मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

गुरुवार, 18 मई 2023

सन् २०१८मे प्रकाशित हमर मैथिली उपन्यास महराज(ISBN: 978-93-5321-395-4)क हमर ब्लाग स्वान्तः सुखायपर धारावाहिक पुनर्प्रकाशन (भाग तेरह,चौदह आ पन्द्रह):

 

१३

 

मखनाक गतिविधिपर यमराजकेँ सक भए गेलनि। ओ अपन जासूससभकेँ ओकरापर विशेष ध्यान रखबाक हेतु कहलखिन संगहि ईहो कहलखिन जे कोनो बात होइक तँ हुनका तुरंत खबरि कएल जाए। सएह होमए लागल। जासूससभ ओकर आगू-पाछू करए लागल। ओ जतहि जाइत किछु गोटे आगू तँ किछु गोटे पाछू चलैत रहैत छलैक। एहि बातसँ मखनाकेँ सेहो सक भए गेलैक। सोचए लागल जे आखिर ई सभ के अछि आ हमरा किएक पछोड़ करैत रहैत अछि?

मखनाक संचिकाकेँ यमराज स्वयं पढ़लथि। ओ ओकर पारिवारिक पृष्ठभूमिक जानकारी चाहैत छलाह। पढ़ैत-पढ़ैत हुनका पता लागल जे ओ तँ राजपुराक रहए  वला अछि। मृत्युक बाद ओ यमलोक आनल जा रहल छल की रस्तेमे हेराफेरी कए अपनसभटा संचिका बदलि देलक।

ई सभ बूझलाक बाद यमराजकेँ बहुत चिंता भेलनि। मोने-मोन सोचथि- "ई आदमी शुरुएसँ गड़बड़ लगैत छल। सभसँ दुखद बात अछि जे हमर श्रीमतीजी एकरापर बहुत भरोस करैत छथि। पहिने तँ हुनका बुझाबी। फेर देखल जएतैक। एकरा रस्ता लगाएब कोन भारी बात छैक?"

यमराजक कारक टायर पंचर भए गेल रहनि। हुनका फेर मखनेपर सक भेलनि जे कहीं ई एकरे काज ने होइक। सोझासँ एकटा एक्का जा रहल छल। ओ एक्का वलाकेँ रुकबाक इसारा केलाह। आहि रे बा !ओ तँ यमराजक इसारा देखितहि फटकी भागए लागल। प्राणक डर ककरा नहि हेतैक?सएह भेलैक।

यमराज तमसा कए एक्का वलाक पाछू दौड़ रहल छलाह कि मखना देखलकनि।

"सरकार अपने किएक दौर रहल छी?"

"पकड़ एकरा" -एक्का वला दिस इसारा केलखिन। मुदा ओहो तँ फेरल छल। एक्का वलाकेँ इसारा केलक जे भागि जो। एक्का वला आओर जोर-सोरसँ एक्काकेँ दोड़बए लागल। यमराज आओर तमसाइत ओकरा खिहारि रहल छलाह। यमलोकमे बेस मनोरंजक दृश्य भए गेल छल। एहि दौर-बरहामे यमराजक हाथसँ मखनाक संचिका खसि पड़ल। यमराजकेँ से अखिआस तखन भेलनि जखन सामनेमे रेखा आबि कए दौरबाक कारण पुछए लगलखिन-

"की बात छैक? एना किएक दौरि रहल छी?"

"की कहु?-से कहि हाथक संचिकाकेँ ताकए लगलाह।

"संचिका कतए गेल।"

"कोन संचिका?"

ताबते एकटा यमसिपाही एकटा संचिका लेने दौरल आएल। यमराजकेँ जानमे जान आएल। ओ एहि संचिकाकेँ पढ़बाक हेतु रेखाकेँ देलखिन।

"एकरा पढ़ू। सभबात अपने बूझि जेबैक।" -से कहि संचिका रेखाक हाथमे धए देलनि।

रेखा बहुत ध्यानसँ ओहि संचिकाकेँ पढ़ए लगलीह। ओहिमे सौंसे मखनाक प्रशंसा भरल छल। हुनकर मोन आनंदसँ गद-गद छल। फेर बजलीह-

"हम तँ ई बात बुझिते रही। मखना बहुत नीक खानदानक लोक अछि आ बहुत योग्यो अछि, मुदा अहाँकेँ के बुझाएत?"

"की बात कहि रहल छी? अहाँ एहि संचिकाकेँ नीकसँ नहि पढ़लिऐक की?"

"हम नीकसँ पढ़ि लेलहुँ। अहाँक चश्मा लगैत अछि खराब भए गेल अछि। फेरसँ पढ़ि लिअ। आ हे! चश्मा ठीक करा लेब।"

पत्नीक एहन व्यंगात्मक गप्प सुनि यमराजक मोन जरि गेलनि। भेलनि जे अखने एहि दुनूगोटेक प्राण घीचि ली। से तँ ओ कइए सकैत छलाह मुदा ब्रह्माजीक डर भेलनि। फेर ओ संचिका रेखाक हाथसँ लए पढ़ए लगलाह।"आहि रे बा! एकर तँ पाँति- पाँति बदलि देल गेल अछि। मखना मामूली धोखेबाज नहि थिक।" -यमराज बजलाह।

"अहाँकेँ तँ एहिना रहैत अछि। हमरा लगीचमे केओ रहए से अहाँकेँ पसिंद किएक होएत? असली बात तँ से अछि।"

दुनू बेकतीमे एहि बातपर बेस घोंघाउज होमए लागल। से देखि मखना बहुत प्रसन्न भेल। मोने-मोन सोचलक-

"हमर पाछू पड़ल छलाह। आब लेथु।"

यमराजकेँ व्यग्र देखि मखना कहए लागल-

"सरकार अपने किएक परेसान छी? घरबालीक बातपर चिरौरी नहि करू। आइ-काल्हि बहुत खराब कानून आबि गेल छैक। सिकाइत भए जाएत तँ जमानतो नहि होएत।

"चुप रह। ई राजपुरा नहि थिकैक। यमलोक छै। तोरा तँ हम जल्दीए ठेकाना लगेबौक। देखै छी तूँ कतेक दिन बचैत छैँ। तोहर खेल जल्दीए खतम हेतौक।"

से कहि यमराज मोछ पिजाबए लगलाह। मुदा मखनाक लेल धनिसन। मखनाकेँ तँ मोन होइक जे यमराजकेँ ठामहि उठा कए पटकि दिअए।

यमराज अपन मंत्रीमंडलक आपत्तिकालीन बैसक बजओलथि। ओकर मुख्य विषय छल-मखनाक कदाचारकेँ ध्यानमे रखैत ओकरापर दंडात्मक कारवाइ। ओ ई कहिओ ने सोचने हेताह जे छोट सन एहि मामिलामे हुनके मंत्रीमंडलक सदस्यगण हुनकर विरुद्ध चलि जेताह। मुदा भेल सएह। बैसकमे हड़बिड़रो मचि गेल गेल। काबीनामंत्री धरिमे मखनाक एहन गहींर पहुँचि केना भेल?-ई सोचि-सोचि यमराजक चकरी गुम छल।जरूर कोनो खास आदमी षड़यंत्र कए रहल अछि।" -यमराज मोनेमोन सोचए लगलाह। बैसारक क्रममे मंत्रीगण सबूतक मांग कए देलाह। कहए लगलाह जे अहाँक मखना संग मतभेद व्यक्तिगत कारणसँ अछि,एहिमे यमलोककेँ ओझराएबाक कोन औचित्य?" यमराज गुम पड़ि गेलाह आ आग्रह केलाह जे मूल संचिका तकबाक हेतु हुनका किछु समय देल जाए।

"एवमस्तु!" -मंत्रीगण बजलाह। बैसार खतम भेल। मंत्रीसभ अपनामे चुप-चाप गप्प करथि- "यमराजो सठिआ गेल अछि। एकरा एहि बएसमे अपन पत्नी छोड़ि रेखाक चक्करमे पड़बेक नहि छल। एकर आब एहिसभ काजक बएस छैक? व्यर्थकेँ चस्का लगेने अछि। मखनाक कोन दोष। ओ नहि तँ केओ आओर? की ने?"

सत्य वचन" एकरा वशक किछु छैक नहि तखन किएक लफड़ामे पड़ल रहैत अछि।" -से बजैत सभ ठठा कए हँसि देलक।q

 

१४

 

मखना अपन मौलिक संचिकाकेँ यमलोकसँ लदने-लदने राजपुराक लगीचमे पहुँचल। ओ कालू भगताकेँ ताकि रहल छल। कालू ओकर सहोदर भाए छल। मखनाक देहसँ प्राण निकलि रहल छलैक कि यमदूत सभकेँ पैर पकड़ि गोहराबए लागल। ओकरा कनैत-कलपैत देखि यमदूतसभकेँ दया आबि गेलैक। पुछलकैक- "किएक कानि रहल छह?"

"हमर प्राण वापस कए दएह।"

 "एकहिटा उपाय छैक?" यमदूत बाजल।

"कहह ने, जे कहबह सएह करब, मुदा हमरा बचा लएह।"

तकर बाद  पता नहि दुनू गोटे की-की बतिओलक? किछु लेब-देब भेलैक आ मामिला पटि गेलैक। यमलोक जइतहिँ यमदूतसभमे मिझरा गेल। ओकर संचिका बदलि देल गेल। एहि तरहेँ ओ यमराजक दरबारमे पैस बनओलक। कोना-ने-कोना यमपाश सेहो भेटि गेलैक। आओर तँ जे भेलैक से भेलैक, यमराजक घर धरि घुसिआ गेल। ततबेपर नहि रुकल, रेखाक संगे रमि गेल। किछु तँ ओकरामे छलैक जे एतेक आगू बढ़ि गेल।

मखना अपन गामक ऊपर कैक बेर चक्कर लगओलक मुदा कालू कतहुँ नहि देखेलैक?हारि कए ओ वापस होइत रहए। फरीच भए गेल छल। ताबे ओ राजपुरा लग पहुँचि गेल छल कि एकटा नान्हिटा घरक फट्टक खुजल।

"ई तँ कालू लागि रहल अछि। मुदा एकरा संगे एहन सुन्दरि के छथि?" -ओ मोने-मोन सोचैत छल।

कालू कुर्सी निकालि कए बाहर बैसल आ निशा भपाइत चाहक कप लए हाथमे देलखिन। दुनू गोटे चाह पीबए लगलाह संगे गप्प-सप्प सेहो चलि रहल छल। दुनूक संतुष्टिभाव केओ पढ़ि सकैत छल। ताबतेमे मखना कनीक आओर लगीच आबि गेल। किछु छल तँ कालू भगता छल, मंत्र-तंत्र किछु ज्ञान छलैक। ओकरा यमदूतक आगमनक आभास भेलैक। नहूँ, नहूँ बाजल- "शिव! शिव! निशाक ध्यान कालूपर पड़लैक।

कथि लेल चिंतित छी?"

कालू ऊपर दिस इसारा केलक मुदा किछु बाजल नहि। मखना लाख बुझेबाक चेष्टा कएलक मुदा कालू आओर डराइत रहल। ओकरा बहुत परेसान देखि मखना ओकरा दुनूकेँ ठामहि उठा लेलक आ उड़ि गेल।

"एहनो जबरदस्ती भेलैक अछि?" -कालू बाजल।

मखना भभा कए हँसल। मखना राजपुरा पहुँचि महराजी पोखरिपर उतरि गेल। कालू भगता आ निशाक जान-मे-जान आएल। ओ भरि रस्ता हनुमान चलीसा पढ़ैत रहल आ मखना हँसैत रहल।

तूँ के छह?” -कालू बाजल।

तोहर छोट भाए।

मखना बाजल।

"से केना भए सकैत छैक? ओ तँ साल भरि पहिने मरि गेल।"

"से बात ठीक छै मुदा जे हम कहि रहल छी सेहो ठीक अछि।"

"से कोना भेल?"

"तूँ शांत रहह। हम सभटा बात कहबह।"

"ठीक छैक, कहह।"

कालू कनीक आश्वस्त भेले छल कि मखना निशा दिस इसारा केलक।

"ई तोरा संग कोना भए गेलह?"

"पहिने तूँ अपन खिस्सा कहह? बातकेँ एमहर- ओमहर घुमाबह नहि।"

ठीक छैक, तँ सुनि लएह।"

 मखना कहलकैक जे हमर बात पर ध्यान दएह। फेर अपन खिस्सा शुरु केलक-

"हमर प्राण खिचने यमदूत लए जाइत रहए। रस्तेमे एकटा मैथिल यमदूत भेटल। ओ अपन बात कहए लागल जे केना ओ यमराजकेँ चकमा दए नरकक यातनासँ बँचि गेल, ततबे नहि यमदूतो बनि गेल। ओकर बताओल पद्धति हमहु दोहरओलहुँ। हम तँ आश्चर्यमे पड़ि गेलहुँ जे लोक खामखाह अपना ओहिठामकेँ बदनाम केने छैक। यमपुरीक हालति तँ ओहूसँ चौपट छैक। हमर सभटा संचिका बदलि देलकैक। परिणाम भेल जे यमराज लग जाइते हमर जोरदार स्वागत भेल आ बिना कोनो देरी केने यमदूतमे बहाल कए लेल गेल। यमपाश भेटि गेल आ विशेष कोडवर्ड सेहो भेटिगेल।"

"कोडवर्ड की भेलैक से नहि बूझलिऐक?"

"तोरा ई सभ बुझबाक कोन काज छह? सारांशमे बुझहक जे दोषी जज भए गेल" -से कहि ओ ठहाका पारि कए हँसए लागल।

"मुदा तोहर सकल-सूरति केना बदलि गेलह?" -कालू पुछलकैक।

"नहि बुझलहक, जेहने काज करबैक तेहने बगए चाही ने। यमपुरीमे जबरदस्त ड्रेसकोड छैक।

तीनूगोटेमे गप्प-सप्प भइए रहल छल कि हरि अपन चेला-चाटीसभक संगे महराजी पोखरिक निरीक्षण करए पहुँचलाह। जहिआसँ ओ राजमंत्री भेलाह,हुनकर रोबदाब देखए वला छल। महराज ओ महरानीक खासम-खास भए गेल छलाह। बहुत गोटे भितरे-भितर जरैत छल मुदा ताहिसँ की?

महराजी पोखरिक घाटपर कालूकेँ देखिते ओ चिचिआ उठलाह-

"कालू, कोना छह? "

"गोर लगै छी? “

नीके रहह। ई के छथि?”

एहिसँ आगू ओकरा किछु नहि फुरेलैक। दुनूगोटेमे गप्प होइते रहैक कि मखना निपत्ता भए गेल। धरफरीमे ओकर संचिका कालू लग खसि पड़लैक। हरिक ध्यान ओहिपर पड़लनि। हुनकर सिपाही ओहि संचिकाकेँ उठा कए हुनकर हाथमे थम्हा देलक। मुदा ओ ओहि संचिकाक एको आखर पढ़ि नहि सकलाह।पता नहि की अण्ट-सण्ट लिखल छैक?”-ओ मोनहि-मोन सोचैत रहथि। ओ ओहि संचिकाकेँ मुंसीकेँ धरा देलखिन आ कालू संगे गप्प करए लगलाह। कालू तँ हिनकर ठाट-बाट देखि कए छगुन्तामे रहए। किछु फुरेबे नहि करैक। हरि ई बात तारि गेलाह आ कहए लगलखिन-

"नहि बुझलहक, ई सभ हनुमानजीक चमत्कार अछि, नहि तँ हम तँ खतम छलहुँ"।

से की?" चलह ने हमरे ओहिठाम। दुनूगोटे चैनसँ बतिआएब। कालूक संगे निशा सेहो छलखिन, तेँ चिन्तित भए गेल जे पता नहि कतए लेने जा रहल अछि। हरिक माथा तुरंत काज केलक। कोनो बातक चिंता नहि करह। हम संगे छिअह ने। हिनको लेने चलह।"

आ तीनू गोटे बिदा भेल। हरिक पाछू-पाछू ओकर सिपहसलारसभ चलि रहल छल। कालू ओ निशाक संगे हरि अपन महलमे पहुँचलाह। घर देखिते कालू छगुन्तामे पड़ि गेल। हरि पुछलखिन॒-

"चिंतित बुझा रहल छह?"

"किछु नहि।"

"किछु तँ तोरा मोनमे छह। अपने सभटा बूझि जेबहक। ई सभ हनुमानजीक कृपा छनि।" ई बाजि हरि बैसले छलाह कि महराजी भगता प्रातःभ्रमणसँ वापस आबि रहल छलाह। हरिक घर लग अबितहि हुनका पुछलखिन॒-

"अहाँक घरमे के अछि?"

"ई छथि कालू भगत। हमर गामे लग पुबारिगाममे रहैत छथि।"

"आओर के अछि?"

"हिनके संगी छथिन-निशा।"

महराजी भगताकेँ लगीच अबैत देखि कालू सकपका गेल। मुदा ओ तँ आओर लगमे सहटल आबि रहल छलखिन। निशा सेहो परेसान छलीह। ई सभ देखि हरि बाजि उठलाह-

"अहाँसभ एतेक परेसान किएक छी?ई केओ आन नहि छथि। "

मुदा कालू जे चुप भेलाह से बकारे नहि खुजनि। हरि महराजी भगताकेँ ओ संचिका दैत कहलखिन- "कनी एकरा देखबैक। पता नहि की,की लिखल अछि।" महराजी भगता संचिका लए आगू बढ़ि गेलाह।q

 

१५

 

मखना कतहु गेल नहि छल। लगेपास नुकाएल छल। जाइत कतए? यमराज ओकर यमपुरीक कोडवर्ड जप्त कए लेने रहथि जाहिसँ ओकर यमपाश काज केनाइ बंद कए देलक। ओकर संचिकाक हेराफेरी पकडा़ गेल छल। पक्का सबूत प्राप्त करबाक हेतु मखनाक गतिविधि पर दिन-राति नजरि राखल जा रहल छल। हेरा-फेरी तँ ओ केने रहैक, आब पकड़ेबाक समय आबि रहल छलैक। तेँ ओ अपन भाए कालू लग पहुँचल छल जे कोनो रस्ता निकलत मुदा ओ तँ अपने चक्करमे मस्त छल। यमराजक चेलासभ ओकरा देखि रहल छल। जखन ओ संचिका कालू लग खसओलक तखने यमराज ओकर फोटो खीचि लेलाह। यमराज मोने मोन सोचैत छलाह-

"आब कतए जाएत?पक्का सबूत हमरा हाथ लागि चुकल अछि।"

मखना बहुत फेरल आदमी छल। तेँ ने मरलाक बादो अपन संचिकामे हेराफेरी कए यमदूत बनि गेल। मुदा सभक खेल कखनो-ने-कखनो खतम होइत अछि। सएह मखना संगे भेलैक, कनी जल्दीए भए गेलैक। यमलोकोमे यमराजक दोसर पत्नीक चक्करमे पड़ि गेल। मामिला तेजीसँ चर्चाक विषय भए गेल। यमराजकेँ ओकरापर सक ओहीदिन भए गेलनि जखन गलत व्यक्तिक प्राण खिचबाक हेतु यमपाश लए पहुँचि गेल। जे हेबाक रहैक से भेलैक। यमराज ओकरासँ खिन्न भए गेलाह। ओकर सभटा शक्ति छिनि लेलथि। ओकर यमपाश निष्कृय भए गेल। तखनसँ ओ भागि रहल अछि,नुका रहल अछि मुदा कखन धरि?

यमराज फेर अपन काबीनाक बैसक बजओलथि। ओहिमे मात्र एकटा विषय छल- मखनाक धोखाधड़ीक आ ओकरा विरुद्ध प्रभावशाली कारवाइ। यमलोकक काबीनाक बैसार प्रारंभ भेल। यमराज बजलाह- वंधुवर! अहाँसभकेँ कुसमयमे आबय पड़ल ताहि हेतु हम क्षमाप्रार्थी छी। असलमे ई धूर्तराज मखना मोसकिल कए देलक अछि। पछिला बेरक बैसकमे किछु मंत्रीलोकनि ओकरा विरुद्ध सबूतक प्रयोजन कहलथि। से लिअ, सबूत हाजिर अछि।"

तकर बाद बड़काटा परदापर मखनाक गतिविधिक सद्यःप्रसारण प्रारंभ भेल। मंत्री लोकनि यमराज द्वारा आधुनिकतम तकनीकीक प्रयोग कए मखनाकेँ पकड़ि लेबामे सफल भेलासँ छगुन्तामे रहथि। ओसभ मखनाक एक-एक डेगकेँ सद्यः देखि-सुनि रहल छलाह। मखना अपन भाए कालू भगताकेँ कहि रहल छल-

भाइ! नहि बूझलिऐक जे यमराजक आदमीसभ एतेक पक्का अछि। हमरा तँ यमपत्नी रेखासँ दोस्ती भए गेल आ से ततेक गहींर भेल चलि जा रहल छल जे ओ यमराजोकें ठेंगा देखा देलथि। तकर बाद  यमराज हाथ धो कए हमर पाछू पड़ि गेलाह।"

मखना बजने जा रहल छल आ एक-एकटा गप्प यमलोकक काबीनाक बैसारमे मंत्री लोकनि सद्यः सुनि रहल छलाह। मृत्युलोकसँ दूभाषिआ मरि कए यमलोक पहुँचल छल। ओएह मखनाक गप्प-सप्पकेँ मैथिलीसँ यमभाषामे अनुवाद कए रहल छलाह। काबीनाक सदस्य लोकनि यमराजक प्रस्तावसँ सहमत भए ओकरा ताजीवन जहलक स्वीकृति देलथि। तकर बाद  काबीनाक बैसार विसर्जित भए गेल। यमराजक काबीनाक फैसलाक क्रियान्वयन हेतु यमराजक पुलिस वारंट लए मृत्युलोक बिदा भेलाह।q

 

 

Maharaaj is a Maithili Novel dealing with the social and economic exploitation of the have-nots by the affluent headed by the local heads of that time. However, the have-nots ultimately succeed in controlling the resources and regain their lost assets by sustained struggle. Even the dead persons join together to fight against the Maharaaj and ensure that the poor gets their due.

 

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