मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

सोमवार, 18 जनवरी 2021

हमर मात्रिक

 

हमर मात्रिक

हमर मात्रिक सिंघिआ ड्योढ़ी अछि । हमर नाना स्वर्गीय रामप्रसाद झा कमे बएसमे स्वर्गवासी भए गेल रहथि । हमर नानी स्वर्गीया उत्तमा ओजाइन जीवन भरि वैध्व्यक डंस सहैत रहि गेलीह । हमर माए हुनकर एकमात्र संतान रहथिन । हुनके मुँह देखि जीवि गेलीह । मुदा माएक बिआह बहुत जलदी (नओ वर्षक बएसमे) कए देल गेलनि । साल बरिक भीतरे हुनकर द्विरागमन सेहो भए गेलनि । एमहर हमर बाबाक सेहो एकहिटा संतान,हमर पिता(स्वर्गीय सूर्य नारायण मिश्र) रहथि । हमर दाइ बहुत सिनेहसँ अपन पुतहुक पालन केलथि । कहाँदनि कतेको साल धरि माए अपन नैहर नहि गेलीह । हमर दाइ अड़ि जाथिन । हमरा ई नहि बूझएमे अबैत अछि जे एतेक कम बएसमे माएक बिआह कए देबाक कोन धरफरी रहैक? तखन तँ बिना पिताक संतान रहबाक कारण  जे भेल से भेल । कहाँदनि हमर नानी बहुत विरोध केने रहथि । ओ चाहथि जे अखन बिआह नहि होइ । मुदा हमर पितिऔत नाना स्वर्गीय बौएलाल जा नहि मानलखिन । माएक भाइ(कंसी गामक) सेहो सएह विचारक रहथि । सभक कहब जे बर बहुत संपन्न छैक । एहन नीक बिआह नहि टारल जा सकैत अछि । फेर ओहि समयमे  कमे बएसमे बेटीक बिआह होएब कोनो नव बात नहि रहैक , ओना तँ होइते रहैत छल । बिआहक समयमे माए चौथामे पढ़ैत छलीह । बस ओतबे पढ़ि कए रहि गेलीह । हमर पिता ओहि समयमे बाइस वर्षक रहथि । वाटसन इसकूल मधुबनीक छात्र रहथि । गेनखेलीमे पारंगत रहथि । पारिवारिक स्थिति बहुत मजगूत रहनि । हमरसभक परबाबा(स्वर्गीय गुमानी मिश्र) इलाकाक प्रतिष्ठित जमींदार रहथि । कुलमिला कए इएल लगैत अछि जे बहुत संपन्न परिवारमे माए आ बाबूक जन्म भेल रहनि । बिआहक बादो ओ सभ बहुत दिनधरि संपन्नताक आनंद उठओने रहथि ।

हम पहिलबेर मातृक बाबूक संगे दरभंगा बाटे गेल रही । दरभंगा धरि बससँ गेलाक बाद ट्रेन पकड़ने रही । हमर ओ ट्रेनक पहिल यात्रा छल । पहिल बेर ट्रेनमे चढ़बाक आनंदमिश्रित आश्चर्यसँ अभिभूत रही । ओहि समयमे टेक्टारि टीसन नहि बनल रहैक । तेँ मोहम्मदपुर उतरि पिंडारुछ बाटे पैरे-पैरे हम आ बाबू मातृक पहुँचल रही । बीच-बीचमे जहन थाकि जाइ तँ बाबूसँ पुछिअनि-आब कतेक दूर छैक ?”

ओएह जे इजोत देखा रहल अछि ने,सएह छैक । आब कनीके दूर अछि ।

-से कहि ओ हमरा कोरामे लए लेथि । मातृक पहुँचलापर हमर जबरदस्त स्वागत भेल छल । नानीक प्रसन्नताक तँ अंते नहि छल । ओही आङनमे हमर पितिऔत नाना स्वर्गीय जीबछ झा रहथि । हुनकर परिवारमे सभगोटे हमरा बहुत रास टाका गोर लगाइ देने रहथि । प्रात भेने आओर फरिकेन सभक ओहिठाम सेहो गेल रही । हमर नानागाममे सभ संपन्न छलाह । बड़काटा दरबाजा छल । अफसोचक बात जे दरबाजाक हमर अपन नानाक हिस्साबला भागमे पोस्ट आफिस खोलि देल गेल रहैक ।

हमर समय ओतए बहुत नीकसँ बीतल । किछु दिनक बाद हम बाबूक संगे अड़ेर डीह वापस भए गेल रही । तकर बाद एकबेर आओर हम मात्रिक गेल रही । ताबे टेक्टारिमे रेलक अस्थायी ठहराव(हाल्ट) भए गेल रहैक । ओहि समयमे हमर नानीक सासु आ दियादनी जीविते रहथि । तकर बाद हम ओतए नहि जा सकलहुँ । आब तँ तकर साठि सालसँ बेसी भए गेल होएत । कहि नहि आब ओहिठामक की हाल अछि?

आलम


 

आलम

हम मधुबनीक मकान बनाबएक क्रममे बहुत रास जन-बोनिहारक संपर्कमे अएलहुँ ।सन्१९८८मे शुरु भेल मकानक काज सन्२०१४मे समाप्त भेल । तकर बादो केकटा जरुरी काज रहबे करए । ताबे सन्२०१६मे मकान बिकाइए गेल । ओहीक्रमे हमर मित्र श्रीनारायणजीक माध्यमसँ आलम सेहो संपर्कमे आएल रहए । ओ मधुबनीसँ सटले भौआरा गामक रहनिहार छल । कहब जे ओकरामे कोन एहन बात चल जे अखनो ओकर चर्च भए रहल अछि । तँ सुनि लिअ । आलम औअल नंबरक इमानदार छल । जे काजमे लागि जाएत ताहिमे भोरसँ साँझ धरि लागल रहत । कोनो देख-रेख करबाक काज नहि ।दैनिक मजदूरीपर ओ काज करैत छल ।ठीकाक काज ओकरा नहि सोहाइक । मुदा ताहीमे एकदिनमे ओ ततेक काज कए दैत जे सामान्यतः दू आदमी मिलिओ कए नहि कए सकैत छल ।ओ मकानक पेणटींगक काज सेहो करैत छल । एकबेर हम अपन मकानक रंग-रोहन करबाक हेतु ओकरा ठीकापर काज देबए चाहलहुँ । अपना हिसाबे हम ओकरा फाजिले रेट लगा देने रहिऐक । मुदा ओकर माथमे नहि धसलैक । ओ ठीकापर काज करबाक हेतु तैयार नहि भेल । कहलक जे ओ दैनिक मजदूरीए पर काज करत । बादमे जखन काज कतम भेलापर हिसाब भेल तँ पता लागल जे ठीकापर ओकरा दोबर टाका भेटितैक । हम ई बात ओकरा कहलिऐक तँ ओ हँसि कए कहैत अछि-

की करबेक मालिक । जतने भागमे रहतै ओतने ने भेटतै । से कहि ओ हँसि देलक । एकबेर मधुबनीक मकानमे चोरी भए गेल । असलमे ओ बहुत दिनसँ खाली रहैक । बाहर-भीतरमे कुल मिला कए आठटा ताला लागल रहए । जखन हम मधुबनी पहुँचलहुँ तँ फटकीसँ कोनो गड़बड़ी नहि बुझाएल । मकानक मुख्य द्वारि लग जा कए देखैत छी जे ताला खुजल लटकल अछि । मकानमे अंदर पैसैत छी तँ कोनो केबारक ताला टुटल छल तँ ककरो कुंडी उकरल पड१ल छल । एवम् प्रकारेण कहि नहि कतेक दिनसँ मकान ओहिना खुजल पड़ल छल । एकटा कोठरीमे हम एकटा पेटीमे किछु ओछाओनसभ रखने रही । पेटी तँ ठामहि छल । मुदा ओछाओनसभ लापता छल । लगैत अछि ओ चोर बहुत नफीस छल । जाढ़मे सीरक,ओछाओनसभ तँ बहुत उपयोगी रहैक,तेँ ओसभ लए गेल । पेटी तँ बहुत भारी रहैत,तेँ ओकरा छोड१ि देलक ।

मकानक ओ हाल देखि हम क्षुव्ध रही । मकानक सुरक्षाक हेतु आलमकेँ चौकीदारीमे लगेलहुँ । ओ अपन एकटा कुटुंबक संगे रहातिमे ओतहि सुतए । हमहु दोसर कोठरीमे रही । दिनभरि काज चलए । रातिमे  कहिओ गाम,कहिओ सासुर आ कहिओ ओतहि रहि जाइ । मुदा आलम अपन कुटुंभक संगे लगभग एकमास ओतए रखबारी केलक ।तकरबाद ओ मकान किराया लागि गेल । हमर मोन हल्लुक भेल आ निश्चिंत भए दिल्ली वापस

भेलहुँ । एवम् प्रकारेण बहुत दिन धरि आलमसँ संपर्क बनल रहल । कैकबेर तँ मधुबनी पहुँचबासँ पहिनहि ओकरा फोन कए दिऐक । ओ मुस्तैद रहैत छल आ मकानपर पहुँचितहि काजमे लागि जाइत छल ्

बादमे जखन मकान बिका गेल तखनो ओ कैकबेर हमरा फोन केलक । जखन ओहि मकानक नव मालिक मकानमे काज करबए लगलाह तखनो आलम हमरा फोन केलक । मुदा हम ओकर फोनक जबाब नहि देलिऐक । भेल जे की कहबेक । आब आलमक फोन नहि अबैत अछि । प्रायः ओ असलियत सँ वाकिफ भए गेल होएत । मुदा ओकर स्मृति हमर मोनमे ओहिना बनल अछि आ बनल रहत ।