मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

अगरतलाक यात्रा




 



अगरतलाक यात्रा


उत्तरपूर्व भारतमे कोनोठाम जेबाक छल। ताहिमे अगरतलाक जेबाक चुनाव बहुत सोच-विचारक बाद कयल, कारण ओहि समय आस-पासक आन राज्य सभमे अशान्ति छल। सिक्किम जा सकैत छलहुँ। ओहिठाम जोगारो छल मुदा कनी दुरुह बुझायल। अन्ततोगत्वा हम श्रीमतीजीक संग कलकत्ता होइत अगरतला विदा भेलहुँ। बीचमे कलकत्ता हवाइ अड्डापर जहाजक बदली रहैक। करीब २-३ घन्टाक समय लागि गेल। तखन बोर्डीग शुरू भेल। ओहि बीच कलकत्ता हवाइ अड्डापर बैसल रहलहुँ। गप्प-सप्प करैत रहलहुँ। अखबारक पन्ना उनटबैत रहलहुँ। ओतबे कम समयमे हवाइ अड्डासँ बाहर जायब, कतहुँ भेँट-घाँट करब सम्भव नहि बुझायल। तँए ओहीठाम टाइमपास कयल। थोड़बे कालक बाद हम सभ जहाजमे बैस गेल रही आ देखिते-देखिते जहाज उड़ि गेल।

अगरतला हवाइ अड्डा अगरतला शहरसँ १२ किलोमीटर दूरीपर अवस्थित अछि। अखन ओहीठामसँ मात्र अन्तरर्देशीय उड़ानक व्यवस्था अछि। एहिठामसँ अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानक हेतु काज चलि रहल अछि। एयर इण्डियाक अलावा इन्डीगो एवम् स्पाइस जेटक विमान अगरतलासँ दिल्ली सहित देशक अन्य भागक हेतु नित्य उड़ैत अछि। आगा एकटा अन्तर्राष्ट्रीय उड़ान हेतु विकसित करबाक योजना अछि।

अगरतला हवाइ अड्डासँ बाहर निकलिते हमरा लोकनिक स्वागत हेतु स्थानीय सरकारी अधिकारी ठाढ़ छलाह। हुनका संगे ओहिठामसँ सोझे अतिथि गृहमे पहुँचलहुँ जाहिठाम हमरा सबहक ठहराबाक व्यवस्था कयल गेल छल। हमरा लोकनिकेँ राजकीय अतिथिक सुबिधा देल गेल छल। अस्तु ठहरबाक अतिरिक्त घूमबाक हेतु गाड़ी, घुमाबक हेतु स्थानीय अधिकारी उपलब्ध छलाह। बीच-बीचमे वरिष्ठ अधिकारी सेहो हाल-चाल लैत छलाह।

अगरतला वा आस-पासक क्षेत्र कोनो देहात सन लगैत छल। कतहु-कतहु तऽ बहुत फटेहाल लोक सभ देखबामे आबथि। केरल जकाँ ओहिठाम यूनियन सभक दबदबा छल। तथापि उत्तर-पूर्वक आन राज्यक अपेक्षा एहिठाम महौल शान्त छल।

त्रिपुराक घूमबाक क्रममे हम सभ भारत बंगलादेश

सीमापर पहुँचलहुँ। ओहिठाम चेकपोस्टपर भारतीय वो बंगला देशक सीमाबलक अधिकारी सभ तैनात छलाह। तय व्यवस्थानुसार किछु समय तक व्यापारी सभ हेतु सीमामे प्रेवेशक सुबिधा देल जाइत छल जाहिसँ बांगलादेशसँ प्रचूर मात्रामे माछ, आर-आर समान सभ अगरतलाक बजारमे अबैत छल।

हम सभ एकदम सीमासँ सटल अन्तिम स्थानपर बनल बैसक तक गेलहुँ। हमरा सभक नीक आब-भगत भेल आ आसपासक स्थितिक बारेमे विस्तृतसँ जानकारी सीमा सुरक्षावलक अधिकारी दैत रहलाह। कनीकालक बाद हम सभ सीमाक कातेकाते किछु दूर धरि टहलैत-टहलैत गेलहुँ। सीमापर तारक घेराबा देल अछि। कतहु-कतहु जबान सभ हथियार लेने मुस्तैद रहैत छथि। हुनका सभसँ गप्प-सप्पक क्रममे बुझायल जे किछुकाल कऽ गेटकेँ खोलि देल जाइत अछि जाहिसँ बंगलादेशी सभ भारतीय हिस्सामे किंवा नोमैन्स लैन्डमे पड़ल अपन जमीनमे खेत-बाड़ी करैत छथि आ साँझमे किंवा काज खतम होइते आपस चलि जाइत छथि। ओही क्रममे एकटा जवान ईहो कहलक जे ओकरा सभकेँ बंगलादेशी फौज वा सीमावलपर जबाबी कार्यवाइमे कोताही करय पड़ैत अछि जाहि कारण सीमापर स्थिति कैबेर प्रतिकूल भय जाइत अछि। किछुए दिन पूर्व भारतीय सीमा सुरक्षावलक किछु जवानकेँ बंगलादेशी फौज क्षत-विक्षत कय देने रहैक जाहिसँ ओ सभ उद्वेलित बुझेलाह।

अगरतलासँ ५५ किलोमीटर दूरीपर भगवती त्रिपुर सुन्दरीक मन्दिर अछि। ओहि इलाकाक ई प्रसिद्ध मन्दिर अछि। अहिठाम सतीक दहीन पैर खसल छल। मन्दिरक निर्माण महाराजा धन्य मापिक्य द्वारा सन् १५०१ ई.मे कयल गेल छल। किछु साल पूर्व सम्पूर्ण मन्दिर परिसरक जीर्णोद्धार कयल गेल छल।

एहिठाम भगवतीक मन्दिरक आकार-प्रकार कछुआ जकाँ अछि जाहि कारणसँ एकरा कूर्मा पीठ सेहो कहल जाइत अछि। एहिठाम प्रसादक रूपमे शुद्ध दूधक बनाओल पेड़ा होइत अछि जे खाइते बनैत अछि। परिसमे प्रसादक कैटा दोकान अछि। ओहिमे छात्रास्वरि पेड़ा भण्डार बहुत लोककेँ पसन्द अछि। दीयाबातीक समय अहिठाम जबरदस्त मेला लगैत अछि जाहिमे दूर-दूरसँ लाखो लोक एहिमे भाग लैत छथि। बंगलादेशसँ बहुत रास हिन्दू परिवार सेहो एहि अवसरपर अबैत छथि।

हमरा लोकनि एहि मन्दिरक बारेमे पहिने नहि जनैत रही। स्थानीय लोक सभक मादे एकर गुणगान सुनि हम सभ एतय पहुँचलहुँ। एहिठाम अयलाक बाद मोन आनन्द भय गेल। चारूकात स्वच्छ वातावरणमे माताक आराधना करबाक हमरा लोकनिकेँ परम सौभाग्य भेटल।

मन्दिरमे बहुत अधिक मात्रामे बलि प्रदानक परम्परा अछि। मन्दिरमे साढ़े छह एकड़मे कल्याण सागर सरोवर अछि। एकर निर्माण महाराजा कल्याणमल माणिक देव वर्मा सन् १५०१ ई.मे करौने रहथि।

कहल जाइत अछि जे मन्दिरमे पूजाक हेतु त्रिपुराक राजा कन्नौजसँ पुजारी बजबौने रहथि। लक्ष्मी नारायण पाण्डेय ओ गदाधर पाण्डेय नामक दूटा पुजारी परिवार सहित ओहीठाम बसि गेलाह। आब ओहि परिवारक कुनबा बड़ीटा भय गेल अछि आ अखनो वैह सभ एहि मन्दिरमे पूजा-पाठ करैत छथि यद्यपि एहि मन्दिर एवम् ओकर परिसरक व्यवस्था आब त्रिपुरा सरकारक हाथमे आबि गेल अछि। त्रिपुरा सरकार एहि हेतु आर्थिक योगदान सेहो दैत अछि। यात्रीक ठहरबाक हेतु त्रिपुरा सरकार द्वारा गुनावती यात्री निवासक निर्माण कराओल गेल अछि।

अगरतलाक आस-पास एकटा अबश्य दर्शनीय स्थानमे सँ अछि नीरमहल। ई अगरतलासँ ५५ किलोमीटरक दूर अवस्थित अछि। ई महल राजा वीर विक्रम किशोर माणिक्य बहादुर द्वारा १९३०-३८ ई.मे बनाओल गेल छल। नीरमहल रूद्रसागर तालसँ घेराएल अछि। एहि महल तक जेबाक हेतु तालक कछारमे नाव भेटैत अछि। त्रिपुरा सरकारक ओहिठाम होटल अछि जाहिमे यात्रीगण रहि सकैत छथि। एहि तालमे तरह-तरह केल जलपक्षी सभ देखबामे अबैत अछि। दिनमे ९ बजेसँ ५ बजे साँझ धरि ई महल यात्रीक हेतु खूजल रहैत अछि। मुदा दुपहरियाक बाद गेनाइ बेसी नीक, कारण ताबे समस्त सुविधा सक्रिय भय जाइत अछि।

सम्पूर्ण भारतमे एहि तरहक मात्र दूटा जलमहल अछि। एकटा यैह आ दोसर राजस्थानक जलमहल। नीरमहलमे२४ टा कोठरी अछि। ई दू भागमे बँटल अछि। एक भागकेँ अन्दरमहल कहल जाइत अछि जाहिमे पारिवारिक सदस्य एवम् रानी रहैत छलीह आ दोसर पूवक भागमे नाचगान हेतु रंगशाला अछि। महलक अन्दरेसँ तालमे राजपरिवारकेँ जेबाक रस्ता छल। एहि महलकेँ बनेबाक उद्देश्य गर्मी समयमे सुखद वातावरणमे रहबाक व्यवस्था करब छल। महलक अन्दर घुमैत-घुमैत भवन निर्माणमे प्रवीणताक अनुभव होइत अछि। एतेक खर्च ओ परिश्रमसँ बनाओल गेल एहि महलकेँ वर्तमानमे दशा दायनीय अछि, कारण एकर रखरखावक उचित व्यवस्थाक अभाव सुनियैक जे त्रिपुरा सरकार एकरा अधिग्रहण करबापर विचार कय रहल अछि जाहिसँ एकरा सुरक्षित राखल जा सकय। 

नीरमहलसँ आपस अयलाक बाद हम सभ ओहीठाम सरकारी अतिथि गृहमे विश्राम कयलहुँ। भोजन-भातक उत्तम व्यवस्था तऽ छलहे। तकर बाद आपस हम सभ अगरतला अपना बासापर आबि गेलहुँ। प्रात भेने अगरतला शहरक प्रमुख-प्रमुख स्थान सभ देखबाक कार्यक्रम छल।

अगरतला शहर शान्त ओ स्थिर लगैत रहैत अछि। कैटा छोट-मोट सभ सेहो देखबामे आयल। अबैत-जाइत चाहक बगान सेहो देखबामे आयल। भूतपूर्व राजा सभहक राजमहल विजयन्त पैलेस आब एक आकर्षक संग्रहालय अछि। एहिमे भूतपूर्व राज परिवारसँ जुड़ल अनेको चीज वस्तु देखबाक अवसर भेटत। ई महल त्रिपुराक महाराजा राधा किशेर माणिक्य द्वारा १८९९ सँ १९०१ ई.क बीच बनाओल गेल छल। विजयन्त पैलेससँ सटल एकटा सुन्दर तल अछि जकर काते-काते मुगल गार्डेन अछि। ई भवन त्रिपुरा सरकार द्वारा १९७२-७३ ई.मे राज परिवारसँ कीनल गेल।

एकर बाद अगरतलाक जगन्नाथ मन्दिरमे दर्शन कयलहुँ। एहि मन्दिरक भव्यता अवर्णनीय अछि। त्रिपुराक राज परिवार द्वारा बनाओेल गेल ई मन्दिरक वस्तुकला अद्भुत अछि। मन्दिरमे प्रसादक उत्तम व्यवस्था अछि। सायंकालक आरतीक दृश्य बहुत मनमोहक होइत अछि।  एहिठाम हम सभ कनीकाल बैसि डेरा आपस आबि दिल्लीक हेतु वायुयानसँ विदा भय गेलहुँ। रस्तापर ओहिठाम कयल गेल अतिशय एवम् सुविधा पूर्वक भ्रमण मोन पड़ैत रहल।



हम बौक छी




 


हम बौक छी


पाकड़ी गाछ तर ओ पसीना पोछि रहल छल। आगा-पाछा ओकर क्यो नहि छलैक। अगसरे छल। रोज भोरे उठैत छल आ साँझ धरि परिश्रम करैत छल। बदलामे किछु अन्न-पानि भेटि जाइ छेलैक। दुपहरियामे जहन कनेक उसास होइक तँ गामक जे पूव दिस पाकरिक गाछ छेलैक ओकरे छाहरिमे बैसि पसीना पोछय लगैत छल। दस साल उम्र ओकर हेतैक। पता नहि, कहिया ओकर माए-बाप मरि गेलैक। ओकरे संगतुरिया सभ कैटा छैक जे स्कूल जाइत रहैत छैक। माए-बाप सभ ओकरा रंग-बिरंगक कपड़ा कीनि दैत छैक। किताब कीनि दैत छैक। केहन भागबंत छैक ओकर संगी सभ। सैह सभ अर्र-दर्र ओ सोचैत रहि जाइत अछि।

पता नहि अखन धरि कतेक मालिक ओहिठाम ओ काज केने अछि। जतहि गेल ओतहि लात-जुत्तासँ स्वागत भेलैक। मुदा ओ की कय सकैत छल? पेटक सबाल छलैक। जाधरि सहि सकैत छल, सहैत छल। आ कहियो चुप्पे भागि जाइक। पाछू लागल मालिक गरजैत उठैत छलैक। जेना-तेना कऽ ओ अपन पेट पोसैत गेल। आगा बढ़ैत गेल। जीबनक एक-एक दिन एकटा उपलब्धि जकाँ बीतैत गेलैक। क्रमश: ओ जवान भय गेल। एमहर सरकार नया-नया स्कीम सभ लागू केलक अछि। गाम-गाममे बैंक सभ खुजि गेलैक अछि। एक दिन ओहो बैंक गेल आ मनेजर साहेबक आगू उचिती-विनती केलक। मनेजर साहेब ओकरा एकटा रिक्सा कीनि देलखिन्ह।

ओकरो नाम मनेजरे छलैक मुदा गामक लोक मनेजरा कहैत छलैक। मनेजरा रिक्सा चलबय लागल।रोज दससँ पन्द्रह रूपया आमदनी भय जाइत छलैक। ठाठसँ जिनगीक गाड़ी सरकय लगलैक।

मनेजर राय लिखल रहैक रिक्सापर। भोरे उठय मनेजरा आ घण्टी बजबैत दनादन निकलि पड़य। मनेजराक प्रतिष्ठा अमतटोलीमे बढ़य लगलैक। कैटा कथा सेहो ओकरा बियाहक लेल आबय लगलैक। आ अन्ततोगत्वा मनेजरा बियाह कय लेलक। गामसँ पाँच कोस पच्छिम सासुर छलैक। अमन-चैन भऽ गेल रहैक ओकर जिनगीमे। भोरे छह बजे रिक्सा लऽ कऽ विदा भऽ जाइत आ साँझमे सात बजे एक ढेरी कैंचा लेने आपस होइत। मुदा ओकर ई जिनगी बेसी दिन नहि चलि सकलैक।

सात-आठ बर्ष पहिने ओ फूल बाबूसँ दसटा टका पैंच लेने छलैक। संयोगसँ वो पैसा आइ धरि आपस नहि भय सकल छलैक। ओकर हालतमे सुधार देखि गौवा-घरूआ सभ अनेरे ओकरासँ जरय  लागल छलैक। ओहि दिन साँझमे लौटल छल। बेस आमदनी भेल रहैक। घर पहुँचले छल कि फूल बाबूक गर्जन सुनेलैक-

मनेजरा छेँ, मनेजरा छेँ?”

की है मालिक।

तों अपन हिसाव-किताव किएक नहि फड़िछा रहल छेँ।

कोन हिसाब?”

कोन हिसाब! केना बजैत अछि जेना एकरा किछु बुझले ने होइक। दस बर्ख भऽ गेलौ ओहि रूपयाकेँ। कहियो देबाक सुधि अयलौक? सुदि समेत ओकर आब पाँच सौ रूपया भऽ गेल अछि! काल्हि भोर तक रूपया चूका दे नहि तँ...।

मनेजरा तामसे बुत्त भऽ गेल। नहि सहि भेलैक ई सरासर अन्याय ओ बैमानी। तामसमे ओहो गरजय लागल-

होशमे बात करू मालिक..! बुझलौं जे बड़ रूपयाबला छी।

एतबा ओ बाजल कि फूल बाबू गरियायब शुरू केलखिन्ह। मनेजराकेँ सेहो पाइक गरमी रहबे करैक। ओ अत्याचारक प्रतिकार करब कर्तव्य बुझि गेल छल।

एहले-वैहले फूल बाबूकेँ गट्टा पकड़लक आ गर्दनियाँ दैत अपना दरबाजापर सँ भगा देलक।

फूल बाबू बेस तावमे आबि गेल छलाह। मैथिली छोड़ि हिन्दीमे गरजय लगलाह-

कल देख लेंगे। ऐसे-ऐसे कितने पाजी को मैंने ठीक किया हूँ।

जबरदस्त हल्ला गाममे बजरि गेलैक। चारूकातसँ लोक सभ दौड़लैक आ दुनू गोटेकेँ फराक कऽ देलक। फूल बाबू अर्ड़-बर्ड़ बजैत आपस अयलाह।

प्रात भेने मनेजरा पूर्व जकाँ रिक्सा निकललक। ठाठसँ ओकर सीटपर बैसल आ घण्टी टनटनबैत घरसँ विदा भेल। गामसँ बहरायल कि रिक्साक चालिकें तेज कए देलक । रिक्सा हवामे उड़य लगलैक। किछु दूर आगा बढ़लापर रस्तापर  जारनि राखल भेटलैक। मनेजरा रिक्सा रोकलक आ जारनिकेँ हटबय लागल। एतबेमे चारि-पाँचटा लठैत दन-दन कऽ दुनू कातसँ धानक खेतसँ बहरेलैक। दन-दन-दन। मनेजराक कपारपर लाठी पड़य लगलैक।

मनेजरा ठामहि खसि पड़ल। ओ लठैत सभ रिक्सा पकड़लक आ ओकरा मारि लाठीसँ, मारि लाठीसँ ओतहि खण्ड-खण्ड कय देलकैक। फेर पता नहि, ओ लंठ सभ केतय निपत्ता भऽ गेलैक। बहुत काल धरि मनेजरा एहिना अचेत बीच रस्तापर पड़ल रहल आ ओकर रिक्सा टुकड़ी-टुकड़ी भऽ कऽ बगलमे राखल रहैक। माथपर सँ खुन टपकैत रहैक आ मारिसँ सौंसे देह भुजरी-भुजरी भय गेल रहैक। धण्टा भरिक बाद एकटा रिक्साबला ओही रस्तासँ गुजरलैक।

मनेजराकेँ ओतय पड़ल देखि ओ सन्न रहि गेल। ओकरा रिक्सापर दूटा पसिंजर छलैक हुनका सभकेँ रिक्सेपर छोड़ि ओ उतरल। मनेजरा रिक्सा चलबैमे ओस्ताद भय गेल छल आ तेँ रिक्साबला ओकरा 'गुरु' कहि कऽ बजबैत छलैक। 'गुरु'क ई दशा के केलक? किछु काल धरि ओ रिक्साबला क्षुब्ध रहल। आ तकर बाद जेना ओकरा अकिलमे समटा फुराय लगलैक। धराक दय मनेजराकेँ रिक्सापर लदलक आ आपस अस्पताल दिसि रिक्साकेँ तेजीसँ लबय लागल।

मनेजरा तीनि दिन धरि लगातार अस्पतालमे पड़ल रहल। ऑक्सीजन देल गेलैक। बहुत रास दवाइ-दारू करय पड़लैक। चारिम दिन साँझमे ओ आँखि खोललक। होश अबिते अपन रिक्साकेँ खोजय लागल। मुदा क्यो किछु नहि कहलकै। मनेजरा फेर चुप्प भऽ गेल। अस्पतालमे ओकरा एक मास समय लागि गेलैक। गामपर बच्चा सभ अन्न-पानिक अभावमे मरइमान रहैक। घरवाली मालिक सभबहक आंगनमे काज कऽ कऽ गुजर करैक। मुदा जाहि दिन मनेजरा आपस अस्पतालसँ अयलैक तँ ओकर घरवाली खुशीसँ दौड़ए लगलैक।

मनेजरा घुरि तँ आयल मुदा ओकर वाया पैर नेंगराय लाल छलैक। रिक्सा थकूचल गेल रहैक। तेँ आगा कि करय से नहि फुरा रहल छलैक। घरमे दूटा बच्चा सेहो भय गेल छलैक। सभ अन्न बिना रोगा रहल छलैक। मनेजराकेँ डाक्टर मास दिन आराम करबाक परामर्श देने छलैक। मुदा घरक परिस्‍थिति देखिकय ओकरा बैसल नहि गेलैक।

मनेजरा साहस केलक आ आंगनसँ निकलल। नेरकम करय गेल रहैक। मुदा जाए तँ कतय ? टांग टुटि गेल छलैक। रिक्सा थकुचायल राखल छलैक। गाममे मात्र फूले बाबू लहनाक कारोबार करैत छलाह। की  करए? झख मारि कय फूल बाबूक ओहिठाम पहुँच गेल।

ओकरा अखन धरि नहि बुझल छलैक जे ओकर घरवाली फूले बाबूक ओतए काज करैत छैक। फूल बाबू ओकरा बेश ख्याल करैत छलखिन्ह।

ओकर घरवालीक नाम सुनरी छलैक। तेहने गुणो छलैक। मुदा सौन्दर्य गरीबीसँ दागल छलैक। फूल बाबूक कहि ने कहियासँ ओकरापर नजरि गरि गेल रहन्हि। 

मनेजरा पहुँचते फूल बाबूकेँ सुनरीसँ असगरेमे हँसी-ठठा करैत देखि लेलक। ओ कतहुँ दोगमे नुका गेल आ तमासा देखए लागल। सुनरी नै नै करैत रहलैक। मुदा फूल बाबूक आक्रमकता बढ़ले गेलन्हि। एहिसँ आगू मनेजराकेँ देखबाक शक्ति नहि रहि गेल रहैक। प्रत्याक्रमणक सामर्थ्य नहि रहैक। तेँ ओ चोट्टे घुरि गेल आ घरमे आबि कऽ धराम दऽ खसल। किछु बाजल नहि होइक।ओ बौक भए गेल।

२५.१०.१९८४