मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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रविवार, 13 जनवरी 2019

कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न


कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न



देशक लगभग आधा जनसंख्या महिला अछि । कोनो देश अपन आधा जनसंख्याकेँ मुख्यधारामे सामिल केने बिना समुचित विकास नहि कए सकैत अछि । निश्चय समयक संग बदलैत परिवेशमे महिला सशक्तीकरणक आवाज जोरसोरसँ उठैत रहल अछि तथापि व्यवहारमे ओ बात नहि आबि सकल जे हमर संविधानक निर्माता समानताक अधिकारक व्यवस्था करैत काल सोचने होएताह । तकर कतेको कारण भए सकैत अछि । शिक्षासँ लए कए नौकरी धरिमे भेदभाव होइत रहल अछि । कैठाम तँ एकहि काज करबाक हेतु महिला कर्मचारीकेँ कम वेतन देल जाइत रहल अछि । एहि तरहक तमाम असुविधाक अछैत महिला लोकनि जँ काज करितो छथि तँ कार्यस्थानपर तरह-तरहक परेसानी होइत रहल अछि । तकर सिकाइतो होइत रहल अछि । मुदा कानूनमे एहन कोनो व्यवस्था पहिने नहि छल जे महिलाक  यौन उत्पीड़नक मामिलाकेँ अपराधक श्रेणीमे राखैत आ  एहन परेसानीक कानूनी निवारणक हेतु भारतीय दंड संहिता 1860क धारा 354 एकमात्र विकल्प रहि जाइत छल । 3 अप्रैल, 2013 सँ लागू आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 क द्वारा भारतीय दंड संहितामे धारा 354A,354B,354C, आ354D जोड़ल गेल अछि जाहिसँ  यौन अपराधकेँ अलग श्रेणीमे राखि  तकर व्याख्या तँ कएले गेल अछि संगहि तकरा हेतु तीनसँ सात सालधरिक जहल आ जुर्मानाक दंड देल जा सकैत अछि ।
माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा   विशाखा बनाम राजस्थान राज्य ((JT 1997 (7) SC 384),क मामलामे कामकाजी महिलाक कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न रोकबाक हेतु  आ दोषी व्यक्तिकेँ दंडित करबाक हेतु विस्तृत दिशा निर्देश जारी केलक । तकर बादे साल 2013 में कार्यस्थल पर महिलाक  यौन उत्पीड़न अधिनियम केँ संसद द्वारा पारित कएल गेल छल।  जाहि संस्थामे दससँ अधिक लोक काज करैछ ओकरापर ई अधिनियम  लागू होइत अछि    कानून कार्यस्थल पर महिलाक यौन उत्पीड़नकेँ अवैध घोषित केलक अछि ।  यौनउत्पीड़न के विभिन्नप्रकारकेँ चिह्नित  केलक अछि, आ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़नक स्थिति मे सिकाइत आ तकर निवारण करबाक व्यवस्था केलक अछि। एहि कानूनमे निस्तारणक हेतु जरूरी नहि अछि जे महिला ओहीठाम काज करैत हो जतए एहन घटना भेल । कार्यस्थल कोनो कार्यालय/दफ्तर भए सकैछ,चाहे ओ  निजी संस्थान हो वा सरकारी।  
माननीय उच्चतम न्यायलय विशाखा बनाम राजस्थान राज्य ((JT 1997 (7) SC 384),क मामलामे कामकाजी महिलाक कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न रोकबाक हेतु  आ दोषी व्यक्तिकेँ दंडित करबाक हेतु निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी केलक-
नियोक्ताकेँ ई कानूनी दायित्व अछि जे कार्यस्थानपर कोनो कामकाजी महिलाकेँ यौन उत्पीड़नसँ वचाओल जाए आ जँ एहन घटना भइए जाइत अछि तँ तकर उचित निदान करबाक एवम् दोषी व्यक्तिकेँ दंडित करबाक त्वरित आ सही व्यवस्था करए । ताहि हेतु यौन उत्पीड़नक निम्नलिखित व्याख्या कएल गेल-

१.शारीरिक संपर्क आ छेड़खानी,

२.यौन संपर्क हेतु आग्रह,

३.कामुक गप्प-सप्प,

४.अश्लीलतापूर्ण चित्र आदिक प्रदर्शन,

५.कोनो प्रकारक शारीरिक, मौखिक वा गैर मौखिक व्यवहार,

आंतरिक सिकाइत समिति:

कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध, और निवारण) अधिनियम, 2013क धारा 4 के तहत प्रत्येक नियोक्ताकेँ ई कानूनी दायित्व अछि  जे ओ अपना ओहिठाम आंतरिक सिकाइत समितिक गठन करए । दस वा एहिसँ अधिक कर्मचारीकेँ काजपर रखनिहार मालिक नियोक्ता एहि कानूनी दायित्वक निर्वाह करबाक हेतु वाध्य छथि अन्यथा हुनका पचास हजार धरि जुर्माना कएल जा सकैत अछि । कानूनमे इहो प्रावधान अछि जे प्रत्येक जिलामे एकटा स्थानीय सिकाइत समितिक गटन कएल जाएत । जतए कतहु आंतरिक सिकाइत समिति नहि अछि वा नहि गठित कएल जा सकैत अछि ओहिठाम कार्यरत महिला एहि तरहक सिकाइत स्थानीय सिकाइत समितिक समक्ष कए सकैत छथि ।

 आंतरिक सिकाइत समितिमे निम्नलिखित व्यक्ति सामिल कएल जाएत-

१. वरिष्ठ स्तर पर कार्यरत महिला  पीठासीन अधिकारी हेतीह ,

२.दूटा एहन कर्मचारी जिनका कानूनक जानकारी होनि आ जे सामाजिक कार्य करबाक हेतु प्रतिवद्ध होथि,

३.गैर सरकारी संगठनक प्रतिनिधि

एहि समितिक कमसँ कम आधा सदस्य महिला हेतीह आ एकर अध्यक्ष सेहो महिले भए सकैत छथि । कानूनमे इहो प्रावधान अछि जे किओ सदस्य तीनसालसँ बेसी एकर सदस्य नहि रहताह ।

स्थानीय सिकाइत समितिः

स्थानीय सिकाइत समितिमे निम्नलिखित परिस्थितिमे सिकाइत कएल जाएत-

१.जखन सिकाइत नियोक्ताक खिलाप कएल जाएत,

२.जखन दससँ कम कर्मचारी हेबाक कारण ओहि संस्थामे आंतरिक सिकाइत समितिक गठन नहि भए सकैत अछि,

३.घरेलु नौकर द्वारा कएल गेल सिकाइत,

स्थानीय सिकाइत समितिक संरचना निम्नलिखित होएतः-

१.सामाजिक क्षेत्रमे काज केनिहारि एहन महिला जे महिलाक कल्याण हेतु प्रतिवद्ध होथि अध्यक्ष भए सकैत छथि,

२.ब्लाक तहसील,तालुका,नगरपालिकामे कार्यरतमहिला कर्मचारी सदस्य भए सकैत छथि,

३.महिलाक कल्याण काजमे रूचि रखनाहरि एहन दूटा महिला जिनका कार्यक्षेत्रमे यौन उत्पीड़नक गहन जानकारी होनि सदस्य भए सकैत छथि,

४.जिला स्तरपर समाज कल्याण वा महिला एवम् वाल विकासक काजसँ जुड़ल अधिकारी पदेन सदस्य हेतीह,

सिकाइत करबाक समय सीमाः

एहि कानूनक तहत सिकाइत घटित घटनाक तीन महिनाक भीतरे हेबाक चाही । जँ एकहि संगे  कैटा घटना भेल अछि तँ एहि अवधिक गणना एहि प्रकारक अंतिम घटना घटित हेबाक तिथिसँ होएत । जँ आंतरिक सिकाइत समितिकेँ लगैछ जे पीड़ित महिला बाजिब कारणसँ समयपर सिकाइत नहि कए सकल तँ एहि अवधिकेँ आओर तीन महिना धरि बढ़ाओल जा सकैत अछि,मुदा ताहिसँ बेसी एकरा नहि बढ़ाओल जाएत। कहक माने जे पीड़िताकेँ चाही जे एहि समय सीमाक भीतर लिखित सिकाइत आंतरिक सिकाइत समितिसँ करए।

सिकाइत के करत?

सामान्यतः पीड़ित व्यक्ति तय समय सीमाक भीतर संबंधित समितिक समक्ष लिखित सिकाइत करतीह। जौँ पीड़ित शारीरिक रूपसँ सिकाइत करबामे सक्षम नहि अछि तँ ओकर बदलामे ओकर संबंधी,मित्र वा सहकर्मी सिकाइत कए सकैत अछि ।  घटनाक जानकारी रखनिहार किओ उपरोक्त व्यक्तिसभक संगे सिकाइत कए सकैत अछि । जँ पीड़ित व्यक्तिक मृत्यु भए गेल होइक तँ ओहि घटनाक जानकारी रखनिहार किओ व्यक्ति ओकर उत्तराधिकारीक सहमतिसँ सिकाइत कए सकैत अछि ।

अंतरिम आदेश

आंतरिक सिकाइत समितिक द्वारा जाँचक क्रममे  अंतरिम आदेश दए  दुनू पक्षमेसँ ककरो दोसर कार्यालयमे स्थानान्तरित कए सकैत अछि, पीड़ित महिलाकेँ  तीन महिना धरि छुट्टी दए सकैत अछि,पीड़ित महिलाकेँ  ओकरा आओर तंग नहि कएल जा सकए ताहि हेतु उचित व्यवस्था कए सकैत अछि
आंतरिक सिकाइत समिति मामलाक दुनू पक्षक आपसी सहमतिसँ समाधानक अवसर दए सकैत अछि मुदा ओहिमे टाकाक लेन-देनक गप्प नहि होइक । मुदा जँ से संभव नहि होइत अछि तँ ९० दिनक भीतर समिति सिकाइतक जाँच कए अपन प्रतिवेदन नियोक्ताकेँ देत जाहि आधारपर सिकाइत सावित भेलापर आरोपित व्यक्तिपर विभागीय नियमानुसार आ से नहि भेलापर निम्नलिखित कारवाइ नियोक्ता कए सकैत छथि-

लिखित माफी

चेतावनी

पदोन्नति/प्रमोशन या वेतन वृद्धि रोकब

परामर्श या सामुदायिक सेवाक   व्यवस्था करब

नौकरी सँ निकालि देब

जौँ जाँच-पड़तालक बाद समितिकेँ ई पता चलैत अछि जे  सिकाइत झूठ अछि तँ सिकाइत केनहारि महिलाक खिलाफ विभागीय कारवाइक अनुशंसा कए सकैत अछि जाहिकेँ तहत ओकरा चेतावनी ,लिखित माफी,पदोन्नति रोकब वा नौकरीसँ निकालबाक कारबाइ कएल जा सकैत अछि ।

उपरोक्त कानूनक धारा १३क अनुसार जाँच समिति प्रारंभिक जाँचमे जौँ सिकाइतकेँ प्रथम दृष्टया सही पबैत अछि तँ एकार अनुशासन समितिकेँ विस्तृत जाँचक हेतु पठाओल जाएत । मेधा कोतवालक मामलामे माननीय उच्चतम न्यायलय ई व्यवस्था देलक अछि जे जाँच समितिक रिपोर्ट  अंतिम मानल जाएत आ ताहि आधारपर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई कएल जाएत ।
सरकारी विभागमे उपरोक्त कानूनी व्यवस्थाकेँ लागू करबाक पर्याप्त तंत्र विकसित कएल गेल अछि मुदा अखनहु निजी क्षेत्रमे एकरा ठीक ढ़ंगसँ लागू करबाक हेतु सक्रियताक अभाव अछि जाहिसँ अपूर्णीय क्षति भए रहल अछि । भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त समानताक अधिकारक की माने रहि जाइत अछि जखन कि देशक आधा महिला आवादी अपन आस्तित्व ओ सम्मानक रक्षा नहि कए सकए?
कार्यस्थानमे महिला कर्मचारीक संग यौन दुर्व्यवहारकेँ रोकबाक हेतु माननीय उच्चतम न्यायलयक दिशानिर्देश आ संसद द्वारा पारित कानूनक अछैत महिला कर्मचारी सभक एहि प्रकारक समस्याक अंत नहि भए सकल तँ तकर कारण मूलतः हमरा लोकनिक समाजक पितृसत्तात्मक सामाजिक संरचना आ ताहि सँ उत्पन्न पुरुष श्रेष्ठताक भाव अछि। अस्तु,एहि समस्याक निदानक हेतु जरूरी अछि जे पुरुषक मोनमे महिलाक प्रति सम्मानक भावना हो । जे देश हजारों बर्खसँ नारी शक्तिक प्रतिरूप दुर्गा माताक आराधना करैत रहल अछि ताहिठाम से भाव होएब कोनो कठिन नहि हेबाक चाही ।


ब्रह्मस्थानक इसकूल


ब्रह्मस्थानक इसकूल



जीवनक किछु घटना मोनपर अमिट निसान बना दैत अछि ,जे रहि-रहि कए मोन पड़ैत रहैत अछि । जकर प्रभाव संपूर्ण व्यक्तित्वपर परैछ । एहने घटना छल हमरसभक नेन्नामे गामक ब्रह्मस्थानक इसकूल गेनाइ।
 गाममे सभसँ पछबारी कात पोखरिक भीरपर पीपरक गाछ छल। ओ गामक ब्रह्म बाबा छलाह आ छथिहो । अखनो ओतए लोकसभ कबुलाक बाद दुधक ढार दैत अछि । सालमे एकबेर ओतए महादेवक पूजा होइते अछि । आब तँ नबाह सेहो प्रायः सभसाल होइत अछि। कालक्रमे ओहिठाम काली मंदिरक निर्माण भए गेल अछि । दीयाबातीक दिन ओतए बेस धूमधामसँ कालीक पूजा कएल जाइत अछि । पहिने ओहिठाम खोपड़ीमे एकटा इसकूल चलैत छल जाहि मे गामभरिक नेन्नासभ प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करैत छल । ओ इसकूल स्वर्गीय पण्डित अदिष्ट नारायण झा(बच्चू बाबू) व्यक्तिगत रूपसँ चलबैत छलाह । ओहि इसकूलक जतेक प्रशंसा कएल जाए से कम होएत ,कारण  ओकरे बदौलत हमसभ शिक्षाक प्रथम अध्याय पूर्ण कए सकलहुँ ।
 गामक तीस-चालिसटा नेन्नासभ ओहि इसकूलमे पढ़ैत छलाह । एक-एक विद्यार्थीपर मास्टर साहेबक नजरि रहैत छलनि । कोनो विद्यार्थी जँ पढ़ाइमे कोताही केलक किंवा इसकूलमे कोनो अनुशासनहीनता केलक तँ ओकर सिकाइत माता-पिता धरि अवश्य होइत छलैक मुदा विद्यार्थीक शारीरिक दण्ड देबाक प्रथा ओतए नहि छल ।
हमरा मोन पड़ैत अछि जे एकदिन हम इसकूल नहि गेल रही । ओहि समय हम दूसरा वा तीसरा किलासमे रहल  होएब । मास्टर साहेब इसकूलक चारिटा विद्यार्थीकेँ हमरा आनबाक हेतु पठओलथि । इसकूलक विद्यार्थी हमरा लेबए अएलाह अछि,से जानि हम बारीमे केराक गाछसभक बीचमे नुका गेल रही । फेर हमरा ताकल गेल आ ओ सभ लादि कए हमरा इसकूल लए गेलाह । रस्ताभरि ओ सभ हमरा रहि-रहि कए बिठुआ कटैत रहलाह ,जाहिसँ हम परेसान होइत रहलहुँ ।  ओ सभ हमरा ओना लादि कए किएक लए गेलाह से नहि बुझि रहल छी । भए सकैत अछि जे हम ओना जेबासँ मना कए देने होइऐक । पाछू-पाछू हमर बहिन गेल रहथि जाहिसँ मास्टर साहेब हमरा मारथि नहि । जे-से, मुदा ओ घटना एखनधरि हमरा मोनमे गड़ल अछि।
ब्रह्मस्थानक ओहि इसकूलमे मात्र एकहिटा शिक्षक छलाह-बच्चूबाबू(स्वर्गीय पण्डित अदिष्ट नारायण झा ) । कतेक नियम-निष्ठासँ ओ नेन्नासभकेँ पढ़बैत छलाह तकर वर्णन करब मोसकिल । भोरे प्रार्थनासँ इसकूलक कार्यक्रम प्रारंभ होइत छल । विद्यार्थीसभक हाजिरी लेल जाइत छल । एकहि खोपरीमे चारिटा किलास कोना चलैत छल आ एक्केटा मास्टर एकहि संगे चारू किलासक नेन्नासभकेँ कोना सम्हारैत छलाह से सोचि आश्चर्य लगैत अछि । मुदा एतबा मोन अछि जे हमसभ इसकूलमे निरंतर व्यस्त रहैत छलहुँ । कोनो प्रकारक अनुशासनहीनताक सबाले नहि छल । कहिओ काल गीत-नाद सेहो होइत छल । इसकूलसँ छुट्टीक पहिने खाँति सामुहिक रूपसँ सभ विद्यार्थी दोहरबैत छलाह। निरंतर चलैत एहि अभ्याससँ हमरासभक खाँति कंठाग्र भए गेल छल जे आगा चलि कए अंकगणितमे बहुत सहायक भेल ।
इसकूलक महत्वपूर्ण कार्यक्रममे छल-शनिदिनक शनिचरीक कार्यक्रम । सभ विद्यार्थी अपन-अपन घरसँ अरबा चाउर अनैत छलाह,गुंड़ अनैत छलाह आ  इसकूलमे ओकरासभकेँ पानिमे फुलाकए पूजाक हेतु प्रसाद बनाओल जाइत छल, तकर बाद पूजा कएल जाइत छल । एकमुठ्ठी पूजाक प्रसादक सभ विद्यार्थीकेँ देल जाइत छल । इसकूलक सभविद्यार्थीक एहिमे सहभागिता रहैत छल । ओहिदिन इसकूलक चहल-पहल देखएबला रहैत छल । आब सोचैत छी जे एतके छोट कार्यक्रम आ एतेक कम लागतमे केना विद्यार्थीसभ एतेक आनंन्दित होइत चलाह,उत्सव मनबैत छलाह?  एकटा आओर जे मनोरंजक कार्यक्रम होइत छल से गणेश चतुर्थीक अवसरपर विद्यार्थीसभ द्वारा गाममे घुमि-घुमि कए ठाम-ठाम "गणेशजी,गणेशजी करे कराम...करैत पूजाक हेतु चंदा एकठ्ठा करब । धियापूताक मोन -कोनो कनीकोटा नव बातमे सभ प्रशन्न भए जाइत छल । आइ-काल्हि जकाँ बेसी सुविधा संपन्न आ अपेक्षाबला समय तँ रहैक नहि । तैँ जएह-सएहसँ बच्चासभ आनंदित भए जाइत छल ।
आइ -काल्हिक सुविधा संपन्न इसकूलक हिसाबे तँ ब्रह्मस्थानक ओहि इसकूलमे किछु नहि रहैक । घरक नामपर एकटा फूसक खोपड़ी रहैक । बैसबाक हेतु माटि रहैक । खेलेबाक हेतु सेहो पर्याप्त जगह नहि रहैक । ओहि इसकूलमे  मास्टरकेँ लिखबाक हेतु बोर्डो नहि छल । कोनो पुस्तकालय नहि छल । अभिवावकसभ सेहो शुभानअल्ला। के पढ़ि रहल अछि,के नहि ,नेन्ना इसकूल गेल कि नहि तकरो साइते ध्यानमे रहैक । तखन रहैक कि जे ओ इसकूल सालक साल चलैत रहल आ कैटा बहुत प्रतिभाशाली व्यक्तिक सृजन केलक? ओहिमे छलैक एकटा अद्भुत व्यक्तित्वक शिक्षक-बच्चूबाबू। साधारण लिबासमे , हाथमे एकटा डायरी लेने ओ नित्य समयपर इसकूल पहुँचि गाम-घरक नेन्नासभमे ज्ञानक ज्योति जगबैत रहैत छलाह। हमरा मोन नहि पड़ैत अछि जे ओ कहिओ कोनो विद्यार्थीकेँ मारि-पीट केने होथि,प्रताड़ित केने होथि । कहि ने हुनकर बातमे कोन जादू छल जे नेन्नासभक मोनकेँ घींचि लैत छल । खेल- खेल मे चारि किलास हमसभ मात्र दूसालमे पास कए गेल रही । शिक्षाक प्रति एहन समर्पण आइ-काल्हि डिबिआ लए कए ताकब तँ नहि भेटत। दुखक बात अछि जे एहन समर्पित व्यक्तिकेँ समाजसँ किछु नहि भेटल । ओ एकतरफा अपन काजमे लागल रहलाह जाहिसँ गामक कतेको विद्यार्थीक जीवन बनि गेल जाहिमे हमहु सामिल छी ।
जा धरि बच्चू बाबू अपन प्रयाससँ इसकूल  चला सकलाह ताबे ओ इसकूल चलल । बादमे आर्थिक विवशतासँ मजबूर भए ओ गाम छोड़ि कलकत्ता चलि गेलाह । ओ इसकूल टुटि गेल । नेन्नासभ आस-पासक दोसर इसकूलसभमे चलि गेल । बादमे ओ गाम घुरि अएलाह । तखन गामक संस्कृत विद्यालयमे शिक्षक भए गेलाह । मुदा दुर्भाग्यक बात जे ओहि संस्कृत विद्यालयमे विद्यार्थीसँ बेसी मास्टरे छलाह आ खानापूरीक हेतु जहाँ-तहाँसँ विद्यार्थीक नाँओ लिखि देल जाइत छल । विद्यार्थीसभ कै बेर उत्तरमध्यमाक साटीफिकीट लेबाक हेतु ओहि ठामसँ परीक्षाक फार्म भरैत छलाह आ पासो भए जाइत छलाह । कहि नहि आब ओहि संस्कृत विद्यालयक की हाल अछि?
इसकूलमे विद्यादानक अतिरिक्त गाम-घरमे होबएबला पूजा-पाठमे सकृय रहैत छलाह । कोनो शुभ काजक हेतु दिन तकेबाक होअए तँ बेसी लोक हुनके ओतए जाइत चल कारण  ओ बहुत व्यवहारिक रुखि रखैत छलाह आ दिन तकबामे ग्रह,नक्षत्रक संगहि लोकक सुविधाक पर्याप्त समावेश करैत छलाह । कोनो विषयपर वाद-विवादमे अपन पक्ष बहुत जोरदार ढ़ंगसँ रखैत छलाह । एकबेर हमर गाम अरेरक उच्चारण की सही अछि ताहि विषयपर हुनका चौकपर जबरदस्त वाद-विवाद करैत देखने रहिअनि जे अखनो मोन पड़ैत रहैत अछि। सही मानेमे ओ वहुआयामी व्यक्तित्वक बहुत विनम्र आ विद्वान व्यक्ति छलाह जे जीवन पर्यन्त कोनो-ने-कोनो रूपमे समाजक सभदिन सेवा करिते रहलाह ।
दूसाल पूर्व माऐक श्राद्धक कर्म करबाक हेतु हम ब्रह्मस्थान जाइत छलहुँ । बेर-बेर पुरना समय मोन पड़ैत छल। आब समय बदलि गेल । गामक ब्रह्मस्थानमे काली मंदिर बनि गेल । लगीचेमे सरकारी प्राथमिक विद्यालय खुजि गेल । ओहिमे कैटा मास्टरक बहाली भेल अछि । गामक कतेको विद्यार्थिसभ ओहिठाम पढ़ैत छथि । सरकारी योजनाक तहत ओहि विद्यालयमे दुपहिरआक भोजन सेहो भेटैत अछि । तथापि आब ने ओ रामा ने ओ खोटाला । एतेक सुविधाक अछैतो ओहिठाम ओ चुहचुही नहि बुझाएल । अफसोचक बात अछि जे  लोक सभ बच्चूबाबू सन परोपकारी विद्वानक किछु  नहि कए सकल। से जे होइक मुदा हुनकर उपकारसँ हमहीटा नहि,अपितु ओहिसमयक अनेको विद्यार्थीक जीवन बनि गेल ।  से सभ हुनका कहिओ नहि बिसरि सकत । हमरा अखनो मोन अछि जे वृहस्पतिदिन कए हमर दरबाजापर ओ हमरा भट्ठा धरओने रहथि। हमर माता-पिता सहित पितामह ताहि समय ओतए रहथि आ कतेक प्रशन्न भेल रहथि । एहन महान विभूतिक स्मृतिकेँ सत-सत नमन!