पंचैती
जमाना कतय चल गेल मुदा
गाम-घरक लोक अखनहुँ दू सौ वर्ष पाछा अछि। गामक लोककेँ अखनहुँ चन्द्रमामे एकटा
बुढ़िया चर्खा कटैत देखाइत छैक। गामक लोक अखनहुँ ग्रहण लगिते स्नान करय चल जाइत
अछि। कियेक तँ ओकरा छुति भए जाइत छैक। एहने आवोहवामे गामक संस्कार-संस्कृति सेहो
आधुनिक ओ पुरातनक द्वंदक बीच चलि रहल अछि।
पुरना पीढ़ी आ आधुनिक लोकमे
अखनहुँ बड़ अन्तर छैक। तेँ एकटा स्वत: सर्वत्र विद्यमान तनाव जे कोनो क्षण झगड़ाक
रूप लऽ लैत अछि। एही कारणसँ गाम-घरमे पंचैतीक जबरदस्त गुंज़ाइश छैक।
मुरली पाँच भॉंइ छलाह। घरक
हिसाव-किताव श्याम रखैत छलखिन्ह। मैट्रिक तक पढ़ल छलखिन्ह। बेस चलाक-चुस्त। लगानीक
असूल करबामे पारंगत। हुनकासँ छोट तीन भाए- मोहन, रूदल आ लखन। लखन कमे
वयसमे दिवंगत भए गेला। हुनकर एक मात्र पुत्र जीवनकेँ पित्ती सभ पहिनहि फराक कय
देलकन्हि। पाँच बीघा जमीन हिस्सामे पड़लनि। लगानी-भिरानी जे किछु छलन्हि, सभटा श्याम बैमानी कऽ
लेलखिन। शेष चारू भाँइमे शुरूमे तँ खूब भेल छलनि मुदा किछु दिनक बाद रूदलक स्वर्ग
बास भए गेलनि। हुनका मात्र तीनिटा लड़की छलनि। तीनूक बियाह पित्ती सभ केलखिन। मुदा
वियाह करयबाक क्रममे सभटा जमीन तीनू भाँइ अपना-अपना नामे करा लेलनि। मसोमातकेँ
किछु नहि रहि गेल छलैक।
गामक किछु फनैत सभ ई गप्प
मसोमातक कानमे दऽ देलकन्हि। मसोमात तँ ओहि दिनसँ अगिआ-बेताल छथि। एको दिन एहन नहि
भेल जे हंगामा नहि भेल। अन्ततोगत्वा बुध दिन रहैक। गाममे हाट लगैत छलैक। गाम-गामक
लोक हाटपर जमा छल। सरपंच साहेब उर्फ पलटू बाबू चिकरि-चिकरि कऽ सैकड़ो लोककेँ जमा कऽ लेलन्हि। सभ गोटेतय कएल जे मसोमातक संगे बड़
भारी अन्याय भेलैक अछि परिणामत: दोसर दिन तीन बजे सरपंच साहेबक दलानपर पंचैती
करबाक निर्णय भेल।
दोसर दिन दुपहरियेसँ सौंसे
गामक लोक सह-सह करए लागल। सरपंचक ओहिठाम बैसारी रहैक।बेर खसैत-खसैत सौंसे दरबाजा
लोकसँ भरि गेल। अगल-बगलक गामक प्रमुख-प्रमुख लोक सभ सेहो बजौल गेल छलाह। मुखियाजी
एखन धरि नहि आएल छलाह तेँ ओहि टोलपर आदमी पठाओल गेल। चारि बजैत-बजैत लोकक करमान
लागि गेल।
सरपंच साहेब अपन स्वागत भाषण
कही या जे कही, प्रारम्भ केलन्हि।
मसोमात सेहो कोनटा लागल ठाढ़ छलीह। चारू भाएकेँ कोनो फज्झति बाँकी नहि रहल।
गाम-गामक पंच सभ सेहो ‘छिया-छिया’ कहय लगलखिन। मुदा श्याम बेस चलाक लोक छलाह। ओ
मुखियाकेँ रातियेमे पाँच साए टाका दऽ अपना गुटमे कऽ लेने छलखिन। मुखियाजी सरपंचपर
कड़कि उठलाह-
“ई अन्याय नहि चलत। आखिर तीनटा
जे कन्यादान पित्ती सभ केलखिन ताहिमे खर्चा तँ अवश्ये भेल हेतैक। फेर मसोमात तँ
असगर छथि। जमीन लऽ कऽ करतीह की? बारह मोन खोरिश हिनका अवश्य भेटक चाही । बाजू यौ
श्याम बाबू, अपने एहिपर तैयार छी?”
श्याम बाबू स्वीकृतिमे अपन
मुड़ी हिला देलखिन।
ई बात सरपंचकेँ एकदम नहि
रूचलैक। ओ बमकय लागल। संगे जे ओकर चारि-पाँचटा लठैत सभ छलैक सेहो सभ बमकय लागल।
जबाबी कार्यवाइमे चारू भाए सेहो भोकरय लागल। सरपंचक दरबाजापर बेस हंगामा बजड़ि
गेल। अन्ततोगत्वा ई निर्णय भेल जे दुनू गोटे एकादशी दिन पाँच प्रमुख-प्रमुख
व्यक्तिक समक्ष हरिवंशक पोथी उठा कऽ सप्पत खाथि आ ओहीसँ बात परिछा जायत।
प्रात:काल सरपंच साहेबक
ओहिठाम गायक गोबरसँ ठाँव कयल गेल। ओहिपर हरिवंशक पोथी राखल गेल। पाँचो पंच
अगल-बगलमे बैसल रहथि। श्याम मोने-मोन खुश छलाह। पता नहि, कतेक बेर ओ एहिना हरिवंशक
पोथी उठाय लोक सम्पति संग घर-घड़ारी घोंटि गेल रहथिन्ह। हनहनाइत, फनफनाइत रहला आ
हरिवंशक पोथी उठा लेलाह। पंच सभ तकैत रहि गेला आ मसोमात ओहीठाम अचेत खसि पड़लीह।
मसोमातकेँ बारह मोन सामान खोड़िसक अधिकार मात्रक घोषणा पंच समुदाय कय देलक। पंचैती
समाप्त भए गेल।
बुधन गामक मानल लठैत छलाह।
परमा बाबू बी.डी.ओ. साहेबसँ एकटा चापा कलक व्यवस्था करौने छलाह। कलक तीन-चौथाइ
खर्चा सरकारी मदतिसँ भरल जयतैक। बुधन ओ परमा बाबूक घर सटले छल। कल कतय गाड़ल जाय
ताहि हेतु जबरदस्त झगड़ा बजरि गेलैक। तय भेलै जे हीरा बाबूकेँ पंच मानि लेल जाए आ ओ
जे फैसला कए देथिन से मानि लेल जाए।
हीरा बाबू प्रतिष्ठित, पढ़ल-लिखल एवम्
ओजस्वी लोक छलाह। सम्पतिक नीक संगह कएने छलाह। प्रात: काल ओ घटना स्थलक निरीक्षण
कयलाह। बुधन लठैत छल। कखनो ककरो गरिया सकैत छल। बेर-कुबेर ओ लाठी लऽ कऽ ठाढ़ो भए
सकैत छल। परमा बाबू पढ़ल-लिखल सभ्य ओ शान्त स्वभावक लोक छलाह। परिणामत: हीरा बाबू
फैसला कऽ देलनि जे कल बुधनक घर लगक खाली स्थानपर गाड़ल जाय। बुधन खुश भए गेलाह।
परमा बाबू चुप, समाजक लोक चुप।
सोमन बाबू कामरेड छथि। गाममे
कतहु क्यो कोनो गड़बड़ी करैत तँ ओ अवश्य ओहिठाम पहुँचि जाइत छलाह। गरीब लोक हुनका
अपन नेता मानैत छल। अमत टोलीक एकटा स्त्रीगण अपन घरबलाकेँ छोड़ि कय निपत्ता भए गेल
छल। चारि-पाँच दिनुका बाद सौंसे गाममे जबरदस्त हंगामा भए गेल। शोभा बाबू ओहि मौगीक
संग निपत्ता। मुदा एहिबेर कोनो पंचैती नहि भेलैक। जे जतहि सुनलक ओ ओतहि गुम्मी
लादि देलक। समरथकेँ नहि दोष गोसाई सद्य: चरितार्थ भऽ गेल।
जीबछ भाइक अबाजमे बेश टीस
छन्हि। लोक कहैत अछि जे हिनकर बाप बड़ सुखी-सम्पन्न छलखिन। मुदा देखिते-देखिते
ओहने दरिद्र भए गेलखिन। ओहि घटनाक पाछू सेहो एकटा पंचैतीक हाथ छलैक। जीबछ भाइक बापक
श्राद्ध छलन्हि। गामक प्रमुख-प्रमुख लोकक बैसार भेलैक। जीबछ बाबू सन प्रसिद्ध ओ धनीक
लोकक श्राद्धमे कमसँ कम जबार तँ खेबेक चाहैक छलैक। सैह भेलैक। चारि दिन धरि भोज
होइते रहलैक। जीबछ भाइ एहि काजमे बीस हजार टका घरसँ निकाललाह। दस हजार टका कर्ज
लेबए पड़लन्हि। अमरू भाइ दियादे छलखिन। धरदए बिना कोनो हिचकसँ हुनका पैसा दए देलक । काजक बाद कहलक-
“कोनो बात ने । जखन पैसाहो
तखनहि दय देब।”
दू साल बीति गेल। जीबछ भाइक
हालत दिन-दिन बत्तर होइत गेल। तीन सालक बाद अमरू एकाएक चढ़ाइ कय देलक। ओकरा हिसाबे
सूद सहित ३५००० रूपया कर्ज भए गेल छलैक। अमरू भाइ अपन लठैत सभक सहायतासँ ओकर सभटा
जमीन जोति लेलखिन। गाममे बेश बबंडर भेल। पंचैती बैसल। सौंसे गामक नीक लोक सभ जमा
भेलाह। अमरू भाइक विजय भेल। सभ पंच अमरूक पक्षमे हाथ उठा देलखिन्ह। अमरू सभ जमीन
जोति लेलाह। सैह भेल पंचैती। जीबछ भाइ ओही पंचैतीक परातसँ फक्कर भए गेलाह।
कहबी छैक जे पति-पत्नीक
पंचैती नहि करी। कारण कहि नहि, ओ कखन झगड़ा करत आ कखन एक भए जैत। मुदा आई-काल्हि
एहनो कलाकार सभहक कमी नहि अछि जे बड़े आफियतसँ दुनू व्यक्तिमे झगड़ा लगा कऽ
मटरगस्ती करैत रहैत छथि। बेरपर पंचैती सेहो कय दैत छथि। बतहु मिसर एहने व्यक्ति
थिकाह। पुवारि गामवाली बेश हराहि छलीह। दुनू व्यक्तिमे खटपट होइते रहैत छनि ।
ओहि दिन पुरवारि गामवाली कतहु
हकार पुरय गेल छलीह,
घुरैत-घुरैत अबेर भए गेल रहनि । घुमैत-फिरैत बतहु बाबू पहुँचलाह। पुरवारि गामवालीक
घरबलाकेँ लोक खलीफा कहैत छल। खलीफा दरबाजापर गरमायल छलाह। बतहु मिसर पुछलखिन्ह-
“की बात छैक भाइ। आइ बड़
गरमायल लागि रहल छी?”
एतबा ओ पुछलखिन्ह की खलीफा
अपन घरवालीकेँ एक हजार फज्झति करय लगलखिन। ताहिपर बतहु मिसर दीप देलाह-
“हँ बेश कहैत छी भाइ।
आइ-काल्हिक स्त्रीगण सभ तँ एहने होइत छैक। हुनका तँ हम जट्टाक घरमे गप्प हकैत
देखलियनि अछि।”
एतबा गप्प बाजि ओ ओतयसँ हटि
गेलाह।
थोड़ेक कालक बाद पुरवारि गामवाली
लौटलीह। दुनू व्यक्तिमे महाभारत जे भेल से देखयबला छल। चारूकातसँ लेाक सभ दौड़ल
आयल। पुरवारि गामवालीकेँ ब्रेके नहि लेल होइत छल। अन्ततोगत्वा खलीफेकेँ लोक उठा कऽ
दोसरठाम लऽ गेल। दुनू व्यक्ति ओहि दिनसँ फराक-फराक रहए लगलाह। घरमे खान-पान बन्द।
बतहु मिसर फेर उपस्थित भेलाह आ खलीफाकेँ कहलखिन-
“भाइ, एहि तरहेँ केते दिन चलत।
आपसमे बैसार कय लिए आ मेल-जोलसँ समए गुजारू।”
तय भेल जे काल्हि आठ बजे
बैसार होएत। दोसर दिन बैसार भेल ।बतहु
मिसर धरि आठ बजे पहुँच गेलाह। दुनू व्यक्ति अपन-अपन पक्ष कहए लगलखिन। बहुत रास गप्प-सप
भेलाक बाद बतहु मिसर ई तय कऽ देलखिन जे आइ दिनसँ खलीफा अपन घरवालीक गंजन नहि
करताह।
ताहिपर पुरवारि गामवाली कनखी
मारलखिन्ह। खलीफा मुँह तकैत रहि गेलाह। बतहु मिसर तमाकुल चुनबैत-चुनबैत थपरी
मारलाह आ ओहिठामसँ घसकि गेलाह।
गाम-घरमे पंचैती एहिना होइत अछि।
जकर लाठी तकर महिष।