वृंदावनक
कुंज गलीमे!
लगभग पन्द्रह
साल पहिने हमसभ मथुरा-वृन्दावन गेल रही। तकर बाद कतेक समय बीति गेल। हम
सेवानिवृत्त भए गेलहुँ । ग्रेटर नोएडामे अपन मकानमे बसि गेलहुँ । मुदा वृन्दावन
जेबाक योग नहि बनल जखन कि ग्रेटर नोएडासँ वृंदावन मात्र १२६ किलोमीटर दूर
अछि। एहि बीचमे कोरोना काल जेहन बीतल से
कहबाक काज नहि। आखिर एमहर आबि कए घुमबाक
कार्यक्रम बनल। सात सितम्बरक कृष्णाष्टमी छल। तेँ छओसँ आठ सितम्बर धरि छोड़ि नओ
सितम्बर २०२३क आरक्षित टैक्सीसँ हमसभ भोरे सात बजे मथुरा-वृन्दावनक हेतु बिदा भेलहुँ
। हमसभ तीनगोटे संगे रही-हम,हमर श्रीमतीजी आ हमर सारि पूनम । पूनम किछुदिन पूर्व हरिद्वारक जेबाक क्रममे आएल
छथि। तेँ खास कए ई कार्यक्रम बनल। बहुत प्रयाससँ परिचितक माध्यमसँ एकटा टैक्सीक
जोगार कएल गेल जे छओ हजारमे हमरासभकेँ
पूरा यात्रा करओताह,मथुरा,वृन्दावन
घुमेबो करताह आ वापस ग्रेटर नोएडा लेने अएताह । रातिमे हमसभ वृन्दावनेमे रहब। ताहि
हेतु हम प्रभुपाद आश्रममे आनलाइन आरक्षण करओने रही। प्रभुपाद आश्रम इसकान
वृन्दावनसँ जुड़ल अतिथिगृह अछि। ओना इसकान वृन्दावनसँ जुड़ल कैकटा अतिथिगृहसभ अछि।
मुदा हमरा एहीमे आरक्षण भेटल, दोसर अतिथिगृहसभ भरि चुकल छल ।
अपना भरि बहुत
ओरिआन कए हमसभ वृन्दावन-मथुराक यात्रापर बिदा भेल रही। बहुत उत्साहितो रही। मौसमसे
बहुत नीक छल। अकासमे मेघ घुमि रहल छल। हबा सुखद छल। हमसभ जखन सात बजे भोरे
टैक्सीमे बैसलहुँ आ टैक्सी पूर्णगतिसँ हाइवेपर आगू बढ़ल तँ आनन्दक वर्णन नहि कएल
जा सकैत अछि। सड़कपर बहुत कम वाहन चलि रहल छलैक । वाहन चालक उत्साहमे बहुत जोरसँ स्थानीय
भजन बजा तेज गतिसँ गाड़ी चलबए लगलाह । थोड़े काल तँ हमसभ बरदास केलहुँ ,मुदा
बरदासोक सीमा होइत छैक। आखिर हमर श्रीमतीजी ओकरा टोकलखिन-
“अबाज
कनी कम करू ।”
तथापि वाहन
चालकपर कोनो खास असरि नहि पड़ल । बहुत कालक बाद ओ एहि बातपर ध्यान देलक। अबाज कनी
कम भेल । हमसभ बहुत विश्रान्तिक अनुभव केलहुँ ।
रस्तामे डेढ़घंटा
चललाक बाद एकटा ढाबापर टैक्सी रुकल। हमसभ चाह-पान केलहुँ । कनी काल सुस्तेलहुँ आ
फेर बिदा भेलहुँ । तकर आधाघंटाक बाद हमसभ वृंदावनक सीमामे पहुँचि रहल छलहुँ । ओना
हमर योजना छल जे आइ मथुराक जन्मभूमि आ ओहिठामक अन्यप्रमुख मंदिरसभक दर्शन केलाक
बाद वृंदावनमे अपन होटलमे विश्राम करब आ साँझमे मौका भेटत तँ वृंदावनमे सेहो
प्रमुख मंदिरसभमे दर्शन करब। मुदा वाहन चालक अपन मनमरजीक लोक छल। ओ टैक्सीकेँ
प्रेममंदिर लगक टैक्सी स्टैंडमे ठाढ़ कए देलक आ इसारासँ कहलक-
“सामनेमे
प्रेम मंदिर अछि। अहाँसभ एतहि उतरि जाउ, कारण ओतए टैक्सी नहि
जा सकत।”
हमसभ की करितहुँ? टैक्सीसँ उतरि
एकटा आटो केलहुँ जे हमरासभकेँ प्रेममंदिरक लगीच धरि लए जाइत। मुदा ओ तँ जिलेबी
जकाँ घुमि रहल छल। आखिर हम ओकरा टोकलिऐक-
“कतए
जा रहल छह? प्रेम मंदिर तँ सामने देखा रहल छल।”
“ओतहि
जा रहल छी। ओकर दोसर द्वारिसँ मंदिर जाएब बेसी आसान थिक।”
थोड़ेकाल घुमा
कए ओ प्रेममंदिरक दोसर द्वारिसँ बहुत फटकीए आटो ठाढ़ कए देलक। आब आर आगू नहि जा
सकत। हमसभ आटोसँ उतरि गेलहुँ । ओकरा डेढ़ सए रुपया देलिऐक। तकर बाद बहुत काल पैरे
चलए पड़ल। आटो केलाक कोनो फएदा नहि बुझाएल।
थोड़ेकाल पैरे
चलबाक बाद हमसभ प्रेममंदिर पहुँचि गेल रही। प्रेममंदिरक निर्माण कृपालुजी महराज
करओने छलाह। एगारहसाल धरि एकहजार मजदूर एकर निर्माणमे लागल रहल । एकर निर्माणमे अनुमानतः
एकसए पचास करोड़ रुपया खर्च भेल छल। ई मंदिर परिसर चौवन एकड़मे पसरल अछि। मंदिरक
आधारशिला कृपालुजी महराज द्वारा १४ जनबरी २००१क राखल गेल छल। एकर निर्माण कृपालुजी
द्वारा बनाओल गेल जगद्गुरु कृपालु पृषत (जेकेपी) द्वारा कएल गेल छल। मंदिरक
उद्घाटन समारोह कृपालुजी महराजक उपस्थितिमे १५सँ सत्तरह फरबरी २०१२क संपन्न भेल
छल। एहि मंदिरक प्रथम तलपर राधागोबिंद आ दोसर तलपर श्रीसीताराम विराजित छथि।
मंदिरक बाहरी देबालपर राधाकृष्णक लीलाकेँ शिल्पांकित कएल गेल अछि। मंदिरक भितरी
देबालपर राधाकृष्ण आ कृपालुजी महराजक झाँकी बनाओल गेल अछि। संपूर्ण मंदिर परिसर
भक्तिमय लगैत रहैत अछि। मंदिर परिसरमे राधाकृष्णक गोवर्धन पर्वतक सजीव झाँकी बनाओल
गेल अछि। मंदिर साढ़पाँच बजे भोरे खुजि जाइत अछि आ बारह बजे धरि खुजल रहैत अछि।
तकर बाद पाँचबजे साँझसँ साढ़े आठ बजे राति धरि खुजल रहैत अछि। एहि बीच हजारों
भक्तलोकनि एतए दर्शनक हेतु अबैत जाइत रहैत छथि।
प्रेममंदिरक
ऊँचाइ एकसए पचीस फीट ऊँच,लम्बाइ एकसए नब्बे फीट आ चौड़ाइ एकसए अठ्ठाइस फीट अछि। करीब एकघंटा भरि
हमसभ मंदिर परिसरमे रहलहुँ। ओहिठामक प्रमुख दर्शनीय निर्माणसभ देखलहुँ । मंदिरे
परिसरमे घुमि हमसभ बहुत संतुष्ट छलहुँ । तकर बाद हमसभ बाहर निकललहुँ । वाहनचालककेँ
फोन केलिऐक । ओ कहलक-
“अहाँसभ
बाँके बिहारी मंदिर चलू। हम ओतहि पहुँचि रहल छी। प्रेम मंदिरक रस्ता बंद छैक।”
“जखन
हमरासभकेँ पैरे सभठाम जेबाक होएत तखन तोरा रखबाक फएदा की अछि?”
“हम
की करू? सरकारी आदेश छैक। किछु नहि कएल जा सकैत अछि।”
“किछु
तँ प्रयास करहक। हमसभ तोरा अनने छी जे मदति करबह। मुदा तूँ तँ सोझे हाथ ठाढ़ कए
देलह।”
आइ शनिदिन छलैक।
पता लागल जे आइ आ काल्हि वृंदावनमे स्थानीय प्रशासनक आदेशसँ टैक्सीकेँ भितर नहि
जाए देल जाइत छैक। भितर किछु हद धरि आटो जाएत,तकर बाद पैरेटा जा सकैत
छी। इएह बात वाहनचालक सेहो कहैत छल। मुदा ओकर बातपर हमरा विश्वास नहि होअए। भेल जे
ओ बहन्ना बना रहल अछि।
आखिर ओ
हमरासभकेँ पगलाबाबा मंदिर जेबाक हेतु कहलक । ओहो ओहिठाम आबि रहल अछि। ओतहि भेटि
जाएत। हमसभ पगलाबाबा मंदिर दिस बिदा भेलहुँ । बड़ीकाल पैरे चललाक बाद एकटा आटो
भेटल। ओ हमरासभकेँ पगला बाबा मंदिरक सामने पहुँचा देलक। थोड़ेकलामे हमर वाहनचालक
सेहो ओतहि पहुँचि गेल रहए। ओकरा ओतहि रहबाक हेतु कहलिऐक आ हमसभ पगलाबाबा मंदिरमे
दर्शन हेतु प्रवेश केलहुँ।
पगलाबाबाक बहुत
रुचिकर खिस्सा अछि। कहल जाइत अछि जे ओ जज छलाह। हुनकर न्यायालयमे एकबेर एकटा महाजन
कोनो गरीब ब्राह्मणक विरुद्ध मोकदमा केलकनि जे ओ ओ हुनकर कर्जा वापस नहि कए रहल
छथि। जखन कि ओ महाजनकेँ सभटा कर्जा वापस कए चुकल रहथि तथापि ओ हुनका तंग कए रहल
छनि आ कर्जा बाँकी कहि रहल छनि। असलमे भेल ई रहैक जे ओ गरीब ब्राह्मण महाजनक कर्जा
किस्त-किसत वापस करैत रहैत छलाह। जखन अंतिम किस्त जमा करए गेलाह तखन ओ महाजन
अदालती नोटिस पठा देलक जे अखन धरि ओ कर्जा वापस नहि केलक अछि आ ओकरापर कानूनी कारबाइ
होएत। ओ गरीब ब्राह्मण न्यायालयमे जज साहेब लग गोहार लगओलक जे ओ तँ सभटा कर्जा वापस
कए चुकल अछि। जज साहेब पुछलखीन-
“अहाँ
कोनो गबाह आनि सकै छी जे अहाँक बातकेँ समर्थन कए सकथि।”
“किएक
नहि। हमर गबाहीश्री बांके बिहारीजी देताह।”
“हुनकर
पता की छनि? ”-जज साहेब पुछलखिन।
“बांके
बिहारी वल्द वासुदेव, बांके बिहारी मंदिर वृंदावन।”
जज साहेब श्रीबांके बिहारीजीक नामसँ नोटिस निकालि देलखिन। ओ गरीब ब्राह्मण
ओहि नोटिसकेँ श्रीबांके बिहारीजीक मूर्ति
लग राखि देलक आ बाजल-
“बांके
बिहारी! अहाँकेँ गबाही देबाक हेतु कचहरीमे अएबाक अछि।”
निश्चित तिथिपर
एकटा बूढ़ आबि कए न्यायालयमे गबाही देलक आ ओहि ब्राह्मणक कथनक समर्थन केलक। जज
साहेब महाजनक खाताक जाँच केलनि तँ ओहिमे
सभटा विवरण देखलनि ,बस नामटा बदलि देल गेल छल। जज
साहेब एहि बातसँ संतुष्ट भए महाजनक मोकदमाकेँ खारिज कए देलनि। तकर बाद जज साहेब
ओहि ब्राह्मणसँ श्रीबांके बिहारीजीक पता
पुछलखीन।
“ओ
तँ यत्र-तत्र-सर्वत्र छथि।”
कहल जाइत अछि जे
तकर बाद जज साहेब नौकरी छोड़ि कए श्रीबांके
बिहारीजीकेँ ताकए लगलाह। अंतमे ओ वृंदावन आबि गेलाह आ ओतहि हुनकर मृत्यु
भेलनि। तहिएसँ
लोक हुनका पगला बाबक नामसँ जानि रहल छनि। हुनकर समाधिस्थल ओही मंदिर परिसरमे अछि।
ओ मंदिर दसमंजिला अछि आ ओहिमे राधाकृष्णक भव्य मूर्ति स्थापित कएल गेल अछि। तकरे नीचाँमे
पगला बाबाक मूर्ति सेहो अछि।
पगला बाबाक
मंदिरमे दर्शन कए बहुत प्रेरणा भेटल। मोनमे बहुत शांति भेल। तकर बाद हमसभ मंदिरक
द्वारिसँ बाहर भए अपन-अपन जूता-चप्पल तकलहुँ आ वाहन चालककेँ फोन लगओलहुँ । ओ कनीके
फटकी टाढ़ छल। मौसम से खराप छलैक। मेघ लागल छलैक आ बीच-बिचमे पानि टिपिर-टिपिर
खसैत छलैक। रस्तासभकेँ घेर-बेर सेहो छलैहे। हम वाहन चालककेँ होटल चलबाक हेतु
कहलिऐक। मुदा ओ श्रीबांके बिहारीजीक मंदिर
लग जेबाक प्रयासमे लागि गेल। ताहि हेतु कहि नहि कोन-कोन रस्तासँ हमरा लोकनिकेँ
घुमबैत रहल। लगभग आधाघंटा टैक्सीमे घुमैत रहलाक बाद हमसभ श्रीबांके बिहारीजी मंदिर लग पहुँचलहुँ । पानि सेहो भए
रहल छलैक । पौने बारह बाजि रहल छलैक। हम वाहन चालककेँ पुछलिऐक-
“मंदिर
आब खुजल होएत कि नहि?”
“ई
मंदिर सदिखन खुजले रहैत अछि।”
ओकर बातपर
विश्वास कए हमसभ पैरे बिदा भेलहुँ । नालासभक गटरक दुर्गंधयुक्त पानि सौंसे रस्तापर
बहि रहल छल। भिजैत-तितैत हमसभ ठेहुन भरि पानिमे आगू बढ़ैत गेलहुँ । कहि नहि कतेकटा
ओ गली छल? पानि हेबाक कारण कोनो गति बाँचल नहि छल। हमसभ बहुत नीकसँ भिजि चुकल रही।
एहनो हालतिमे आगू बढ़ैत गेल रही। एहि उम्मीदमे जे भगवानक दर्शन भए जाएत। मुदा जखन
मंदिरक आगू पहुँचलहुँ तँ पता लागल जे ओ बंद भए गेल अछि। एहि बातसँ हमरासभकेँ बहुत
निराशा भेल। अपना भरि पंडासभकेँ बहुत गोहरओलिऐक। मुदा ओहोसभ असमर्थ छल। हमरा सन-सन
सैकड़ों लोक ओहिना वापस जा रहल छलाह। हारि कए हमहूँसभ भिजैत-तितैत वापस भए गेलहुँ
। वाहन चालककेँ बहुत फझ्झति केलहुँ जे ओ गलत सूचना देलक जाहि कारणसँ हमसँ एतेक
दिक्कतिमे पड़ि गेलहुँ । ओ की बजैत? सहनशील मुदा मूर्ख सन आदमी
छल ओ। आब हमसभ करबे की करितहुँ? ओहने हालतिमे होटल हेतु बिदा
भेलहुँ ।
वृंदावनमे ठहरबाक
हेतु हम इसकानक प्रभुपाद आश्रममे दूटा कोठरी आरक्षित करबओने रही। इसकानक आन अतिथिगृहसभ भरि गेल रहैक। वृंदावनमे
बेसीगोटेकेँ एहि अतिथिगृहक बारेमे जनतब नहि रहैक। मुदा हमसभ जेना-तेना ओहिठाम
पहुँचि गेलहुँ । सभगोटे नीकसँ भिजि गेल रही। जल्दी सँ जल्दी कोठरीमे जाए चाही
जाहिसँ अपन-अपन वस्त्र बदलि सकी आ कनी आश्वस्त होइ। ओहि अतिथिगृहक नाम बहुत आकर्षक
छल,मुदा व्यवस्था ततबे झूस । स्वागतीकेँ अपन परिचय देलिऐक,कागज देखेलिएक । ओ एकटा आदमीकेँ संग कए देलाह। हमरासभकेँ खाली कोठरीसभ
देखबए लगलाह।
“भूतलपर
कोनो कोठली खाली नहि अछि। प्रथम तलपर एकटा कोठरी खाली अछि। दोसर तलपर सेहो एकटा
कोठरी खाली अछि।”
“मुदा
हमसभ तँ एकहिठाम दुनू कोठरी चाहब।”
“तखन
तेसर तलपर चलू। ओहिठाम दूटा कोठरी अगल-बगल खाली अछि।”
हमसभ तेसरतलपर
पहुँचलहुँ । ओहिमे दूटा कोठरी एकठाम भेटि गेल। मुदा कोठरीसभमे फोन नहि छल। स्वागतीसभ संपर्क करबाक हेतु स्वयं
नीचाँ जाएब अनिवार्य। ओहि अतिथि गृहमे लिफ्ट नहि छल। पैरे तेसर तलसँ
नीचाँ अएनाइ-गेनाइ होइत छल। चाहोक जोगार नहि छल। सभकिछु बाहरसँ मंगाउ अथवा बाहरे
जा कए जलखै-चाह करू। हमसभ आब कइए की सकैत छलहुँ? अपन-अपन वस्त्र
बदललहुँ। कनी काल सुस्तेलहुँ आ इसकान मंदिर हेतु बिदा भए गेलहुँ । ओहिठाम हमसभ
भोजनो केलहुँ । इसकान मंदिरमे बहुत नीकसँ दर्शन भेल। देशी-विदेशी भक्त लोकनि भाव
विभोर भए हरे कृष्ण! हरे कृष्ण!क
कीर्तन निरन्तर करैत छलाह। ओहिठाम भोजन केलाक बाद हमसभ अपन-अपन चप्पल-जूता ताकए लगलहुँ । असलमे मंदिरमे प्रवेश करैत काल
जूता रखबाक एकटा स्थान देखाएल छल। ओतहि हमसभ अपन-अपन चप्पल-जूता राखि देलिऐक ।
मुदा वापसीमे ओ स्थान भेटबे नहि करए। मंदिर परिसरमे कैकटा एहन-एहन स्थान छल। ओहिसभठाम जा कए पुछबो करिऐक।
मुदा अपनो लागए जे हमरसभक चप्पल-जूता कतहु आर राखल अछि। मंदिर परिसरक अनेक बेर
चक्कर लगेलाक बाद अंततोगत्वा ओ स्थान भेटिए
गेल जतए हमसभ अपन चप्पल-जूतासभ रखने रही। तकर बाद मोन बहुत हल्लुक लागल छल।
इसकान मंदिरसँ
निकलि हमसभ बाँकेबिहारी मंदिर दिस बिदा भेलहुँ । श्री हरिदास स्वामी उदास वैष्णव
छलाह । हुनक भजन-कीर्तन सँ प्रसन्न भए श्रीबांके बिहारीजी निधिवन सँ प्रकट भेलाह । स्वामी जी श्रीबांके बिहारीजीक निधिवनमे बहुत दिन धरि सेवा करैत
रहलाह । श्रीबाँके बिहारी मंदिरक निर्माण
सन् १८६२ मे
भेल। तकर बाद हुनका ओतय आनि कए स्थापित कयल गेलनि । श्रीबांके बिहारीजी मंदिरमे मात्र शरद पूर्णिमाक दिन
वंशीधरन करैत छथि। श्रावण तृतियाक दिन मात्र ठाकुर जी झूला पर बैसैत छथि आ
जन्माष्टमीक दिन मात्र हुनकर मंगला आरती होइत छनि। जिनकर दर्शन मात्र सौभाग्यशाली
व्यक्तिकेँ होइत अछि आ चरण दर्शन मात्र अक्षय तृतीयाक दिन होइत अछि।
कहल जाइत अछि जे श्रीबाँके बिहारीजी रास करबाक हेतु रातिमे निधिवन चलि जाइत छथि।
तेँ हुनकर प्रातःकाल मंगला आरती नहि कएल
जाइत छनि ।
इसकान मंदिर पहुँचबाक
हेतु आ ओहिठामसँ आगूक यात्राक हेतु हमसभ आब आटोक उपयोग कए रहल छलहुँ । टैक्सीकेँ
अतिथिनिवासेमे छोड़ि देलिऐक । कारण ओकरा भितरी मार्गपर कतहु लइए नहि जा सकैत छलहुँ
। बांकेबिहारी मंदिर परिसर लग हमसभ आटोसँ उतरि पैरे बिदा भेलहुँ । कनीकाल चललाक
बाद एकटा विचित्र घटना भेल। हमर सारिक कान्हपर ऊपरसँ एकटा वानर कुदि गेलनि। ओ
विद्युत गतिसँ हुनकर नाकपरसँ चश्मा उठा लेलकनि आ ऊपर कुदि कए लगीचक घरक छतपर चढ़ि
गेल। ओ एहि बातसँ बहुत परेसान भए गेलथि । ई घटना ततेक फुरतीसँ घटित भेल जे हम जाबे
किछु बुझलिऐक ताबे तँ बानर चश्मा छिनि कए जा चुकल छल । थोड़बे कालमे एक-दूगोटे
आएल। ओ कहलक-
“हमसभ
चश्मा वापस आनि देब। मुदा ताहि हेतु तीनसए रुपया लागत।”
ओ मानि गेलखिन।
ओ सभ वानरकेँ तरह-तरहक भोजन सामग्री फेकए लागल। वानर भोजन करएमे व्यस्त भए गेल आ
चश्मा ओतहिसँ खसा देलक। रच्छ भेल जे चश्मा टुटल नहि। तकर बाद सौंसे लोकसभकेँ कहैत
सुनिऐक-
“अपन-अपन
चश्मा आ झोरा बचा कए राखब। वानर पड़िकल अछि। लुटि लेत।”
चश्मा भेटि
गेलाक बाद हमसभ बहुत विश्रान्तिक अनुभव केलहुँ । ओहिठामसँ जूता-चप्पल रखबाक हेतु स्थान
ताकि रहल छलहुँ कि हमर सारि पछुआ गेलथि। कतहु देखेबे नहि करथि। आब तँ हमसभ बहुत
परेसान भए गेलहुँ । मोबाइलपर फोन केलिअनि। एकटा निजगुत स्थान बतओलिअनि । कनी कालक
बाद ओ ओहिठाम देखेलीह। भेलैक ई जे ओ एकटा भिखमंगाकेँ किछुटाका देबए लगलखिन ।
ताबतेमे कैकटा भीखमंगा घेरि लेलकनि। सभ टाका मांगए लगलनि। आब हिनका तँ बहुत मोसकिल
भए गेलनि। एकदम एसगरि पड़ि गेल रहथि । हमरसभक फोनक बाद ओ कहुना कए जान बचा कए
ओहिठामसँ निकलि सकलीह। एहि तरहेँ थोड़बे कालमे हुनका संगे दूटा दुर्घटना भए गेलनि।
तेँ ओ बहुत परेसान जकाँ बुझाथि। खैर ! जे हेबाक छलैक से भए
गेलैक।
हमसभ
बांकेबिहारी मंदिर परिसर पहुँचि गेल रही। एकटा पंडासँ गप्प भेल । ओ पाँचसएसए रुपया
लए हमरासभकेँ शीघ्र दर्शन करेबाक जोगार केलक। मंदिरमे भयाओन भीड़ छलैक। तथापि
पंडितजीक सहयोगसँ हम तँ बहुत नीकसँ दर्शन कए सकलहुँ । मुदा ओ सभ बहुत प्रयासक बादो
भगवानक दर्शन नीकसँ नहि सकलथि। जेना-तेना हमसभ मंदिरसँ वापस अएलहुँ । सभसँ पहिने
अपन-अपन जूता-चप्पल तकलहुँ । पंडितजी कहथि जे लोकसभक नित्य हजारो चप्पल-जूता छुटि
जाइत अछि, कारण ओहिठाम प्रवेश करबाक द्वारि आ मंदिरसँ निकलबाक द्वारि फराक-फराक
अछि। जाहिठाम लोक सामान्यतः अपन जूता रखैत अछि वापसीमे ओहिबाटे बहराइत नहि अछि आ
भुतला जाइत अछि। हड़बड़ीमे ओकरसभक जूता ओतहि रहि जाइत छैक जे मंदिर प्रशासन द्वारा
फेकि देल जाइत अछि।
वृंदावनमे बांकेबिहारी मंदिर बहुत प्रमुख मंदिर मानल जाइत
अछि। एहिठाम दोसर प्रयासेमे सही,दर्शन केलाक बाद हमसभ बहुत संतुष्ट
रही,सभटा परेसानी बिसरि गेल रही।
श्रीबांके बिहारीजीक दर्शनक बाद हमसभ निश्चिन्त भावे अपन
बासा दिस बिदा भए गेल रही। थोड़बे कालमे हमसभ प्रभुपाद आश्रम पहुँचि गेल रही । ओतए
वाहनचालक हमरसभक स्वागत केलक ।
राति भरि ओहिठाम
विश्रामक बाद दोसर दिन भोरेहमसभ ओहि ठामसँ मथुराक हेतु बिदा भेलहुँ । डेरामे चाहोक
ओरिआन नहि छल। तेँ रस्तामे चाहक दोकान तकैत रहलहुँ । मुदा ओतेक भोरे बेसी दोकानसभ बंदे
रहए। बहुत मोसकिलसँ एकठाम चाह बनैत देखाएल। ओही बीच वर्षासे शुरु भए गेल छल ।
तेहनेमे हमसभ टैक्सीएमे बैसल चाह पीलहुँ । तकर बादजे बिदा भेलहुँ तँ कृष्ण
जन्मस्थाने लग पहुँचलहुँ । ओहिठाम अपन समानसभ टैक्सीएमे छोड़ि हमसभ जन्म
मंदिर परिसर दिस बिदा भेलहुँ । अखनहु
वर्षा भइए रहल छल। हमसभ भिजैत जन्मस्थान मंदिरक मुख्यद्वारिपर पहुँचलहुँ । मुदा
हमरासभ लग छोट-छोट झोरा छल,मोबाइल फोन छल । ओकरा वापस टैक्सीमे राखए पड़ल । अन्यथा ओकरा लाकरमे राखि सकैत छलहुँ ।
एही उपक्रममे हमसभ बहुत नीकसँ भिजि गेलहुँ । ओहने हालतिमे हमसभ जन्मस्थान मंदिर
परिसरमे प्रवेश केलहुँ । थोड़ेकालक बाद जखन बाहर होमए लगलहुँ तँ हुनका पुछलिअनि-
“जन्मस्थान
मंदिर कतए अछि?”
“ओएह
जे कनीकटा स्थान छल, जाहि बाटे हमसभ बहरेलहुँ अछि, सएह अछि जन्मस्थान !”
“मोन
बहुत दुखी भए गेल। भगवान कृष्णक जन्मस्थानक एहन गति भेल अछि?”
आक्रान्तासभ
कृष्ण भगवानक जन्मस्थानपर बनल मंदिरकेँ तोड़ि देलक । बादमे स्वतंत्रताक बाद भेल समझौताक
अनुसार कनीकटा स्थान भेटल जाहिठाम दर्शन कए लोकसभ संतोष कए लैत छथि।
कनीके फटकी
बिरलाजी द्वारा बनाओल गेल राधाकृष्णक मंदिर अछि। हमसभ ओहिठाम राधाकृष्णक भव्य
मूर्तिक दर्शन केलहुँ । तकर बाद बाहर निकललहुँ । वाहन चालक पार्किंगमे टैक्सी
लगओने छल। हमरसभक मोबाइल सेहो ओहीमे राखल छल। ओकरा तकैत हम पार्किंगमे गेलहुँ ।
मुदा ओहिठाम टैक्सी नहि छल। आब तँ बहुत चिंतामे पड़ि गेलहुँ । एकरा केना ताकल जाएत? अछता-पछता कए आगू बढ़ि रहल छलहुँ कि वाहनचालक टैक्सीके एमहर-ओमहर घुमबैत देखाएल। असलमे देरी भए जेबाक कारणसँ ओहो
परेसान भए गेल छल आ हमरासभकेँ ताकि रहल छल। हमसभ टैक्सीमे बैसलहुँ आ द्वारिकाधीश मंदिर
दिस बिदा भेलहुँ । मंदिरसँ कनीके फटकी पुलिस रस्ता बंद केने छल। “आगू टैक्सी नहि जा सकत ।”- वाहन चालक बाजल। हम नीचाँ
उतरि पुलिसबलाकेँ आग्रह केलिऐक,अपन परिचय देलिऐक। ओ मानि गेल
। हमसभ टैक्सीलेने भितर चलि गेलहुँ । मंदिरसँ कनीके फटकी एकटा पंडाजी भेटलाह् । हुनकासँ
बात ठीक भए गेल। टैक्सीक पार्किंगोक जोगार ओएह कए देलखीन । तकर बाद हमरासभके संगे
बिदा भेलाह। रस्तामे फूल-प्रसाद आर किछु-किछु हमरासभकेँ
कीनबा देलाह । हुनके सहयोगसँ हमसभ द्वारिकाधीश मंदिरमे बहुत जल्दीए नीकसँ दर्शन कए
लेलहुँ। तकर बाद हमसभ पंडितजीक संगे विश्राम घाट पहुँचलहुँ । कहल जाइत अछि जे
भगवान कृष्ण कंसकेँ मारलाक बाद एतहि विश्राम केलथि । जमुनाजीपर बनल ओ घाट बहुत
प्रसिद्ध अछि। ओहिठाम पंडितजी हमरासभकेँ लेने गेलाह । घाटपर उपस्थित पंडासभ
तरह-तरहसँ पूजा करेबाक हेतु व्यग्र छलाह । मूल उद्येश्य एतबे जे आगन्तुकलोकनिसँ अधिक
सँ अधिक टाका टानि ली। जेना-तेना ओहिठाम पूजा केलाक बाद हमसभ टैक्सी लग वापस
पहुँचलहुँ । पंडितजी तँ पहिने निकलि गेल रहथि। मुदा एकटा अपन आदमी हमरा संगे लगा
देने रहथि जे टैक्सीक पार्किंग धरि हमरासभकेँ पहुँचा देलक। ओकरा गछल टाका देलिऐक आ
हमसभ टैक्सीसँ वापस बिदा भेलहुँ । रस्तामे मथुराक प्रसिद्ध पेरा,पैठा कीनलहुँ । आब हमसभ वापस दिल्ली बिदा हेबाक उपक्रममे रही कि रस्तेमे
बिरला मंदिर देखाएल मंदिर खुजले छल। हमसभ ओहिठाम सेहो दर्शन केलहुँ । बहुत नीकसँ
दर्शन भेल । थोड़बे कालक बाद सेवादारसभ चिचिआ रहल छल-
“जल्दी
निकलैत जाउ । मंदिर बंद हेबाक समय भए गेल अछि।”
हमसभ जल्दीए
बाहर भए गेलहुँ । मंदिरक मुख्यद्वारि लग खाली स्थान छल। हमसभ बहुत भिजि गेल रही । भेल
जे अपन-अपन वस्त्र बदलि ली। ताहि हेतु झोरासँ अपन-अपन दोसर वस्त्र निलालहुँ आ ओकरा
पहिरबाक उपक्रममे छलहुँ कि प्रहरीसभ झगड़ा करए लागल। हमहूँ बहुत जोरसँ डाँटि
देलिऐक -
“तोरासभकेँ
कनीको मनुष्यता नहि छह। देखि रहल छह जे हमसभ भिजल छी। संगमे स्त्रीगणसभ से छथि। वस्त्र
बदलितहि हमसभ एहिठामसँ अपने चलि जाएब।” बहुत मोकसिलसँ हम आ
हमर श्रीमतीजी तँ अपन-अपन वस्त्र बदलि सकलहुँ । संकोचवश हमर सारि ओहिना भिजले सारी
पहिरने रहि गेलीह। घंटो एहि अवस्थामे रहबाक कारण ओ बादमे बहुत जोर दुखित भए गेलीह
। दिल्ली पहुँचलाक बाद कैकदिन धरि हुनकर इलाज होइत रहलनि तखन जा कए ओ स्वस्थ
भेलीह।
मंदिरसभक बाहर
बहुत मैलसभ रहैत अछि। मंदिरमे दर्शनकक व्यवस्था सेहो ठीक नहि अछि। शनि-रविक तँ
सौंसे घराबंदी कए देल जाइत अछि जाहिसँ अहाँ अपन कार नहि लए जा सकैत छी। बहुत सुधारक
प्रयोजन अछि। हमरा बुझेबे नहि करए जे अपन घरक एतेक शांति छोड़ि अनेरे
वृंदावन-मथुरामे फसाद करए लोक किएक जाएत? ओहिठाम तँ मात्र हंगामा
अछि,चारूकात लालची पंडासभक गीधदृष्टि जे कखन ककरासँ कतेक
बेसी टाका झिटि ली। सभठाम पैसा फेकू तमासा देखू बला बात अछि। निश्चय ई स्थिति बहुत
दुखद अछि। ई कोना पुण्य काज कहल जाएत? संबन्धित व्यक्तिसभकेँ
एहिसभपर सोचबाक चाही जे हिन्दू धर्मक एहन प्रतिष्ठित धर्मस्थलक एहन दुर्गति किएक
अछि?आशा करैत छी जे सरकार/धार्मिक
संस्थानसभ एहिसभ दिशामे काज करत आ भविष्यमे जखन हमसभ फेर ओहिठाम जा सकब तखन बहुत
उत्तम परिस्थिति देखबामे आओत ।
एहि तरहेँ
हमरसभक दू दिनक वृंदावन यात्राक अंत भेल। हमसभ अपन घर वापस आबि कए बहुत आश्वस्त
छलहुँ । वृंदावन-मथुराक एहि यात्रामे बहुत गंजन भेल छल। एक तँ मौसम बहुत खराप छल ।
हमसभ अनेक बेर भिजि गेलहुँ । दोसर वाहनचालक छल तँ सोझ मुदा ओकरा ओहिठामक कोनो जनतब
नहि रहैक । ऊपरसँ ओ कैकबेर गलत जानकारी दैत रहल जाहिसँ हमरासभकेँ परेसानी बढ़ल ।
अगर ओ बाँके बिहारी मंदिरक बंद हेबाक समयक गलत जनतब नहि दैत तँ हमसभ जे अनेरे
भिजैत ओहिठाम गेलहुँ आ वापस भेलहुँ ,ओहिसँ तँ बचि सकैत छलहुँ
। इसकान मंदिरक प्रभुपादआश्रमक आवास सेहो ठीक नहि छल। चाहो नहो भेटैत छल ओहिठाम , आर सुविधाक तँ बाते कोन? एहिसभक अछैत हमसभ प्रसन्न
रही जे मथुरा-वृंदावनक प्रमुख-प्रमुख मंदिरमे हमसभ दर्शन कए सकलहुँ ।
रबीन्द्र
नारायण मिश्र
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