सरकारी सेवासँ सेवानिवृतिक बाद हम दिल्लीक बार कौंसिलमे निवंधन हेतु गेलहुँ । हौजखासमे
अवस्थित ओहि कार्यालयमे बेस गहमा-गहमी छल । बेसी युवकसभ रहथि मुदा बूढ़ोसभक कमी नहि
रहए । ओहिदिन एक सएसँ कम लोक नहि रहथि । कैटा फार्मसभ भरबाक रहैक । शुल्क जमा करबाक
रहैक । से सभ भेलैक। फेर की भेलैक की नहि काज रूकि गेलैक । लोकसभ अपसियाँत रहथि । जेना-तेना
फार्म जमा भेल आ कहल गेल जे चारि-पाँचदिनक बाद पता लागत जे कहिआ लाइसेंस भेटत । हमसभ
अपन-अपन घर बिदा भए गेलहुँ । ओहीक्रममे दिल्ली सरकारमे सहायक श्रम आयुक्तक पदसँ सेवानिवृत
श्री ओम प्रकाश सपराजीसँ भेंट भेल । एहन लोक नहि देखलहुँ । एकटा अपरिचित व्यक्तिक हेतु
एहन आपकता कम देखबामे अबैत अछि । कहए लगलाह-
"अहाँ केमहर जाएब?"
"२१ ब्लाक, लोधी कालोनी।"
"चलू, हम अहाँकेँ छोड़ैत चलि जाएब । हमरो ओमहरे जेबाक अछि ।"
हम हुनका संगे बिदा भए गेलहुँ । सपराजी हमरा घर धरि छोड़ि देलाह । आग्रह केलिअनि
तँ बैसि कए संगे चाहो पिलाह । कनीके कालमे तेहन मिलि गेलाह जेना लागए कतेक सालसँ जनैत
होइअनि । फेर ओ हमरासभसँ जेबाक अनुमति लेलाह । एकटा अपरिचित व्यक्तिसँ एहन सिनेह दिल्लीक
समाजमे अपवाद थिक। मुदा ओ छथिहे तेहने महान व्यक्ति । दिल्लीमे अनेको सामाजिक संस्थासँ
जुड़ल छथि । मित्र संगम पत्रिका अपन किछु संगी सभक समगे प्रत्येक मास सालोंसँ निकालैत
छथि । यद्यपि ई पत्रिकामे कम पृष्ठ होइत अछि मुदा सपराजी आ हुनकर सहयोगीसभ एहिमे गागरमे
सागर भरि दैत छथि । प्रत्येक मास नियमित रूपसँ ई पत्रिका निकलैत अछि आ कतेको लोकमे
बाँटल जाइत अछि । नियमिततामे तँ ई पत्रिकाक कमे मिसाल भेटि सकैत अछि। अकस्मात भेल ई
भेंट-घाँट सँ श्री सपराजीसँ हमर मित्रताक शूत्रपात
भेल । पछिला पाछ सालसँ से गहीर होइत गेल । मृदुभाषी आ मिलनसार सपराजी दिल्लीक साहित्यिक
जगतमे बहुचर्चित व्यक्तित्व छति। हुनकासंगे जखन कखनो हम पुस्तक मेला गेलहुँ तँ बाहर
होएब मोसकिल भए जाइत छल ,कारण डग-डेगपर हुनकर परिचित लेखक,प्रकाशक भेटैत रहितनि आ ओ सभक संगे तेना ने मिलि जइतथि जेना पानिमे चिन्नी मिलि
जाइत अछि । किछुदिनक बाद हमरा ओकालतक लाइसेंस भेटल । सपराजी आ हम दुनूगोटे कैट बार
रूममे लगभग डेढ़साल बैसलहुँ । ओहिक्रममे नियमित ओ
भेटैत रहलाह ।
सरकारी सेवासँ निवृतिक बाद हम सोचने रही जे आब स्वतंत्र काज करब । ताहि दृष्टिसँ
वकालतक लाइसेनस लेलहुँ । नियमित रूपसँ कैटमे बैसल करी ई क्रम करीब डेढ़ साल चलल । ओहि
दौरान कैटा नव चीजसभ सीखबाक अवसर भेटल। सरकारी सेवा संबंधी नियम-कानूनक हम जानकार छी
आ ओहि क्षेत्रमे चालीस सालोसँ बेसीक व्यवहारिक अनुभव अछि । हमरा उमीद छल जे हमर वकालत
चलि जाएत मुदा से भेल नहि । समय बिताबक हेतु कैटक बाररूम बढ़ियाँ स्थान अछि । ओतए अधिकांश
ओकील सेवानिवृत सरकारी अधिकारी छथि जे मूलतः समय बिताबक हेतु ओतए जाइत-अबैत छथि । बादमे
हमरा अंदाज भए गेल जे ई काज चलए बला नहि अछि । नित्यप्रति इन्दिरापुरामसँ कापरनिकस मार्ग स्थित कैटक बाररूम धरि आएब-जाएबमे
बहुत खर्चा होइत छल आ आमदनी फोकला । कै दिन एना चलि सकैत छल?
किछुगोटे मात्र समय काटए हेतु ओकिलक ड्रेस पहिरि भरि दिन कैट बाररूममे बैसल गप्प
मारैत रहैत छथि । लागत जेना कतेक गंभीर विषयपर चर्चा भए रहल अछि । एहने इकटा रेलवेसँ
सेवानवृत वरिष्ठ अधिकारी छथि जे ग्रेटर नोएडासँ नित्य कैट (कापरनिकस मार्ग, दिल्ली) अबैत-जाइत छथि । हम पुछलिअनि-
"किछु काजो चलैत अछि कि नहि?"
"काजक गप्प छोड़ू । जहिआसँ एतए आइब-जाएब शुरु कएलहुँ, ब्लड सुगर सामान्य भए गेल । आँखिक चश्माक नंबर कम भए गेल । ई तँ सद्यः फैदा थिक
।"
एहिना कै गोटे घरमे झंझटसँ बँचबाक हेतु
बहराइत छथि । एकदिन दिल्ली उच्च न्यायलयमे
एकटा सेवानिवृत जीला न्यायाधीस कहलाह-
"सेवा निवृतिक बाद किछु दिन घरेमे रही । तरकारी, दूध आनबाक काज हमरे जिम्मा आबि गेल । ताहि लेल तँ कोनो बात नहि मुदा जखन तरकारी
कीनि कए आपस घर जाइ तँ गृहणी कहथि-
"कहि नहि अहाँ केना जजक काज करैत छलहुँ । अहाँ बुते तरकारी कीनब सन सोझ काज नहि
होइत अछि । सभटा सड़ल-पाकल तरकारी उठा अनैत छी ।"
कहला तकरबाद ओकालत शुरु केलहुँ । कम सँ
कम घरक फज्जतिसँ मुक्ति भेटि जाइत अछि । "
एहन उदाहरण बहुत गोटेक अछि । जीवन छैक । तरह-तरहक खिस्सा सुनबामे अबैत रहैत छैक
। मुदा सेवा निवृत लोकनिकेँ तरह-तरहक समस्या रहिते छैक ।
एकदिन एकटा मोअक्किल पुलिस संगे अएलाह । हुनका नौकरी संबंधी किछु समस्या छलनि ।
हुनकर केस उच्च न्यायलय दिल्लीमे चलितनि । हुनकर कागज -पत्तर देखबासँ बुझा गेल जे मामलामे
कोनो दम नहि थिक । मुदा ओ मोकदमा करबाक हेतु अड़ल छलाह । हमरा कहलाह॒-
" हम चाहैत छी जे संबंधित अधिकारी दंडित होअए, हमरा फैदा भले नहि होअए । दोसर दिन भेने ओ फेर अएलाह । कतबो हम बुझाबिअनि
कोनो असर हुनकापर नहि पड़ए । ओ वाजिब फीसो देबाक हेतु तैयार छलाह । हम पुछलिअनि-
"अहाँकेँ हमही कोना पसिंद पड़लहुँ?"
" अहाँक केस पाकि गेल अछि, बुजुर्ग आदमी छी, भेल जे अहाँ हमरा ठगब नहि ।" हमरा नहि रहल गेल । हँसी लागि गेल । हम
ओकर कागज-पत्तर ध्यानसँ पढ़ि ओकरा राय देलिऐक -
"अहाँक मोकदमामे जान नहि अछि । एहिमे अहाँकेँ किछु फैदा नहि होएत । यद्यपि एहिमे
प्रशासकीय चूक लगैत छैक आ ताहि हेतु भए सकैत अछि जे कोर्ट ओकरा दंड दैक ।"
"बस इएह हमरा चाही । ओहिमे हमरा फैदा होअए वा नहि मुदा ओहि अधिकारीकेँ दंडित कएल
जाए। ओ बहुत बदमास अछि ।"
हम लाख प्रयास केलहुँ ओ अपन बात पर अड़ल रहथि ।
“मोकदमा लड़बाक छैक, जे हेतैक।"
हम ओहि केस लेबामे उत्सुक नहि रही आ ओ मोअक्कल से बात बुझलक आ कतहु आनठाम चलि गेल।
एहिबातकेँ ओतए कैटा ओकिलसभ देखैत रहथि आ हमरा कहलाह-
"अहाँ तँ हमरोसभक धंधा चौपट करब ।"
एकाध बेर आओर एहने घटनासभ घटित भेल । ओना हमरा कोर्टमे जा कए ओकिलसभक बहस सुनबामे
मोन लगैत छल । कैटा ओकिल बहुत नीक सँ अपन बात रखैत छलाह । मुदा कै गोटेकेँ मोअक्कलकेँ
ठकैत सेहि देखिअनि । जे भेल,से भेल करीब डेढ़ साल हम एही मे लागल
रहलहुँ । किछुगोटे हमरा ओकिलसाहेब सेहो कहए लगलाह । मुदा आर्थिक लाभ किछु नहि होइत
छल । तकरबाद हम सेवानिवृत अधिकारी सभक हेतु उपयुक्त नौकरी सभ ताकए लगलहुँ । केन्द्र
सरकारक इलेक्ट्रोनिक विभागक अधीन नीलीट एकटा संस्था थिक । ओहिमे संविदा आधारपर सलाहकारक
हेतु हम चुनल गेलहुँ । भेलैक ई जे किछुदिन पूर्व हम एकटा प्रशिक्षणक किलास लेने रही
। ओहिमे सरकारक आरक्षण व्यवस्था कोना लागू कएल जाएत विषयपर पढ़ेबाक रहैक । हमरा ओ काज
आबि गेल । साक्षात्कारमे ओही विषयपर बहुत रास
प्रश्न पुछल गेल जे हम धराधर कहैत गेलिऐक । हम ओहिमे प्रथम स्थान पाबि सफल भेलहुँ । हम साढ़ेतीन मास ओहिठाम काज केलहुँ । ओहीबीचमे हमर
दिल्ली उच्च न्यायलयसँ स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेट(विशेष महानगर दंडाधिकारी)क पद हेतु चयन भए गेल। तकर अधिसूचना
सेहो जारी भए गेल । हमरा नीलीटमे टाका तँ नीक भेटैत छल मुदा काज किछु देबे नहि करथि
। बैसबाक सेहो कोनो ठेकान नहि । एकटा अधिकारीक सोफापर बैसल करी । साढ़ेतीन मासमे ओ
सोफा एकहाथ धसि गेल । भरिदिन ओहि अधिकारीक भाषण सुनैत रहू । काज किछु नहि । तीनटा-चारिटा
अखबार पढ़ल करी । तैयो समय नहि बीतए । तखन इलेक्ट्रोनिक भवनक भीतरे घुमल करी । समयसँ
पहिने ने आपस घर जा सकैत छलहुँ ने देरीसँ दफ्तर आबि सकैत छलहुँ कारण ओहिठाम हाजिरीक
हेतु बायोमेट्रीक मशीन लागल रहैक । । आएब जरूरी,रहब जरूरी मुदा काज किछु नहि । एक हिसाबे ई बड़का दंड छल । एकदिन हमरा बड़ तामस
भेल । ओहिठामक वरिष्ठ अधिकारीपर बिगड़लहुँ ।
"ई की तमासा केने छी? मासक-मास बिना काजक हम समय बिता
रहल छी । बैसबाक सेहो कोनो ठेकान नहि अछि ।"
ओ कनी परेसान बुझेलाह ।
"चिंता नहि करू । सभटा भए जेतेक । बहुत नीक हेतैक । जगहो भेटत,काजो भेटत । सभटा हेतैक। हेबे करतैक । "-से सभ बड़बड़ाइत
बैसबाक जगह बनेबाक हेतु ओ एमहर-ओमहर घुमए लगलाह
। लगलैक जेना आइ किछु भइए कए रहत । मुदा ई सभ नाटक छल । किछु नहि भेल । आएल पानि,गेल पानि ,बाटे बिलाएल पानि बला हाल भए गेल
। हमरा दिल्ली उच्च न्यायलयक अधिसूचना भेटि गेल रहए । आब ओहिठाम रहब उचित नहि बुझाएल
। फेर डेरापर हमर माए दुखित छलीह । सोचलहुँ जे इस्तीफा दए दी । जाबे स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज नहि शुरु होइत अछि ताबे माएक सेवा भरिपोख करब । सएह सोचि हम इस्तिफा
दए देलहुँ। हमर इस्तिफा देखि ओ अधिकारी गाहे-बगाहे ओकरा आपस लेबाक हेतु कहथि मुदा हमर
निश्चय पक्का छल । एहि तरहें हम नीलीटसँ कार्यमुक्त भए गेलहुँ ।
सोचने रहिऐक जे दस-पंद्रह दिनमे स्पेशल
मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज शुरु भए जेतैक
। लएह ओ बाबू । उच्च न्यायलयसँ अधिसूचना भेलाक
बाद दिल्ली सरकारक अधिसूचना हेबाक रहैक । आब ओहिठाम कागज मासक मास एमहर-ओमहर घुमैत
रहल । विलंबक मूल कारण ई रहैक जे अधिसूचना निकालबाक हेतु दिल्ली सरकारमे ककर स्वीकृति
लेल जाएत-मुख्यमंत्रीक आ कि उपराज्यपालक -एहि निर्णयमे लगभग तीन मास लागि गेल
। हम धरफरा कए नीलीटक काजो छोड़ि देने रही। भरिदिन डेरामे बैसल-बैसल बहुत मोसकिल बुझाइत
छल । माएक सेवा करी मुदा ओहूमे कतेक काल लागैत ,तकर बाद?
आखिर दिल्ली सरकारक अधिसूचना जारी भेल
। हमरा लोकनिकेँ फोनसँ तकर सूचना भेटल । ओहि समय हम दिल्लीक कनाटप्लेसमे रही
। तुरंत तिपहिआसँ उच्च न्यायलय जा कए दिल्ली सरकारक अधिसूचनाक संगे जिला न्यायाधीशक
नाम उच्च न्यायालयक आदेशक प्रति प्राप्त कएल । ओहि दिन राति भरि भोर हेबाक प्रतीक्षा
करैत रही । बीचमे हम माएकेँ मजिष्ट्रेटक हेतु अपन चयनक संबंधमे कहने रहिऐक । ओ बहुत खुश रहए । तकर बाद
तँ जकरा-तकरा कहने फिरैक -"हमर बेटा मजिष्ट्रेट बनि
रहल अछि ।" भोरे माएकेँ प्रणाम कए हम तीस हजारी गेलहुँ । ओहिठाम ओही पदपर चुनल
गेल किछु आओर गोटे पहिनहिसँ आएल रहथि । ई पता लागल जे चारि बजे जिला न्यायाधीश हमरा
लोकनिकेँ शपथ दिअओताह आ काल्हिसँ राष्ट्रीय विधि कालेज,द्वारका,नई दिल्लीमे हमरा सभक प्रशिक्षण प्रारंभ
होएत । इहो कहल गेलैक जे शपथ ग्रहण हेतु कारी कोट जरूरी थिक । उजरा सर्ट जरूरी थिक
। उजरा सर्ट तँ ओहीठाम कीनि लेलहुँ मुदा कोर्ट नहि भेटल । तखन की कएल जाए । हमर मित्र
श्री ओम प्रकाश सपराजी कोनो अपन पूर्वपरिचित मित्रसँ कारीकोट मंगनी केलाह। हुनका कहलखिन
जे घंटाभरिमे आपस भए जाएत । ओकिलसाहेबकेँ हाइकोर्टमे केसक हेतु जेबाक रहनि । घंटाभरि
के कहए दू घंटा बीति गेल । हुनकर कोर्ट आपस नहि भेल । ओ बेर-बेर फोन करथि । सपराजी
सेहो परेसान छलाह । शपथ ग्रहणक समय आगा बढ़ल जाइक । हम हुनकर कोट पहिरने प्रतीक्षा
करी जे आब शपथ ग्रहण हेतैक तँ ताब । मुदा चारि बजे जा कए से संभव भेलैक । ताबे तँ ओकिलसाहेब
बहुत तमसा गेल रहथि। हमरा बहुत अफसोच भेल जे बेकारे हुनकर कोट लेलहुँ । कै बेर छोट-छोट
बात बहुत शिक्षा दए जाइत अछि, सएह ई मंगनी कएल कोट कए गेल ।
कखनहुँ सार्टकटक रस्ता ठीक नहि होइत अछि । बादमे हम देखलिऐक जे कै गोटे बिना कोटोकेँ
शपथ लेलथि आ कोनो दिक्कत नहि भेलैक । शपथ ग्रहण समाप्त होइतहि हम ई कोट ओकिलसाहेबकेँ
आपस केलहुँ । ताबे ओ हमरेसभक लग आबि गेल रहथि आ बड़बड़ाइत चलि गेलाह । शपथ ग्रहण केलाक
बाद हमसभ कानूनन दिल्लीक मजिष्ट्रेट बनि गेल रही । अपना-आपमे ई एकटा अलग लाइन छल ।
हम कहिओ नहि सोचने रही जे न्यायिक अधिकारी बनब सेहो हमर कपारमे लिखल अछि ।
दोसर दिन भोरे माएकेँ प्रणाम कए नेशनल जुडिसिअल अकाडमी,द्वारका,दिल्लीमे प्रशिक्षणक हेतु हम पहुँचलहुँ
। हमरासँ पहिने कैगोटे अंडाकार टेबुलक चारूकात पसरि गेल रहथि । जल्दीसँ किछु कागजसभ
भरलहुँ । प्रशिक्षणक क्रममे जिला न्यायाधीश,ककरडूमा कोर्टक ओहिठाम हमरा सात दिन बिताबक छल । जिला न्यायाधीश डा० नवल गजबकेँ
व्यक्ति छलाह । विनम्र व्यवहार आ स्पष्टवादितासँ तुरंत प्रभावित करैत छलाह । एक सप्ताह
धरि विभिन्न न्यायाधीसगणक संग हमर प्रशिक्षण चलल । तकर बाद एक सप्ताह बेगर्स कोर्ट(भिखमंगा
कोर्ट)क स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक
संग हमरा संवद्ध कएल गेल । एतहि पता लागल जे भिखमंगासभसँ निपटबाक हेतु दिल्लीमे बेगर्स
कोर्ट चलैत अछि । पुलिसक लोकसभ यत्र-तत्रसँ भिखमंगासभकेँ पकड़ि अनैत छलाह आ कोर्टमे
मजिष्ट्रेटक सोझा पेश करैत छलाह । भिखमंगा कोर्टक मजिष्ट्रेट चाहए तँ हुनकासभकेँ सालो
सुधार गृहमे बंद कए दिअए । मुदा से प्रायः कमे काल होइत छल । बेसी भिखमंगाकेँ डाँटि
कए छोड़ि देल जाइत छल । ई क्रम अनवरत चलैत रहैत छल । हमरा तँ ई व्यवस्था ब्यर्थ लगैत
छल । एक तँ बेचारासभ भीख मांगए हेतु मजबूर छल ताहि परसँ पकड़ल गेलहुँ तँ कोट कचहरीक चक्कर लगाउ
। मुदा एकटा बात देखबाक ,बुझबाक मौका
भेटल जे कैटा भिखमंगाक गैंग सभ सेहो सकृय छल जे भिखमंगासभसँ ठाम-ठाम भीख मगबैत छल ।
तकरासभक हेतु कानूनमे कठोर व्यवस्था छैक । मजिष्ट्रेटो हुनकासभकेँ सख्ती करैत छलखिन । मुदा तुरंते ओकिलसभ ओकरासभकेँ
बचेबाक हेतु हाजिर भए जाइत छल । भिखमंगाकेँ एहन कानूनी संरक्षण के दैत छल? जाहिर छेक जे ई काजसभ भिखमंगा गैंग चलनिहारेसभ करैत छल । भिखारी कोर्टक हाल
तँ बेहाल छल । एहन खानापुरी नहि देखलहुँ । रच्छ अछि जे हालेमे दिल्ली न्यायालय एहि
कानूनकेँ दिल्लीमे निरस्त कए देलक अछि आ भिखारी कोर्टसभ आबकाज केनाइ बंद कए देलक।
प्रशिक्षणक अंतिम एक सप्ताह जुडिसिअल अकाडमीमे किलास चलल । बेसी सैद्धांतिक बात
सभ होइत रहल । जरूरी ई छल जे काजसँ जुड़ल व्यवहारिक बातसभपर चर्च होइत । ओहिठाम रहब
एकटा मनलग्गू अनुभव छल । पैघ-पैघ विद्वानसँ अपन-अपन विषय-वस्तुपर भाषण देलाह । अंतिम
दिन जिला न्यायाधीश महोदयक हाथे हमरा लोकनिकेँ प्रशिक्षण समाप्तिक प्रमाणपत्र आ पदस्थापनाक
आदेशक प्रति देल गेल । विदाइ भाषण भेल । हमसभ बहुत प्रशन्न भेल रही । सरकारी सेवासँ निवृत भेलाक बाद फेरसँ न्यायिक सेवामे
बहाल होएब एकटा महान संयोग छल ।
प्रशिक्षण समाप्त भेलाक बादसितम्बर २०१५क अंतिम सप्ताहमे हम यमुना विहार स्थित
म्युनिसिपल कोर्टमे स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज शुरु केलहुँ । ओहिठाम तीनटा
आओर मजिष्ट्रेट हमरे संगे पदभार ग्रहण केलथि । एकटा मजिष्ट्रेट पहिने सँ रहथि । अस्तु,आब ओहिठाम पाँचटा मजिष्ट्रेट भए गेलहुँ ।
हम करीब तीन बर्ख चारिमास स्पेशल मेट्रोपोलिटन
मजिष्ट्रेट रहलहुँ । ओहिक्रममे तीनटा विभिन्न कोर्टमे हमर पोस्टींग भेल । पहिल कोर्ट
छल यमुना विहारमे जतए हम करीब एकसाल काज केलहुँ
। हमर डेरा ओहि समयमे इन्दिरापुरममे छल । हम तकरबाद नोएडा आबि गेल रही आ नोएडा सेक्टर
चालीस स्थित हमर घरसँ यमुना विहारक कोर्ट बहुत दूर छल। तेँ हम लाजपतनगर स्थित कोनो
कोर्टमे पोस्टींग हेतु दर्खास्त देलिऐक जे मानि लेल गेल आ हमर पोस्टींग लाजपत नगरक
दिल्ली जलबोर्डक कोर्टमे भेल । एहि कोर्टक अधिकार क्षेत्र दिल्लीक दक्षिण,पश्चिम,आ दक्षिण पश्चिम जिला छल । एहि तरहे
जनकपुरी,नजफगढ़ ,वसंत विहार सँ लए कए संगम विहार,वसंत कुंज आ कहि नहि कतए कतएक जलबोर्डसँ संबंधित मामला एहिकोर्टमे
अबैत छल । एहिठाम सामान्यतः एहने लोकक मामला अबैत छल जिनका पासमे घर छल आ पानिक कनेक्सन
किंवा सीवर संबंधित मामलाक चलान एतए देखल जाइत छल । तेँ अपेक्षाकृत एहिठाम नीक आ संभ्रांत
लोकसभ चलान होइत छल ।
हम जलबोर्डक कोर्टमे अबितहि किछु एहन मामलासभक सामना भेल जाहिमे बहुत ज्यादा जुर्माना
(लाख आ कैटा मामलामे ओहूसँ बेसी) हमर पूर्ववर्ती मजिष्ट्रेट द्वारा कए देल गेल छल ।
प्रथमदृष्ट्वा ओ सभ गलत छल मुदा हम चाहिओ कए किछु नहि कए सकलहुँ कारण पिछला कोर्टक
फैसलाक खिलाफ मात्र अतिरिक्त न्यायालयक ओहिठाम अपील कएल जा सकैत छल । जब्ती,कुर्कीक आदेश दए जुर्मानाक भारी रकमक वसूली करए पड़ल आ लोकसभ देबो केलक अन्यथा
जेल जाइत । लगभग सालभरि जलबोर्डक कोर्टमे काज केलाक बाद हमर बदली लाजपतनगरक म्युनिसीपल
कोर्टमे भए गेल । एकसाल पाँच मास धरि हम ओहिठाम काज केलहुँ । एतए आनठामक अपेक्षा सुबिधा
बेसी छल । सरकार बैट्रीसँ संचालित नव कार देने रहए । ग्रेटर नोएडाक घरमे अएलाक बाद दिल्लीक एहि नौकरी
करब मोसकिल बुझाइत रहए मुदा एहिठाम नीकसँ समय कटल । कारक बेहतर सुबिधा रहबाक कारणे
पचास मिनटमे हम ग्रेटर नोएडा स्थित अपन घरसँ
लाजपतनगरक कोर्ट चलि जाइत छलहुँ ।
एकदिन गेरुआ वस्त्र पहिरने,दाड़ी बढ़औने
एकटा वृद्ध यमुना विहार कोर्टमे अएलाह । ओ गोपालन करैत छलाह । अपन गलती ओ सही-सही कहि
देलाह । हम हुनकर स्पष्टवादितासँ प्रभावित भए मात्र एक सए टाका आर्थिक दंड देबाक आदेश
देलहुँ । मुदा ओ तैयो बहुत दुखी भेल छलाह । जुर्माना तँ ओ दए देलाह मुदा कहए लगलाह-
"हम जीवनमे कहिओ कोनो प्रकारसँ दंडित नहि भेल छी । जुर्माना नहि देने छी । एहि घटनासँ
हम बहुत दुखी छी ।"
छोटो-छीन घटना कै बेर बहुत मार्मिक भए जाइत अछि । हुनका गेलाक बाद हमरा कै दिन
धरि ई प्रसंग मोन पड़ैत रहल ।
स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज करबाक क्रममे कैटा जे नीक लोग संग भेलाह ताहिमे
स्वर्गीय पुंडीरजीक नाओँ अविस्मरणीय अछि । ओ दिल्ली पुलिसमे सहायक पुलिस आयुक्तक पदसँ
सेवानवृत भेलाक बाद स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज शुरु केने रहथि । उत्तराखणडक
बहुत संभ्रान्त परिवारसँ अबैत छलाह। सीआरपीसीक बहुत नीक ज्ञान हुनका रहनि । जखन कखनो
कोनो कानूनी विषयपर शंका होइत तँ ओ बहुत स्पष्ट
मत दैत छलाह । हुनकासँ गप्प केलासँ होइत जेना कोनो बहुत अपन लोकसँ गप्प कए रहल छी।
दिल्लीक प्रवासी भवनमे नवंवर २०१७मे हमर पुस्तक"भोरसँ साँझ धरि”क विमोचन छल । हमर मित्र आ स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेट श्री ओम प्रकाश
सपरा मित्र संगम पत्रिकाक तत्वावधानमे ई कार्यक्रम आयोजित केने रहथि । मैथिलीक प्रसिद्ध
कवियत्रीडाक्टर शेफालिका वर्माजी एहि कार्यक्रमक अध्यक्षता केने रहथि । ओहि कार्यक्रममे
स्व० पुंडीरजी सेहो आएल रहथि आ अंत धरि रहलाह । पुण्डीरजीक मृत्यु बहुत आकस्मिकरूपसँ
हृदयाघातसँ दिल्लीक प्रसिद्ध सेंट जोजेफ अस्पतालेमे भए गेलनि । ओहि समयमे ओ अपन पुतहु
आ नवजात पोतीकेँ अस्पतालसँ आनए गेल छलाह ।
हृदयाघात ततेक सवल छल जे अस्पताल परिसरमे रहितहुँ किछु इलाज नहि कएल जा सकल आ ओ मरि
गेलाह । लोक किछु भेलापर अस्पताल जाइत अछि मुदा ओ तँ ओहि समयमे अस्पतालेमे रहथि । मुदा
कालक आगू ककर चलैत अछि?पुंडीरजीक
असामयिक निधनसँ हमर एकटा पैघ क्षति भेल । हमर आ हुनकर स्पेशल मेट्रोपोलिटन
मजिष्ट्रेटक पदसँ सेवा निवृति लग-पासमे रहए । हमसभ गप्प करी जे संगे-संगे विदाइक माला
पहिरल जएतेक । मुदा से विधाताकेँ कहाँ मंजूर भेलनि । असमयमे ओ चलि गेलाह । छोड़ि गेलाह
हमर मोनमे सिनेहक एकटा तेहन निसान जे साइते मिटा सकत ।
एहि क्रममे श्री सी.बी.शर्माजी स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक नाओँ सेहो मोन
पड़ैत अछि । यद्यपि ओ मैथिलभाषी नहि छथि तथापि ओ एहि कार्यक्रममे भाग लेलाह आ हमर मैथिलीमे
लिखल ओहि किताबकेँ बादमे पढ़लाह आ कहथि जे
ओ बुझबो केलाह । श्री सी.बी.शर्माजी सरकारमे उच्चपद(आइओएफएसक जीएम)सँ सेवा निवृत भेलाक
बाद स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेट बनलाह । ओ बहुत सुयोग्य ,इमान्दार, मृदुभाषी ,उदार आ भावुक व्यक्ति छथि । आइ-काल्हिक समयमे एहन नीक लोग भेटनाइ बहुत मोसकिल
।
कोर्टमे काज करैत किसिम -किसिमक लोकसँ भेंट भेंल । करीब सात हजार चलानक निपटान
हम केने होएब । जाहिर छैक जे अनेकानेक परिस्थितिक लोकसँ मुखातिब होएबाक अवसर भेटैत
छल । सबसँ दुखक बात ई रहेक जे नगर निगम कर्मचारीसभ खाली गरीब लोकसभक चालान करैत छलाह
। बिरलैके कोनो पैघ दोकानबलाक चलान होइत छल जखन कि जौँ अपने दिल्लीक कोनो बजारमे जाएब
तँ पैघ दोकानबलासभ सौंसे जगह छेकने रहैत अछि । चाहे सरोजिनी नगर मार्केट हो वा लाजपत
नागर सभठाम एकहि हाल अछि । हम जखन सरोजिनी नगरमे रहैत रही तँ देखिऐक जे कखनोक बजारमे
हरविर्रो मचि गेल । जखन कखनो जाँच वा निगरानीक हेतु अधिकारी आबथि तँ ओहिसँ पहिनहि किओ
दौर कए दोकानदारसभकेँ सचेत कए दैत जाहिसँ पटरीपर राखल अपन समानसभकेँ ओ सभ हटा लिअए
। एहि तरहें इसभ एकटा खानापुरी मात्र रहैत छल । पकड़ल ओएह जाइत छल जकरा हिसाब-किताब
नहि भए पबैक वा नहि भेल रहैक । एक हिसाबे ई सभ कानूनक मजाके बनाएब भेल । ताहिपरसँ दिल्ली
नगर निगम कानून बहुत पुरान अछि आ ओहिमे विभिन्न
प्रकारक अपराधक हेतु जुर्मानाक दर आजुक हिसाबे बहुत कम अछि । कहि नहि एहि बातपर सरकारक
ध्यान किएक नहि जाइत अछि?
अमर अंतिम पोस्टींग दक्षिणी नगर निगमक लाजपतनगर कोर्टमे छल । एहिठामक किछु कर्मचारी
शुरुमे बहुत उपद्रव करबाक प्रयास केलाह । हम हुनका सभकेँ वारंबार कहिअनि जे अहाँसभ
चाही तँ कतहु आनठाम अपन पोस्टींग करबा लिअ । हमरा संगे काज करब तँ शत-प्रतिशत शुद्ध
काज करहि पड़त आओर कोनो उपाय नहि । एहि उठापटकमे किछु दिनक बाद श्री किशन नामक कर्मचारीक
पोस्टींग भेल । पुरना कर्मचारीसभ हुनका आबएसँ रोकबाक हेतु जान लगा देलक । मुदा हमहु
अड़ि गेलहुँ । अंततोगत्वा ओ हमरासंगे काज करए लगलाह । ओ बहुत सही आदमी साबित भेलाह
। ओ इंजिनियर छथि मुदा छोटे पदपर नगर निगममे सरकारी नौकरी भेटि जेबाक कारण काज करैत
छथि । निश्चय ओ एकटा अलग प्रकृतिक लोक छथि । ओहिठाम उपलव्ध कर्मचारीसभमे बेछप छथि ।
हम जाबे ओहिठाम काज केलहु ओ बहुत मदति केलाह । अपन काज बहुत निष्ठासँ करैत रहलाह ।
हमरा चलि अएलाक बाद पता लागल जे हुनकासँ सभटा काज लए लेल गेलनि आ बदलीक हेतु सेहो लिख
देल गेलनि । हमरा हिसाबे ई बहुत गलत काज छल । एहन निष्ठावान कर्मचारी नगर निगममे तकलासँ
भेटब मोसकिल अछि । मुदा की कएल जा सकैत अछि? कहबी छैक जे ई कलियुग छैक । नीक लोककेँ बहुत मोसकिल छै ।
स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज करैत तीन साल चारिमासक अवधिक एकटा महत्वपूर्ण
उपलव्धि मजिष्ट्रेट लोकनिक समय-समयपर होबए बला आपसी बैसार छल । एकर आयोजन हम आ श्रीसपराजी
मिलिकए करैत छलहुँ । आयोजनमे होबएबला खर्चाकेँ सभ आपसमे बाँटि लैत छलहुँ । सामान्यतः
दू सए टाकामे काज चलि जाइत छल । पचीसक लगपासमे मजिष्ट्रेट उपस्थित होइत छलाह । एहि
बैसारमे सेवानिवृत मजिष्ट्रेटसभ सेहो भाग लैत छलाह । आयोजन स्थल बेसी बेर कनाट प्लेसक
काफी हाउस,वा अन्य कोनो एहने स्थान रहैत छल
। दिल्लीक कोन-कोनसभसँ हमर सहकर्मीसभ एहिमे उल्लासपूर्वक भागे नहि लैत छलाह,अपितु आग्रह करथि जे एहन आयोजन बेरि-बेरि कएल जाए । एहि आयोजनमे चाह-पान,जलखैक संगे भेंट-घाँटक एकटा नीक अवसर रहैत छल । एही क्रममे सेवानिवृत भेनिहार मजिष्ट्रेटक
विदाइ सेहो कएल जाइत छल । एहि कार्यक्रममे गजबक आनंद रहैत छल । एतेक कम खर्चामे एहन
नीकसँ काज चलि जाइत छल ताहिमे श्री सपराजीक बहुत योगदान रहैत छल । कै बेर एहिमे गीत-नाद
सेहो होइत छल । कुल मिला कए आपसी विचार विमर्शक ई एकटा सफल माध्यम बनि गेल छल ।
स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक काज अधिकतम ६५ सालक बएस धरि चलि सकैत अछि । हमर
कैटा सहकर्मीसभ पैसठि साल पूरा होबाए काल परेसान भए जाइत छलाह जे एहन नीक काज छुटि
जाएत । छुटि जाएब तँ एहि दुनियाँक एकटा अनिवार्य अंग अछि । जे चीज शुरु भेल अछि से
खतम भए जाएत । सएह हाल एहि नौकरीक सेहो अछि । ई असालतन चलएबला तँ नहि भए सकैत अछि ।
मानि लिअ जे सेवा निवृतिक आयु बढ़िओ जइतैक तँ कतेक बढ़ितैक? कखनो ने कखनो तँ एकरा खतम हेबेक छैक । ओना कै बेर सभगोटे मिलि कए उच्च न्यायलयकेँ
दर्खास्त देलथि जे सेवा निवृतक आयु बढ़ाओल जाए ,मुदा से उच्च न्यायलयमे स्वीकृत नहि भेल । सेवानिवृतिक बाद भेटल ई नौकरी निश्चय
सम्मानजनक ओ सुविधापूर्ण छल मुदा केहनो नीक सँ नीक कथाक कतहु तँ अंत हेबे करत, से एहू कथाक संगे भेल । १जनवरी २०१९क ६५ वर्खक आयु भेलापर हम एहि नौकरीसँ
सेवानवृत भेलहुँ। ओना हमरा एहिसँ किछु परेसानी नहि भेल । हम मानसिक रूपसँ एहि हेतु
बहुत पहिनेसँ तैयार छलहुँ ।
सेवा निवृतिसँ एकदिन पहिने जलबोर्डक वर्तमान स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेट श्री
सी.बी.शर्माजी आ हुनकर सहकर्मीसभ हमर विदाई
समारोहक आयोजन केलथि । दोसर दिन शर्माजी लाजपतनगरक स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेट
श्री मानसिंहजीक संगे हमरा नोत सेहो देने रहथि । थोड़े दिनक बाद दिल्लीक सिभिल लाइन्स
स्थित पुलिस अधिकारीक क्लवमे दिल्लीक तमाम स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटसभ मिलि कए
सेवा निवृत भेनिहार पाँचटा स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक विदाइ समारोह आयोजित केलाह
। एहि कार्यक्रममे करीब पचास गोटे उपस्थित रहथि । श्री हरिदर्शनजी स्पेशल मेट्रोपोलिटन
मजिष्ट्रेट एहि आयोजनमे मुख्यकर्था-धर्ता रहथि ।
सेवा निवृतिक बाद भेटल स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक नौकरी बहुत मजेदार छल ।
एहिमे बेसी बंधन नहि छल । काज थोड़बे काल होइत छल । मोसकिलसँ तीन घंटा । आवागमनक समय
सेहो आगा-पाछा कएल जा सकैत छल । ऊपरसँ इज्जति पूरा छल । कोर्टमे अएनिहार मोअक्किल तँ
ओहिना शर्द रहैत अछि । सामान्यतः जे जुर्माना लगाओल जाइत छल से बिना कोनो बेसी उठापटक
केँ मोअक्किल दए दैत छल । सभसँ बेसी दिक्कति
स्टाफ लए कए होइत छल मुदा जेना तेना ओकर जोगार कएल जाइत छल । यद्यपि ई कोर्टसभ
जीला न्यायाधीशक मार्फत उच्च न्यायालयक पर्यवेक्षणाधीन होइत अछि मुदा असलियतमे एकरसभक
किओ माए-बाप नहि अछि । जँ कोनो बात लेल ककरो सिकाइत करब वा चिठ्ठी पतरी करब तँ समस्याक
समाधान तँ नहिए होएत,आओर कै तरहक परेसानीमे लोक पड़ि सकैत
छल । से सभ जँ बँचा कए चलि सकी तँ कुल मिलाकए सेवानिवृतिक बाद भेटएबला नौकरीसभमे ई
एकटा बहुत बढ़िआँ विकल्प छल ।
कुल मिला कए स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिष्ट्रेटक तीनसाल चारिमासक अनुभव एकटा बहुत
सुखद प्रसंग छल । एहि क्रममे कैटा बहुत नीक सहकर्मीसभसँ दोस्ती भेल जे आगुओक जीवनक
हेतु एकटा संचित निधि जकाँ काज करत से विश्वास अछि । न्याय करब बहुत कठिन काज थिक ।
कहल जाइत अछि जे एकटा सही आदमीकेँ न्याय करबाक हेतु जँ ९९टा गलत आदमी संदेहक लाभ लैत
छुटि जाइत अछि तँ से बढ़िआ मुदा एकटा निर्दोषकेँ गलतीमे सजा भेटब बहुत खराब । निर्दोष
व्यक्तिक हित रक्षा सर्वोपरि हेबाक चाही से न्याय व्यवस्था हेतु एकटा जटिल समस्या अछि
। संतुलित रुखि आ मध्यमार्ग अपनबैत जँ काज कएल जाए तँ सामान्यतः उचित न्याय संभव भए
सकैत अछि । मुदा से एतबो आसान नहि अछि ।
रबीन्द्र नारायण मिश्र
mishrarn@gmail.com