मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

गुरुवार, 4 मई 2023

सन् २०१८मे प्रकाशित हमर मैथिली उपन्यास महराज(ISBN: 978-93-5321-395-4)क हमर ब्लाग स्वान्तः सुखायपर धारावाहिक पुनर्प्रकाशनक छठम खेपः



 

 

ओहि राति निशा भरि राति कुहरैत रहलि। रहि-रहि कए विचित्र अबाज निकालए लगैक। जेलर परेसान भए गेल। ओकरा कालू भगता ध्यानमे अएलैक। कालूक भगतै असरदार भेल रहैक। निशामे चमत्कारिक परिवर्तन ओ आनएमे सफल भेल रहए। मुदा आब तँ ओ चलि गेल छल। किछु पता-ठेकाना सेहो नहि देने छलैक। की केना करए से जेलर बाबूकेँ फुरेबे नहि करैक। पड़ोसमे एकटा बंगाली डाक्टर रहैक। ओकरासँ पूर्व परिचय रहैक। दौड़ल-दौड़ल ओ बंगाली डाक्टरकेँ बजा अनलक। बेरि-बेरि आला लगा कए ओ देखैक मुदा सभ चीज ठीके बुझाइक। रक्तचाप सामान्य छलैक, हृदयक धड़कन सेहो ठीक रहैक, होसोमे रहैक तखन समस्या की रहैक? ओहो भुतिआ गेल। किछु नहि बूझि सकल। कहलक-

ई तँ बड़ ओझराएल मामिला लगैत अछि। एकर तँ सभ किछु सामान्य लगैत छैक, तखन एकर व्यवहार एहन किएक भए जाइत छैक?"

जेलर बाबू की कहितैक? बात-बातमे कालू भगताक चर्च भए गेलैक। बंगाली डाक्टरक माथा ठनकल। ओकरा भूत-प्रेतमे विश्वास नहि छलैक मुदा जे सद्यः देखि रहल छल तकर की समाधान दैत? ओकर सभटा ज्ञान हरा गेल छलैक। कहलकैक- हम हारि गेलहुँ जेलर बाबू। एहन मरीज आइ धरि नहि देखने छलिऐक। एकरा कोनो बड़का डाक्टर लग लए जाउ। मामिला बहुत ओझराएल बुझा रहल अछि। अपन ध्यान राखब ।" -से कहि ओ बिदा भए गेल।

जेलर बाबू माथ पकड़ि कए बैसि गेल। बंगाली डाक्टरकेँ जाइते निशाक चिकरब-भोकरब फेर जोर पकड़लकैक। जोर-जोरसँ मूड़ी हिलाबए लागलि। जेलरकेँ देखिते केकिआए लागैत छलि। जेलर चिंतासँ ततेक परेसान भए गेल जे लगैक जेना माथा फाटि जाएत। भोर होमए पर छल। कौआ डाक देलक। फरीच भए गेल रहैक। जेलर बाबूकेँ चाहक तलब धेलकैक। चाह के बना कए दितैक? घरनी बेसुध पड़ल रहैक। डाक्टरो किछु नहि कए सकल। आओर ओझरा कए चलि गेल। चाहक अमल ओ नहि रोकि सकल। अपनेसँ चुल्हा पजारलक। केदलीमे पानि,दुध,चाहक पत्ती,चिन्नी सभ एकहि बेर धए देलक आ आँचकेँ तेज कए देलक। दूइए मिनटमे चाह उफनाए लगलैक। जाबे साकंछ होइत-होइत ताबे आधा चाह उफनि कए खसि पड़लैक। कहुना कए बाँचल चाहकेँ कपमे धेलक आ पीबाक हेतु तत्पर भेल कि बाहर ककरो अबाज सुनेलैक।

"जय भवानी!जय भवानी!”

 जेलर बाबू चाह लेने घरक फटक खोलि कए बाहर भेलाह।

 "ई तँ कालू लागि रहल अछि? मुदा चिन्हा नहि रहल अछि। एकर चालि-ढ़ालि एकहि दिनमे एतेक कोना बदलि गेलैक?"

फेर सोचलक जे भए सकैत अछि जे धोखा भए रहल हो। राति भरिक जगरनाक कारण माथामे दुबिधा भए गेल हो। तेँ पुछलकैक-

"अहाँ के छी? ककरासँ भेंट करबाक अछि?"

 एतबा सुनतहि ओ चिकरए लागल-

"बूड़ि कहाँकेँ? एकहि दिनमे बिसरि गेलह। तेँ तँ तोहर ई हाल छौक।"

एतबा बाजि ओ अपन तृशूल झमकओलक आ कमंडलसँ जल निकालि जेलर बाबूक ऊपर फेकए लागल आ कहलक-

अखने तोरा बुझेतह जे हम के छी।"

जेलर बाबू चाह पिनाइ छोड़ि दंडवत भए गेल।

गलती भए गेल। हम अहाँकेँ नहि चिन्हि सकलहुँ। मुदा एकहि दिनमे अहाँक रूप एतेक बदलि गेल?"

खबरदार! जे हमर रूप-रंग पर टोका-टाकी केलह। तोहर घरबालीक जान जा रहल छौक आ तूँ झौहर खेला रहल छैं?"

"झौहर? राति भरि जागल छी। डाक्टरकेँ सेहो बजओने रहिऐक। मुदा किछु फएदा नहि भेलैक उल्टे आओर मोन खराब भए गेलैक। डाक्टरो थाकि कए चलि गेल।"

"मोसकिलसँ ई बचलौक अछि। मखना यमपाश लए घुमि रहल छौक। सम्हरि जो।"

"की कहलिऐक? यमपाश..। बाप रे बाप...। आब की होएत? ई मुष्टंग के अछि?"

"सभटा तोही बूझि जेबही तँ भगता की करतैक?"

"कहुना कए एकर जान बचा दिऔक। जे कहब से करब।"

"बहुत देरी भए गेलौक। मोसकिल काज लागि रहल अछि।"

ई सभ दुनू गोटेमे गप्प भइए रहल छल कि जेलर बाबूक चारपर किछु बिचित्र सन अबाज भेलैक। ओ घर दिस दौड़ल। निशा बेहोस छलैक। छाती दिस तकलक। ऊपर-नीचाँ भए रहल छलैक। साँस चलि रहल छलैक। आब तँ ओ ठोहि पारि कए कानए लागल।

जेलर बाबूक कानब सुनि कए कालू भगता अन्दर आबि गेल आ ओकरा चार दिस इसारा केलकैक। मुदा जेलर बाबूकेँ किछु नहि देखा रहल छल। मुदा कालू साफे देखि रहल छल। मखना यमपाश फेकए हेतु तैयार छल मुदा ओकरा कोडवर्डे बिसरा गेल छलैक। यमपाश खुजिए नहि रहल छल। घामे-पसिने ओ परेसान छल। ओकर ई हाल देखि कालू भगताकेँ नहि रहल गेलैक। ओ चिचिआ उठल- तोरा केओ आओर नहि भेटि रहल छह जे वारंबार एहीठामक चक्कर लगा रहल छह?"

"तूँ हमरा लोकनिक कारबारमे हस्तक्षेप केनिहार के?"

एतबामे मखनाकेँ फोनपर घंटी बाजए लागल। देखैत अछि जे फोनमे लिखल अछि- यमराज"

ओकर सीटीपीटी गुम रहैक। कोडवर्ड बिसरा जेबाक कारण यमपाश चलि नहि सकलैक आ निशाक प्राण खिचबाक समय बीति गेल। आब की होएत? मखना घामे-पसीने भीजि गेल छल। ताबे ओकर मोबाइलक घंटी कैक बेरि बाजलैक। ओकरा ऊपर बजाहटि भए गेलैक। ओ लंक लागि कए भागल। ई सभ कालू भगता देखि रहल छल। आ भभा कए हँसए लागल।

"फेर ई बँचि गेल...।

भेलैक ई जे कोडवर्ड बिसरि गेलाक बाद मखना गलत-सलत कोड लगाबए लागल जाहिसँ यमलोकक नेटवर्क जाम भए गेलैक। यमलोकमे आपत्तिकालीन घंटी घन-घनाए लागल। यमराज तँ पहिनेसँ ओकरासँ तमसाएल छलाहे। एहि बेरक घटनाक बाद तँ ओ किछु करएपर अड़ल रहथि। मुदा जहन घैलक पेनी फुटल होइक तँ पानि अटकत कोना? इएह हाल छलनि यमराजक। मखना छल फेरल लोक। ओ यमराजक पत्नीकेँ तेहनक पोटने छल जे यमराज फिस्स भए जाइत छलाह। एहू बेर इएह भेल। ओ सोझे यमपत्नी रेखा लग पहुँचल आ सिसकी भरए लागल।

की भेल?की भेल?" यमपत्नी रेखा पुछलखिन।

की कहू? यमराजकेँ अहाँपर सक रहैत छनि। ताहि चलते हमरो जान लेबए पर लागल छथि। कोनो मौका बाम नहि जाए दैत छथि।"

"भेलैक की, से तँ बाजू?"

मखना सभटा बात नून-तेल लगाए कहि देलक आ इसारा पबतहि ओतएसँ घसकि गेल। यमराज पनपिआइ करए घर अएलाह तँ देखैत छथि जे यमपत्नी जमीनपर अखरेमे सुतल छथि। मुँह झपने छथि आ कानि रहल छथि। यमराजजी मोसकिलमे पड़ि गेलाहआब की भेल?”

"रेखा! रेखा!" कैक बेर अबाज देलखिन मुदा कोनो उत्तर नहि भेटलनि। मामिला गड़बड़ाइत देखि ओ रेखाक सिरमामे बैसि हुनका मनबएमे लागि गेलाह। मखना घरक खिड़की लग नुका कए सभटा दृश्य देखि रहल छल आ मोने मोने प्रसन्न भए रहल छल।

"चललाह हमरे ठीक करए। आब सम्हारथु ..." बड़बड़ाइत छल कि यमराजक नजरि ओकरापर पड़ल। ओ चिकरि उठलाह-

"दुष्ट...सावधान...।"

ई सुनितहि मखना इएह-ले ओएह-ले भागल।q


 

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Maharaaj is a Maithili Novel dealing with the social and economic exploitation of the have-nots by the affluent headed by the local heads of that time. However, the have-nots ultimately succeed in controlling the resources and regain their lost assets by sustained struggle. Even the dead persons join together to fight against the Maharaaj and ensure that the poor gets their due.

 

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