुनका भेटल छल।
गेनखेलीसँ प्रभावित भऽ अंग्रेज अधिकारी सभ हमरा गामक कएक गोटाकेँ छोट-मोट नौकरी
धरा देलखिन। अड़ेरक फुटबॉल टीमसँ बड़का-बड़का शहरक टीम सभ घबड़ाइत छला।
हम सभ
जखन बच्चा
रही तखनो विष्णुपुरक मैदानक गेनखेलीमे बाबूजीकेँ भाग लैत देखिअनि। कए दिन हुनका
पैरमे चोट लागि जाइन। चोट सबहक देशी इलाज होइत
छल।
आब
समय-साल बदलल अछि। गामोमे लोकक आपसी सम्पर्क क्षीण भऽ गेल अछि। फगुआ सन पाबैनमे
लोक अपन दरबज्जा ओगरने रहैत अछि तथापि गाम तँ गामे अछि।
आशा करै छी जे कालान्तरमे क्रमश: हमरा
गाममे आर सभ सुविधा होयत जकर कल्पना सुखद जीवनक
हेतु कएल जाइत अछि। जाहि प्रकारक चौहद्दी हमर गामक अछि तइमे एकरा विकासक शिखर तक
पहुँचनाइ एक सफल स्वपन्न भऽ सकैत अछि, वशर्ते गामक युवा शक्ति रचनात्मक रूख धरैत सही दिशामे अग्रसर
होइथ।
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