शुक्रवार, 30 मई 2025

लाउडस्पीकर बजैत रहल

 

 

लाउडस्पीकर बजैत रहल

लाल मुरेठा बन्हने हाथमे ड़डा लेने अंट-संट बजैत एकटा युवक आ लगपासमे हतप्रभ किछु लोकसभ।

“अकस्मात ई कतए सँ आबि गेलैक?ई छै के?”

 हम अपन मधुबनी डेरासँ सभटा देखि रहल छलहुँ। ततबे मे ओ पंडितजीकेँ पिटाई सेहो कए देलक आ चिकरिते रहि गेल-

“सामने आबि जो जकरा हिम्मति होउ। आइ नओ-छओ भइए जाए।”

थोड़बे कालमे कनीके काल पहिने बंद भेल लाउडस्पीकर फेरसँ आर बेसी जोरसँ बाजए लागल। ओ युवक विजयी मुद्रामे थोड़े काल ओतहि घुमैत रहल,बड़बड़ाइत रहल। लोकसभ चुप-चाप सभटा देखैत रहि गेल। ककरो प्रतिरोध करबाक साहस नहि भेलैक।ओकर चिकरब-भोकरब सुनि किछु गोटे ओहि ठामसँ घसकिओ गेल।

हमरा बात बुझबामे देरी नहि भेल। ओ युवक स्थानीय दबंग छल जकरा डरे हनुमान मंदिरक पुजारी आ आसपासक लोकसभकेँ अबाज बंद छलनि।

ई बात अछि छओ अप्रैल २०२५क।असलमे करीब घंटा भरि पहिने हम सगर राति दीप जरए कार्यक्रमसँ वापस आएल रही।राति भरिक जगरना छल। देह काज नहि कए रहल छल। भेल जे चाह पिअब तखन किछु उसास होएत। ताहि लेल रस्ते सँ दूध लेने आएल रही। छोटू आटो बलाकेँ पहिने कहने रहिऐक। ओ दूधक दोकान लग आटो रोकलक। दूध लेलहुँ।लगीचे मे सजमनि बिका रहल छलैक। सेहो कीनलहुँ आ डेरा वापस आबि गलहुँ। मुदा एहि ठाम तँ श्रीमतीजीक हालति बहुत खराप छलनि। ओ राति भरि जगले रहथि। सामने मे हनुमान मंदिरमे राति भरि लाउडस्पीकरपर भजन-कीर्तन होइत रहल।तकर परिणाम भेल जे लगपास रहनिहार  कैक गोटेक मोन खराप भए गेलनि।मुदासभ बेबस छल। केओ प्रतिरोध नहि केलक। से सोचि हमरा बहुत आश्चर्य लागि रहल छल।

“एहन कोन पूजा भेल जे लोकक जानपर बनि जाइक।”-हमरा मोने-मोन सोचाएल।आश्चर्य एहि बातसँ भेल जे सालक-साल ओहि ठाम रहि रहल लोकसभ केओ किछु बाजि नहि रहल छलाह,अपितु कष्ट सहनाइ बेसी सही लागि रहल छलनि।कहि नहि हुनका लोकनिक की विवशता छलनि?बादमे पता लागल जे श्रीनारायणजीक श्रीमतीजी रातिएमे ओकरासभकेँ बहुत आग्रह केने छलखिन।कहने रहथिन-

“श्रीनारायणजीक मोन खराप छनि।लाउडस्पीकरक अबाज कम कए दिऔक।”कनी काल लाउडस्पीकरक अबाज कम कइओ देने रहैक। मुदा थोड़बे कालक बाद फेर ओएह हाल।

हमर श्रीमतीजीक माथक दर्द कम हेबाक नामे नहि लए रहल छल।हुनकर परिस्थितिसँ दुखी हम अपन डेरासँ तमतमाएल बाहर भेलहुँ। मंदिर लग किछु गोटे पहिने सँ ठाढ़ रहथि। हम सोझे मंदिर लग गेलहुँ आ भजन कए रहल कीर्तनिआसभकेँ लाउडस्पीकरक अबाज कम करबाक लेल कहलिऐक।ओहिमे सँ एक गोटे बाजल-

“अहाँ केहन मनुक्ख छी?कीर्तनमे लाउडस्पीकर नहि बजतैक तँ कथीमे बजतैक? ई कोनो बेर-बेर तँ हेतेक नहि। अहाँ अनेरे हल्ला केने छी।”

“हम स्वयं हनुमानजीक भक्त छी। कीर्तन होइ ताहिमे कोनो दिक्कति किएक हेतैक? ई तँ नीक बात छैक। मुदा ई कतए लिखल छैक जे लाउडस्पीकर बजबे करए, भने लोकक जान चलि जाइक?”

“जे कीर्तन करबा रहल छथि तिनकासँ गप्प करू।हमसभ एहि मामिलामे किछु नहि कए सकैत छी।”

ओ सभ आपसमे किछु-किछु बड़बड़ाइत रहल आ कीर्तनो करैत रहल।हम तुरंत सामने मे  कनीके फटकी कीर्तन करओनिहारक ओहिठाम पहुँचलहुँ। कैक बेर घंटी बजओलापर एकटा महिला बाहर भेलीह। हम हुनका कहलिअनि-

“ई की करबा रहल छी?ई कोन धर्म भेलैक जाहिमे सभक जान खतरामे पड़ि जाइक? अहाँकेँ पता अछि जे लगपासक कैकटा महिला रातिएसँ दुखित पड़ल छथि। हुनका सभक प्राण अवग्रहमे छनि।यदि लाउडस्पीकर नहिए बजतैक तँ की पूजा नहि हेतैक?”

“जा कए बंद करबा दिऔक।”

“हम ओही ठामसँ आबि रहल छी। ओ सभ तँ अहीं लग पठा देलक।कहलक जे अहीं कीर्तन करबा रहल छी। जे करबैक से अहीं करबैक।”

“हम तँ कहलहुँ ने जे जा कए बंद करबा दिऔक।”

हमरा संगे मंदिरक पुजारी सेहो छलाह।हम हुनका कहलिअनि-

“आब सुनलिऐक ने?”

“चलू ने। फेर कहबैक।बंद तँ ओएहसभ करत।”

हम वापस मंदिर लग पहुँचलहुँ। ताधरि लगीचमे रहनिहार दू गोटे सेहो आबि गेल छलाह। ओहो सभ कीर्तनासभकेँ लाउडस्पीकर बंद करबाक लेल कहलखिन। आखिर ओहीमे सँ केओ उठि कए लाउडस्पीकर बंद कए देलक। तुरंत माहौल बदलि गेल। चारू कात शांति पसरि गेल। कीर्तन सेहो हल्लुक अबाजमे चलिते रहल। हम विजयी मुद्रामे अपन डेरा वापस भेलहुँ। मुदा ई सभ बेसी काल नहि चलल। थोड़बे कालक बाद लाउडस्पीकर फेर बाजि रहल छल आर बेसी जोरसँ।हमर श्रीमतीजी माथक दर्दसँ छटपटा रहल छलीह। हुनका लेल दबाइ आनब जरूरी छल,मुदा बाहर निकलबामे डर होइत छल-

“कहीं ओ हमरे पर ने तामस उतारि दिअए?”

ओही इलाकामे किछुए दिन पहिने लगपासमे एक आदमीकेँ आपसी विवादमे छुरा मारि कए हत्या कए देल गल रहैक। ओ गेल रहए शांतिक प्रयास करए।दू गुटमे झंझटिकेँ शांत करेबाक प्रयासमे जान चलि गेलैक। से सभ सोचि  चिंतित छलहुँ। मुदा हुनका लेल दबाइ तँ अनबेक छल,से पैरे बिदा भेलहुँ। मधुबनीमे भोरुका उखरामे बेसी दोकान बंदे रहैत अछि। संयोगसँ थाना मोर लगक दबाइक दोकान खुजल छल। हुनकासँ जरूरी दबाइसभ कीनलहुँ   रिक्सासँ वापस डेरा लग आबि गेलहुँ । हुनका दबाइसभ देलिअनि। ओ दबाइ खेलाक आधा घंटाक बाद कनीक आश्वस्त भेलथि। फेर चाह बनल। माहौल कनी हल्लुक भेल। मुदा लाउडस्पीकर बजिते रहल।जकरा जे होउ।

साँझमे एहि घटनापर श्रीनारायणजीसँ गप्प भेल।ओ कहए लगलाह-

“एहि ठाम थाना-पुलिससभ सेहो किछु नहि करैत छैक।तेँ लोकसभ सभ किछु सहि जाइत अछि।अनुचित बात देखिओ कए मूकदर्शक बनल रहि जाइत अछि।शांतिक लेल लोक लग इएह सर्वोत्तम विकल्प छैक,नहि तँ लड़ैत रहू,झंझटिसभमे पड़ैत रहू।”

जे होइ,मुदा ई स्थिति बहुत दुखद अछि।मधुबनी आ आसपासक इलाकामे लाउडस्पीकरपर गाना-बजाना होइत रहब आम बात थिक।कखनहु माहौल शांत रहिते नहि अछि।सोचल जा सकैत अछि जे विद्यार्थी,दुखितलोकसभकेँ कतेक परेसानी होइत हेतनि।जरूरी अछि जे प्रशासन,समाजसेवी संगठन आ समाजक गण-मान्य लोकसभ एहि समस्यापर विचार करथि  जाहिसँ ध्वनि-प्रदूषण किछुओ नियंत्रण संभव भए सकए।

२९।५।२०२५