मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 17 जनवरी 2024

मैथिली निबंध संग्रह ,आलेखगुच्छ : पाठकीय प्रतिक्रिया

 





मैथिली निबंध संग्रह ,आलेखगुच्छ : पाठकीय प्रतिक्रिया

 

सिद्धिरस्तु द्वारा प्रकाशित आदरणीय श्री शशिबोध मिश्र 'शशि'जीक लिखित समीक्षात्मक मैथिली निबंध संग्रह ,आलेखगुच्छ ,पढ़बाक अवसर भेटल । एहि पोथीमे सोलहटा निबन्ध/ पुस्तकसमीक्षा/ प्रत्यालोचना सामिल अछि। एहि पोथीमे अनेक प्रख्यात लेखक द्वारा लिखित मैथिली उपन्यासक समीक्षा कएल गेल अछि । कैकटा मूर्धन्य  साहित्यकारलोकनिक संस्मरण,किछु कविता संग्रहसभक समीक्षा /प्रत्यालोचना (प्रोफेसर हरिमोहन झाक कन्यादानक संदर्भमे आदरणीय  डा.श्री रमानन्द झा'रमण'क समीक्षाक) आ मिथिला राज्य निर्माण संबंधमे आलेख सेहो अछि।

प्रोफेसर श्री विद्यानाथ झा विदित लिखित उपन्यास 'मानव कल्प’,श्री मन्त्रेश्वर झाजी द्वारा लिखित उपन्यास'चिनवार',स्वर्गीय हेतुकर झाजी द्वारा लिखित उपन्यास,’ककरा ले अरजब हे ,स्वर्गीय ललित द्वारा लिखित उपन्यास'पृथ्वीपुत्र,स्वर्गीय कांचीनाथ झा 'किरण'क उपन्यास,चन्द्रग्रहणक बहुत  उत्तम समीक्षा कएल गेल अछि। एहि आलेखसभकेँ पढ़लासँ संदर्भित उपन्यास सभक बारेमे बहुत सटीक जानकारी तँ भेटिते अछि,संगहि विद्वान लेखक उपन्यास कोना लिखल जाए,ओहिमे की विषय वस्तु आवश्यक अछि,की नहि लिखल जेबाक चाही ,तकर बहुत विस्तारसँ वर्णन केलन अछि ।

कवितरु वनमे छथि श्रीखंड शिर्षक आलेखमे आदरणीय लेखकजी प्रोफेसर हरिमोहन झाजी एकटा मात्र उपन्यासकारे नहि, मात्र सफल कथाकारे नहि, अपितु एकटा सिद्धहस्त कविअहु छलाह, से सिद्ध करबामे सफल भेलाह अछि। श्री शिवकुमार 'नीरवक काव्यकृति, अनुराग राग, बहुत नीक समीक्षा कएल गेल अछि। ओ लिखैत छथि-अनुराग राग, मुक्त छन्दक शैलीमे रहितहुँ छन्दक अन्य वैशिष्ट्य जेना यति,गति,लय एवं प्रवाह सँ परिपूर्ण अछि

आलेखगुच्छमे मैथिलीक  किछु प्रख्यात साहित्यकारक बारेमे लेखकक अपन संस्मरण बहुत रोचक तरीकासँ लिखल गेल अछि।  स्वर्गीय बैद्यनाथ मिश्र 'यात्री’,डा.इन्द्र कान्त झाजी,स्वर्गीय राजमोहन झाजी आ अंतमे स्वर्गीय सुधांशु शेखर चौधरीजीक बारेमे लिखल गेल हुनकर संस्मरणसभ पढ़लासँ बहुत रास जानकारी भेटैत अछि। लेखकजी हुनकालोकनिक कतेक लगीच छलाह से स्वतः सप्ष्ट होइत अछि ,संगहि हुनकालोकनिक जीवनक अनेक घटनासभक बारेमे सेहो जनतब होइत अछि।

मिथिला राज्यक निर्माणःताकि रहल बलिदान’,शिर्षकसँ लिखल गेल हुनकर आलेख बहुत उपयोगी अछि,तथ्यसँ भरल अछि आ एहि आन्दोलनकेँ गति देबामे सक्षम अछि। ई पढ़ि कए बहुत आश्चर्य  भेल जे दरभंगा महराज स्वर्गीय कामेश्वर सिंहजी संविधान सभामे मिथिला राज्यक प्रश्नपर मौन रहि गेलाह । एहिमे कोनो सक नहि जे बहुत षणयंत्रपूर्वक मिथिला राज्यक निर्माण होएबासँ रोकल गेल छल आ अखनहु सएह भए रहल अछि। मैथिली भाषाकेँ संविधान सम्मत अधिकार बिहार राज्यमे सरकार द्वारा नहि भेटि रहल अछि जखन कि झारखंडमे मैथिली द्वतीय राजभाषा अछि, नेपालमे मैथिली द्वतीय राजभाषा अछि। मैथिलीक हितसाधन हेतु आवश्यक अछि जे पृथक मिथिला राज्य शीघ्र बनए। एहि संबंधमे लेखकजी बहुत उपयुक्त परामर्शसभ देलनि अछि जाहिपर ध्यान देबाक प्रयोजन अछि।

आलेखगुच्छ अद्भुत पोथी अछि। एकबेर एकरा पढ़ब शुरु केलहुँ तँ समाप्त केलाक बादे उठि सकलहुँ। पुस्तकक भाषा आ लिखबाक शैली ततेक नीक आ मधुर अछि जे ई आलेखसभ पढ़ैत काल कविता पढ़बाक आनन्द भेटैत अछि। एहि पोथीकेँ अबस्स पढ़बाक चाही, स्वागत हेबाक चाही। लेखक आ प्रकाशक दुनूगोटेकेँ हार्दिक बधाइ आ शुभकामना!

 

रबीन्द्र नारायण मिश्र

mishrarn@gmail.com