शनिवार, 15 दिसंबर 2018

कर्मण्येवाधिकारस्ते


कर्मण्येवाधिकारस्ते


महाभारतक युद्धक प्रारंभहिमे अर्जुन जखन रणक्षेत्रमे पहुँचलाह आ हुनकर इच्छानुसार श्रीकृष्ण रथकेँ युद्धक्षेत्रक बीचमे ठाढ़ कए देलाह तँ अर्जुन युद्दक दृष्य आ ओहिमे भाग लिनिहार लोकनिकेँ देखितहि अत्यंत दुखी भए कहैत छथि-" हम ई युद्ध किन्नहु नहि लड़ब। एहन राजकेँ पाबिए कए हमरा कोन सुख होएत जे स्वजनक खूनसँ लथपथ होएत । जकरा प्राप्त करबाक हेतु हमरा भीष्म पितामह सन श्रेष्ठ लोकक हत्या करए पड़त । की हम अपन प्रिय गुरु द्रोणाचार्यक मृत्युक कारण बनि राज सुख भोगि सकब ?" भगवान श्री कृष्ण हुनका बहुत बुझओलखिन। हुनकर कहबाक मूल तथ्य इएह रहनि जे अहाँ एहि संसारमे अपन कर्तव्य कर्म करए अएलहुँ अछि,से नहि केलासँ लोक अहाँकेँ कायर बूझत,अहाँपर हँसत । तेँ कर्मफलक संपूर्ण त्याग करैत आगू बढ़ू ।" कहक माने जे जीवनमे जे कर्तव्य अछि तकर निर्वाह तँ अवश्य करू मुदा तकर बाद ओकर परिणामक घमर्थनमे नहि पड़ू ।
फलक प्रति जतेक कम आसक्ति रहत काजमे ओतेक अधिक मोन लागत ,नहि तँ सदरिकाल इएह सोचैत रहि जाएब जे की होएक की नहि ? हरदम एही चिंतामे रहब जे हमर की होएत? जे हेबाक होएत से होएत। जे अपन हाथमे अछि से करू । जे अपना हाथमे अछिए नहि ताहि हेतु माथापच्ची केनाइ व्यर्थ थिक । आइ धरि जतेक पैघ काज भेल अछि ओकर पाछा कर्तव्यक प्रति समर्पण आ परिणामसँ आसक्तिक अभाव रहल अछि । नेल्सन मेंडोला सालक साल जहलमे सड़ैत रहलाह । कोन कष्ट ने भोगलनि । परन्तु अपन निशॉचयपर अडिग रहलाह तँ एकटा इतिहास गढ़ि देलाह। दक्षिण अफ्रिकाक जननायक भए गेलाह । तहिना अपना देशमे महात्मा गांधी सहित आओर - आओर महान नेतासभ केलनि । जौँ ओ सभ परिणामक चिंता करितथि तँ किछु नहि कए पबितथि । आधा-अधुरा संकल्पशक्तिसँ जे प्रयास होइत अछि से कखनो अपन लक्ष्यधरि नहि जाइत अछि । संपूर्ण शक्तिसँ जे किओ प्रयासमे लागल रहैत छति ओएह इतिहास गढ़ैत छथि ।
हमसभ काज शुरु करएसँ पहिनहि सोचए लगैत छी जे एकर फलाफल की होएत । हमरा फैदा होएत कि नहि? हम मनोवांछित फल प्राप्त कए सकब कि नहि ? परिणाम ई होइत अछि जे हमर शक्ति काज करबाक बदला झूठ-मूठ चिंतनमे खर्च भए जाइत अछि । जतेक नीक जकाँ हम प्रयास कए सकैत छलहुँ से नहि कए पबैत छी । विभाजित मनोदशामे कएल गेल काजमे ओ विशिष्टता नहि भए पबैत अछि । जखन काज नीक नहि होएत तँ परिणाम नीक केना होएत?
कै बेर ई देखल जाइत अछि जे इसकूली बच्चाक परीक्षाक परिणाम अनुकूल नहि अएलापर अभिवावक ओकरा तरह-तरहसँ प्रताड़ित करैत छथि । एहिसँ किछु लाभ नहि होइत अछि । जखन जे करबाक छलैक से केलहुँ नहि । बच्चाक पढ़ाइ दिस ध्यान जाइ तकर व्योंत  केलहुँ नहि,दिन-राति टाका कमेबाक जोगारमे लागल रहलहुँ आ जखन बच्चा इसकूलमे फेल भए गेल तँ ओकरा मारि-पिटि रहल छी । ई कोन वुद्धिमानी भेल? जखन परिणाम बाहर भए गेल तँ आब आगाक तैयारी करक चाही । वच्चाकेँ कहक चाही जे ओ हतप्रभ नहि होअए ,आगा आओर अवसर अएतेक  । अपन प्रयास करैत रहए मुदा हमसभ सामान्यतः उल्टे करैत छी । परिणाम होइत अछि जे वच्चाक मनोवल टुटि जाइत अछि । ओ कै बेर कुमार्गमे पड़ि जाइत अछि । गलत लोकक संगतिमे चलि जाइत अछि । आ एहिसभक जड़िमे रहैत अछि अभिवावक गलत दृष्टिकोण । हमरा लोकनि परिणाम अनुकूल हेबाक लिप्साक आगू नेन्नाक भविष्यकेँ झोकि दैत छी । एहनमे कतेको होनहार नेन्ना बर्बाद भए जाइत छथि । एना किएक होइत अछि? एहीलेल जे हमसभ जेना-तेना चाहैत छी जे फल हमर इच्छाक अनुकूल होअए,चाहे काज तेहन भेल होइ कि नहि । व्यवहारिक जीवनमे एहन कतेको उदाहरण भेटत जतए फलक प्रति अनावश्यक आशक्तिक कारण लोक निहित कर्तव्यक निर्वाह नहि कए पबैत छथ जकर विनाशकारी परिणाम होइत अछि ।
हमरा लोकनि एहि संसारमे किछु समयक हेतु अबैत छी । सभ अपन-अपन परिस्थितिक अनुसार जीवनमे संघर्ष करैत छी आ समय पूरा  भेलापर चलैत बनैत छी । जीवन चलैत रहए,सुख सुविधा रहए ताहि हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहैत छी । मुदा सभके भाग्य एकरंग नहि होइत अछि । किओ जनमतहि अछि संपन्नतामे तँ किओ दरिद्रक घरमे । जाहिर छैक जे शुरुएसँ लोक फराक-फराक रस्तापर चलबाक हेतु मजबूर भए जाइत अछि ।
जतेक शांत मनसँ काज होएत,कर्मक गुणवत्ता ततेक नीक रहत । स्वभाविक थिक जे परिणाम तेहने नीक रहत आ जँ मनोवांछित परिणाम नहिओ भेल तँ उद्विग्नतासँ की लाभ होएत किछु नहि । तेँ ई जरुरी अछि जे गीतामे भगवान द्वारा देल गेल संदेशक भावकेँ बुझैत काज करबाक चाही । हमरा अहाँक वशमे काज करब अछि, से नीक सँ करबाक चाही आ तकर बाद जे होइत अछि तकरा सहर्ष स्वीकार करी । जँ अपना मोनक भेल तँ नीक आ जँ ओहिसँ भिन्न भेल तँ सेहो भगवानक इच्छा बुझि स्वीकार कए ली ।
कै बेर मोनमे ई बिचार उठैत अछि जे हम तँ ई केलहुँ ,ओ केलहुँ,सौंसे जिनगी नीक काज भेटल मुदा हमरा की भेटल । हमरा तुलानमे दोसरसभ एक-सँ-एक पदपर पहुँचि गेलाह । हम ठामहि छी । हम पढ़एमे बेसी तेजगर छलहुँ मुदा हमरासँ बहुत कम नंबर आबएबलासभ बेसी सफल रहलाह । असल जीवन  दू दूना चारि जकाँ नहि चलैत अछि । एकर कोनो गणित नहि छैक । कारण की अछि से नहि कहला जा सकैत अछि। मुदा ई बात तँ तय अछि जे जँ हम जे कए सकैत छलहुँ से जँ कए लेलहुँ तँ हमर अपने मोन गबाही देत,हम संतुष्ट रहब । असलमे नीक प्रयास,नीक काजकहेतु केल गेल प्रयत्न अपना आपमे पुरस्कार थिक । काज हमरा हाथक गप्प थिक, तकर की फल हेतैक से सदरिकाल अपने हाथमे नहि रहैत छैक । अस्तु,अपन कर्तव्य करू आ गीत गाउ । जे हेबाक छैक से होउ ।