कपिलेश्वर स्थान
अपना सभ दिस कपिलेश्वर स्थान
एकटा प्रमुख तीर्थमेसँ मानल जाइत अछि । कपिलेश्वर स्थान हमरासभक गामसँ लगीचे अछि ।
कतेको गोटे सभ सोमदिन कए कपिलेश्वर स्थान जेबे करथि आ ओहिठाम महादेवकेँ जल चढ़ाबथि
। हर-हर महादेव ….. कहैत लोकसभ अति उत्साहमे कपिलेश्वरक यात्रा करैत छलाह । पहिने
तँ लोकसभ बाधे-बाधे, पैरे-पैर ओतए घंटाभरिमे पहुँचि जाइत छल ।
ओना रहिका बाटे रोडसँ जुड़ल रहबाक कारणे बससँ जेबाक सुविधा सेहो बहुत दिनसँ अछि । पहिने
बस कम चलैक। तैँ लोक पैरे-पैरे गेनाइ पसिंद करैत छल ।
शिवरातिमे ओहिठाम जबरदस्त मेला लगैत छल । गाम-गामसँ
लोकसभ महादेवपर जल चढ़ेबाक हेतु अबैत छलाह
। किछु-किछु सनेस कीनैत छलाह । ओहिठाम कुश्तीक आयोजन सेहो होइत छल । ओहिमे इलाकाक पहलवानसभ
अबितथि आ अपन जोर अजमाइस करितथि । सतलखा डीहटोलक नामी पहलबान स्वर्गीय कामेश्वर झा
अगुआ रहैत छलाह । हमरो गामसँ कै बर पहलबानसभ ओहिठाम कुश्ती लड़ैत छलाह । कुश्ती शुरु
हेबासँ पहिने एकटा ढोलिआ ढोल बजबैत अखाड़ाक
चारूकात घुमि जाइत । ढोलक आबाज सुनि कए लोकसभ जमा भेनाइ शुरु होइत । देखिते-देखिते
अखाड़ाक चारूकात लोकक करमान लागि जाइत । साँझ होएबासँ पहिने सभ अपन-अपन घर आपस चलि
जाइत छलाह ।
कपिलेशवर गेनिहारि वृद्धासभ
महादेवक निर्माल अनैत छलीह । ओहिसँ हमरसभक माथपर आशीर्वाद स्वरूप हँसोथि देथि । हमसभ
नेन्ना रही,की बुझबैक जे ई की होइत छैक?नेन्नामे जखन हमर बहिनसभ कपिलेश्वरसँ आपस होइत काल सनेसमे छोटसन तिपहिआ
गाड़ी अनैत छलीह तँ हमर खुशीक अंत नहि रहैत छल । ओहिमे उपरमे ढ़ोल लागल रहैत छल। जहिना
ओहि तिपहिआकेँ आगू दिस घीचल जाए कि ओ ढ़ोल बाजि जाइत । तेँ ओ एकहि संगे दूटा काज करैत
छल -गाड़ी जकाँ घुसकैत छल आ ढ़ोल जकाँ बजैत सेहो छल। ओ खेलौना देखितहि हम आनंदविभोर
भए जइतहुँ । लगपासक देखितहि सभकेँ बजबितहुँ आ तिपहिआ संगे खेलमे मस्त भए जइतहुँ । मुरही,झिल्ली, मधुर सेहो प्रसाद
कहि भेटैत छल।
कपलेश्वरस्थानक मुख्य मंदिर
छोटेसन अछि । ओहिमे स्थापित शिवलिंग निरंतर घर्षणसँ खिआइत जाइत छल । भक्तसभ चारूकातसँ हुनका ऊपर जल
ढारैत रहैत छलाह । धन्यवाद दी हुनकर शहनशीलताकेँ जे जाढ़-ठार ,गर्मी,बरखासभ मौसममे बिना
कोनो प्रतोरोधकेँ भक्तक मनोरथ पूरा करैत रहैत छथि । बहुत दिनक बाद किछुमास पूर्व हम
कपिलेश्वर बाटे गाम जेबाक क्रममे ओतए बाबाक दर्शन केलहुँ । मंदिरक हालत बेहतर बुझाएल
। चारूकात रंग-रोसन कए देल गेल अछि । मुदा मंदिरक मौलिक स्वरुप ठामहि अछि । मिथिलाक
एतेक पुरान तीर्थमे आओर कोनो तरहक विकास नहि देखाएल । अनदिना रहैक तेँ भक्तलोकनिक सेहो
अभावे छल । पंडासभ जरूर एमहर-ओमहर घुमैत रहथि । हमरासभकेँ देखि सक्रय भेलाह । हमसभ भगवान शिवक पूजा
कए गाम दिस बिदा भए गेलहुँ ।
कपिलेश्वर स्थान एवम् लगपासक
अन्य तीर्थसभ मिथिलाक लोकक प्राणवायु थिक । गाम-घरमे रहनिहार लोकसभ खास कए स्त्रीगणसभ एही तरहें नित्यप्रतिक काजसँ हटि कए एकटा स्वस्थ मनोरंजनक अवसर प्राप्त करैत छथि । जरुरी एहिबातकेँ
अछि जे एहिस्थान सभकेँ सरकार द्वारा उचित विकास कएल जाए जाहिसँ मिथिलांचलक एहि पवित्र तीर्थमे
देश-विदेशसँ पर्यटक लोकनि आकर्षित होथि,एहिठाम आबथि आ मिथिलाक
संस्कार ओ संस्कृतिसँ लाभान्वित होथि।