श्री
नंद लाल मिश्र
ई
जीवन अद्भुत अछि । भगवानक बनाओल एहि दुनिआमे कोनो चीजक कमी नहि अछि,कोनो
चीजक अंत नहि अछि । जाही दिस देखबैक एक सँ एक लोक देखबामे आबि जाएत । विद्वानेमे एक
सँ एक लोक भेलाह, छथि आ आगुओ हेताह । तहिना
एक सँ एक धनवान एहि दुनिआमे भेलाह आ छथिओ । एक सँ एक गबैआ,चित्रकार,साहित्यकार
एहि दुनिआमे अएलाह आ चलि गेलाह । तखन? हमसभ की करी? अपनाकेँ
कतए देखी? कतहु देखबाक कोन काज? ककरोसँ
अपन तुलना जँ करब तँ करिते रहि जाएब आ अंततोगत्वा दुखी भए एहि दुनिआसँ चलि जाएब ।
जे जतए,जाहि रूपमे अछि सएह कमाल अछि । सभमे भगवान किछु
चमत्कारिक गुण देने छथि,सभ किछु-ने-किछु कमाल केने
अछि । जरूरी थिक सही दृष्टिकोणक। हमरा जीवनमे एक सँ एक लोक भेटलाह जिनकर गुणक
वर्णन करब बहुत कठिन काज अछि। हुनका बारेमे किछु कहब संभवतः हुनका छोट कए देब होएत
। एहन कैकटा हमर मित्र अखनो छथि जे
जीवनभरि हमरा मदति करैत रहि गेलाह । हे ओ सभ तँ कोनोठाम संग भेलाह,संपर्कमे
अएलाह आ क्रमशः जुड़िते चलि गेलाह । मुदा एकटा एहन व्यक्ति भेलाह जे अप्रत्यासित
हमरा सामने प्रकट भेलाह ,ओहो तखन जखन हम हुनका देखनो
नहि रही,कहिओ भेंटो नहि रहए आ तकर बाद बहुत आत्मीय भए
गेलाह आ जीवन यात्रामे बहुत मदतिगार साबित भेलाह । ओ व्यक्ति छथि-डुमरी(मधुबनी)
गामक श्री नंदलाल मिश्रजी ।
हमर
मधुबनीक मकानक पहिल किरायेदार माप-तौल विभाग,बिहार
सरकार जखन मकान खाली कए देलक तकर बाद तीनसाल धरि ओ खाली पड़ल रहल । तकर कैकटा कारण
छल । एक तँ हम किरायेदारीसँ तंग भए गेल रही । माप-तौल विभागकेँ बहुत मोसकिलसँ
भगेने रही । तकर बाद? मकान खाली कतेक दिन रहैत ।
मकानमे बहुत रास काज बाँकी रहैक । हमरा छुट्टी रहए नहि । तखन केना की होइत? आखिर
हमर श्रीमतीजी तैयार भेलाह। हुनका पठओलहुँ आ संगे हमर
ज्येष्ठ पुत्र भास्कर सेहो रहथि । ओसभ दिन-राति मेहनति कए मकानक बहुत रास जरूरी
काज करओलथि । तकरबादो मकानक की होएत? अपने
तँ रहि नहि सकैत छलहुँ । तेँ ओकरा किराया लगाएब जरूरी छल । ओही समयमे मधुबनी
स्थित हमर मित्र श्रीनारायणजी श्री नंदलाल मिश्रजीकेँ तकलनि । हुनका मकानक जरूरति
रहनि । ओ मधबनीक उद्योग विभागमे बड़ाबाबू छलाह । हमरा अनुपस्थितिएमे श्रीनारायणजीक
सहमतिसँ मकान किरायापर दए देल गेल । नंदलाल मिश्रजी ओहि मकानमे तेरह वर्ष रहलनि ।
बीच-बीचमे हुनकर बदली दरभंगा,सहरसा
आ कतए-कतए होइत रहलथि । मुदा मकान इएह रहलनि । किराया कनी-मनी बढ़बैत रहलाह । कैकबेर किराया
बाँकी रहि जाइक । मुदा बादमे ओ पाइ-पाइ जोड़ि कए चुकता करैत रहलाह । बैंकड्राफ्ट
बना कए दिल्ली हमर डेरापर पठा दैत छलाह । मकानक
बिजलीक बिल लए कए थोड़ेक समस्या जरूर भेल। कोनो कारणसँ बिजलीक बिल अबितहि नहि छल ।
एहिप्रकारेण सालो बिजली तँ जड़ैत रहल मुदा बिलक भुगतान नहि भेल । बादमे शासन सख्ती
केलक आ बाँकी किरायाक संग जुर्माना सेहो हुनका देबए पड़लनि । हम हुनका समय-समयपर
कहिअनि जे बिजली बिल जमा करैत रहथि । मुदा से नहि कए सकलाह आ घाठा उठाबए पड़लनि ।
मुदा से ओ सहि गेलाह । ओहि मकानमे ओ एकटा समांग जकाँ रहलाह आ आसपासक चीज-वस्तुक
रक्षो करैत रहलाह । बगलमे हमर संबंधी लोकनिक खाली पड़ल भूखंडक सेहो ओ ध्यान रखैत
रहलाह । ई सभ तँ भेल किरायेदारी बात । ओहुना ओसभगोटे
बहुत नीक लोक छथि
। सभदिन बहुत नीक व्यवहार रखलनि । जखन कखनो हम ओतए गेलहुँ हमरा लागल जेना अपने
लोकसँ भेंट भए रहल अछि। जखन कखनो हम हुनका बारेमे सोचैत छी तँ मोन हुनका प्रति
सद्भावनासँ भरि जाइत अछि । लगैत अछि जे हमर अंतरमन एकटा सुखद स्मृतिसँ गुजरि रहल
अछि । सही मानमे अखनो एहि दुनिआमे बहुत नीक लोकसभ छथि आ तेँ ई चलिओ रहल अछि ।