मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 19 अगस्त 2017

आर.के.कौलेज- मधुबनी




 


आर.के.कौलेज- मधुबनी


सन्‍ १९६७ इस्‍वीमे उच्च विद्यालय एकतारासँ प्रथम श्रेणीमे उत्तीर्ण भेलाक बादो नामांकनक समस्या भऽ गेल, कारण हमर स्कूलक परीक्षाफल थोड़ेक बिलमसँ आएल छल। आ ताबे नीक-नीक कौलेजक नामांकन-अवधि सम्पन्न भऽ चुकल छल। चूकि हमरा नीक नम्बर छल तँए किछु परियास केलाक बाद आर.के.कौलेज- मधुबनीमे प्रीसाइंसमे नामांकन भऽ गेल। एकतारा स्कूलसँ तीनटा आर विद्यार्थी (नारायणजी- नवकरही, श्री नारायणजी नगवास आ श्री विजयजी नवकरही) प्रथम श्रेणीमे ओही साल हमरा संगे पास केलैन आ सभ गोटे आर.के.कौलेज- मधुबनीमे अपन-अपन नाओं लिखौलैथ। हम पहिल दिन कौलेज हाफ पैन्‍ट आ आफ शर्ट पहिरने चल गेल रही। (ओहि समय हमर  उमरसोलह साल छल)कौलेजमे ए.के. छटक प्रभारी प्राचार्य रहैथ। हुनका बड़ कम सुझैन्ह। बेंत नेने कहुना-कहुना थाहि-थाहि कऽ चलैत छला। ओइसँ पूर्व डॉ. ए.के. दत्त प्राचार्य रहैथ। कौलेजमे हुनकर बहुत धाक रहैन। गणितक ओ मानल विद्वान छला।

आर.के.कौलेज- मधुबनीक प्रतिष्ठा आस-पासक क्षेत्रमे नीक छेलइ। ऐ कौलेजक किछु विभाग सभ बड़ नामी छल। मुदा जखन महौल गड़बड़ेलै तँ ई कौलेज जातीय राजनीतिक अड्डा भऽ गेल। परीक्षामे नकल आम बात भऽ गेल रहइ।

पढ़ाइ-लिखाइ चौपट्ट छल। रोज किछु-ने-किछु वजह ताकि कऽ विद्यार्थी सभ हड़ताल कऽ दैत छला। एहेन परिस्थितिमे ओइठाम पढ़ब केतेक दुरुह काज रहल हएत ई सहजे अनुमान लगौल जा सकैत अछि। तथापि नामांकनक बाद हम आ हमर दूटा गौंआँ कौलेजक ठीक सामने एकटा प्राइभेट लॉजमे डेरा लेलौं। एक्के कोठरीमे तीनटा चौकी लागल छल। बीचमे थोड़बेक खाली जगह रहइ जइमे भानस-भात होइत छल। पाछूमे एकटा मन्दिर सेहो छल।

कोठरीक सामने खजूरक एकटा गाछ रहइ जइमे ताड़ी टपकौल जाइत छेलइ, सदिखन डाबा टँगले रहैत छल। हमर रूमेट सभ टटका नीर कहियो-काल चोरा कऽ उतारि लैत छला। हमर स्कलक दूटा संगी कौलेजक होस्टलक छसीट्टा कोठरीमे रहै छला। कौलेजमे पढ़ाइ-लिखाइ भऽ जाइ तँ बढ़ियाँ ,नहि तँ आर बढ़ियाँ। जहाँ छुट्टी भेल कि हम गाम घसैक जाइ छेलौं। गाम आ मधुबनी छइहे केतेक दूर। गाड़ीसँ पनरह-सँ-बीस मिनटक यात्रा।

किछु अध्यापक तँ बहुत तनमयतासँ पढ़बैत रहैथ। हुनकर क्लास खचाखच भड़ल रहैत छल। मुदा सभसँ दिक्कत किछु उपद्रवी विद्यार्थी नेता सभ लऽ कऽ होइत छल जे क्लासमे घुसि जाइत आ हंगाम करैत क्लासकेँ भंग कऽ दइत।

कौलेजमे प्रवेश करिते मेघा पटलपर अंकित नाममे सँ एकटा नाम छल- स्‍व. विभूति नारायण झा (मुन्नु बाबू)क जे बी.ए. मैथिली (प्रतिष्ठा)मे विश्वविद्यालयमे प्रथम आएल छला एवम्‍ गणितमे विशिष्टता प्राप्‍त केने रहैथ।ओ हमर ग्रामिण छला। हुनकर नाओं पटलपर अंकित देख बहुत प्रेरणा भेटैत छल।

प्रोसाइंसक क्लासमे कहियो काल जखन हल्ला-गुल्ला बढ़ि जाइ तँ तत्कालीन कार्यकारी प्राचार्य घटक साहैब आकि कऽ कहैत छला-

गरीबी भारतक आम बात अछि। तँए गरीबीमे ओकरे मदैत कएल जा सकै छै जेकरामे विशिष्टा हेतइ।

अपन बात कहि कऽ ओ चल जाइथ। पता नहि केतेक गोटाकेँ ओ असर करइ। कालैजसँ छुट्टीक बाद ओ (घटक साहैब) पएरे अपन डेरा जाइत छला। अर्थशास्त्राक विद्वान छला। सुनबामे आबए जे कनिक्को समान कीनबाक हेतु पूरा सर्वे करैत छला ,जइसँ एक्को पैसा फाजिल खर्चा नहि हो।

कौलेजक गणितक व्याख्याता श्री एम.पी.सिन्हाजी बहुत लोकप्रिय छला। हुनकर पढ़ेबाक स्टाइल सरल तथा सुगम छल जइसँ विद्यार्थी सभ विषय-वस्तुकेँ बुझि जाइत छल। सबाल बना कऽ ओ पुछबो करैथ जे बुझाया कि नहीं बुझाया। माने बुझलिऐ आकि नहि। एक-एकटा शंकाक समाधान करितैथ। बादमे सुनलिऐ जे ओ हरिद्वारमे रहए लगला।

साँझक टहलबाक क्रममे काली मन्दिर जाएब आम बात छल। भगवतीक भव्य स्वरुपक आराधना कए परीक्षा नीक हेबाक हेतु हमहूँ प्रार्थना करी। प्रीसाइंस परीक्षा आबि गेल छल। पढ़ाइ तइ हिसाबसँ भेल नहि रहए। मनमे अतिशय तनाव भऽ गेल छल। रातियोमे कौलेजक भवनमे जा कऽ पढ़ाइ करी, कारण ओइठाम एकान्तक संग मुफ्त बिजलीक सुविधा छल। अही तनावमे रही कि एक राति बुझाएल जेना सभ किछु हिल रहल छइ। हमरा भेल जे भुमकम भऽ रहल छइ। असलमे भेल किछु ने रहइ। पढ़ैत-पढ़ैत ओंघा गेल रही आ चिन्तासँ भ्रम जकाँ भऽ गेल रहए। अस्‍तु।

जेना-तेना परीक्षा सम्पन्न भेल। सभसँ सुखद आश्चार्य तखन भेल जखन ऐ परीक्षामे हमरा प्रथम श्रेणीसँ उत्तीर्ण हेबाक जानकारी अखबारमे प्रकाशित परीक्षाफलसँ भेटल।

काली मन्दिरसँ दर्शन कए डेरा अबैत काल मिथिला टाकीजमे लॉडस्पीकरपर प्रसारित होइत गीत जय जय हे जगदम्बे माता..। अखनो कानमे प्रतिध्वनित होइत रहैत अछि।

मधुबनी शहर यद्यपि बहुत पुरान अछि मुदा एकरामे गुणात्मक विकास एतबे भेलैए जे चारुकात आवासीय कालोनी सभ बनि गेल अछि। मुदा मूलभूत ढाचागत विकास नहि भऽ सकल। ओना, तेकर केतेको कारण भऽ सकैत अछि। रोड सभ अत्यन्त कृषकाय अछि। अतिक्रमणक पराभवक कारण निरन्तर जाम लगैत रहैत अछि। शहरक भीतर तथा शहरक आस-पास दुर्गन्ध पसरल रहैत अछि। सफाइक बेवस्था दयनीय अछि तथापि आस-पासक लोक ओतए गामपर सँ उबि घर बना रहल छैथ। जिला बनि गेलाक बाद सरकारी कार्यालयक संख्याक संग गतिविधिमे बढ़ोत्तरी अबस्स भेल अछि मुदा शिक्षा, चिकित्सा संतोषप्रद नहि हेबाक कारण मधुबनीक लोक आर पैघ शहर दिस मुँह तकबाक हेतु विवश छैथ।

हमर ससुर मधुबनीमे घर बनौने रहैथ। ओइठाम आवागमन बादोमे होइत रहल आ तइसँ प्रेरित भऽ हमहूँ मधुबनीमे घर बनौलौं। दिल्लीमे काज करी आ घर मधुबनीमे बनाबी से विचार बहुत लोककेँ नहि जँचतैन मुदा हमरा दृढ़ इच्छा छल आ अत्यन्त परिश्रम पूर्वक सालो लगा कऽ ऐ काजकेँ पूरा कएल, मुदा मधुबनीमे घर बनाएब उपयोगी साबित नहि भेल।

आर.के.कौलेज- मधुबनीक स्थिति डमाडोल रहैत छल। संयोगसँ प्रसाइंसमे नीक परीक्षा फल आबि गेल छल। तँए आगाँक पढ़ाइ हेतु सी.एम. कालैज- दड़िभंगामे नाओं लिखेलौं जे बहुत सही निर्णय रहल। कारण ओइठामक पढ़ाइ-लिखाइक महौल मधुबनीसँ बहुत बेहतर छल।


शब्द संख्या : ८२९

अमृतसर यात्रा




 


अमृतसर यात्रा


पंजावक पैघ शहरमे अमृतसरक गणना अछि। ऐठाम पहिने तुँग नामक गाम छल। सिखक चारिम गुरु रामदास १५७४ मे ७०० रूपैआमे तुँग गामक लोकसँ जमीन किनलैथ। ओइ साल गुरु रामदास ओतए घर बना कऽ रहए लगला। ओइ समयमे ओकरा गुरु दा चक्क कहल जाइत छल। बादमे एकर नाम चक्क राम दास भऽ गेल।

अमृतसर पहिने गुरुरामदासपुरक नाओंसँ जानल जाइत अछि। पंजावक राजधानी चण्‍डीगढ़सँ ई २१७ किलोमीटर दूरीपर एवम्‍ लाहौरसँ मात्र ५० किलोमीटर दूरीपर अवस्‍थित अछि। भारत-पाकिस्‍तानक वाधा  वोर्डर ऐठामसँ मात्र २८ किलोमीटर अछि।

कहल जाइत अछि वाल्‍मिकी ऋृषिक आश्रम अमृतसरक रामतीर्थमे छल। लवकुश अश्वमेघ यज्ञक घोड़ाकेँ ओतइ पकैड़ लेने छला आ हनुमानकेँ एकटा गाछसँ बान्‍हि देने रहैथ। ओही स्‍थानपर दुर्गिआना मन्‍दिर बनल अछि।

तेसर सिख गुरु अमरदास जीक परामर्शपर चारिम सिख गुरुरामदासजी अमृत सरोवरक खुनाइ प्रारम्‍भ केलाह। ऐमे चारूकात पजेबाक घाटक निर्माण पाँचम सिख गुरु अर्जन देवजी द्वारा १५ दिसम्‍बर १५८८ क पूरा कएल गेल। वएह हरमन्‍दर साहेबक निर्माण प्रारम्‍भ केलैथ। १६ अगस्‍त १६०४ क ओइमे गुरु ग्रन्‍थ साहेबक स्‍थापना भेल। सिख भक्‍त बाबा बुधाजी ओइ मन्‍दरक प्रथम पुजेगरी नियुक्‍त भेल रहैथ।

हरर्मान्‍दर साहेबक निर्माणमे सर्व धर्म सभ भावक विशेष धियान राखल गेल। सिख धर्मक ऐ भावनाक अनुरुप गुरु अर्जन देव मुस्‍लिम सूफी सन्‍त हजरत मिआँ मीरकेँ ऐ मन्‍दिरक शिलान्‍यासक हेतु आमंत्रित केने छला। सन्‍ १७६४ ई.मे जस्‍सा सिंह अहलुवालिया आन-आन लोक सबहक सहयोगसँ एकर जीर्णोद्धार केलाह। उन्‍तीसमी शताब्‍दीमे महाराजा रणजीत सिंह ७५० किलोग्राम सोनासँ ऐ मन्‍दिरक ऊपरी भागकेँ पाटि देलाह जैपर एकर नाओं स्‍वर्ण मन्‍दिर माने गोल्‍डेन टेम्‍पल पड़ि गेल।

हरमन्‍दि साहेबक स्‍वर्ण मन्‍दिरमे पएर रखैत गजब आनन्‍दक अनुभूति भेल। साफ-सुथरा चक-चक करैत परिसर। सुरम्‍य वातावरणमे भजन कीर्तनक संगीतमय मधुर ध्‍वनि। चारूकात पसरल सैंकड़ोक तादादमे सेवादारक जत्‍था सभकेँ देखैत बनैत छल।

समूहमे जीव, सेवा करब ओ समन्‍व्‍य पूर्वक सबहक स्‍वागत करब, ऐ वस्‍तुक प्रत्‍यक्ष उदाहरण हरमन्‍दर साहिवमे भेटैत अछि। मन्‍दरमे प्रवेशसँ पूर्व जूता निकालब आ माथ झाँपब अनिवार्य अछि। माथ झाँपबाक हेतु मन्‍दिर प्रवन्‍धक केर तरफसँ वस्‍त्र देल जाइत अछि।

विशाल तलाव स्‍वच्‍छ जलसँ भरल अछि। ऐ तालावक नाओं अमृत सरोवर अछि। सरोवरक चारूकात लोक परिभ्रमण करैत अछि। सरोवरसँ जुड़ल अछि हरमन्‍दिर साहेब।

मन्‍दिरमे निरन्‍तर गुणवाणीक पाठ होइत रहैत अछि। चारूकातसँ मन्‍दिरक दरबाजा खूजल अछि। तात्‍पर्य जे ओइठाम सबहक स्‍वागत अछि। हरमन्‍दिर साहेबमे कोनो धर्मक लोक जा सकैत अछि। ऐ मामलामे ई अद्भुत अछि। ऐठाम निरन्‍तर लंगर चलैत रहैत अछि। अनुमानत: प्रति दिन एक लाखसँ तीन लाख लोक तककेँ मुफ्तमे लंगर खुआबक बेवस्‍था ऐठाम रहैत अछि।

हरमन्‍दिर साहेब हम दू बेर गेल छी। एकबेर अधिकारीक प्रतिनिधि मण्‍डलक संग आ दोसर बेर श्रीमतीजीक संग। दुनू बेर नीकसँ दर्शन भेल। स्‍थानीय प्रशासनक सहयोग रहबाक कारण मन्‍दिरमे हमरा सभकेँ सरोपा देल गेल। सरोपा देबक माने बहुत इज्‍जत देब भेल।

अमृतसरक प्रसिद्ध स्‍वर्ण मन्‍दिरक दर्शनक बाद हमरा लोकनि ओइठामसँ सटले जालियावाला बाग गेलौं। ओइ वागक इतिहास ककरा नहि बुझल छइ। ब्रिटिश साम्राज्‍यक भारतमे कएल गेल ई क्रुड़तम घटना अछि। १३ अप्रैल १९१९ क ब्रिटिस हुकुमतक विरोधमे स्‍वर उठाबक हेतु जमा भेल हजारो लोकपर १० मिनट धरि धुँआधार गेली चलौल गेल, जइमे एक हजार लोक मारल गेला आ १५ साए लोक घायल भेला। सरकारी आँकड़ामे मृतक एवम्‍ घायलक संख्‍या बहुत कम क्रमश: ३६९ एवम्‍ २०० मात्र देखौल गेल मुदा ओ कोनो हिसावसँ सही नहि लगैत अछि। गोली काण्‍डक बाद ओइ मैदानमे लाश उठौनिहार कियो नहि छल। सैकड़ो आदमी जान बँचेबाक हेतु ओइठाम स्‍थित एकटा इनारमे कुदि गेल। बादमे १२० टा लाश ओइ इनारसँ निकालल गेल। धुँआधार चलल गोली सबहक निशान अखनौं ओइठामक देवाल सभपर देखल जा सकैत अछि।

ओइ दिन बारहे बजेसँ लोक सभ बैसारमे भाग लेबाक हेतु ओइ मैदानमे जमा होमए लागल छल। बहुत  रास निर्दोस लोक उत्‍सुकतावश सेहो ओइठाम जमा भऽ गेल छल। मुदा केकरो ई अन्‍दाज नइ छेलै जे ब्रिटिश हुकुमत एतेक वर्वरतापूर्ण काज करत! मुदा से भेल। ब्रिटिश हुकुमतक खिलाफ केतेको प्रकारक दुर्घटनाक पछाइत राज्‍यमे मार्शल लॉ लागू छल।

१३ अप्रैल १९१९ क भोरे ब्रिटिश हुकुमत घोषणा कए लोककेँ चेतौलक जे पाँच आदमीसँ बेसी लोकक एकठाम जमा होएब गैरकानूनी अछि। मुदा बहुत लोककेँ एकर जानकारी नहि भेलै आ जेकरा भेबो केलै से नहि सोचि सकल जे आदेशक उल्‍लंघनक एहेन विनासकारी हएत!

स्‍थानीय फौजी एवम्‍ असैनिक अधिकारीकेँ जालियावाला बागमे जमा होइत भीड़क जानकारी १२ बजे भऽ चूकल छल। ओ सभ चाहैत तँ ओइ बैसारक शुरूए-मे विरोध कए सकैत छल, मुदा एकटा सुनिश्चित योजनाक तहत भीड़केँ जमा होमए देल गेल आ बिना कोनो पूर्व उद्घोषणाक भीड़पर अन्‍धाधून गोली चलेबाक आदेश जनरल द्वारा दए देल गेल।

सभसँ दुखद तँ ई भेल जे गोलीक बौछारमे घायल लोक सभ तरपैत-तरपैत मरि गेल आ कियो ओकरा सभकेँ असपताल उठा कऽ नहि लऽ गेल। ऐ घटनाक अंजाम देनिहार जेनरल डायरेक्‍टरकेँ जखन हंटर कमीशन पुछलक जे अहॉं  घायल लोक सबहक इलाजक की बन्‍दोवस्‍त केलौं?’ तँ ओ निर्लज्‍ज भऽ कहलक जे अस्‍पताल सभ खूजल छल। सही स्‍थिति तँ ई छल जे बाहरमे कर्फ्यू लागल छल तँए कियो केतौ घुसकियो नहि सकैत छल। जनरल डायर उपरोक्‍त कमीशनक समक्ष स्‍वीकार केलक जे ओ सोचि-समैझ कऽ जालियावाला वागमे गोली चलबौलैथ। ओ चाहितैथ तँ डरा-धमका कऽ भीड़केँ भगा दितैथ, मुदा फेर ओ सभ एकत्र भऽ जाइत, आ ब्रिटिश हुकुमतक वर्चस्‍वपर हँसैत।

एहेन वर्वर घटनाक चश्‍मदीद गवाह देबाल सभपर पड़ल गेली सबहक निशान अखनौं देखल जा सकैत अछि।

हम सभ चारूकात देबाल सभपर पड़ल एहेन निशान सभकेँ सद्य: देखलौं।  गोलीक निशान सभकेँ चिन्‍हित कए देल गेल अछि। आ जइ इनारमे सैकड़ो आदमी कुदि गेला आ जानसँ हाथ धो लेलैथ, सेहो शहीदी कुआँक नाओंसँ स्‍मारक भऽ गेल अछि। ऐ काण्‍डमे शहीद भेल सैकड़ो लोकक यादगारमे ओतए स्‍मारक बनल अछि जेकर उद्घाटन भारक प्रथम राष्‍ट्रपति स्‍व. डॉ. राजेन्‍द्र प्रसाद सन् १९६३ मे केलाह।

अमृतसरक दर्शनीय स्‍थानमे दुर्गिआना मन्‍दिर प्रमुख स्‍थान रखैत अछि। मूलत: दुर्गामाताक मन्‍दिर हेबाक कारण एकर नाओं दुर्गियाना मन्‍दिर पड़ल मुदा ऐ मन्‍दिरमे आनो-आनो भगवान सबहक भव्‍य मूर्ति विराजित अछि। ई मन्‍दिर अपन भव्‍यता एवम्‍ अध्‍यात्‍मिक वातावरण हेतु सम्‍पूर्ण विश्वमे प्रसिद्ध अछि। देश-विदेशसँ हजारो तीर्थयात्री ऐठाम अबैत रहै छैथ। मन्‍दिर बहुत पुरान अछि। मूल मन्‍दिर सोलहम शताब्‍दीमे बनल छल। तेकर बाद सन्‍ १९२१ ई.मे स्‍थानीय लोकनिक मदैतसँ एकर जीर्णोद्धार कएल गेल। नव निर्मित मन्‍दिरक उद्घाटन सन्‍ १९२५ ई.मे पं. मदन मोहन मालवीय केने रहैथ। मन्‍दिरक द्वार चानीसँ बनल अछि।

पूरा मन्‍दिर चारूकातसँ सिमटल अछि। मूख्‍यत: मन्‍दिरक प्रागणमे पहुँचबाक हेतु पूल बनौल गेल अछि।

मन्‍दिरक बनाबट ओ साज-सज्‍जा स्‍वर्ण मन्‍दिरसँ मिलैत अछि।

मन्‍दिरक प्रागणमे सीतामाता ओ हनुमानजीक मन्‍दिर अछि। सन्‍ २०१३ सँ मन्‍दिर एवम्‍ मन्‍दिरक आसपासक परिसरक जीर्णोद्धारक कार्यक्रम चलि रहल अछि जेकर पूर्णतापर मन्‍दिरक भव्‍यता ओ सौन्‍दर्य पराकाष्‍ठापर पहुँच जाएत।

कहल जाइत अछि जे लवकुश हनुमानजीकेँ अहीठाम बान्‍हि देने रहैथ। अश्वमेध यज्ञक घोड़ाकेँ बान्‍हि देने रहैथ। लक्षमण, भरत, शत्रुध्‍न सभ एतइ पराजित भऽ गेल रहैथ। हुनका सभकेँ जीएबाक हेतु देवता सभ अमृत अनने रहैथ ओ शेष अमृतकेँ माटिमे गाड़ि देल गेल छल। जहूसँ ऐ शहरक नाओं अमृतसर पड़ल।

हम सभ अमृतसरक प्रसिद्ध दुर्गिआना मन्‍दिरमे घन्‍टो घुमैत रहलौं। पूजा-पाठ केलौं ओ एकर भव्‍यताक आनन्‍द उठेलौं। पं. मदन मोहन मालवीयजीक बारम्‍बार धियान अबैत रहल जे ऐ मन्‍दिरकेँ वर्तमान स्‍वरुपक नायक रहैथ।

घुमैत-घुमैत हम सभ थाकि गेल रही। रौद बहुत करगर रहइ। हमर श्रमतीजी सेहो बहुत थाकि गेल छेली। अस्‍तु हम सभ ओइठामसँ सोझे सीपीडब्‍ल्‍यूडी गेष्‍ट हाउस स्‍थित अपन डेरा पहुँच गेलौं।

घर घुमैत काल रस्‍ता भरि सोचैत रहलौं जे एतेक भारी तीर्थ स्‍थानमे जालियावाला वाग सन क्रूड़, वर्वर, नरसंहार केना भेल? सही कहल जाइत अछि जे सत्ताक नशामे मनुख पिशाच भऽ जाइत अछि। ओकर मानवीय संवेदना नष्‍ट भऽ जाइ छइ। मनुख ओकरा लेल मात्र एकटा मशीन रहि जाइत अछि जे आदेशक पालन करैत-करैत अपनहि बन्‍धु-बान्‍धवक खूनक धार बहा सकैत अछि। जेना कि जालियावाला वागमे अंग्रेजी हुकुमत केलक। हिन्‍दू, मुसलमान, सिख आदि सभ धर्मक लोक लोकक खून एक भऽ गेल छल, जालियावाला वाग चिकैर-चिकैर कऽ कहि रहल छल-

ऐ अत्‍याचारी निकृष्‍ट अंग्रेजी हुकुमत, आब बर्दास्‍त जोग नहि रहल। आब आर जुलुम नहि सहल जाएत..!”

जालियावाला वागक काण्‍ड सम्‍पूर्ण देशक आत्‍माकेँ झकझोरि देलक। एकर बदलामे उधम सिंह विलायत जा कऽ माइकल डायरक[1] हत्‍या कऽ देलक आ स्‍वयं फाँसी चढ़ि गेल।  (माइकल डायर ओहि काण्डकसमय मे पण्जाब प्रानतक लेफ्टीनेन्ट गभर्नर छला)

 

दोसर दिन साँझमे हमरा लोकनि बाधा वोर्डरपर होमएबला झण्डा उतारबाक कार्यक्रम देखए गेलौं। ओइ कार्यक्रमक आकर्षण अमृतसर गेनिहार प्रत्‍येक पर्यटककेँ रहैत छइ।

भारत ओ पाकिस्‍तानक सीमा सुरक्षा बलक जवान सभ नाना प्रकारक करतब करैत आगू-पाछू बढ़ैत रहै छैथ। कखनो टाँगकेँ धराम-दे आगाँ तँ कखनो हाथकेँ फरकबैत पाछाँ करैत ओ सभ एक-दोसरकेँ कखनेा सिनेह करैत तँ कखनो आक्रमण मुद्रामे आबि जाइ छैथ। अपना देशक लोक जेतेक बेर हिन्‍दूस्‍तान जिन्‍दावाद कहैत तेतेक बेर सटले सीमापर सँ ओइ देशक नारा सभ लगैत रहैत अछि। 

कुल मिला कऽ सम्‍पूर्ण वातावरण देश-भक्‍तिसँ भरल रहैत अछि। उत्तेजक ओ भावुक महौलक वावजूद सैनिक सभ संयत रहै छैथ आ क्रमश: अपन-अपन देशक झण्‍डा उतारि कऽ वधा बोर्डरक गेटकेँ बन्‍द कऽ लइ छैथ। 

विशेष अवसर जेना ईद, दिवाली आ दुनू देशक स्‍वतंत्रता दिवस आदिपर एक-दोसरकेँ मिठाइक डिब्‍बाक आदान-प्रदान सेहो होइत अछि। कुल मिला कऽ ई कार्यक्रम दुनू देशक नागरिकक वर्तमान परिस्‍थितिपर सोचबाक हेतु मजबूर कए दैत अछि।

दुनू देशक लोक हजारोक तादादमे आमने-सामने बैसए आ शान्‍तिपूर्ण महौलमे मनोरंजक कार्यक्रम देखए से अपना-आपमे एकटा मिसाल अछि। भऽ सकैए एकर सकारात्‍मक प्रभाव दुनू देशक जनता ओ सरकारपर पड़इ।

एवम्‍ प्रकारेण अमृतसरक संक्षिप्‍त प्रवासक अन्‍त भऽ रहल छल। हमरा लोकनि प्रात भेने अमृतसर दिल्‍ली शताब्‍दी एक्‍सप्रेस पकैड़ कऽ दिल्‍ली विदा भऽ गेल रही। सुविधा सम्‍पन्न द्रुतगामी ई गाड़ी जल्‍दीए घर पहुँच गेल आ हम सभ अपन यात्राक आनन्‍दक चर्च करैत केतेको दिन धरि आनन्‍दमे रहलौं।


तिथि : ०१ अगस्‍त २०१७, शब्‍द संख्‍या : १५१६



[1] माइकल डायर जालियावाला वाग काण्‍डक समय पंजावक लेफ्टिनेन्‍ट जेनरल छल।