मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 16 जनवरी 2021

श्री ओमप्रकाश सपरा


 

श्री ओमप्रकाश सपरा

सरकारी सेवासँ सेवानिवृत्तिक बाद हम वकालतमे दिल्लीक बार कौंसिलमे निबंधन हेतु ओकर हौजखास स्थित कार्यालय गेल रही । निवंधनक फार्म आ फीस जमा कए हम आ बहुत रास एहने लोकसभ ओतए प्रतीक्षा करैत रही। ओहीक्रममे हमरा श्री ओमप्रकाश सपराजीसँ भेंट भेल छल । ओ हमरा पुछैत छथि-

आपको कहाँ जाना है?”

लोधी कालोनी।

हम आपको घरपर छोड़ देंगे । हम भी उधर से ही जाएंगे ।

ओहि समयमे पहिलेबेर हुनकासँ भेंट भेल छल । ओ हमरा लेल एकदम अपरिचित व्यक्ति छलाह । तखनो एतेक ध्यान रखलथि । ओ हमरा घर धरि अएलाह आ किछुकाल हमरासभक संगे बैसबो केलाह । चाह-पान पीलाह । तकरबादे अपन घर वापस भेलाह । हमरा लागल जे ई व्यक्ति अद्भुत छथि । किछु दिनक बाद हमरा लोकनिक वकालतमे निवंधन बार कौमसिल आफ दिल्लीमे भए गेल । हम कैटमे प्रैक्टिस शुरु केलहुँ । सपराजी सेहो ओतहि प्रैक्टिस करथि । हुनकर मिलनसार स्वभाव आ उदारताक कारण हमरा लोकनिक घनिष्टता बढ़िते गेल । प्रायः नित्य हुनकासँ कैटमे भेंट होइत छल । हमसभ संगे रहैत छलहुँ । संगे कोर्टमे वकीलसभक बहस सुनैत छलहुँ आ संगे ओहिठामसँ चारिबजे साँझक आसपास कैटसँ निकलि जाइत छलहुँ । ओ नित्य हमरा मेट्रो टीसन धरि छोड़ैत छलाह।

सपराजी असाधारण व्यक्तित्वक लोक छथि । दिल्ली आ आसपास हुनकर परिचयक अंत नहि अछि । हम कैकबेर विश्व पुस्तक मेलामे हुनका संगे गेल छी । एकडेग आगु बढ़ी कि केओ हुनकर परिचित भेट जानि । आगु बढ़ब मोसकिल रहैत छल । साहित्यकार,प्रकाशक आ सामाजिक कार्यकर्तामे हुनकर जबरदस्त पैठ अछि । ओ अपनहु बहुत नीक लेखक छथि  आ सामाजिक,राष्ट्रीय विषयपर अनेको निवंध लेखने छथि आ लिखैत रहैत छथि । कतेको पुस्तकक ओ संपादन केने छथि । प्रतिमास मित्र संगम पत्रिका निकालैत छथि सेहो उनचास वर्षसँ ।

सपराजीक पिता भारतक विभाजनक समयमे मुल्तनासँ मोसकिलसँ जान बँचा कए दिल्ली आएल रहथि । शुरुमे ओ सभ सोनीपतमे रहलाह । कालांतरमे दिल्लीक मुखर्जीनगरमे बसि गेलाह आ आब सपरिवार ओतहि रहैत छथि।

हमर प्रथम पुस्तक भोरसँ साँझ धरिक विमोचन श्री ओम प्रकाश सपराजीक नेतृत्वमे हुनकर सभक संस्था मित्र संगम पत्रिका द्वारा नबंबर २०१७मे प्रवासी भवनमे आयोजित कएल गेल छल । किछुए दिन पूर्व हम माएक बरखीक हेतु गाम गेल रही ।  हमरा अनुपस्तिथिएमे सपराजी पुस्तक विमोचनक सभटा तैयारी केलनि । कार्यक्रम बहुत नीकसँ संपन्न भेल । कार्यक्रम सफलताक संपूर्ण श्रेय हुनके छलनि ।

सन् १९१४क जून महिनामे दिल्ली उच्च न्यायालयसँ स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक नियुक्तिक रिक्तिक विज्ञापन बाहर भेल रहैक । सपराजीसँ ओकर बारेमे पता चलल । हमहु ओहि पद हेतु आवेदन दए देने रहिऐक । सितंबर २०१५मे हमरा दुनूगोटेकेँ ओहि पदपर नियुक्ति भेल । तकरबाद हमसभ संगे प्रशिक्षण केलहुँ । प्रशिक्षणक बाद हमरा लोकनिकेँ विभिन्न स्थानपर पोस्टींग कए देल गेल । तथापि हुनकासँ संपर्क पूर्वबते बनल रहल । ६५ वर्षक आयु भेलापर स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक पदसँ हमरा लोकनिकेँ मुक्त कए देल गेल । तकर बादो हमरा लोकनिक फोनसँ संपर्क होइत रहैत अछि । कहिओ-काल भेट-घांट सेहो भए जाइत अछि । निश्चित रूपसँ सपराजी सन लोक आइ-काल्हिक दुनिआमे बहुत कम होइत अछि । आशा करैत छी जे आगामी समयमे सेहो हुनकासँ निरंतर संपर्क बनल रहत आ हमरा लोकनि हुनकर विभिन्न क्षेत्रमे ज्ञानक फएदा उठबैत रहब।

पंडित चंद्रधर मिश्र

 

पंडित चंद्रधर मिश्र

पंडित चंद्रधर मिश्र हमर पितिऔत काका छलाह । ओसभ पहिने हमरे आंगनमे उतरबारि कातमे रहथि । बादमे अगिलग्गीक बाद ओ सभ अपन घरारी बदलि कए पोखरिसँ पूब पाठशाला लग लए गेलथि । हुनकर पिता स्वर्गीय कुमर मिश्र (स्वर्गीय माना मिश्रक पुत्र )इलाकाक मानल संस्कृतिक विद्वान रहथि । ओ एकटा पाठशाला चलाबथि जतए इलाकाक बहुत रास विद्यार्थीसभकेँ संस्कृतमे निःशुल्क शिक्षा देल जाइत छल । ओ अपना दिससँ विद्यार्थी लोकनिक भोजन आ रहबाक व्यवस्था करैत छलाह । ओही पाठशाल लग काकासभ बादमे बसि गेलाह ।

काकाजी सी.एम.कालेज दरभंगासँ बी.कम.केने रहथि आ बेसिक मिडल इसकूलमे प्रधानाध्यापकक काज करथि। इसकूलसँ छुट्टी भेलाक बाद ओ गामे आबि जाइत छलाह । गाममे हुनका बहुत आदर कएल जाइत छलनि । ओहुना ओहि समयमे हमरा गाममे के कहए इलाकामे बहुत कम स्नातक रहल हेताह ।

काकाजी बहुत मिलनसार आ मधुरभाषी रहथि । जखन कखनो हुनका लग जाउ,ओ बहुत सिनेहसँ गप्प-सप्प करितथि । कैक बेर तँ बिना भोजनकेँ नहि जाए दितथि । हमरा जखन कखनो मोन परेसान होइत छल हम हुनका लग चलि जाइ । ओ ततेक नीक जकाँ बुझा दितथि जे मोन हल्लुक भए जाइत,उत्साहसँ भरि जाइत ।

हमर दियादसभकेँ जखन कखनो कोनो झंझट होइतनि तँ चंद्रधर काका बजाओल जाइत छलाह । हुनकर बातपर सभकेँ अटूट विश्वास रहैक । ओ जे कहि देथि से सभ मानि लिअए आ झगड़ा शांत भए जाइत ।

हमरा लोकनिक परिवारसँ चंद्रधर काकाजीकेँ बहुत घनिष्टता रहनि । ओ जखन कखनो गाममे रहितथि तँ बेसीकाल बाबूक संगे रहितथि । हमरासभकेँ आगु पढ़बाक हेतु ओ निरंतर उत्साहित करैत रहैत छलाह ।हुनकर बहुत इच्छा रहनि जे हम एम.एस.सी करी । कहथि जे बादमे पार नहि लगैत छैक । हमरो इच्छा रहए जे एम.एस.सी करी । मुदा बीचेमे हमरा टेलीफोन इन्सपेक्टरक नौकरी लागि गेल । तकर बाद तँ नौकरीक से चकल्लस शुरु भेल जे लगभग चालीस साल धरि चलैत रहल ।

चंद्रधर काका लगभग पचासी साल धरि जीलाह । हुनका जीवन कालेमे हमर मित्र आ हुनकर ज्येष्ठ पुत्र लालबच्चा(स्वर्गीय विष्णु कान्त मिश्र)क देहांत भए गेलनि । एहि बातसँ ओ बहुत दुखी भेल रहथि ।सितंबर २०१५मे काकाजीक देहांत भए गेलनि । एहि तरहें हमर गामक एकटा महान व्यक्तित्व आ हमर परम शुभचिंतक हमरासभकेँ छोड़िकए चलि गेलाह । मुदा हुनकर सहृदयता,उदार व्यक्तित्व,मधुर वाणी आ उत्कृष्ट विचार सदिखन मोन पड़ैत रहत ।

स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र

 

स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र

 

स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र(लालबच्चा)

ओहि समयमे हम रामकृष्णपुरमक सेक्टर तीनक सरकारी आवासमे रहैत रही । ओतहि लालबच्चा(स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र) गामसँ अपन इलाजक प्रसंगमे आएल रहथि । हमही हुनका दिल्ली अएबाक हेतु प्रेरित केने रहिअनि । कारण ओहि समयमे हम लेडी हार्डींग मेडिकल कालेज,दिल्लीमे उप निदेशक(प्रशासन)क पदपर काज करैत रही । हुनका सुगर तबाह केने रनि । किछुदिन पूर्व ओ बेहोश भए गेल रहथि । दरभंगाक डाक्टरसँ देखेने रहथि । ओ सत्तरहटा दबाइ लिखि देने रहनि । दबाइ खाइत-खाइत रद्द भए जानि । हमरा पता लागल । हम हुनकर हाल-चाल लेबाक हेतु फोन केलिअनि । तखने ई कार्यक्रम बनल ।

लालबच्चा दिल्ली अएलाह तँ हम बहुत प्रसन्न भेल रही । एक समय छल जे हम आ लालबच्चा दिनमे कतेको बेर एक-दोसर ओहिठाम अबैत -जाइत रहैत छलहुँ,घंटो संगे रहैत छलहुँ । मुदा जखन नौकरीक क्रममे हम दिल्ली चलि अएलहुँ तकर बाद स्वभाविक रूपसँ संपर्क कम होइत गेल । ओ तँ बेनीपट्टी कालेजमे रसायन शास्त्रक व्याख्याता रहथि । गामेसँ जाथि-आबथि । सुनैत छी ओ रसगुल्लाक बहुत प्रेमी रहथि आ नित्य साँझमे गाम लौटति काल बेनीपट्टीक प्रसिद्ध मधुरक दोकानसँ भरि पेट रसगुल्ला खाथि । माछ खेबाक सेहो ओ बहुत सौकीन रहथि । कीलोक-कीलो माछ दबा देथि । कोनो प्रकारक शारिरिक गतिबिधि नहि रहनि । बादमे हुनकर आँखि बहुत कमजोर होइत गेलनि । पहिनोसँ हुनका आँखिक समस्या रहबे करनि । बड़मोट चश्मा लागनि । आँखिक इलाजक हेतु ओ अजमेरक कोनो प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक लग जाथि । तथापि बहुत कम सुझनि । कालेजमे तँ सुनैत छी ओ कहुना कए ठाढ़ भए जाथि आ रटल बस्तुकेँ बकि देथि । यद्यपि हुनकर हालति खरापे भेल जानि,मुदा ओ डाक्टरसँ नहि देखाबथि । डर होनि जे भात छोड़बा देत । जखन भाते नहि खाएब तँ जीबिए कए की करब? बाह रे भतखौक ।

एकदिन मधुबनीमे डेरासँ कतहु जाइत रहथि कि बेहोश भए बीच सड़कपर खसि पड़लाह । संयोग रहैक जे केओ हुनका उठा-पुठा कए सड़कसँ कात केलक । जेना-तेना डेरा पहुँचलाह । तखन डाक्टर देखलक । सुगर आसमान लागल छल । एहि तरहे तँ हुनकर इलाज शुरु भेल रहए जे कैकसाल धरि चलैत रहलनि । मुदा बिमारी ठीक हेबाक बदलामे बढ़िते गेल । जखन दिल्ली अएलाह आ लेडी हार्डींग मेडिकल कालेजमे डाक्टर आर.के.धमीजा हुनका देखलखिन तँ हुनकर इलाज पटरीपर आबि गेल । ओ मात्र दू वा तीनटा दबाइ लिखलकिन । सोचिऔक-कहाँ सत्तरहटा दबाइ आ कहाँ दू-तीनटा । दरभंगाक डाक्टरक दबाइ खाइत-खाइत हुनका रद्द होबए लागैत छल । दिल्लीमे डाक्टर धमीजासँ देखेलाक बाद बहुत आफियत भेलनि । डाक्टर कहलकनि जे छ मासपर अबैत रहब जाहिसँ इलाज सुचारु ढ़गसँ चलैत रहत । हमरा बादमे डाक्टर कहलक जे तीन-चारि वर्ष चलताह । बेटीसभक बिआह-दान जे करबाक होनि से केने जाथि । हम डाक्टरक कहब बूझि गेलिऐक ।

किछुदिनक बाद लालबच्चा गाम चलि गेलाह । फेर दोबारा दिल्ली डाक्टर धमीजासँ नहि देखेलाह । हुनकर हालति बिगड़िते गेलनि । तकरबाद जे अएलाह तँ हम हुनका राम मनोहर लोहिआ अस्पताल,दिल्ली आ एम्समे देखेलिअनि। बात ओएह । ताबे दुनू किडनी खराप भए गेल रहनि । हुनका आब डायलिसिस करा कए जीबाक रहनि । गाम-घरमे से सुबिधा नहि रहैक । तखन सीओपीडीसहायता लेल गेल । एहिमे डायलिसिसक हेतु एकप्रकारक द्रव्य पेटमे ढारल जाइत अछि । पेटमे लागल टोंटी बाटे खराप तत्वसभ देहसँ बाहर भए जाइत अछि । मुदा ई व्यवस्था बहुत दुष्कर आ खर्चीला होइत छल । बेर-बेर पेटमे संक्रमण होइत रहलनि । अंतिम बेरमे ओ फरीदाबादक एस्कोर्ट अस्पतालमे भर्ती भेल रहथि । ह्वीलचेयरपर चलथि । हमरा फोन आएल । हम अस्पताल जा कए हुनकासँ भेंट केने रहिअनि ।

ओ अस्पतालक बेडपर पड़ल रहथि । भौजी आ हुनकर ज्येष्ट बेटी प्रिती लगमे रहथिन । ओहीदिन हुनका अस्पतालसँ छुट्टी देल गेल रहनि । हमरा सामनेमे ओ ह्वीलचेयरपर गुड़कि कए कारपर चढ़ल रहथि ,बेटीक ओहिठाम फरीदाबाद जेबाक हेतु । हम वापस अपन दिल्ली डेरा पर चलि आएल रही । दू-तीन दिनका बाद ओ ट्रेनसँ अपन गाम वापस जाइत रहथि । हम हुनका फोन केने रहिअनि । ओ किछु चिंतित बुझाइत रहथि । आबाजमे जान नहि लागैत छल। ट्रेन बेगुसरायक आसपास पहुँचैत रहए । मुदा हम चिंतित भए गेल रही । गाम गेलाक किछुए दिनक बाद फोन आएल छल । दिसंबर २००९क अंतिम सप्ताहक बात हेतैक । भयानक ठंढ पड़ि रहल छल । लालबच्चा एहने समयमे हमरा लोकनिकेँ छोड़ि देने रहथि । हमरा ई सोचि दुख होइत रहैत अछि जे हम हुनकर अंतिम संस्कारमे नहि जा सकल रही ।  एहि तरहें लगभग अठावन सालक बएसमे हुनकर निधन भए गेल रहनि । सोचल जा सकैत अछि जे काकाजीकेँ एहि घटनासँ कतेक दुख भेल हेतनि ?  मुदा ओ बहुत अध्यात्मिक लोक छलाह । अपन आस्थाक बलें एहू कष्टकेँ काटि लेलाह । मुदा हुनकर व्यक्तिगत परिवारक हेतु ई जबरदस्त चोट छल । एकटा बेटी अविवाहित रहि गेल रहथिन । मुदा तीनटा बेटीक विआह ओ स्वयं कए गेल रहथि ।

समय बीतैत गेल । भौजीक पेंशनक कागजसभ सरिआ गेलनि । मासे-मास पेंशन भेटए लगलनि । सेवानिवृत्तिक बाद एकमुस्त टाकासभ सेहो भेटलनि । आर्थिक दृष्टिए हुनकर परिवार फेरसँ पटरीपर आबि गेलनि । मुदा लालबच्चा लौटि कए नहि अएलाह । कहाँसँ अवितथि? आइ धरि जे केओ गेल से घुरि कए नहि आएल । जे गेल से गेल । हमरा ओ अखनो ओहिना मोन पड़ैत रहैत छथि । मोन पड़ैत रहैत अछि हुनकर संग बिताओल गेल ओ आनंदमय युवावस्थाक क्षण । कैकबेर तँ हमदुनूगोटे भरि-भरि राति बतिाइत रहि जाइत छलहुँ । कैकबेर नवका फोखरिपर गाछसभपर लटकल गप्प करैत रहैत छलहुँ । गामपर तँ आबाजाही लागले रहैत छल । कैकदिन तँ हम हुनका संगे गप्प करैत-करैत हुनकर घर धरि जाइ । फेर दुनूगोटे वापस हमरा घर धरि आबी । पेंडुलम जकाँ हमसभ कतेको बेर अबैत जाइत रही ।

लालबच्चा ,हम आ शल्लू(श्री शैलेन्द्र झा)तीनूगोटे एकहि सालमे मैट्रिक प्रथमश्रेणीमे पास केने रही । हम आ ओ सी.एम.कालेजमे डिग्री एक भाग(डिग्री पार्ट वन)मे संगे रही । दरभंगाक नटराज सीनेमा लग हमरासभक डेरा रहए। बी.एस.सीमे मिश्रटोलाक स्वर्गीय राम नंदन मिश्रक डेरा हमरा ओएह दिआ देने रहथि । बी.एस.सी प्रतिष्ठाक परीक्षा देबए बेरमे हम हुनके संगे हराही पोखरि दरभंगाक पछबारि भीरपर एकटा छात्रावासमे रहैत रही ।

लालबच्चा रसायन शास्त्रसँ पीएचडी केने रहथि आ उच्चैठ स्थित कालीदास विद्यापति कालेजमे रसायन शास्त्रक  प्राध्यापक रहथि । हमरा गाममे पीएचडी केनिहार ओ प्रथम व्यक्ति छलाह । हुनकामे सभसँ विशेषता छल हुनकर निश्छल स्वभाव ,मोनमे कोनो छ-पाँच नहि रहैत छलनि आ कोनो बातपर भभा कए हँसि दैत छलाह । ओ बहुत सकारात्मक सोचक लोक छलाह आ कहिओ ककरो बारेमे अनट बात नहि करितथि ।

एक बेर लालबच्चाकेँ सासुर जेबाक रहनि । नवे बिआह भेल रहनि । ओही साल किछु पहिने हमरो बिआह भेल रहए । लालबच्चा हमर पनही पहिरि कए सासुर गेलथि । कहने रहथि जे पाँच-सात दिनमे वापस आबि जेताह । मुदा ओ गेलाह,से गेलाह । दस दिन बीतल,पनरह दिन बीतल । आब की कएल जाए? हमरो सासुर जेबाक छल । ताहि लेल पनहीक जरूरी छल । आखिर ककरो माध्यमसँ हुनका चिठ्ठी पठेलहुँ । तकरबाद तँ ओ तुरंत वापस आबि गेलाह । हम ओ पनही पहिरि अपन सासुर बिदा भए गेल रही । ओहि समय धरि गामसभमे ओहिना काज चलैत छलैक । कतेक गोटे तँ पहुनाइ करए बिदा होथि तखने देहपर कुरता धरथि ,सेहो ककरोसँ पैंच लए कए ।

लालबच्चा बहुत अध्यात्मिक प्रवृत्तिक लोक छलाह । निरंतर ध्यान,प्राणयाम,सभमे लागल रहितथि । गीताप्रेसक पोथीसभ पढ़ल करथि । हुनकर ई संस्कार शुरुएसँ छल । बादमे ओ ओशोक शिष्य भए गेलाह आ ओहीमे नीकसँ रमि गेलाह । मधुबनीक रजनीशपुरम(बाल्मिकी कालोनी)मे डेरा रहनि । ओहिठाम हमर मित्र श्रीनारायणजीसँ सेहो हुनका घनिष्टता भए गेल रहनि । बादमे ओ मधुबनी छोड़ि गामे रहए लागल रहथि ।

युवावस्थामे ओ बहुत स्वस्थ रहथि । गेनखेली,फूटबाल,कैरमबोर्ड खेलसभमे बहुत रूचि रहनि । कहिओ काल ओ कुश्ती सेहो खेलाथि । एहन निस्सन देह केना एतेक बिमार भए गेल से सोचि आश्चर्यमे पड़ि जाइत छी । एहीसँ लगैत अछि जे ई संसार क्षणभंगुर अछि । एहिठाम किछु असालतन नहि अछि ।

हमर माथामे सभटा बात ओहिना घुमैत रहैत अछि जेना अखने घटल होइक । मुदा ई समय थिक । ई ककरो नहि भेल अछि,ने होएत । हम आब एहि बातकेँ मानि चुकल छी जे आब ओ नहि छथि । एहि जन्ममे हमरा-हुनकर भेंट नहि भए सकत । अगिला जन्मक के देखलक अछि ? जे से । मुदा हुनकर स्मृति आ हुनका संग बिताओल गेल सुखद क्षण सतति हमरा मोन पड़ैत रहत ।

श्री शेलेन्द्र झा

 

श्री शेलेन्द्र झा

नेनाक बहुत रास बातसभ बिसरा जाइत छैक । कैकबेर किछु प्रसंग आधा-छिधा मोन रहि जाइत छैक । सएह बात भेल ओहि दिन जखन शल्लुजीसँ गप्प करैत काल नेनामे चारिगोटे द्वारा टांगि कए ब्रह्मस्थानक इसकूल जेबाक हम चर्च केलहुँ । हम इसकूल नहि गेलहुँ तँ बच्चू मास्टर साहेब(स्वर्गीय अदिष्ट नारायण झा) हमरा पकड़ि कए इसकूल अनबाक हेतु चारिटा विद्यार्थीकेँ पठओने रहथि । हमरा अखनो मोन पड़ैत अछि जे हुनकासभकेँ देखि कए हम केराबारीमे नुका गेल रही । तथापि ओ सभ मानलथि नहि, हमरा टांगि कए इसकूल लइए गेलाह । रस्तामे केओ-केओ हमरा बिठुआ सेहो कटैत रहल । शल्लुजी ओहिदिन कहलाह जे ओहो ओहि चारिगोटेमेसँ इकटा छलाह । यद्यपि ई घटना हमरा मोने अछि मुदा चारूगोटे के सभ रहथि से बिसरा गेल ।

गाममे हमर घरसँ हुनकर घर कनीके फटकी छल । नेनामे खेल-धूप करैत हमसभ अबैत-जाइत रहलहुँ । नेनामे ओ बहुत नीक गबैत छलाह ।  हमरा हखनो मोन पड़ैत अछि जे कैकबेर लोकसभ हुनका गीत गेबाक हेतु दुराग्रह करथि। आला -आला दिल ले गया...ई गीत ओ कैकबेर गबैत रहैत छलाह । शल्लुजी मिडिल इसकूलमे पाँचमासँ सातमा धरि हमरा संगे रहथि । तकरबाद ओ रहिका उच्च विद्यालयमे चलि गेलाह आ हम एकतारा चलि गेलहुँ । मुदा प्री- युनीभर्सीटीमे फेर एकसाल हमसभ संग भए गेल रही । तकरबाद हम सी.एम.कालेज दरभंगा चलि गेलहुँ ।

शल्लुजीक दूटा बिआह भेलनि । प्रथम बिआह भच्छी गाममे भेल रहनि । ओहिमे एकटा पुत्र छनि । संयोग एहन भेल जे ओहि पुत्रक जन्मक समयमे हुनकर पत्नीक देहावसान गामेमे भए गेलनि । कहि नहि उचित चिकित्सा ओतए उपलव्ध भए सकल कि नहि? हम आ लालबच्चा भच्छी बरिआती गेल रही । ओहि समयमे दू-दिना बरिआती होइत छलैक । भोरमे टहलैत-टहलैत बरिआतीसभ बाधमे बहुत आगु धरि चलि गेल रहथि । बरिआतीक स्वागत बहुत नीकसँ कएल गेल रहए । अखनो ओ दृश्यसभ हमर मोनमे अबैत रहैत अछि ।

पहिल पत्नीक देहावसानक बाद हुनकर दोसर बिआह नवकरही भेल रहए । हम ओतहु बरिआतीमे गेल रही । बरिआतीमे हम जबरदस्त हँसीठठ्ठा करैत रही जे देखि खट्टर मास्टर साहेब बहुत आश्चर्यमे रहथि । माहौल बहुत आनंदमयी छल । लाउस्पीकरमे राति भरि गीत बजैत रहल ….

ओ गीत अखनहुँ कहिओ काल हमर कानमे गुंजित होइत रहैत अछि । दोसर बिआहसँ हुनका एकटा पुत्र आ दूटा कन्या भेलनि । सभसँ नीक बात ई भेल जे हुनकर पहिल संतानक सेहो बहुत नीकसँ पालन-पिषण कएल गेल । ओ उच्च शिक्षा प्राप्त कए जीवनमे नीकसँ स्थापित भेल छथि । हुनकर आन संतनासभ तँ सुशिक्षित आ जीवनमे नीकसँ व्यवस्थित छथिहे ।

व्यक्तिगत रूपसँ सल्लूजी बहुत अध्यात्मिक स्वभावक छथि । जीवनमे सादगी आ इमानदारीक पालन करैत सफल गृहस्थ रहल छथि ।मुम्बईमे अपन फ्लैट छनि । गाममे सेहो घर बनओने छथि । मुदा गामसँ आबाजाही आब कम भेल जा रहल छनि । पहिने तँ ओ लगपासक ककरो बिआह-दान होइ तँ गाम अवश्य जाइत छलाह ।

नौकरी करबाकक क्रममे ओ मुंबइ चलि गेलाह । तकरबाद ४७ सालसँ ओ ओतहि रमल छथि । मुम्बईमे ओ सरकारी काटन कंपनीमे बहुतदिन धरि ला आफीसर छलाह ।  सेवानिवृत्तिक बादो ओ कैकसाल धरि कानूनी सलाहकारक रूपमे ओही कंपनीमे काज करैत रहलाह । मुम्बई गेलाक बाद ओ अपन परिवारमे भाइ लोकनिक शिक्षामे बहुत मदति केलनि । कतेकोगोटेकेँ मुम्बईमे नौकरी धरओलनि । मुंबइक मैथिल समाजसँ सभदिन जुड़ल रहलाह ।

 

४७ सालसँ ओ मुम्बईमे छथि । हमहु गामसँ बाहरे-बाहरे छी ।  ओ मुंबईमे बसि गेल छथि आ हम ग्रेटर नोएडामे । मुदा हमरा लोकनिक संपर्क बनले अछि । फरीदाबादमे ३१ जनबरी २०१४क हुनकर कन्याक बिआह भेल रहनि । हमहु कन्यागत दिससँ ओहिमे भाग लेने रही । ओहि समयमे हुनकासँ भेंट भेल छल । ताहिसँ पहिनो आ बादोमे एकाध बेर हुनकासँ दिल्लीमे भेंट भेल । एकाध बेर गामोमे संगे पहुँचल रही । मुदा बहुत दिनसँ हुनकासँ भेंट नहि भेल अछि । तथापि फोन आइ-काल्हि संपर्कक बड़का साधन भए गेल छैक । तेँ हमसभ निरंतर संपर्कमे छी । एहन उपकारी आ सहृदय व्यक्तिक मित्रतापर ककरो गौरव भए सकैत छैक । ताहि हिसाबे हम जरूर भाग्यवान छी ।

श्री कमलाकान्त भंडारी

 

 

श्री कमलाकान्त भंडारी

मिडिल इसकूल अड़ेर आ उच्च विद्यालय एकतारामे हमरासँ एकसाल वरिष्ठ रहथि कमलाकांत भंडारी । हमसभ जखन मिडिल इसकूलमे पढ़ैत रही तखन ओ किछु आओर विद्यार्थीसभक संगे सरकारी कार्यक्रममे भाग लैत दिल्ली दर्शनक हेतु गेल रहथि । ओहि समय गामसँ दिल्ली जाएब बड़का बात रहैक । सबारीक तेहन सुबिधा नहि रहैक । दिल्लीमे ओ प्रमुख स्थानसभ देखने रहथि । ओतएसँ लौटि अपन अनुभवसँ हमरासभकेँ लाभान्वित केने रहथि । एकतारा उच्च विद्यालयक ओ नीक विद्यार्थीमे सँ मानल जाइत रहथि । तथापि ओ आर्ट्सक विषयसभ लेने रहथि। ओहि समयमे नीक विद्यार्थी सामान्यतः विज्ञानक विषय पढ़ैत छलाह आ डाक्टर,इंजिनीयर बनबाक स्वप्न देखैत छलाह । मैट्रिकक परीक्षा प्रथम श्रेणीसँ सफल भेलाक बाद ओ पटना कालेजमे नाम लिखओने रहथि आ ओतहि विश्वविद्यालयक क्षात्रावासमे रहथि । हम प्रतियोगिता परीक्षासभ देबाक क्रममे कैकबेर हुनका संगे छात्रावासमे रहल रही । जे बात छैक,ओ बहुत आदरसँ हमरा रखैत छलाह । ओहीठामसँ हम परीक्षा देबए जाइत छलहुँ ।

कमलाकांतजीक पिता स्वर्गीय मारकंडेय भंडारी अड़ेर पंचायतक बहुत दिन धरि मुखिआ रहल रहथि । इलाकामे हुनकर बहुत प्रतिष्ठा छल । पारिवारिक स्थिति बहुत मजगूत छलनि । हुनकर परिवार आर्थिक रूपसँ बहुत संपन्न छल । तेँ लगपासक गामसभक प्रतिष्ठित परिवारसँ हुनका लोकनिक बहुत नीक संबंध छलनि । कमलाकांतजी कहने रहथि जे एकताराक कृष्णदेव बाबूक पुत्रक सासुरसँ बिदाइमे स्टोभ आएल छल । ओहिमे चाह बनितैक । ताहि जेतु केतली आ कप-प्लेट हुनके ओहिठामसँ पठाओल गेल रहैक । ओहि समयमे स्टोभ होएब आ ताहिपर चाह बनब कतेकटा बात रहैक से एहीसँ बूझल जा सकैत अछि ।  एहन संपन्न परिवारमे कमलाकांतजीक पालन-पोषण भेल रहनि । विद्यार्थी तँ ओ नीक मानले जाथि । सभकेँ उमीद रहैक जे ओ कोनो बड़का अधिकारी बनताह। मुदा संयोग एहन भेल जे कमलाकान्तजी पटना विश्वविद्यालयसँ अर्थशास्त्रमे बी.ए.(प्रतिष्ठा) केलाक बाद एम.ए.अर्थशास्त्रक परीक्षा दैत रहथि कि अचानक बहुत जोर दुखित पड़ि गेलाह । परीक्षा छोड़ि कए गाम आबए पड़लनि । पढ़ाइ छुटि गेलनि ।

बहुत दिनधरि ओ ओहिना गामेमे रहि गेलाह ।

हम जखन इलाहाबादमे रही तखन सन् १९८५मे ओ मैथिलीसँ एमए केलाह । तकरबाद स्वर्गीय डाक्टर सुभद्र झाजी मार्गदर्शनमे कबीरदासपर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयसँ पी.एच.डीक उपाधि प्राप्त केलनि । तकरबाद ओ पटना स्थित सरकारी इंटर कालेजमे शिक्षक भए गेलाह आ अंत धरि ओएह काज करैत सेवानिवृत्त भए गेलाह। ओ मैथिली एकेडमी पटनाक सदस्य सेहो रहलाह आ मैथिलीक विकास बहुत तरहक गतिविधिक संचालन करैत रहलाह ।

हम इलाहाबादमे रही की दिल्लीमे कमलाकांतजी निरंतर संपर्कमे रहलाह । दिल्ली ओ जखन कखनो अबैत छथि तँ अवश्य संपर्क करैत छथि । हम गाम जाइत छी तखन तँ भेंट होइते अछि । हम मैथिलीमे लीखी ताहि हेतु ओ लगातार हमरा प्रेरित करैत रहैत छलाह । दिल्लीमे कैकबेर स्वर्गीय मोहन भारद्वाजजीक संगे ओ अबैत छलाह । हुनके माध्यमसँ हमरा मोहन भारद्वाजजीसँ संपर्क भेल जे क्रमशः घनिष्टतामे बदलैत गेल । ओ कैकबेर हमरा ओहिठाम अएबो केलाह । हमर छोट बालकक पटनामे बिआहक अवसरपर बरिआतीमे कमलाकांतजी आ मोहन भारद्वाजजी दुनूगोटे गेल रहथि ।

सेवानिवृत्तिक बाद ओ गामेपर रहैत छथि । तथापि साहित्यिक गतिविधिमे रुचि बनओने रहैत छथि । हमरा निरंतर उत्साहित करैत रहैत छथि । जखन कखनो हमरासँ गप्प होइत छनि तँ हमर पुस्तकसभक चर्च अवश्य करैत छथि।

किछुदिन पूर्व ओ दिल्ली आएल रहथि । मुदा कोरोनाक माहौलक कारण भेंट नहि भए सकल,फोनेसँ गप्प भेल ।

सबसँ प्रसन्नताक बात थिक जे ग्रामीण वातावरणमे रहितहुँ ओ साहित्यिक गतिविधिमे लागल रहैत छथि । मुदा उचित सहयोगक कारण कैकबेर उदासो भए जाइत छथि। आशा करैत छी जे ओ स्वस्थ रहि आगामी अनेको साल धरि हमरा ओहिना प्रेरित करैत रहताह ।