पंडित चंद्रधर मिश्र
पंडित चंद्रधर मिश्र हमर
पितिऔत काका छलाह । ओसभ पहिने हमरे आंगनमे उतरबारि कातमे रहथि । बादमे अगिलग्गीक
बाद ओ सभ अपन घरारी बदलि कए पोखरिसँ पूब पाठशाला लग लए गेलथि । हुनकर पिता स्वर्गीय
कुमर मिश्र (स्वर्गीय माना मिश्रक पुत्र )इलाकाक मानल संस्कृतिक
विद्वान रहथि । ओ एकटा पाठशाला चलाबथि जतए इलाकाक बहुत रास विद्यार्थीसभकेँ
संस्कृतमे निःशुल्क शिक्षा देल जाइत छल । ओ अपना दिससँ विद्यार्थी लोकनिक भोजन आ
रहबाक व्यवस्था करैत छलाह । ओही पाठशाल लग काकासभ बादमे बसि गेलाह ।
काकाजी सी.एम.कालेज दरभंगासँ
बी.कम.केने रहथि आ बेसिक मिडल इसकूलमे प्रधानाध्यापकक काज करथि। इसकूलसँ छुट्टी
भेलाक बाद ओ गामे आबि जाइत छलाह । गाममे हुनका बहुत आदर कएल जाइत छलनि । ओहुना ओहि
समयमे हमरा गाममे के कहए इलाकामे बहुत कम स्नातक रहल हेताह ।
काकाजी बहुत मिलनसार आ
मधुरभाषी रहथि । जखन कखनो हुनका लग जाउ,ओ बहुत सिनेहसँ गप्प-सप्प करितथि । कैक
बेर तँ बिना भोजनकेँ नहि जाए दितथि । हमरा जखन कखनो मोन परेसान होइत छल हम हुनका
लग चलि जाइ । ओ ततेक नीक जकाँ बुझा दितथि जे मोन हल्लुक भए जाइत,उत्साहसँ भरि जाइत ।
हमर दियादसभकेँ जखन कखनो कोनो
झंझट होइतनि तँ चंद्रधर काका बजाओल जाइत छलाह । हुनकर बातपर सभकेँ अटूट विश्वास
रहैक । ओ जे कहि देथि से सभ मानि लिअए आ झगड़ा शांत भए जाइत ।
हमरा लोकनिक परिवारसँ चंद्रधर
काकाजीकेँ बहुत घनिष्टता रहनि । ओ जखन कखनो गाममे रहितथि तँ बेसीकाल बाबूक संगे
रहितथि । हमरासभकेँ आगु पढ़बाक हेतु ओ निरंतर उत्साहित करैत रहैत छलाह ।हुनकर बहुत
इच्छा रहनि जे हम एम.एस.सी करी । कहथि जे बादमे पार नहि लगैत छैक । हमरो इच्छा रहए
जे एम.एस.सी करी । मुदा बीचेमे हमरा टेलीफोन इन्सपेक्टरक नौकरी लागि गेल । तकर बाद
तँ नौकरीक से चकल्लस शुरु भेल जे लगभग चालीस साल धरि चलैत रहल ।
चंद्रधर काका लगभग पचासी साल
धरि जीलाह । हुनका जीवन कालेमे हमर मित्र आ हुनकर ज्येष्ठ पुत्र लालबच्चा(स्वर्गीय
विष्णु कान्त मिश्र)क देहांत भए गेलनि । एहि बातसँ ओ बहुत दुखी भेल रहथि ।सितंबर
२०१५मे काकाजीक देहांत भए गेलनि । एहि तरहें हमर गामक एकटा महान व्यक्तित्व आ हमर
परम शुभचिंतक हमरासभकेँ छोड़िकए चलि गेलाह । मुदा हुनकर सहृदयता,उदार
व्यक्तित्व,मधुर वाणी आ उत्कृष्ट विचार सदिखन मोन पड़ैत रहत
।
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