मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

गुरुवार, 19 मार्च 2020

यशस्वी भव ! दीर्घायु भव !


 
यशस्वी भव ! दीर्घायु भव !
“रे मिआँ जान! महीष चुकरि रहल छौ ।”
“कतए छैं रे!”” 
“सुनि नहि रहल छैँ?”
“जल्दीसँ पड़रुकेँ खोल । हम आबि रहल छी ।”
बाबा नित्य भोर आ साँझ चिकरि कए मिआँजानकेँ आबाज दैत छलाह । मिआँजान तुरंत महीष लग पहुँचितए । बाबा तुरंत दनानपरसँ ओलारपर पहुँचितथि । आ थोड़ेकालक बाद भरिडोल फेनाएल दुध लेने वापस अबितथि । ई घटनाक्रम चारि-पाँच मास धरि चलैत । तकरबाद महीषक दुध कम होबए लागैत । जौँ-जौँ दुध कम होइत तौँ-तौँ ओकर स्वाद बढ़िआ होइत जाइत । कहल जाइत छल जे महिष बकेन भए गेल अछि । तकरबाद जखन महीषकेँ गर्भाधानक समय अबैत तँ मिआँजान ओकरा लेने बाधे-बाध घुमैत चिकरैत छल-अर्र! चहत -चहत -चहत... अर्र! चहत- चहत -चहत...आ कतहुसँ पारा कुदैत-फनैत अबैत। गोटैक दिन बाबा प्रसन्नतापूर्वक घोषणा करितथि-महिष बाहि गेल । तकरबाद महीष दुध देनाइ क्रमशः बंद कए दैत ।
हमरसभक दनान आ ओलारक बीचमे पोखरि छल । पोखरिक उतरबारि भीरक बाटे एकपेरिआ रस्ता छलैक । ओही देने ओलारपर पहुँचल जा सकैत छल । क्रमशः ओ एकपेरिआ रस्ता लग-पासक जमीनक मालिकसभ धकिअबैत गेलाह । किछु समयक बाद ओ रस्ता नहि रहि गेल । ओलारपर जाएब-आएब मोसकिल भए गेल । तथापि बहुतदिन धरि वैकल्पिक रस्तासभक ओरिआओन होइत रहल ।  ओहो रस्तासभ गाहे-बगाहे बंद होइत गेल। बादमे हमरसभक  घरे लग उतरबरिआ कातमे माल-जालक घर बनल । दनानसँ सटले पूब बड़दक थरि बनल । बादमे मिआजान नौकरी करए सहर चलि गेल । ओकरा बदलामे कैकबेर कैकटा चरबाह आएल गेल। मुदा केओ स्थिर नहि रहि सकल । हारि कए बाबा महीषकेँ पोषिआ लगा देलाह । दूध-दही उठओना आबए लागल । मुदा ओहि दूधक स्वाद घरक महीष दूध सन नहि भए सकल । नव बिआएल महीषक दूध किछुदिन धरि अशुद्ध रहैत छल । ओकर खिरसा बनैत छल । बादमे ओसभ दुर्लभ भए गेल। बाबा अपन महीषक बहुत गाढ़ दूध पीबाक अभ्यस्त छलाह । जखन महीष पोसिआ लागि गेल आ परिवारमे लोक बढ़ि गेल तँ उठओना लेल गेल दूधसँ बाबाकेँ खोआसन गाढ़ दूध  भेटब मोसकिल भए गेलनि । एहिबातक अफसोच करैत हुनका कतेको बेर देखिअनि ।
एते बाततँ भए गेल मुदा अहाँ कहि सकैत छी जे अखन धरि बाबाक नाम नहि कहलहुँ । तँ से सुनिए लिअ। हुनकर नाम रहनि स्वर्गीय श्रीशरण मिश्र (पिताक नाम स्वर्गीय गुमानी मिश्र गाम अड़ेर डीह परगना जरैल) । हुनकर पिता स्वर्गीय गुमानी मिश्र  ओहि समयमे इलाकामे संपन्न व्यक्ति मानल जाइत छलाह । 
बाबा नित्त अन्हरोखे उठैत छलाह । जौं जन अढ़ाबक होनि तँ अहल भोरे सिनुआरा टोल जइतथि आ तकरबाद नित्यकर्म करबाक हेतु नवका पोखरिपर चलि जइतथि । नवका पोखरिपर  हुनकोसँ पहिने कैकगोटे पहुँचल रहैत छलाह जाहिमे प्रमुख छलाह बंगटकाका,बरमाबालीकाकी आ सरिसवबाली काकी । नवका पोखरिसँ सटले बसल लोकसभमेसँ कैकटा महिलासभ सेहो स्नान करबाक हेतु ओतए भोरे पहुँचि जाइत छलि । जँ खेतमे जन काज करैत होइत तँ बाबा ओकरसभक पनपिआइ लए कए जैतथि आ खेतक काज समाप्त भेलाक बादे ओ स्नान-पूजा करैत छलाह । तकरबाद वापस घर अबितथि । 
बहुत दिन धरि बाबा शालीग्राम भगवानक पूजा करैत छलाह । पूजामे  जँ कोनो व्यवधान भेल तँ हुनका कैकबेर बहुत तमसाइत देखिअनि । कैकबेर तँ ओ तमसा कए भगवानकेँ शर्माजीक ओहिठाम पठा दैत छलाह । फेर कहिओ मोन होइतनि तँ हुनका ओहिठामसँ भगवानकेँ वापस मंगा लितथि । ईसभ कैकबेर हमसभ देखिऐक । बाबा स्वभावसँ बहुत कर्मठ,मेहनती,स्वाबलंबी मुदा तमसाह छलाह । चौहत्तरिम वर्षक बएस धरि ओ खेती स्वयं करैत छलाह । हुनका खेतीसँ हटितहि घरक आर्थिक स्थिति गड़बड़ाइत गेल । तकरबाद खेतसभ बटाइ लागए लागल । परिवार पैघ भए गेल छल । हमसभ नौ भाए-बहिन रही । बाबू,माए आ बाबा लगाकए बारहगोटे भेलहुँ। बादमे हमर नानी सेहो आबि गेल रहथि । ओ मसोमात छलीह आ हमर माए हुनकर एकमात्र संतान रहथिन । एकाधटा पाहुन रहितहि छलाह । अस्तु, कुलमिलाकए सोलहगोटेक नियमित आश्रम छल। एतेकगोटेक जलखैसँ लए कए भोजनधरिक ओरिआन करबामे माए दिन-राति व्यस्त रहैत छलि ।  ओहिमे हमसभ इसकूल जाइ। बाबू सेहो अपन काजपर जाथि । बाबाक पूजा-पाठ होनि । सभ काजक जिम्मेबारी एकसरि हमर माए सालक-साल निर्वाह करैत रहलि । 
बाबाकेँ छओटा भाए आ दूटा बहिन रहथिन । एकटा बहिन तँ नैहरेमे बसाओल गेल रहथिन आ दोसरक बिआह वभनगामा(जनकपर,नेपाल)क एकटा संपन्न परिवारमे भेल रहनि। हमरा जतेक मोन पड़ि रहल अछि बाबाक दुनू बहिन देखबामे गोर-नार आ अतीब सुन्दरि छलि । दुर्गा दाइ गामे मे बसल रहथि । तेँ हुनकामे बहुत ठसक छलनि। भाएसभक घरे-घर घुमि कए भौजीसभपर हुकुम चलबथि। बभनगामाबाली पीसी स्वभावक बहुत मृदुल रहथि ।  दुर्भाग्यवश ओ  जल्दिए विधवा भए गेलीह। हुनका दूटा पुत्र रहथिन। हुनकर  वभनगामामे  नीक संपत्ति रहनि। मुदा दियादसभ गड़बड़ करैत छलनि । बाबा कैकबेर एहि प्रसंगसभमे वभनगामा जाइत  छलाह आ पिसीक काज सोझरा अबैत छलाह । बाबा जखन कोनो बातपर रुसि जाइत छलाह तँ वभनगामा  चलि जाइत छलाह । ओहिठाम दस-बीस दिन रहितथि। वापसीमे  गृहस्थ हेतु उपयोगी किछु-किछु जेना हर,बैलगाड़ी उपहार जरूर भेटैत छलनि । वभनगामासँ लौटलाक बाद बाबाक रोहानी बदलल रहैत छलनि। ओ स्फूर्तिसँ भरल रहैत छलाह आ वापस आबि अपन गृहस्थीक काजमे जोर-सोरसँ लागि जाइत छलाह।
बाबा अपना लेल पनही मधुबनीसँ अनैत छलाह । ओहिमे पहिने कैकदिनधरि अंडीक तेल दए कए ओकरा नरम कएल जाइत छल । गाममे पनहि पहिरि कए ओ साँझमे टहलैत नवका पोखरि स्थित महादेव मंदिर धरि जाइत छलाह । ओहिठाम नित्य हुनकर दू-तिन घंटा समय बितैत छलनि । एकदिन एहिना टहलैत काल सड़कपर एकटा साइकलसँ टकरा गेलाह । तकरबादतँ तमासा लागि गेल । ओहि साइकलबलाकेँ तँ जे भेलैक,से भेलैक,मुदा ओकर साइकिल सेहो छिनने चलि अएलाह । बादमे ओ बहुत गोहरेलक आ घटी मानलक तखन ओकर साइकिल वापस भेल ।
बाबा अपन युवावस्थामे  सशक्त पहलवान रहथि । कहाँदनि एकदिस कैकगोटे आ दोसर दिस एसगरे चार चढ़ा दैत छलाह । हमसभ तँ हुनका जखन देखलिअनि आ जखनसँ हुनकर आकृति मोन अछि ओ बूढ़े देखाइत छलाह । मुदा ओ छलाह एकदम चुस्त । सभटा खेतीबारी ओ एसगरे करैत छलाह । ककरो मजाल नहि छल जे हुनकर खेतमे बिदति कए दैत । कैकबेर घरारीक सीमाक हेतु,कलमक बाँस हेतु वा खेतमे पानि पटेबाक हेतु हुनका झंझट करए पड़ैत छलनि । एकबेर एहीसभ विषयमे दियादेमे  बाताबाती भए गेल । बात किछु आगा भए गेल । बाबाक कहलापर हम बंगट काकाकेँ पंचैतीक हेतु बजाबए गेल रही । बंगटकाका ओहि समयमे गामक मानल पंच होइत छलाह । पहलवान तँ छलाहे संगहि ठाँइ-पठाँइ अपन बात कहबाक हेतु प्रसिद्ध छलाह । पंचैती भेल आ संबंधित व्यक्ति बाबासँ घटी मानलनि । बात ओतहि खतम भए गेल । कहि नहि की-की होइत? मुदा हुनकासभमे एतेक छल-प्रपंच नहि रहनि । आएल पानि गेल पानि बाटे बिलाएल पानि- से बला हाल रहैक ।
बाबाक बिआह सोतीपुर सलमपुर(समस्तीपुर लग) शीलानाथ झा पाँजिमे भेल रहनि । ओहि समयमे पाँच सए चानीक सिक्का हमरसभक परबाबा दए ई बिआह ठीक केने रहथि कारण जाति-पाँजि बला कन्या आनब ओहि समय बहुत प्रतिष्ठाक गप्प बूझल जाइत छल । बादमे बाबाक सारसभ जनाढ़मे जा कए बसि गेल रहथि । जनाढ़सँ बहुत दिन धरि हुनकर सारसभ बाबासँ भेंट करए आबथि आ मासक मास बाबा लग रहि जाथि । ओहिमे बाबाक एकटा सार स्वर्गीय सतंजीव मिश्र तँ हमरा गाममे रहि कए बहुत दिन पढ़लो रहथि । बादमे  सभाक समय ओ अवश्य आबथि आ कैक मास धरि पहुनाइ केलाक बाद जनाढ़ वापस जाथि । बाबाक हेतु कैकटा उपहार जेना चक्कु,सरौता आनथि ।
बाबाकेँ एकमात्र जीवित संतान हमर बाबू रहथिन । हुनकर  हार्दिक इच्छा रहनि जे ओ नीकसँ पढ़थि । ताहि हेतु हुनका वाटसन इसकूल मधुबनीमे छात्रावासमे राखि पढ़ाइ करबाक ब्योंत केने रहथि । मुदा बाबूजीक ध्यान गेनखेलीपर बेसी आ पढ़ाइपर कम रहैत छलनि । गेनखेलीमे  बाबूजीकेँ कतेको मेडलसभ भेटल रहनि । किुछदिनक हेतु जखन ओ कोलकाता गेल रहथि तँ हुनकर  चयन मोहनबगानक फुटबालटीममे भए गेल रहनि । मुदा ओ कोलकातामे बेसीदिन नहि टिकलाह आ गाम वापस आबि गेलाह। ओ आगा नहि पढ़ि सकलाह जखन कि हुनकर कैकटा संगी  बहुत आगू गेलाह । बादमे एहि बात हेतु हुनका बहुत अफसोच करैत देखिअनि । बाबाक कहाँदनि दूटा आओर संतान भेल रहथिन जे अकाल कालक गालमे समा गेलाह। तेँ बाबू एसगरे रहि गेलथि। बाबा एहि हेतु हुनका किछु रोक-टोक नहि करथि ।
बाबा अपन एकमात्र संतान स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्रक बिआह टेकटारि टीसन लग सिंघिआ ड्योढ़ीमे बहुत संपन्न परिवारमे स्वर्गीय रामप्रसाद झाक एकमात्र संतान( स्वर्गीया दयाकाशीदेबी)सँ करबओने रहथि । ओहि समय हमर माएक बएस नओ साल आ बाबूजीक बएस बाइस साल छलनि । हमर नानाक देहांत बहुत पहिने(हमर माएक जन्मसँ किछु मास पूर्बहि) भए गेल रहनि । एतेक कम बएसमे सासुर अएलाक बाद हमर माए पचासी साल सासुरमे रहलीह आ निरंतर संपूर्ण परिवारक सेवा करैत रहलीह । हमर दाइक असामयिक मृत्युकबाद माए तीस वर्षधरि बाबाक सेवा केलथि । एहन पुतहु आब कतए पाबी?
हमर दाइ बहुत कमे बएसमे मरि गेलीह । बाबाक बएस ओहि समयमे पचास साल रहल होएतनि। दाइकेँ पेचिस भए गेल रहनि । ओहि समयमे कोनो इलाज रहैक नहि । बैदक पुड़िआ बहुत दिन धरि खाइत रहलीह। मुदा हुनकर स्वास्थ्य गड़बड़ाइते गेल । आखिर ओ कमे बएसमे चलि गेलीह । हुनकर पोताक मुँह देखबाक मनोरथ लागले रहि गेलनि । हमर चारिटा बहिनक जन्म भए गेल रहनि । ताबेधरि हमर जन्म नहि भेल छल । एहिबातसँ ओ बहुत दुखी रहैत छलीह ।  हुनका मृत्युक बाद एकटा आओर बहिनक जन्म भेलनि । कहक माने जे पाँच बहिनक जन्मक बाद छटम संतान  हम भेलिअनि । हमर जन्मसँ बाबा बहुत प्रशन्न भेल रहथि। 
हमर परिवारमे जखन कोनो संतानक जन्मक समय होइत तँ बाबा सिनुबारा टोलसँ चमाइनकेँ बजबितथि। दिन होइ वा दूपहर राति ओएह ओ काज करैत छलाह । पहिनेसँ बकरीकेँ ठेकना कए राखल जाइत जाहिसँ जनमौटी नेनाकेँ बकरीक दुध जनमितहि देल जा सकए ।
कहाँदनि जखन हमर जन्म भेल तँ बाबाकेँ ई समाचार दैत हुनकर बहिन कहलखिन जे नेनाक नाक पीचल छैक । बाबा कहलखिन-
“जएह दही गे भुलिआ । हिनकर नाककेँ देखैत अछि ।”- से कहि ओ महादेवकेँ बहुत धन्यवाद देबए लागल रहथि। हमर जन्मसँ पूर्व बाबा महादेवकेँ पोताक हेतु बहुत प्रार्थना करथि ।   हुनका एकदिन लगेक इनार लग एकटा डमरु भेटलनि । ओहि डमरुकेँ बजा-बजा कए ओ महादेवक नचारी गबैत छलाह आ महादेवसँ पोताक जन्मक हेतु मनता करैत छलाह । बाबा कहथि-
  “डमरु बजओलासँ प्रसन्न भए महादेव चारिटा पोता देलथि ।” 
ओहि डमरुकेँ बजबैत हमहु बादमे बाबाकेँ देखने छलिअनि । बहुत बादमे जा कए बाबा ओहि डमरुकेँ नवका पोखरिपर महादेव मंदिरमे राखि देलखिन ।
परिवारमे ज्येष्ठ हेबाक कारण बाबा बहुत गोटेक गुरु छलाह । ताहिमेसँ प्रमुख छलाह भैया(हमर पितिऔत -श्री शशिभूषण मिश्र) । हुनका आ भौजी -दुनूगोटेकेँ बाबाक प्रति बहुत श्रद्धा रहनि । ओ सभ हुनकेसँ मंत्र लेने छलाह ।  बाबा हुनकर बरोबरि चर्चा करथि । कहल करथि जे अपने प्रयाससँ पढ़िकए ओ छोटे नौकरी कए पूरा परिवारक नक्सा बदलि देलनि । बातो सही। हुनकर चारूपुत्र उत्तमसँ उत्तम शिक्षा प्राप्त केलथि आ बहुत उच्च पदसभधरि पहुँचि सकलथि । गाम-घरमे बहुत संपत्ति अर्जित केलाह । हमसभ नेनेसँ हुनका भैया कहिअनि । हुनकामे आश्चर्यजनक फुर्ती सभदिन देखबामे आएल । सरकारी नौकरीसँ सेवानिवृत्तिक बादो ओ निरंतर सकृय रहलाह । 
एकदिन बाबा नवका पोखरिपर साँझक पूजाक समयमे मंदिरेपर बेहोश भए गेलाह । तुरंते ई बात सौंसे गाममे पसरि गेल । देखिते-देखिते लोकक करमान लागि गेल । केओ हुनका पंखा करथि तँ केओ पानि पिआबथि,केओ भगवानक नाम लेथि । लोकसभके भेलैक जे आब ओ गेलाह । मुदा थोड़बे’कालक बाद हुनकर हालतमे सुधार होबए लागल आ घंटाभरिक बाद स्वयं चलि कए ओ घर पहुँचि गेलाह ।
बाबा ठट्ठ गृहस्थ छलाह । घर-बहारक सभटा काज हुनका बूझल रहनि । खाट घोरब, जौर बनाएब,धान रोपनीसँ कटनी धरि ओ मुस्तैद रहैत छलाह । जखन दनानपर धानक कटनीक बाद दाउन जोइत तँ बाबा भोरे ऊठिकए बरदक ओरिआन करैत छलाह। स्वर्गीय बच्चाकाका(उदयकान्त मिश्र)क बरद सभदिन मेहिआमे बहैत छल । कहक माने जे जँ सातटा बरद दाउनमे लागल अछि तँ सभसँ शुरुमेमे जे बरद होइत तकरे मेहिआ कहल जाइत छल । सामान्यतः सभसँ अहदी आ अब्बल बरदकेँ मिहआमे राखल जाइत छल ।  जखन दाउन भए गेल तँ धानकेँ  तौलल जाइत छल । गामक किछुगोटेकेँ एहिकाजमे महारत छलनि । हुनका धान तौलबाक हेतु बजाओल जाइत छल । ओ धानकेँ तौलितथि-
रामहि राम एक-एक,रामहि राम दू-दु, एहि तरहें गनैत धानक तौलनाइ होइत ।  तकरबाद एकसूप धान कात कए राखि देल जाइत जे कोनो गरीब ब्राहमणकेँ दानमे देल जानि । एहि तरहेँ अगहनसँ शरु भए मास-दूमास ई प्रकृया चलैत रहैत । अधिकांश धानकेँ दरबाजाक कोनपर बनल बखारीमे राखि देल जाइत छल । तकरबाद बँचल धानकेँ घरमे राखल ढक,कोठी आदिमे राखल जाइत छल । बादमे ई परिस्थिति नहि रहल । 
बाबाक जीवन बहुत मानेमे एकाकी रहनि । कमे बएसमे हमर बाबीक देहांत भए जेबाक कारण ओ व्यक्तिगत रूपसँ नितांत एसगर रहथि । ई बात कैकबेर हुनकर व्यवहारमे परिलक्षित होइतो छल । ओना तँ एकहि पुत्रसँ हुनका भरल-पूरल परिवार रहनि । नओटा पोता-पोती,बेटा-पुतहुसभ रहनि । ओ ओहीमे लागलो रहैत छलाह। मुदा जौँ-जौँ हुनकर बएस बढ़ैत गेल हुनकर मोनक उदासी साफे देखल जा सकैत छल । तकर मूल कारण परिवारक आर्थिक स्थितिक ह्रास छल । बहुत रास एहन घटनासभ भेल जे ओ सपनोमे सोचने नहि रहल हेताह । मुदा भावी प्रवल होइत अछि । जे हेबाक रहैत अछि से होइते अछि । जे सुख-दुख हुनका लिखल छलनि ,से भेलनि। 
एहिसभक अछैत ओ ८६ साल जीलाह । जीवनक अंतिम समयमे बहुत कमजोर भए गेल रहथि । दरबाजापर दिन-राति समय कटैत छलनि । जँ केओ मजगूत युवक देखितथि तँ ओकरासँ जतबितथि । कैकबेर ब्रम्हुजीकेँ अपन सुखाएल हड्डीपर चढ़ा लैत छलाह । ओहो भरिमोन हुनकर सेवा करितथि । पहलवानीक समयक भग्नावशेष हुनकर देहमे तखनो बहुत जान छल । व्यायाम छुटि गेलाक कारण हड्डी दुखाइत रहैत छलनि । तखन होनि जे केओ हुनका जतैत रहए । मुदा एतेक समय ककरा लग रहैक?
सन् १९७५मे हम दरभंगामे दूरभाष निरीक्षक रही। बेलामे हमर डेरा रहए । नौकरीक संगहि प्रतियोगिता परीक्षाक तैयारी करैत रही ।  एकदिन भोरे पता लागल जे बाबा मरि गेलाह । किछुदिनसँ ओ अस्वस्थ छलाह । अफसोचक बात जे अंतिम समयमे हमरा हुनकासँ भेंट नहि भए सकल ।
बाबा बहुत अध्यात्मिक व्यक्ति रहथि । दुपहरिआमे ओ नियमित रामायण पाठ करथि।  एकादशी-चतुदशी सहित अनेको व्रत-उपवास ओ नियमित करैत छलाह । महादेवक भक्त छलाह। सभसँ बेसी ओ बहुत कर्मठ आ सशक्त गृहस्थ छलाह । जाधरि हुनका शरीर संग देलक ताधरि परिवारकेँ प्रतिष्ठापूर्वक पालन-पोषण करैत रहलाह। सही मानेमे ओ हमर परिवारक लक्ष्मी छलाह। जखन कखनो  एकांतमे रहैत छी,बाबा ध्यानमे आबि जाइत छथि। नमगर-पोरगर, फुर्तीसँ भरल, हाथमे छड़ी लेने जेना अखनो ओ हमरा लग ठाढ़ भए आशीर्वाद दए रहल होथि । जेना कहि रहल होथि-“यशस्वी भव ! दीर्घायु भव !”


१९.०३.२०२०