तुषारपात
सभागाछीसँ बरक
सिद्धान्त लिखा कए आबि गेल छलैक। सौंसे गाम हँगामा भए गेलैक। हीराबाबूक बेटीक बिआह
आइ.ए.एस. आफिसरसँ हेतैक। बाप हो तँ एहन। लाख रूपैआ तिलक लगलैक।
हीराक बाप शीतल बाबू
नामी ठीकेदार छलाह। एक मात्र सन्तान एक बेटी छलखिन। कतेको बरखसँ बरक खोजमे भिरल
छलाह मुदा कतहुँ किछु दोष तँ कतहुँ कोनो दोष। ओहि दिन पुरबारि गाम दिस विदा भेल
छलाह कि रस्तामे अचानक किछु गोटेसँ परिचय भए गेलनि। वैह सभ ओ लड़काक परिचय देलकनि।
लड़का जहिना देखैत सुन्नर तहिना सौम्य स्वभाव । शीतल बाबू तय कए लेलाह जे जान रहए
कि जाय मुदा ई काज करक अछि।
अन्तोगत्वा एक लाख
टकापर गप्प गेल। पन्द्रह जुलाईक दिन सेहो निश्चित भेल। बड़ उत्साहसँ विवाहक विधि
सभ पूर्ण भेल ओ शीतल बाबूक ओहिठामसँ चौगामा लोककेँ हकार देल गेल।
हीरा बाबू नीलिमाक
विवाहक चर्च इलाका भरिमे पसरि गेल। जकरे
देखू सैह ओहि विआहक चर्च करैत छल। विआहक चारि-पाँच दिकनक बाद हीरा बाबू आइ.ए.एस.क
ट्रेनिंग करए चल गेलाह। बेस मौज कटलैक ओहि ट्रेनिंगमे। हीरा बाबू गोरनार ओ अतीव सुन्दर
ओ स्मार्ट छलाह। हुनक व्यक्तित्वमे अपूर्ण आकर्षण छलनि। बेस मौजी लोक छलाह एवम्
विचारसँ अत्याधुनिक।
आइ.ए.एस.क ट्रेनिंग
करैत-करैत वो एशो-आराम कए दुनियाँसँ पूर्ण परिचित भए गेल छलाह। ट्रेनिंग समाप्त
भेलापर हुनकर पोस्टींग लखनउ शहरमे भेलनि। आधुनिकताक पयाप्त मिलान छल ओहि शहरमे।
हीराबाबूक दिन
दुगुन्ना ओ राति चौगुन्ना बढ़िते जा रहल छल। नीलिमाक पालन-पोषण संयत वातावरणमे भेल
छल। ठीकेदार साहेब यद्यपि सुखी सम्पन्न लोक छलाह, मुदा स्वभावसँ अतिशय संयत
छलाह। धिया-पुतापर हुनके संस्कारक छाप छल। नीलिमा जहिना देखैत सुन्दर छलीह, स्वभावो ओहिना
मिट्ठ। विआहसँ साल भरि पूर्वे वो स्नातकक परीक्षा प्रथम श्रेणीमे उत्तीर्ण केने
छलीह। विआहक बादसँ हुनक आभापर एक अपूर्व प्रशन्नताक सहज वोधगम्य भए रहल छल। यद्यपि
वो सभ काज पूर्ववते करैत छलीह। मुदा मोन सदिखन हुनकेपर टांगल रहैत छलनि।
ओमहर हीराबाबू
भोग-विलासमे नीलिमाकेँ बिसरि जकाँ गेलाह। प्रयोजने कोन छलनि जे वो नीलिमा हेतु
व्यग्र होइतथि। यौवानम्, धन, सम्पति, प्रभुत्व, अविदेकताक संग्रह छलाह। तखन कमिये कथीक रहितैक।
नीलिमाक आँखि चिर
प्रतीक्षासँ असोथकित भए गेल छलनि। एक दिन अपन मायकेँ संग कए हीराबाबूक डेरापर
स्वयं पहुँच गेलीह। डेरापर पहुँचिते ओतएसँ एकटा बेस सुन्दरिकेँ बाहर जाइत देखि
हुनकर माथा ठनकलनि। हीराबाबू ओकरे संग रूमसँ बहरायल छलाह। नीलिमाकेँ देख वो गुम्म पड़ि गेलाह। फेर बजलाह-
“हलो! नीलिमाजी। आउ, आउ। हम तँ अहींक
प्रतीक्षा कए रहल छलहुँ।”
किछु दिन हीराबाबूकेँ
नीलिमाक संग खूब नीक लगलनि। किन्तु मासक धक लगिते हीराबाबूक पुरना आदति सभ कारगर
होमय लगलनि। किछु दिन नीलिमा तँ चुप्प
रहलीह, किन्तु जहन मामला
हदसँ बाहर भए गेल तँ वो सोचलीह जे हीराबाबूकेँ बुझायल जाय।
“अहाँ एतेक राति धरि कतए
रहैत छी?”
“कतहुँ रहैत छी ताहिसँ
अहाँकेँ मतलब?”
“जरूर मतलव अछि! आखिर हम अहाँक अर्द्धांगिनी
थिकहुँ। अहाँक सुख-दुखमे हाथ बटायब हमर हक ओ कर्तव्य अछि।”
“टॉकिंग ननसेन्स!”
“हाइ ननसेन्स।” –नीलिमा सेहो तावमे
आबि गेल छलीह।
बाते-बातमे हीराबाबू
शराबक नशामे धुत एक चाटी चला देलखिन। नीलिमा ओतहि पसरल बेड सीटपर जा खसलीह। हीरा
बाबू दोसर कोठरीमे जाय किदनि बजैत आराम करए लगलाह। ओहि दिनसँ जे दुनू गोटेमे
शास्त्रार्थ शुरूआत भेल से अविरल चलिते रहल। घरक वातावरण कलहसँ नर्क भए गेल छल।
नीलिमा हीराबाबूकेँ सुधारक हेतु कृतसंकल्प छलीह ओ हीरा बाबू सेहो अपने रास्तापर
चलबाक हेतु अड़ल रहलाह। निरन्तर तनाव ओ कलहमे रहलासँ नीलिमाक स्वास्थ्य सेहो खसय लगलनि।
ओ एक मास धरि लगातार ज्वरसँ पीड़ित रहलीह।
नीलिमाक विमारीक खवरि
ठीकेदार बाबूक कान धरि पहुँचल। पहिने तँ हुनका विश्वासे नहि भेलनि मुदा जखन हुनका
नीलिमाक पत्र प्राप्त भेलनि तँ ओ गुम रहि गेलाह।
तेजस्वी, चंचल ओ सतत प्रशन्न
रहयवाली नीलिमा पीयर,
निस्तेज ओ शुष्क पड़ि गेल छलीह। किन्तु फटकियेसँ अपन पिताकेँ अबैत देखि जान-मे-जान
आबि गेलनि। ओ दौड़लीह आ अपन बापसँ स्नेहवश चिपकि गेलीह। ठीकेदार साहेबकेँ आश्रुपात
होमय लगलनि। हीराबाबूक कार सेहो संयोगसँ ओहि समयमे बाहरसँ आएल एवम् ओहीठाम ठहरल।
बाप-बेटीक एहि मधुर
मिलनक कोनो प्रभाव हीराबाबूपर नहि पड़ल आर वो ससुरकेँ बिना गोर लगने अपन निवास
स्थित कार्यालयमे दनदनाइत चल गेलाह। ठीकेदार साहेब बुजुर्ग छलाह। जीवनक रहस्यकेँ
नीक जकाँ बुझैत छलाह। हीरा बाबूक रंग-ढंग ओ नीलिमाक निस्तेज देहकेँ देखि ओ सही
स्थितिकेँ तुरन्त बुझि गेलाह। मोनमे भयंकर क्रोध होमय लगलनि। मुदा अपन आवेगकेँ वो
बेस मुश्किलसँ रोकलाह। फेर नीलिमाक संगे हुनकर कोठरी चलि गेलाह।
पता नहि, कतेक काल धरि ठीकेदार
साहेब नीलिमाक संगे बैसल रहलाह। स्नेह मिश्रित अपन गप्पसँ हुनका सुखी करैत रहलाह।
एहि गप्प सभसँ नीलिमाकेँ प्रर्याप्त मानसिक विश्राम भेटल। वो क्रमश: सुति रहलीह।
ठीकेदार साहेब एसगर पता नहि की की सोचैत रहलाह।
भोरे आठे बजे ओ
ओहिठाम पहुँचल रहथि। दुपहरियाक एक बाजि रहल मुदा हीरा बाबू अखन धरि ससुरक पुछारि
नहि केलाह। नीलिमाक संग भोजन कए ठीकेदार साहेब स्वयं हीरा बाबूसँ भेँट करए गेलाह।
हीरा बाबू अपन आवासीय कार्यालयमे फाइलक बीच डूबल छलाह। ठीकेदार साहेब हुनका देखि ठिठकि
गेलाह। मुदा हीरा बाबू अविचल रहि हुनक तिरस्कार करैत रहलखिन।
नीलिमा आगू बढ़ैत
कहलखिन-
“बाबूजी, अएलाह अछि।”
हीरा बाबू ठीकेदार
साहेबकेँ इसारा कए बैसबाक आग्रह कएलनि। ठीकेदार साहेब पुछलखिन-
“की हाल अछि?”
“ठीके। कोना अयलहुँ?” हीरा बाबू बाजि
उठलाह।
“ओहिना शहरमे किछु काज
छल। सोचलहुँ अहुँसँ भेँट केनहि चली।”
नीलिमाकेँ अपन पिताक
उपेक्षा नहि सहल गेलनि। ओ तमतमाइत अपन बापकेँ घिचने ओहिठामसँ उठि गेलीह। हीरा बाबू
पुन: फाइलमे डुवि गेलाह।
गाड़ी मधुबनी टीशनपर
आबि गेल छलैक। नीलिमाकेँ औंघी लागि रहल छलनि। ठीकेदार साहेब उठौलखिन-
“उठू नीसू उठू। मधुबनी
आबि गेल।”
नीलिमा उतरलीह। थाकल, झमारल। निस्तेज, उत्साहहीन, नीलिमाक एक्का जौं-जौं
गाम दिसि बढ़य लागल,
नीलिमाकेँ भूतकालक दृश्य सभ मोन पड़य लगलनि। कतेक दुलारू छली ओ। गामक लोक सभ जे
क्यो ओमहरसँ गुजरय,
नीलिमा दिस तकिते रहि जाय। जेहने सज्जन तेहने सुन्दरि । स्वभाव ओ गुणक अपूर्व समन्वय।
बापक एकलौता सन्तान। ठीकेदार साहेब जे किछु कमेलाह तकर प्रेरणा नीलिमेक छल। कतेक
गरीब छलाह वो। नीलिमा लक्ष्मी बनि कए आएल छलि हुनका ओतए। नीलिमाक जन्म होइतहि ओ
बढ़य लगलाह। मुदा आइ संगे-संग एक्कापर चलैत-चलैत ओहो गुम छलाह। गुमसुम। किछु कालमे
गाम आबि गेल। ठीकेदार साहेब ओ नीलिमा एकपेरिया रस्तापर अपन घर दिस बढ़ैत छलाह।
लगैत छलैन जेना हुनकर सभ आशापर तुषारपात भए गेल हो।