मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

सोमवार, 4 मई 2020

सौराठ सभा


सौराठ सभा

 

सौराठ सभा हमरासभक ओहिठाम पाबनि जकाँ मनाओल जाइत छल । सामान्यतः सभा मइ-जूनक महिनामे  लगैत छल । ओहि मासमे वर्षाक बहुत संभावना रहैत छल । तेँ सभाक लग-पासक गामक लोकसभ पहिनेसँ सभाक पाहुन हेतु तैयारी केने रहैत छलाह । दरबाजासभपर जारनि सुखा कए राखल रहैत छल । घरमे दनौरी,तिलौरी,सँ लए कए अनेकानेक प्रकारक अँचारसभ तैयार रहैत छल जाहिसँ मौसमक कुप्रभाव भेलापर पाहुनकेँ कोनो दिक्कति नहि होनि । सभाक पँचकोसीमे बसल गामसभक कोनो घर एहन नहि रहैत छल जतए सभैती पाहुन नहि आबथि । सौंसे गाम पाहुनसँ गजल रहैत छल । दसबजे भोरे धरि पाहुनसभ भोजन भात कए तैयार भए जाइत छलाह । तकरबाद सभाागाछी बिदा होइतथि । अधिकांश लोकसभ पैरे जाइत छलाह कारण बससभ लदालद भरल रहैत छल । ओना सरकारक तरफसँ अतिरिक्त बससभ देल जाइत छल मुदा सभाक भीड़क आगु ओ कम पड़ि जाइत छल । अड़ेर पुरबारि टोलसँ कनेक आगु जा कए एकपेरिआ रस्ता छलैक जे बाधै-बाधे सोझे पोखरौनी चौकपर ऊपर होइत छल । पोखरौनी चौकसँ मोसकिलसँ एक माइल सभागाछी अछि । ओतए जाइते सभाक गहमा-गहमी शुरु भए जाइत छल । रहिका दिससँ बस-जीप-रिक्सासभ धरा-धर आबि रहल अछि । ओमहर जयनगर दिससँ सेहो सएह हाल अछि । कनीके आगु बढ़ब तँ मधुबनी दिससँ से यात्रीसभक करमान लागल अछि। कहि नहि सकैत छी जे सभगाछी पहुँचैत देरी केहन मनोरम दृश्य देखाइत छल ।

सौराठ सभाक विशेषतामेसँ एकटा प्रमुख छल सोमनाथ महादेव। कहल जाइत अछि जे  गुजरातक सोमनाथक मंदिरसँ आनि शिवलिंग एतए राखल गेल रहथि जाहिसँ मलेच्छक आक्रमणसँ हुनका बचाओल जा सकए । सभागाछीमेसोमनाथ महादेवक मंदिर जाए भक्तलोकनि हुनकासँ नीक कथा पटि जेबाक गोहार लगबैत छलाह । महादेवक दर्शन बाद लोकसभ सभसँ पहिने अपन गामक अड्डापर पहुँचि हाल-चाल लैत छलाह । तकरबाद शुरु होइत सभा घुमनाइ आ ओहीक्रममे घटकैती । सभ समाप्त हेबाक जखन दू-तीन दिन बाँचल रहैत तखन तँ सभाक भीड़ बेकाबू भए जाइत छल । जेम्हरे देखू तेम्हरे लोके-लोक । लगैत जेना चारूकात मानवक समुद्र पसरि गेल अछि। तेहनोमे लोकसभ सभामे घुमिते रहैत छलाह । एहि गामसँ ओहि गामक डेराक बीचमे कथासभक जानकारी लैत रहैत छलाह । ई क्रम साँझ धरि चलैत रहैत छल । कन्यागतसभ वरसभक अभिवावकसँ गप्प-सप्प करितथि। वरसँ ओकर परिचय लितथि। वरक योग्यता आ उपलव्धिक विषयमे जानकारी प्राप्त करबाक हेतु तरह-तरहक प्रश्न-प्रतिप्रश्न कएल जाइत । मुदासभ किछुक बाद बात बजरि जाइत दहेजपर । कतेक टाका लेब आ कतेक देब । यद्यपि सभागाछीमे ठाम-ठाम  बैनर लटकओने लोकसभ दहेजक विरोध करितथि मुदा व्यवहारमे बात किछु आओरे छल । एहन साइते कोनो कथा होइत जाहिमे टकाक लेन-देन नहि होइत । एहिबातसँ सभागाछी बदनाम भए गेल । लोकसभ ओकरा मेलाक संज्ञा देबए लागल । ततबे नहि कैकबेर लोक ठका सेहो जाइत छलाह । वर आ कन्या पक्ष दुनू  गलत जानकारी देथि जाहिसँ कैकबेर जीवनमे बहुत दुखद प्रसंगसभ होबए लागल । क्रमशः लोकसभक सभागाछीसँ विश्वास भंग होबए लागल । बिआह हेतु लोक घरकथापर निर्भर होबए लागल । सभा आबि कए जानकारी लितथि मुदा निर्णय बादमे होइत ।

सौराठसभामे बाहर अएनिहारक हेतु रहबाक हेतु व्यवस्था सेहो छल । मंदिरसँ सटले चारूकात धर्मशाला छल । ओहिठाम रहनिहार लोकसभ अपनसभटा ओरिआन करैत छलाह । कैकगोटे गामसँ अपन भनसिआआ बर्तन-बासन लेने अबैत छलाह । ओछाओन-बिछाओन तँ रहिते छलनि । एकगामक लोकक डेरा एकहिठाम रहैत छल । ओसभ भोर-साँझ डेरापर विश्राम करैत छलाह आ दिनभरि सभागाछीमे रहैत छलाह । असलमे ओहि समयमे लोकसभ सभागाछीकेँ बहुत गंभीरतसँ लैत छलाह । जँ ककरो घरमे बिआहयोग्य वर-कनिआ अछि तँ ओ सभागाछी जेबे करताह । आओरनहि किछु तँ कम सँ कम किछु जानकारिए भेट जेतनि । किछु परिचित,निकट संबंधीसभसँ भेंटे भए जेतनि । अस्तु,जँ सभा लागल अछि तँ लोक ओतए जेबे करथि ।

हमसभ नेना रही । तखनेसँ सालमे एकबेर होबए बला एहि सभाक प्रतीक्षा रहैत छल । हमसभ चारि-पाँचगोटे सभा पहुँचि जाइत छलहुँ । कहिओ काल बाबूजीक संगे सेहो जाइत छलहुँ । उद्येश्य रहैत छल सभागाछीमे  बानरसी पान खाएब,नानाप्रकारक लाल-पिअर रंगक सरबतसभ पीबाक आनंद लेब,आदि,आदि ।

जहिना लोक तरह-तरहक पाबनिसभ मनबैत छल तहिना सालमे एकबेर सौराठसभाक सेहो स्थान अबैत छल । लग-पासक गाममे रहनिहार धीया-पुतासभक हेतु ओ मनोरंजनक एकटा जबरदस्त अवसर रहैत छल । सभाक समय दुपहरिआमे जेम्हरेसँ देखू लोकक हुजुम सौराठ सभादिस जाइत देखाइत । किछुगोटे बससँ जाइत छलाह । मुदा बससभक दशा ततेक खराप रहैत छल जे अधिकांश लोक पैरे जाएब पसिंद करैत छलाह । ओहि समयमे टेकर ओतेक नहि चलैत छलैक । हमरा लोकनि बाधे-बाध पैरे चलैत-चलैत पोखरौनी चौक लग ऊपर होइत छलहुँ । ओहिठामसँ तँ सभा लगे छलैक । दस मिनट आओर पैरे चलू आ पहुँचि जाउ सभागाछी ।

सभागाछी पहुँचतहि हम महादेवक दर्शन करैत छलहुँ । तकरबाद बनारसी पानक दोकान लग पहुँचितहुँ । ओहिठाम अगल-बगलमे कैकटा दोकान एकपाँतिसँ लागल रहैक । कोनोमे आइसक्रीम बिका रहल अछि तँ कोनोमे किछु । से सभ केलाक बाद पहुँचितहुँ अपन गामक डेरापर । सभामे बैसबाक व्यवस्था बहुत वैज्ञानिक छल । सभ गामक आ कैकबेर एकहि गामक कैकटा टोलसभक डेरासभक स्थान नियत छल । सभसाल लोक ओतहि रहैत । एहिसँ सभामे ककरो ताकब आ भेंट करब बहुत आसान भए जाइत छल ।

सभागाछीमे एकबेर बिहारक तत्कालीन मुख्यमंत्री आएल रहथि । भाषणक क्रममे ओ सौराठसभाकेँ मेला कहि कए संवोधित केलनि । औ बाबू! तकरबाद जे हंगामा भेल से की कहू? चारूकातसँ लोकसभ मंच दिस बढ़ल। लोकसभ जोर-सोरसँ हुनका खिलाफमे नारा लगा रहल छल । कनिके कालमे लगलैक जेना उजाहि उठि गेल होइ ।पुलिससभ बहुत मोसकिलसँ मुख्यमंत्रीजीकेँ ओहिठामसँ बाहर केलक । हुनकर काफिला इएह-ले ओएह-ले ओहिठामसँ घसकल ।

सभासँ बिआह अनचोके होइत छल । कैकबेर तँ एहन होइत छल जे अभिवावक लोकनि रस्तेमे रहि जाइत छलाह आ बिआह भए जाइत छल । राति-बिराति सबारी नहि भेटबाक कारण बरिआतीसभ कैकबेर पछुआ जाइत छलाह । वरकेँ जेना-तेना लए कए कन्यागतसभ आगु बढ़ि जाइत छलाह । जखन बरिआती पहुँचथि ताबे तँ बिआह संपन्न भेल रहैत छल । एकबेर सभासँ हमरा गाममे बिआह ठीक भेलैक । दस हजार व्यवस्था तय भेल रहैक । बरिआती दरबाजा पर पहुँचि गेल । मुदा केओ स्वागत केनिहार नहि छल । कन्याक पिताक कोनो पता नहि छल । लगपासक लोकसभ हुनका ताकए लगलाह । लोकसभ हुनकर आङन गेलाह तँ देखैत छथि जे कन्याक पिताकेँ दाँती लागल छनि,ओ बेहोश पड़ल छथि। घरमे कोनो जोगार नहि छल । वरपक्षकेँ देबाक हेतु गछल गेल दस हजारक कोनो जोगार नहि भए सकल । घरबैआक ई हालति देखि गौंवासभ वरपक्षसँ गप्प कए सभटा बात कहलखिन । जेना-तेना बरिआतीसभक भोजनक व्यवस्था भेल । वरपक्ष वस्तु स्थिति केँ बुझैत टाकाक मांग छोड़ि देलनि आ बिआह संपन्न होइतहि भोरे वापस भए गेलाह ।

एकटा वर बिआहक हेतु सभागाछी गेल रहथि । सौंसे शुद्ध बिति गेल मुदा हुनकर बिआह कतहु ठीक नहि भए सकल । अंततोगत्वा, सभगोटे वापस गाम जाइत रहथि । रस्तामे गप्प-सप्पक क्रममे बरकेँ उदास देखि वरक पिता हुनका कहलखिन-

जखन भाग्यमे हेतह तँ बिआह भए जेतह ।

वर बजलाह -हौ! भाग्य तँ तोहर हाथमे अछि । तूँ ओकरा खुजए देबहक तखन ने? ”

कहक माने जे पिता द्वारा बिआहक प्रस्तावकेँ नीकसँ नहि सम्हारल गेल अन्यथा हुनकर बिआह भए गेल रहितनि । एहिना कतेको वर-कनियाक अभिवावकसभ सभा बिति गेलाक बाद निराश भए वापस भए जाइत छलाह।

पहिने सौराठ सभाक बहुत महत्व छल । देश-विदेश सँ मैथिल व्राह्मण  एक सप्ताह वा दस दिनक हेतु एकठाम एकट्ठा होइत छलाह । ओहिसँ एकहिठाम कतेको तरहक वर-कनिआक जानकारी संबधित  पक्षकेँ भेटि जाइत छलनि । यद्यपि सभागाछीमे कनिआ नहि जाइत छलीह मुदा हुनका बारेमे बहुत रास जानकारी अप्रत्यक्ष रूपसँ भेंटि जाइत छल । सभामे एकटा सभसँ पैघ फएदा ई होइत छल जे एकहिठाम बहुत रास इष्ट-मित्रसभसँ भेंट भए जाइत छल । संगहि बिआहक बहुत रास सूचना बहुत आसानीसँ एकहिठाम भेटि जाइत छल ।

सभामे पीपरक गाछक पातसभ मौला गेल अछि ।

एकर माने जे आइ सभागाछीमे एकलाखसँ बेसी लोक जमा भए गेल छथि ।

-से कहबी रहैक सौराठ सभाक ।

सौराठसभाक समय सरकारी बस एवम् अन्य सुविधासभ रहैत छल । बादमे जातीय आधारपर गठित सरकारसभ सौराठसभाकेँ जाति विशेषक संगठन बूझि उचित सहयोग नहि देलक । आब तँ जे हालत अछि से सभ जनिते छी । मोसकिलसँ सए लोक सभामे भेटताह । लाख आदमीक जमा होएब आ पीपरक पातकेँ मौलाएबाक बात तँ दूरक बात भेल । सौराठ सभा क महत्व क्रमशः झूस होइत गेल आ आबतँ ओ नष्टप्राय भए गेल अछि ।

कालक्रमे एहि व्यवस्थामेमे ह्रास होइत गेल । सभागाछीमे दहेजक मांग हाबी भए गेल । लोकसभ झूठ बाजि-बाजि बिआह-दान करबए लगलाह । एहिसँ कतेको वर-कन्याक जीवन तबाह भए गेल। सौराठ सभामे कैकबेर  लोक ठका जाइत छल । वर वा कनिआ पक्षक लोक  सही जानकारी नहि देथि । परिणामतः कैकटा वर वा कनिआक जीवन तबाह भए गेल । कैकटा नीक परिवारक कन्याक बिआह दरिद्र वरसँ करा देल गेलनि । कैकटा बहुत सुंदर  वरकेँ कारी खुट-खुट कनिआसँ बिआह भए गेलनि । एहि तरहक समस्यामे लगातार बृद्धि हेबाक कारणे लोकसभ घरकथेसँ बिआह करए लागल । क्रमशः सभागाछी गेनिहार लोकसभक संख्या घटैत गेल ।  कालांतरमे सभा जाएब कोनो वर हेतु अप्रतिष्ठाक बात भए गेल । सभा ओएह वर जाइत छलाह जिनका बिआहमे दिक्कत रहैत छल । सामान्यतः संभ्रांत परिवारक वरसभ सभा गेनाइ छोड़ि देलाह । घरकथासँ बिआह होबए लागल ।

बादमे की भेल की नहि, सभागाछीमे देल जा रहल सरकारी सुबिधासभ हटा लेल गेल । सरकारी बससभक संख्या क्रमशः कम होइत गेल । पहिने सभा गाछीमे बिआह ठीक भेलापर सिद्धांत पत्र देखेलापर चीनी आ अन्य समानसभ भेटि जाइत छलैक,बादमे ओहोसभ समाप्त भए गेल । निश्चित रूपसँ एहिमे राजनीति सेहो सन्हिआ गेल। जाति विशेषक संस्था बूझि सरकार आ राजनेतासभ एकरा वक्र दृष्टिसँ देखए लगलाह । मुदा सभसँ क्षति भेल अपने लोकसभसँ । सभामे नीक वरसभ गेनाइ छोड़ि देलनि । छल-प्रपंच द्वारा कतेको गलत-सलत बिआह करा देल गेल । जाहि वरकेँ कोनो औकात नहि रहैक तकरो धनिक बना कए नीक परिवारक कन्यासँ बिआह करा देल गेल । एहि तरहें कतेको परननीक कन्यासभक जीवन बरबाद भए गेल । परिणाम भेल जे लोकक सभासँ विश्वास उठि गेल । लोक सभा अएनाइ छोड़ि देलक । जखन लोके नहि रहत तँ सभा कथीक । से कालक्रमे सभागाछी निठ्ठाह बैसि गेल । आब तँ ओ मात्र इतिहासक वस्तु भए गेल अछि ।

सौराठसभा आइ-काल्हिक एकल खिड़की बला व्यवस्थाक परिचायक छल । वर-कनिआ पक्षक लोक एकठाम आठ-दस दिन उपस्थित रहैत छलाह । आपसमे वर-कनिआक परिचयक आदान-प्रदान करैत छलाह । गाम-घरक लोकसभसँ गप्प-सप्प कए कथाक विषयमे जरूरी जानकारीक संपूष्टि करैत छलाह । ततबे नहि ,लगेमे बैसल पंचकार लोकनिसँ आपसी संबंधक निर्णय लैत छलाह जाहिसँ  बिआह भए सकैत अछि कि नहि से स्पष्ट होइत छल । पंजी व्यवस्था एहन सटीक छल जे पुस्त-दर-पुस्त जानकारी एकहिठाम भेटि जाइत छल ।  सभकिछु होइतहु दहेजक समस्या ओहिसमय बहुत प्रवल छल ।  एहि कारणसँ कतेको नीक कन्याक अनुकूल बिआह नहि होइत छलनि । कैकबेर वर पक्षक लोक अपन आर्थिक परिस्थितिक गलत सूचना दए नीक घरक कन्यासँ मोट दहेज लए बिआह कए लैत छलाह । बादमे कन्याकेँ जीवनभरि कष्टक सामना करए पड़ैत छलैक । तहिना कैकबेर  सुंदरसँ सुंदर वरक बिआह कुरूप कनिआसँ करा देल जाइत छलनि । ओहि समयमे कनिआ देखबाक परंपरा नहि छल । लोक एक-दोसरपर विश्वास कए लैत छल आ ठका जाइत छल । एहिसभक प्रतिकूल परिणाम सभागाछीपर पड़ल । लोकसभाक अपेक्षा घरकथासँ बिआह करए लगलाह । सभा गेनाइ छोड़ि देलनि ।

जहिआ कहिओ सभागाछी जाइ ओतए दहेज विरोधी बैनर मंदिरक देबालसँ लटकल देखाइत । किछुगोटे गुट बना कए दहेजक विरोधमे मिटिंग से करथि । सभागाछीमे घुमि-घुमि कए पर्चा सेहो बाँटथि । मुदा तकर किछु प्रभाव नहि पड़ैक । दहेज लेनिहारसभ डंकाक चोटपर टाका गनबैत छल । जखन कखनो कोनो वरकेँ बेसी टाका गनल जाइत तँ सौंसे सभागाछीमे गर्द पड़ि जाइत । वरक पितासभ मोंछ फेरैत कहितथि-जखन ओहन वरकेँ एतेक टाका गनाएल तँ सोचल जा सकैत अछि जे हमर पुत्रक की मांग हेबाक चाहिअनि? हमरो बेटा पढ़ल लिखल,तैपर चासो बास छैक। अहीं कहू एकर की बजा छै? ई गीत एहि परिस्थितिक सद्यः वर्णन करैत अछि । एहि तरहें एक हिसाबे सभागाछीमे वरसभक बोली लागि जाइत छल । क्रमशः ई विमारी बढ़िते गेल । घरकथो सँ तय होबएबला बिआहसभमे टाका प्रमुख विषय बनि गेल । निश्चय एहिमे किछु परिवर्तन आब आएल अछि । बेटीसभकेँ शिक्षा आ आर्थिक आत्मनिर्भर्तासँ दहेजक मांग कमल अछि । मुदा ग्रामीण क्षेत्रमे अखनो कमोवेश ओएह हाल अछि । कहि नहि अपन समाज कखन एहि दुर्गुणसँ पार पाओत ।

सभ वस्तुक अपन आयु होइत अछि । सएह बात सभागाछीपर सेहो लागू भेल । एक समयमे समस्त मिथिलाक मिलन विंदु साबित होबए बला सौराठ सभा आब अपन समस्त गौरब गरिमाकेँ बिसरि गेल अछि । मुदा मिथिलाक इतिहाससँ बहुत नीकसँ जुड़ल एकर योगदान तँ बनले अछि आ बनले रहत ।