यात्रा गामक
मास दिनसँ पहिने
दरभंगाक रेल टिकट कटा लेने रही। दुनू बेकतीक नीचाँक सीट भेटि गेल रहए। आब समय लगीच
आबि रहल छल। अचानक पटनामे विद्यार्थीसभक आन्दोलन शुरू भेल। लोकसभ रस्ता जाम करए
लागल। ट्रेन लाइनपर धरना प्रारंभ भेल। बस सभमे आगि फुकि देल गेल। एकटा नेता अनशनपर
सेहो बैसि गेलाह। उपरसँ मौसम सेहो बेदरंग होमए लागल।
“एहनमे ट्रेनसँ कोना जा
सकब?”-ई प्रश्न मोनमे घुमि रहल छल। ऊपरसँ हुनकर ठेहुनमे सिकाइत से रहिते छनि। एक
प्लेटफार्मसँ दोसरपर गेनाइ पराभव।
“तखन?”
बहुत सोच-विचार कए सोलह
जनवरीक इन्डिगोक हबाइ जहाजमे दुनू बेकतीक टिकट लए लेलहुँ। भेल जे भने कनी खर्चा बढ़ि
जाएत,मुदा आरामसँ जाएब। समयो कम लागत।जहाज दू बाजि कए दस मिनटपर उड़तैक आ चारि बजे
दरभंगा पहुँचि जाएत। बहुत सही समयमे गाम पहुँचि जाएब।
आब यात्राक समय लगीच
आबि रहल छल। जरूरी चीज छुटि नहि जाए तेँ पहिने ओकरासभके बैगमे रखनाइ शुरू कए
देलहुँ। किछु किताब,जरूरी दबाइसभ,अनेक प्रकारक कागजात जकर प्रयोजन होइत,राखि
लेलहुँ। हमर श्रीमतीजी दूटा बड़का बैगमे सामानसभ भरि लेलनि।हैंडबैगक सामानसभ सेहो
राखि देल गेल। लैपटाप तँ जेबेक छैक।ओहीमे गढ़ल जेतेक नव-नव रचना। मधुबनीमे रहबाक
जोगार पहिनेसँ भए गेल अछि।असलमे कार्यक्रम बनलाक बाद हम अपन मित्रश्रीनारायणजीकेँ
फोन केने रहिअनि। हुनका अपन मंतव्य कहलिअनि जे छओ मासक लेल हमरा मधुबनीमे मकान
किरायापर चाही। ओ सुनि लेलथि। तकर दू घंटाक बाद ओ फोन केलथि-
“हमरमकनाक नीचाँ बला
भाग खाली अछि। अहाँकेँ पसिंद होअए तँ ओतहि रहि जाउ।”
“एहिसँ नीक की भए सकैत
अछि।”
बात पक्का भए गेल। हमर
मधुबनी आवासक समस्या देखिते-देखिते समाधान भए गेल। श्रीनारायणजीक ओहिठाम रहलासँ
सभटा समाधान अपने होइत रहत। कारण मधुबनीमे ओ पैंतीस सालसँ बेसीए समयसँ रहि रहल छथि,बहुत
प्रतिष्ठित छथि आ अपन लोक तँ छथिहे। हुनकर जतेक प्रशंसा कएल जाए से कम पड़त।हुनका
बारेमे बहुत बात हम पहिने लिखि चुकल छी।तेँ पुनरावृत्ति नहि होइ,से सोचि ओकरासभकेँ
दोहारा नहि रहल छी।
समय बितैत देरी नहि
होइत छैक। देखिते-देखिते सोलह जनबरी लगीच आबि गेल। दू दिन पहिनेसँ हमसभ अपन बैगमे
सामानसभ राखि रहल छलहुँ।कागज -पत्र सभ सेहो राखि लेलहुँ। हबाइ जहाजक चेकिन आनलाइन
कए लेलहुँ। सोलह जनबरीक हमसभ दस बजे टैक्सीसँ इन्दिरा गांधी हबाइ अड्डाक टर्मीनल १डी
लेल बिदा भए गेलहुँ। हबाइ अड्डा पहुँचलाक एक घंटाक भीतरे हमरा लोकनिक सभ काज
संपन्न भए गेल छल।आब निश्चिन्तसँ गेट नंबर बारहपर प्रतीक्षा कए रहल छलहुँ
बोर्डिंगक घोषणाक कि ह्वात्सअप पर एकटा समाद आएल।समाद कि छल बुझू जे एकटा बम छल। हमरा लोकनिक समस्त योजनापर
तुषारापात भए गेल छल। दिनमे दू बाजि कए दस मिनटपर उड़ए बला इन्डिगोक बिमान रद्द भए
चुकल छल।कारण?कहाँ दनि दरभंगा हबाइ अड्डापर
मौसम जहाजक उतरबाक अनुकूल नहि छल। यात्रीसभ बहुत परेसान भए गेल रहथि,तनाओमे
अर-बर बाजि रहल रहथि।यात्री इन्डिगोक महिला अधिकारीक संगे दुर्व्यवहार करैत देखल गेलथि।दू-तीनटा
यात्री तँ भयाओन हंगामा करैत रहलाह।ओही समयमे हम अपन ग्रामीण आदरणीय श्री अनिला
झाजीकेँ पटना फोन केलिअनि।कहलिअनि-
“हबाइ जहाज रद्द भए
गेल।”
से जानि ओहो चिंतित
भेलाह। मुदा उपाय की?
यात्री लोकनक द्वारा
हंगामा बढ़ैत देखि इन्डिगोक अधिकारी लोकनि सभ यात्रीकेँ गेट नंबर ३२पर चलबाक लेल
कहलथि। हम दुनू बेकती भारी हथझोरा उठओने ओहि गेटपर पहुँचलहुँ। ओतहु हंगामा होइते
रहल,मुदा समाधान किछु नहि। बड़ी कालक बाद यात्री लोकनिकेँ प्रस्थान गेटपर बस द्वारा
पहुँचा देल गेल। ओतहु ओहिना अव्यवस्था पसरल छल। यात्री लोकनि बेरा-बेरी खिड़कीपर
अपन टिकट रद्द करा रहल छलाह। हमहूँ अपन टिकट रद्द करओलहुँ ,कारण कोनो दोसर नीक
विकल्प नहि छल। हमरा लोकनि साँझमे एयर इन्डिआक जहाजसँ पटना जा सकैत छलहुँ। मुदा
ओहूठाम जा कए राति भरि होटलमे रहए पड़ैत आ भोर भेने टैक्सी वा बससँ मधुबनी बिदा होइतहुँ।
खर्च आ परेसानी दुनू होइत। तेँ हमसभ बहुत सोच-विचारक बाद अपन घर वापस आबि गेलहुँ।
घर पहुँचलाक बाद हमर पोता-पोतीक प्रसन्नता देखैत बनैत छल। हमर पोता बाजल-
“दादी हलुआ आनए गेल
छलथि?”
हबाइ अड्डासँ ग्रेटर
नोएडा स्तित अपन घर वापस अबैत-अबैत परसूक स्पाइजेटमे नव टिकट बुक भए गेल छल।मौसम
विभागक पूर्वानुमानमे ओहिदिन दरभंगाक मौसम नीक देखा रहल छलैक। यद्यपि दिल्लीमे
मौसम नीक नहि रहितैक।मुदा दरभंगाक मौसम नीक भेनाइ बेसी जरूरी छलैक कारण ओहिठामक
हबाइ अड्डापर जहाजक उतरबाक लेल बेसी नीक सुविधा नहि छैक। यदि मौसम खराप भेल,किंवा राति
भए गेल तखन ओहिठाम जहाज नहि उतरि सकैत अछि।
एक दिन नीकसँ विश्राम कलाक बाद हम दुनू बेकती फेर भोरे
सात बजे हबाइ अड्डा बिदा भेलहुँ। ओहिठाम चेकिन कालेमे फेर उल्ट-पुल्ट समाचार
सुनबामे आबि रहल छल।
“दरभंगाक जहाज तँ रद्द
भए जेतैक।”
“दरभंगाक मौसम बहुत
खराप छैक।”
ई सभ बात सुनलाक बाद
मोन उदास भए जाएब स्वाभाविक छल। कारण ट्रेनक टिकट रद्द कए हबाइ जहाजक महग टिकट सुविधेक
ध्यानमे लेने रही। नहि सोचि सकलिऐक जे दरभंगाक हबाइ जहाज तँ कटही गाड़ीओसँ खराप
साबित हएत। मुदा आब की उपाय छल? ट्रेनक टिकट रद्द करबा चुकल रही। हबाइ जहाजक टिकट
दोबारा बना लेने रही। तखन भेल जे लिखल हेतैक से हेतैक।हमसभ चेकिनक बाद गेट संख्या
पन्द्रहपर पहुँचि गेल रही। ओहिठाम चाह-पानक उत्तम प्रबंध छल।दरभंगा गेनिहार बहुत
रास यात्रीसभ तरह-तरहक गुलंजरसभ छोड़ि रहल छलाह। हम श्रीमतीजीक लेल पनपिआइक जोगार
केलहुँ।अपने तँ चूरा दही भोरे खा लेने रही। फेर अखबारक जोगार केलहुँ, निचेनसँ
अखबार पढ़लहुँ। एतेक समय बीति गेलाक बादो हबाइ जहाज जेबाक अनिश्चितता बनले छल।
संयोगसँ ओही समयमे हमर ग्रामीण डाक्टर सच्चिदानन्द झाजी पत्नी सहित ओतहि भेटि गेलाह।
लगभग बाइस वर्षक बाद हुनका लोकनिसँ भेंट भए रहल छल। आरकेपुरमक हमरासभक डेरापर लगभग
बाइस साल पूर्व ओ सभ आएल रहथि। तकर बाद
एतेक पैघ अंतरालक बाद ओ सभ भेटलाह।निश्चय ई बहुत आनन्ददायक घटना छल। आब की ?हमसभ
भरि छाक गप्प-सप्प केलहुँ।
डाक्टर सच्चिदानन्द झा
डाक्टर सच्चिदानन्द
झाजी हमर गौंआ छथि।नेनामे हमसभ बहुत लगीच रही। ओ हमरासँ एक किलास वरिष्ठ रहथि।
बादमे ओ वाटसन इसकूल मधुबनी चलि गेलाह।हम एकतारा हाइ इसकूलमे नाम लिखओलहुँ।हमरासभक
मैट्रिकक परीक्षाक सेंटर वाटसन इसकूलमे
रहए।ओहि समयमे ओ ओतए पढ़ैत रहथि।हमर दोसर गौँआ आ सहपाठी श्री आनन्दचन्द्रजी सेहो
ओही इसकूलमे रहथि आ हमर हाल-चाल लैत रहथि।
सच्चिदानन्दजीक पिता
स्वर्गीय घूरन बाबू इलाकाक प्रतिष्ठित लोक छलाह। ओ विद्यानुरागी रहथि।हमरा जखन
कखनहु देखितथि तँ बहुत उत्साहित करितथि।लोकसभक सामनेमे प्रशंसा करितथि।एहिसभसँ हमर
मनोबल बढ़ैत छल।हम आर बेसी जोर-सोरसँ पढ़ाइमे लागि जाइत छलहुँ।हुनकर ज्येष्ठ पुत्र
स्वर्गीय विश्वंभर झाजी ओहि समयमे समाजमे चर्चित आ प्रतिष्ठित व्यक्ति छलाह। हमरा
मोन पड़ैत अछि जे गामक पुस्तकालयमे जखन कखनहु हम जइतहुँ तँ ओ किताब लेबाक लेल
उत्साहित करितथि।आदरणीय स्वर्गीय विश्वंभर झाजी अपना समयक बहुत यशस्वी समाजसेवी
छलाह। ओ गाममे कैकटा संस्था जेना खादी भंडार,पुस्तकालय चलबैत छलाह,ओकर संस्थापक
छलाह। खादी भंडारसँ तँ बहुत रास गरीबसभक गुजर होइत छल।ओ तत्कालीन राजनीतिमे सेहो
दखल रखैत छलाह आ निरंतर पटना अबैत-जाइत रहैत छलाह।कंग्रेस पार्टीमे हुनकर धाख
छलनि।अफसोचक बाद अछि जे बहुत कम बएसमे ओ स्वर्गीय भए गेलाह।हुनकर असमय मृत्युसँ
लोकसभ बहुत दुखी भेल रहथि।ओहि समयमे हम गामे मे रही।अखन धरि हमरा ओ दृश्य मोन
पड़ैत रहैत अछि आ हम ओहि दुखद प्रसंगक स्मरण कए मौन भए जाइत छी।एहि घटनासँ समाजक बहुत
क्षति भेल छल।हुनकर बाद हुनकर चलाओल संस्थासभमे ओ जान नहि रहल ।क्रमशः ओ सभ बंद भए
गेल।
डाक्टर सच्चिदानन्द झाजी
वाल्यावस्थामे गाममे रहलापर हमर बाबूसँ संपर्कमे रहैत छलाह।पुस्तकालयक सामनेमे
सोसाइटी आफिसमे ओ अबैत-जाइत रहैत छलाह।हम बेसी काल ओहीठाम पढ़ाइ करैत छलहुँ आ
हुनकासँ ओतहि भेंट होइत छल।नेनाक हुनका संगे बिताओल गेल अविस्मरणीय क्षणमे छल
हुनका ओहिठाम जा कए ग्रामोफोन सुनब। ओहि समयमे गाममे दू-तीन गोटेक घरमे ग्रामोफोन
छलनि। हुनको ओहि ठाम बड़का ग्रामोफोन छलनि। हम ओहि ठाम जाइ।ओ अपन ग्रामोफोनपर गीतक
रेकर्ड चलाबथि आ हमसभ गीतक आनन्द उठाबी।
बादमे हम नौकरीक लेल
दिल्ली चलि गेलहुँ। ओ डाक्टरी पेशामे लागि गेलाह आ अनेक उच्चस्थान प्रप्त केलाह।
ओहि दिन दिल्ली हबाइ अड्डापर बहुत दिनक बाद हुनकासँ भेंट भेलापर अद्भुत आनन्द
भेल।बहुत रास गप्प-सप्प भेल।हुनकर श्रीमतीजीक हमर श्रीमतीजीक सेहो गप्प भेलनि। कह
नहि सकैत छी जे ओ समय कतेक आनन्दसँ बितल। ओ सभ द्वारकासँ तीर्थाटन कए वापस आबि रहल
छलाह। मुम्बईसँ दरभंगा ट्रेनसँ वापस अएबाक छलनि। मुदा ट्रेन मौसमक खरापीक कारण
रद्द भए गेल। ओ तकर बाद हबाइ जहाजसँ दिल्ली आएल रहथि आ दिल्लीसँ दरभंगाक लेल हबाइ
जहाज पकड़बाक क्रममे प्रतीक्षा कए रहल छलाह।
ओही बीचमे यात्रीसभ
हंगमा करए लागल।ओ सभ स्पाइस जेटक अधिकारीकेँ वारंबार आग्रह करथि जे दरभंगाक जहाज
जेबाक चाही,ओतए मौसम ठीक छैक।तेँ जहाज रद्द करबाक कोनो औचित्य नहि छैक। मुदा ओ
कहथि जे हुनका सूचनाक अनुसार दरभंगाक मौसम ठीक नहि अछि। जहाज उड़ब अनिश्चित अछि।
एकटा यात्री कहथि जे ओएह हबाइ जहाज लेह गेलैक अछि। लेह जेबामे विलंब भेलैक तेँ
दरभंगाक उड़ानमे देरी देखा रहल छैक।यदि ओ जहाज लेहसँ उड़ि कए दिल्ली वापस आबि
जाएत,तखने दरभंगाक लेल उड़ि सकत,अन्यथा रद्द भए जाएत।सोचल जा सकैत अछि जे हमसभ
कतेक परेसान भए गेल रहब होएब। मुदा कइए की सकैत छलहुँ?
दू घंटा विलंबक बाद
अचानक हबाइ जहाजक बोर्डिंग शुरू भए गेल।यात्रीसभ पाँति लगा लेलनि।हुनकासभक
प्रसन्नताक तँ अन्ते नहि छल।हमहूँ हुनका संगे सामान लेने आगू बढ़ि रहल छलहुँ।आब
जहाजमे पैसितहुँ कि पता लागल जे सभसँ बेसी हंगामा केनिहार यात्रीकेँ हबाइ जहाजमे प्रवेश नहि देल जा रहल
छनि,हुनका बाहरे रोकि लेने छनि।चारि-पाँचटा मुस्टंड घेरि लेने छनि।हुनकर मुँह देखए
बला छल। ओ बहुत उदास आ दुखी छलाह।बादमे पता लागल जे ओ घटी मानलथि। तखन हुनको हबाइ
जहाजमे जेबाक अनुमति दए देल गेलनि।
एक घंटा बीस मिनटमे
हमसभ दरभंगा हबाइ अड्डापर उतरि गेल छलहुँ। हम कनी पाछू भए गेल रही। सामान लए जखन
बाहर भेलहुँ तँ डाक्टर सच्चिदानन्दजीकेँ बाहर होइत देखलिअनि।हमहूँसभ सामान लेलहुँ
आ हबाइ अड्डाक निर्गम द्वारि दिस बढ़ि गेलहुँ।कहबाक काज नहि जे अचानक भेल हुनकासँ
ई भेंट बहुत आनन्दायी छल,अविस्मरणीय छल।
(क्रमशः)
रबीन्द्र नारायण मिश्र