जोरबागमे
झपटमारी
ई बात सितंबर २०१०क थिक । ओहि समय हम योजना आयोग(आब निति आयोग)मे उप सचिवरही । हमर संयुक्त सचिव श्री तुहीन कांत पांडेयजी(संप्रति भारत सरकारमे सचिव ) कहैत छथि-
“आइ अहाँक आबाज एतेक भारी किएक भेल अछि ?”
हुनका तकरबाद सभटा बात
कहलिअनि जे ओहिदिन भोरे हमरा लोकनिक संग घटित भेल रहए । हुनका
की सभ कहलिअनि से अहूँ बूझि लिअ ।
हमसभ नित्य भोरे पाँच बजे
लोदि गार्डेन टहलबाक हेतु जाइत छलहुँ । छओ-सवा-छओ
बजे वापस भए जाइत छलहुँ । ओहि बीचमे लोदी गार्डेनक दू चक्कर लगबैत छलहुँ । ओहूदिन
तहिना हम सभ लोदि गार्डेन टहलबाक हेतु गेल रही । घरसँ जखन बाहर भेलहुँ तँ थोड़बे
दूरपर किछु विकलांग भिखमंगासभ देखाएल । किछुदिनसँ ओ सभ एही समयमे हमरासभकेँ
लोदीरोड वा आसपास कतहु देखाइत छल। ओना ओकरसभक मुख्य स्थान सांइ मंदरिक बाहर रहैत
अछि जतए सएसँ बेसिए एहन-एहन विकलांगसभ भिखमंगा बनि
बैसल रहैत अछि । ओकर हालति देखि लोककेँ दया आबि जाइत अछि । फेर लोकसभ पूजा करबाक
मानसिकतामे रहैत अछि । तेँ किछु ने किछु ओकरासभकेँ दए देबामे संकोच नहि होइत छैक ।
मुदा लोदीरोडपर वा आसपास सड़कपर ओ सभ
घरहेर किएक केने छल,ओहिमे ओकरसभक किछु योजना छलैक से हमरासभकेँ सोचेबो नहि
करए । सामान्यतः हमरा लोकनिक लोदी गार्डेन जेबाक आ ओहिठाम टहललाक बाद वापस अएबाक रस्ता तय छल । हमसभ खालिए हाथ रहैत छलहुँ । सामान्यतः
रस्तापर चलैत केओ-ने-केओ परिचित भेटिए जाइत छलाह । बेसीकाल तँ सरदार वलदेव सिंह
सपत्नीक देखा जइतथि । हुनका संगे गप्प-सप्प करैत हमसभ लोदी गार्डेनमे प्रवेश
करितहुँ । किछुदिन पूर्व एहिना हमसभ लोदी गार्डेनसँ टहलि कए अपन डेरा वापस जाइत
रही । डेरा आब लगीचेमे छल । जोरबागक
कोनटा परहक पानक
दोकान लग एकटा मोटर साइकिल बला पता पुछलक-
“फलना जगह कोन बाटे जेबैक?”
हम सामान्यतः एहन प्रश्नक
उत्तर देबाक प्रयासमे नहि पड़ैत छी । ओकरोसभक प्रश्नक
जबाबमे हम
किछु नहि बाजल रही । हमर श्रीमतीजी हमरा पाछु कनीके दूरपर रहथि । साइत ओ रेकी कए
रहल छल वा झपटमारी करबाक ओकरसभक प्रयास ओहि दिन
खाली चलि
गेल रहैक । हमसभ सकुसल घर वापस भए गेल रही । ई तँ सपनोमे नहि सोचाएल जे ओ सभ कोनो
तरहें गड़बड़ आदमी छल किंवा हमरेसभक पाछा पड़ल छल ।
आन दिन जकाँ ओहूदिन हमसभ पाँचबजे
भोरे डेरासँ श्रीमतीजीक संगे टहलए बिदा भेल रही । कनीके आगु बढ़लहुँ की दू-तीनटा
विकलांग भिखमंगा हमरासभक आगु-पाछु गुड़कैत देखाएल । आश्चर्यो
लागल जे एतेक भोरे ई सभ एहिठाम किएक घुमि रहल अछि ?खैर!
हमसभ आगु बढ़ैत गेलहुँ । कनीके आगु बढ़लापर लोदी गार्डेनक भीतर आबि गेलहुँ ।
प्रसन्नतापूर्वक दू चक्कर लगेलाक बाद हमसभ वापस अपन डेरा दिस बिदा भेलहुँ ।
लोदीरोड टपलहुँ । कनीके आगु जर्मन विकास परिषद(GDC )क कार्यालय छल । ओहिठाम दुबगली चौकीदारसभ
अपन-अपन जगहपर ठाढ़ छल । फरीछ भइए गेल छल । केओ अबैत छल,केओ जाइत छल
। थोड़बे आगु जोरबाग मार्केट छल । हम दुनूगोटे निधोख आगु
बढ़ि रहल छलहुँ । । हम हुनकासँ पाँच-छओ हाथ पाछा चलैत रही ।
एकाएक एक आदमी गमछा ओढ़ने
हमरासभ दिस अबैत देखाइत अछि । ओही समयमे कैकगोटे लगीचेसँ गुजरि रहल छलाह । तेँ
कोनो शंकाक प्रश्ने नहि छल । ओ आदमी एकदम
सुभ्यस्त रूपसँ हमर श्रीमतीजीक लगीचमे आबि जाइत अछि आ ओकर दोसर हाथ झोरासँ झाँपल
अछि। ओकर दोसर हाथमे कट्टा छल जे ओ हमर श्रीमतीजीक पेटमे सटा देने रहनि । अचानक देखैत छी जे ओ आदमी हमर श्रीमतीजीक गलासँ चेन छिनि रहल
अछि । हमर श्रीमतीजी जी-जानसँ ओहि चेनकेँ बँचेबाक प्रयास कए रहल छथि । एतबेमे ओ आदमी बजैत अछि-
“पीछे देखो । अभी उसको साफ कर
दूंगा ।”
हमरा दिस ओकरा इसारा करैत
देखि हमर श्रीमतीजी अचानक पाछु घुमि हमरा देखैत छथि । ओ
आदमी हुनकर पेटमे कट्टा सटा देने रहए। दोसर हाथे चेन छिनि कए भागल । हम ई सभ देखि
रहल छी । मुदा एकटा शब्द हमरा मुँहसँ नहि निकलैत अछि । हम
एकदम बौक भए गेल छी । हमरा लागल जेना करेंट लागि गेल अछि । कनीके पाछु एकटा युवक
मोटर सइकिलसँ घटनास्थल लग आएल । चेन छिननाहर ओकरा पाछुमे बैसि गेल । हमर श्रीमतीजी मोटर
साइकिल बलाकेँ गोहरबैतरहलाह । हुनका होनि जे ओ केओ तेसर आदमी अछि । मुदा ओ तँ
झपटमारक दोस्त रहए । ताबे हमहु मोटर साइकिलबला लग
पहुँचि गेल रही । मोटर साइकिल आगु बढ़ल । ओकर पाछुमे बैसल झपटमार तमंचा लहरबैत रहल
। मोटर साइकिल आगु बढ़ैत रहल । जाबे ओसभ लगीचमे छल,हम
अबाक भेल ठाढ़ रही। जहन ओ सभपाँच-छओ लग्गासँ बेसी बढ़ि गेल,तखन जेना
हमर आबाज फुटल । हम जोर-जोरसव चिकरए लगलहुँ-
“एकरा पकड़ू ,ई
चेन छिनने जा रहल अछि । पकड़ू..पकड़ू...।”
सड़कपर दुनू कात लोक-अबैत
जाइत रहल । कथी लेल केओ ओ करासभकेँ टोकबो करत । ओ सभ लोदीरोडपर चढ़ि कए बामा कात मुरि
गेल । हम चिचिआइत आगु बढ़ैत गेलहुँ । लगपासमे कैकगोटे जमा भए गेलाह..बस तमासा
देखबाक हेतु । बातो सही छैक ,केओ
अपन जान किएक संकटमे दैत । ओ दुनूगोटे
आरामसँ आगु बढ़ैत गेल आ किछु कालमे अदृश्य भए गेल ।
हम दुनूगोटे अपन डेरा वापस
अएलहुँ । हमर श्रीमतीजी बहुत आहत रहथि । ओ ओहि चेनकेँ बाइस
वर्षसँ पहिरैत छलीह । छलैक हल्लुके मुदा हुनकर माता-पिताक देल उपहार छलनि । तेँ
ओहिसँ बेसी लगाव भए गेल रहनि । मुदा आब की होइत? जे हेबाक
छल से भए गेल। हमर श्रीमतीजीक इच्छाक अनुसार हम
दुनूगोटे थाना जा कए एहि घटनाक सूचना देलिऐक । । हमर श्रीमतीजी थानामे दर्खास्त
देलखिन। ओ सभ ओकरा राखि लेलक । मुदा प्रथम सूचना रपट(FIR) नहि केलक
। हमरासभक संगे एकटा युवक उप-निरीक्षक घटना स्थलपर अएलाह,थोड़े काल
एमहर-ओमहर केलनि आ वापस थाना चलि गेलाह । ओकरा सभक पूरा प्रयास मामिलाकेँ टरका
देबाक रहैक। हम एहि बातसँ बहुत क्षव्ध रही ।
एहि मामिलामे हम थाना जेबाक
पक्षमे नहि रही । हम बुझिऐक जे ओहिसभसँ आब किछु होबए बला नहि छल । मुदा हमर
श्रीमतीजीक बहुत जोर देखि हम नार्थ ब्लाकमे गृहमंत्रीजीक कार्यालयमे कार्यरत ओएसडी नागराजजी(जे हमर परिचित छलाह) लग गेलहुँ । हुनका सभबात कहलिअनि । ओ थानामे फोन
केलखिन आ हमरा फेर थाना जेबाक हेतु कहलाह । साँझमे कार्यालयसँ लौटि हम सोझे
लोदीरोड थाना गेलहुँ । ओहि समयमे थानेदारक रंगति बदलि चुकल छल । ओ हमरा देखिते
कुर्सीपर बैसेलाह । कोलड्रिंक पिएलाह आ तुरंत एफआइआर करबाक आदेश कए देलखिन ।
सचमुचकेँ एफआइआर भए गेलैक । हम डेरापर
वापस आबि श्रीमतीजीकेँ ई समाचार देलिअनि ।
एकर बात तँ नित्य दूटा पुलिस हमर डेरापर आबए लागल । आसपास लोकसभकेँ कान ठाढ़ हबए लगलैक
जे बात की छैक? हिनका ओहिठाम पुलिस किएक अबैत रहैत छनि? एकदिन
तँ ओ सभ किछु अपराधीक फोटो संगे आएल आ हमरासभकेँ तिहार जेलमे पहचान परेडमे उपस्थित हेबाक
हेतु कहलक । हमसभ एहिबातसँ बहुत परेसान भए गेलहुँ । जे क्षति हेबाक छल से तँ भेबे
कएल । आब पुलिस संगे जहाँ-तहाँ बौआइत रहू । हम तत्कालीन पुलिस उपायुक्त श्री
आर.के. झा जीकेँ फोन केलिअनि । हुनका आग्रह केलिअनि जे कहुना ई केस बंद
करा देथि जाहिसँ पुलिससँ छुटकारा होअए । जे बात छैक ओ हमरा ओहिठाम आएल एएसआइकेँ
कहलखिन जे एहि केसकेँ बंद कए देल जाए । ताहि हेतु हमसभ पुलिसकेँ लिखि कए सेहो
देलिऐक । इहो लिखि देलिऐक जे हमसभ अपराधीकेँ नहि चिन्हि सकब । हमरासभकेँ पहचान
परेडमे लए गेलासँ पुलिसक केस कमजोर पड़ि जाएत । तकर बाद हमरा ओहिठाम पुलिसक आवागमन
बंद भेल । हमसभ निचैन भेलहुँ ।
करीब डेढ़ सालक बाद एकदिन कोर्टसँ समन भेटल ।
ओहिमे हमर श्रीमतीजीकेँ साकेत कोर्टमे उपस्थित हेबाक हेतु कहल गेल रहनि । हमसभ
नियत समयपर कोर्टमे हाजिर भेलहुँ । पुलिस दूगोटेकेँ पकड़ने छल आ हमरोसभक मामिलामे
ओकरेसभक नाम दए देने छल । असलमे ओ सभ हमर श्रीमतीजीक चेन झपटमारीमे सामिल नहि रहए
। जाबे हमसभ कोर्ट पहुँचलहुँ ताबे एहि
मामिलामे अगिला तारिख दए देल गेल रहैक । हमसभ जज साहेबकेँ आग्रह केलिअनि जे संभव
होइक तँ आइए सुनबाइ कए लेल जाए । संयोगसँ मध्यावकाशक बाद ई मामिला फेरसँ
लागि गेल । दुनू अपराधी कोर्टमे उपस्थित छल । हमर श्रीमतीजी कहलखिन जे ओ ओहि
अपराधीसभकेँ नहि चिन्हैत छथिन । बातो ओएह छल । जज वारंबार पुछलकनि- “आप
दबाब में तो नहीं बोल रहे हैं?”
हमर श्रीमती जी कहलखिन-“नहीं
सर! हम स्वेच्छा से सही बात कह रहे हैं ।”
तकर बाद हमरासभकेँ कोर्टक
तरफसँ यातायात खर्चा देल गेल आ हमसभ वापस अपन डेरा आबि गेलहुँ । मोनमे वारंबार अफसोच होइत छल जे बेकारे पुलिसमे रपट केलहुँ । चेन तँ गेबे कएल ऊपरसँ
व्यर्थक परेसानीसभ होइत रहल ।