मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

बुधवार, 20 मार्च 2019

गाममे हैजा


गाममे हैजा



कै बेर जखन असगरमे रहैत छी तँ मोन गाम पहुँच जाइत अछि । ओना बूझल जाए तँ पछिला छिआलिस सालसँ हमसभ गामसँ नौकरी करबाक क्रममे बाहरे रहैत छी । कहिओ -काल गाहे -बगाहे गाम गेलहुँ । शुरुमे बेसी काल जाइत रही । जौं-जौं समय बितैत गेल ,गाम जएबाक क्रम मद्धिम पड़ैत गेल । मुदा कैटा बीतल घटनासभ अखनो मोनमे ओहिना घुमैत रहैत अछि जेना कि ओ एखने भेल हो । ओहने घटनासभमे सँ एकटा अछि गाममे हैजा होएब । हम सभ जखन इसकुलिआ विद्यार्थी रही ,बात तखनेक अछि । हमरासभक गाममे दू बेर हैजा भेल । इलाजक तेहन सुविधा नहि रहैक । ब्लाकक तरफसँ बड़का सुइआ जँ दए देल गेल तँ बुझू जे एतत्तह भए गेल । कै बेर ओ सुइआसभ सामुदायिक केन्द्र वा कोनो तेहने सार्वजनिक स्थानसभमे छिड़आइत राखल रहैत छल । बेस नमगर होइत छल ओ सुई। जँ गाम-घरमे हैजा फैलि गेल तँ सरकारी लोकसभ गामक चक्कर लगबितथि आ सुइआ देबाक कार्यक्रम होइत। कहि नहि ओहिसँ की प्रभाव होइक?
पहिने गाम-घरमे हैजा होइते रहैत छल । ई बिमारी बहुत तेजीसँ सौंसे पसरि जाइत छल । एकर  कोनो सटीक इलाज नहि रहैक । डाक्टरी सुविधा नदारद छल । बहुत भेल तँ लगपासक कोनो झोलाछाप डाक्टर बजाओल जाइत छलाह आ रोगीकेँ पानि छढ़ाओल जाइत छल । कहि नहि ओहि पानेमे की सभ रहैत छल । किओ-किओ ठीको भए जाइत छल । सभ भगवानेक भरोसे चलैत छल । म जखन नेन्ना रही तँ हमरा गाम मे दू बेर हैजा बिमारी भेल छल । सौंसे गाममे हड़बिड़रो मचि गेल रहए । ओहि समयमे एमबीबीएस डाक्टर हमरा गाममे नहि छल । धकजरीसँ एकटा एलएमपी डाक्टर बजाओल जाथि । रिक्सापर छढ़ल हाथमे छोटसन बैग आ देहपर लटकैत आलाक समग जखन ओ ककरो ओहिठाम अबितथि तँ लगपासक लोक इएह अनुमान करैत छल जे ककरो आब-तब हेतैक । तहिना जँ मधुबनी बाटाचौकपर सँ सड़ल,सुखाएल समतोला आनि कए जौं कोनो व्यक्तिकेँ देल गेलनि तँ लोक इएह बूझए जे अंतिमे हालत हेतनि । आ जँ मधुबनीक समतोलाक संगे धकजरीक आलाबला डाक्टर सेहो बजाओल गेलाह तँ बुझू जे जल्दिए टिकट कटत ।
धकजरीसँ एलएमपी डाक्टरक आएब तँ बड़का बात होइत छलैक । ओना छोट-मोट रोगक हेतु किंवा सुइआ देबाक हेतु गामक लगीचमे रहनिहार बंगाली डाक्टर अबैत छलाह । गामेक स्वर्गीय कुमारचंद्र डाक्टर सेहो बजाओल जाइत छलाह । हुनकर अड़ेर हाटपर दबाइक दोकान सेहो छलनि जे आब हुनकर पुत्र आ हमर इसकुलिआ संगी हरिहरजी चलबैत छथि । ओ सभ गाममे रोगीसभकेँ सुइआ देथिन तँ लगैक जेना कतेक भारी इलाज भए गेलैक । सुइआकेँ स्पीरीटसँ धो देल जाइक आ एकहिटा सिरिंज कहि नहि कतेकगोटेकेँ घोपल जाइक। आबक समयमें तँ लोक हाकरोस करए लागैत । कहैत जे एहि तरहक सुइआसँ बहुत रास संक्रामक रोग भए जाएत । मुदा ताहि समयक बात रहैक । भए सकैत अछि जे लोकक खून बेसी शुद्ध रहल होइक आ की महज संयोगे छल । एहन सुइआ लगेलाक बाद किओ मरल वा दुखित भए गेल से कहिओ सुनबामे नहि आएल । तेँ ओ ठीके चलि रहल छल ।
बंगाली डाक्टर लग एकटा साइकिल रहैत छलनि जे फटकिए-सँ टिपो-टिपो करैत रहैत छल । बंगाली जकाँ ओ मैथिलिओ बजैत छलाह । कहिओ काल हाटपर हम हुनका चीलमक सोटा लगबैत सेहो देखिअनि । जे होइक मुदा एकटा डाक्टरक रूपमे हुनका लग-पासमे लोक जनैत छल,मानैत छल ।
स्वर्गीय कुमारचंदकेँ गाममे बहुत इज्जति रहनि । लोक हुनका आदरपूर्वक व्यवहार करैत छल । कै बेर हमर माए दुखित भए जाइत छलीह तँ ओ अबैत छलाह । हुनकर  देल दबाइसँ ओ ठीक भए जाइत छलीह। हमरा मोन पड़ैत अछि जे एकबेर हमर मोन खराप रहए । हुनकेसँ दबाइ लेने रही । कतबो कहलिअनि ओ दबाइक दाम नहि लेलाह । कहलाह-"

अहाँ विद्यार्थी छी, मोनसँ पढ़ू, इएह हमर दाम भेल ।"

बाह! कतेक उदार सोचक लोक छलाह ओ!

गाममे पहिलबेर हैजा भेल रहए तँ बहुत छोट रही । कै गोटाकेँ पकड़लकैक । ओहिबेर हमर माए के सेहो हैजा भए गेल रहैक । बाबूजी कै बेर डाक्टर के बजाबथि । धकजरीबला डाक्टर  पानि चढ़ओने रहथि । हमर बाबा(स्वर्गीय श्रीशरण मिश्र)  बहुत दुखी रहथि । कै बेर आङन आबि कए माएक हाल-चाल लेथि। परिवारमे सभ बहुत चिंतित रहथि। रच्छ भेल जे ओ ठीक भए गेलीह । मुदा ओहिबेर सभसँ जे दुखद घटना भेल से छल एकटा अत्यंत सुंदर युवकक हैजासँ मृत्यु होएब । हुनकर पिताक ओ एकलौता पुत्र छलाह । देखबामे गौर वर्ण,नमगर-पोरगर आ आकर्षक व्यक्तित्व । हुनकर हालेमे विआह भेल छल, द्विरागमनो नहि भेल रहए। दुर्भाग्यवश ओ हैजाक चपेटमे आबि गेलाह । एहिसँ हुनकर पिता(जिनकासभ शर्माजी कहैत छल ) सभदिन हेतु अनाथ भए गेलाह । तकरबाद हम कहिओ हुनका हँसैत नहि देखलिअनि ।
जखन कखनो हमरा ओ घटना मोन पड़ैत अछि,हम बहुत दुखी  भए जाइत छी। शर्माजी विद्वान व्यक्ति छलाह। काशीसँ संस्कृत पढ़ने रहथि । बहुत विनम्र स्वभावक छलाह । सौंसे देबालपर लाल-लाल आखरमे संस्कृतक श्लोकसभ लिखने रहैत छलाह । गाममे ककरो दिन तकेबाक होइक तँ हुनका लग जाथि । हमहु कै बेर हुनका ओहिठाम दिन तकेबाक हेतु जाइत छलहुँ । भगवानक परम भक्त आ बहुत निष्ठावान लोक छलाह। तथापि एहन बज्र हुनकापर किएक खसल से नहि कही । एक हिसाबे ओ परिवार सभदिन हेतु शापित रहि गेल।
गाममे हैजाक दोसर घटना भेल छल सन्१९६८ई मे । हम ओहि समयमे आर.के.कालेज,मधुबनीमे प्री.-साइंसमे पढ़ैत रही । गामसँ लोकसभ मास करए सिमरिआ गेल रहथि । ओतहि हैजा फैल गेल रहए ।  हमर गामक एकटा महिलाकेँ हैजा पटि गेलनि । ओ ओही हालतमे गाम आबि गेलीह । तकरबाद तँ गाममे कै गोटे केँ हैजा भेलैक । नवका पोखरिपर बसल परिवारमे सँ एकगोटेकेँ सेहो हैजा भेलनि । सौंसे गाममे हरकंप मचि गेल छल । सभसँ दिक्कत एहिबात लए कए रहैक जे उचित इलाज गाममे उपलव्ध नहि रहैक । बहुत तँ पानि चढ़ा देल जाइक । लोकसभ अपना भागे जीबए,मरए । सरकारक दिससँ एतबे होइक जे सभकेँ नमका सुइआ लगा देल जाइक ।
ओहिबेरक हैजामे हमर पितिऔत भाए जीवछ भाइ(स्वर्गीय जीवनाथ मिश्र) के सेहो हैजा भए गेलनि। हमरा ओहिना मोन पढ़ैत अछि जे तीन-चारि बजे रातिएमे  बच्चाकाका(स्वर्गीय उदयकान्त मिश्र) हमर बाबूजीकेँ उठओने रहथि । हमरि निन्न सेहो टुटि गेल रहए । छठि पावनिक खरना ओही दिन भेल रहए । बाबूजी तुरंते रिक्सासँ धकजरीबला डाक्टरकेँ बजा अनने रहथि । हुनका पानि चढ़ाओल गेल । मुदा हुनका कोनो फैदा नहि होअए । ओ डाक्टर कै बेर अएलथि- गेलथि । पानि चढ़ा कए चलि जाथि ।  अंतमे दोसर दिन भोरे सेहो ओ आएल रहथि । मुदा थोड़बे कालक बाद हुनकर देहांत भए गेल । तकरबाद जे दृष्य भेल तकर वर्णन करब कठिन काज थिक । हमर पित्ती(बच्चा काका) आ काकीक हालत बेहाल रहए । हुनकर ओ एकमात्र संतान रहथि ।  बिआह भए गेल रहनि । तकर साल भरिक भीतरे ई दुर्घटना भए गेल रहए । भौजी(टभकाबाली) नैहरेमे रहथि। छठिक भोरका अर्घ हेबाक रहैक । ओमहर कलममे गाछ काटल जाइत रहए । बड़की कलममे हुनका संस्कार देल गेल । वच्चाकाका अड़ि गेलखिन जे आगि ओएह देताह । सोचल जा सकैत अछि जे हुनकापर कतेक भारी बज्र खसल । एकटा परिवार सभदिनक हेतु नष्ट भए गेल ।
जीवछ भाइ छ: हाथक बेस करगर जवान छलाह । दुखित होएबासँ एकसाँझ पहिने अखारापर व्यायाम केने छलाह । साँझमे हमहु नवका पोखरिपर हुना संगे रही । ओहिठाम सेहो एकगोटेकेँ हैजा भए गेल रहनि । भोर होइते ओ एना हेजाक चपेटमे पड़ि जेताह से नहि सोचि सकैत छलहुँ । मुदा सएह भेल । हमर काकी भरि राति भगवतीक लग आबि कए छाती पिटैत रहि गेलीह । किछु सुनबाइ नहि भेलनि । हुनकर एकमात्र संतान भोर होइते एहि दुनिआसँ चलि गेलथि  । बहुत भारी अन्याय भेल । एहि घटनाक पचास साल भए गेल मुदा अखनहु हम ओहि बारेमे सोचैत छी तँ सोचिते रहि जाइत छी । कै बेर होइत अछि जे हुनका दरभंगा लए जेबाक चाहैत छल। ओतए साइत हुनकर जान बँचि जइतनि । कहि नहि से प्रयास किएक नहि भेल? भए सकैत अछि जे ओतेक जागरुकता नहि रहैक वा की भेलेक से नहि कहि मुदा परिणाम बहुत दुखद भेल ।
एहि घटनाक बाद हमर काका आ काकी दुनूगोटेक दुखक अंत नहि छल । सौंसे गाम भम्म पड़ि रहल छल । कतेको गोटे आबि-आबि संवेदना प्रकट करैत रहलाह ।  हमरा अखनो काकाजीक ओ वेसुध पड़ल दृष्य मोन पड़ैत रहैत अछि । दुख आ संतापसँ ओ ततेक परेसान रहथि जे लोढ़ा लए मकानकेँ ढ़ाहए लागथि । सब गुम्म छल । काकाजी अध्यात्मिक प्रवृतिक लोक छलाह। बादमे ओ कै बेर तीर्थाटन पड़ चलि गेलाह। क्रमशः भगवान मे लीन भए गेलाह । अपने दरबाजापर हनुमानजीक छोटसन मंदिर बनओलथि आ दिन-राति हुनके चाकरीमे लागल रहथि । एहिसँ हुनकर मोन क्रमशः शांत भेल । मुदा काकी तँ ओहिना विक्षिप्ते रहि गेलीह । ओकर बाद कहिओ फेर सामान्य नहि भए सकलीह । आब ओ सभ एहि दुनिआमे नहि छथि । आशा करैत छी,हुनकासभक आत्माकेँ भगवान अपन शरण देने हेथिन ।
गाममे भेल हैजाक आक्रमण सभदिनक हेतु एकटा संताप छोड़ि गेल । दूटा परिवारसभ दिनक हेतु बर्बाद भए गेल । दूटा नवविवाहिता आजीवन वैधव्यक दंश भोगैत रहलीह । हुनका लोकनिक समस्त परिवार हाकरोस करैत रहि गेल । मुदा ई तँ विधाताक डांग छल । के की करैत?सभ विवश छल । आइओ ओहि घटनासभक स्मरणसँ मोनमे आपार कष्ट भए जाइत अछि । तखन तँ जीवन छैक , कतहु किछु घटनासँ वशीभूत भए ठहरि नहि जाइत अछि ,चलिते रहैत अछि। कालचक्र आगा बढ़िते अछि,बढ़िते रहत । चिकित्सा विज्ञानक विकास ओ उपलव्धताक कारण आशा करैत छी जे आब एहन घटना नहि घटत ।