मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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शुक्रवार, 22 मार्च 2019

ईवीएम खराब है


ईवीएम खराब है 



आपको याद होगा कि ईवीएम(इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन)  मशीन के प्रयोग में आने से पहले हमारे देश में चुनाव बैलेट से कराए जाते थे । उस समय भारी मात्रा में बोगस पोलींग की घटना होती रहती थी । कई बार तो पूरा बूथ ही जबरन कब्जा कर लिया जाता था । इस तरह जिसकी लाठी उसकी भैंस बाली बात चल रही थी । उतना ही नहीं मतगणना में कई दिन लग जाते थे । उस दौरान मतगणना में धांधली की शिकायतें भी होती रहती थी । ईवीएम मशीन के प्रयोग में आने के बाद बहुत सारी ऐसी समस्यायों से निजात मिली है जिससे बैलेट द्वारा मतदान के समय जूझना पड़ना था । मतदान में बोगस पोलींग बंद हो गया है । मतगणना चार-पाँच घंटे में हो जाती है । ईवीएम का इस्तेमाल 'अमान्य वोट' की संभावना को पूरी तरह से समाप्त कर देता है, जो प्रत्येक चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में पेपर बैलट के दौरान देखा गया था। वास्तव में, कई मामलों में, 'अमान्य वोट' की संख्या विजेता मार्जिन से अधिक हो गई, जिसके कारण कई शिकायतें और मुकदमे हुए। ईवीएम के उपयोग के साथ, हर चुनाव के लिए लाखों मतपत्रों की छपाई में बचत की जा सकती है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्तिगत निर्वाचक के लिए एक मतपत्र के बजाय प्रत्येक मतदान केंद्र पर बैलेटिंग यूनिट पर फिक्सिंग के लिए केवल एक मतपत्र की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप कागज, छपाई, परिवहन, भंडारण और वितरण की लागत में भारी बचत होती है।

भारत में ईवीएम का इस्तेमाल पहली बार 1982 में केरल के परूर विधानसभा में 50 मतदान केंद्रों पर हुआ। 1999 के चुनावों में आंशिक रूप से ईवीएम का इस्तेमाल शुरू हुआ। 2004 के आम चुनावों से ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से शुरू हुआ। सालों तक कई चुनाव ईवीएम मशीन से होते रहे । सभी खुश थे । फिर क्या हुआ कि हाल के वर्षों में कुछ प्रमुख विपक्षी दल ईवीएम मशीन पर सबाल उठाने लगे?इधर कुछ सालों से देश के राजनीतिक पटल पर कई चमात्कारिक परिवर्तन देखने को मिले । पिछले लोकसभा के आम चुनाव के बाद देश में तीस साल के बाद पूर्ण बहुमत बाली सरकार बनी । निश्चय ही उस दल के नेता श्री नरेंद्र मोदीजी,जिनको यह गौरब प्राप्त हुआ ,बहुत खुश हुए । प्रधान मंत्री बनने के बाद वे एक- पर-एक चुनाव जीतते गए । कुछ राज्यों में वे चुनाव हारे भी,जैसे बिहार में,दिल्ली में । दिल्ली में तो बीजेपी को मात्र तीन सीटें मिली। यहाँ तक तो विपक्ष के लोक झेलते रह गए। जब उत्तरप्रदेश में भी भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई तो कुछ विपक्षी नेताओं ने एक नया सगूफा छोड़ना शुरु किया-"ईवीएम खराब है ।

तब से जब भी विपक्ष के लोग चुनाव हार जाते हैं तो हार का ठीकरा  ईवीएम मशीन पर फोड़ना नहीं भूलते । इसका सबसे बड़ा फायदा उनको यह होता हे कि वे अपने समर्थकों को समझाने का कोशिश करते है कि उनके नेता में अभी भी दम-खम है और हार हुई नहीं है,जनता अभी भी उनके ही साथ में है । चुनाव का परिणाम असली नहीं है । जैसे ही इवीएम मशीन के बजाय बैलेट से चुनाव होने लगेंगे उनके पुराने दिन लौट जाएंगे । बेचारे समर्थक तो समर्थक ठहरे । वे अपने नेताओं की बातों में विश्वास क्यों नहीं करें? सोचने की बात है कि इस तरह का झूठ फैला कर वे लोग कबतक अपने आप को और अपने समर्थकों को भुलावे में रख सकते हैं?

पंजाब,राजस्थान,मध्यप्रदेश,और क्षत्तीसगढ़ राज्य विधानसभाओं के चुनाव में ईवीएम ठीक काम करने लगा क्यों कि वहाँ बीजेपी हार गई । यह कैसे हो संभव है? स्पष्ट है कि इस तरह की बातें सिर्फ जनता के मन में भ्रम फैलाने के लिए किया जाता है । यह कार्यक्रम इतने सुनियोजित ढंग से किया जाता है कि इसको हवा देने के लिए दिल्ली विधान सभा का विशेष सत्र बुलया गया और वहाँ नकली ईवीएम मशीन के सहारे यह सावित करने की कोशिश की गई कि ईवीएम मशीन को हैक करना संभव ही नहीं बहुत ही आसान है । अभी कुछ दिन पहले लंदन में कुछ लोगों ने यह दिखाने की कोशिश की कि ईवीएम मशीन सुरक्षित नहीं है और इसे हैक किया जा सकता है । उसमें विपक्षी दल के एक वरिष्ठ नेता  भी मौजूद थे ।

ईवीएम मशीन पर उठ रहे सबालों के बीच  भारत के चुनाव आयोग ने विशेष आयोजन करके तमाम दलों के प्रतिनिधियों को उसमें  भाग लेकर शंका निवारण का पर्याप्त मौका दिया । परंतु अफशोस की बात है कि वे लोग तो या तो उस में गए ही नहीं और जो गए वे अन्यमनस्क भाव से शामिल हुए । बार-बार इस तरह के आधारहीन आरोपों को निरस्त करने के लिए चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीनों को भीभीपैट मशीनों से जोड़ने की पहल की । VVPAT यानि वोटर वेरीफायएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail) मशीन को ईवीएम मशीन के साथ जोड़ दिया जाता है। जब कोई मतदाता अपने पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के सामने ईवीएम मशीन पर बटन डबाता है तो वीवीपीएटी मशीन से एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची पर मतदाता द्वारा दिए गए वोट से संबंधित प्रत्याशी का नाम, चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम अंकित होता है। जो कि मतदाता को बताता है कि उसका वोट किसे गया है। इस पर्ची और मतदाता के बीच एक स्क्रीन होती है, जिसके जरिए सिर्फ 7 सेकंड तक पर्ची को देखा जा सकता है। उसके बाद यह पर्ची सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है और मतदाता को नहीं दी जाती। मतगणना के दौरान विवाद या मांग उठने या जैसा भी निर्धारित हो उस हिसाब से वीवीपीएटी पर्चियों और ईवीएम से पड़ी वोटों का मिलान किया जाता है।

VVPAT मशीन का इस्तेमाल सबसे पहले 2013 में नागालैंड के विधानसभा चुनाव में किया गया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश देकर पर्याप्त वीवीपीएटी मशीन बनवाने का आदेश दिया। 2014 में हुए आम चुनाव के बाद उठे विवाद के बाद चुनाव आयोग ने 2014 में तय किया कि अगले आम चुनाव यानि 2019 में सभी मतदान केंद्रों पर वीवीपीएटी मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि प्रत्येक मतदाता मतदान करने के बाद यह सुनिश्चित कर सके कि उसके द्वारा डाला गया मत उसी उम्मीदवार के खाते में गया जिसको वे देना चाहते थे ।

चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रकृया को और पारदर्शी बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी है । फिर भी विपक्षी दल वारंबार इस पर प्रश्न चिन्ह खड़ाकर भारतीय चुनाव व्यवस्था पर अकारण शंका उतपन्न कर रहे हैं। अभी हाल में ही कुछ लोगों ने माननीय उच्चतम न्यायलय में आवेदन देकर माननीय न्यायालय से आग्रह किया है कि अगले लोकसभा के चुनाव में कम-से-कम आधे लोकसभा सीटों के मतदान के गिनती में ईबीएम के गणना को  से मिलान करने का चुनाव आयोग को आदेश दिया जाय । माननीय न्यायलय ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग एवम् संवंधित लोगों को नोटिस जारी कर दिया है । अभी इस मामले की आगे सुनवाई होनी है । माननीय न्यायलय किस नतीजे पर पहुँचता है यह भविष्य का विषय है ।

 इस तरह ईबीएम मशीन पर विवाद जारी है । यह ध्यान देने की बात है कि दुनियाँ भर में निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रशंसित हमरे चुनाव आयोग को लगातार विवादों में घसीटते रहना निश्चित रूप से इस राष्ट्रीय संस्था के महत्ता को कम करता है । यह देश में लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। लोकतंत्र में हार-जीत होती रहती है । हमें राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखकर सोचना ही चाहिए ,इसी में सब की भलाई है ।  देश बचेगा ,तभी हम भी बचेंगे । क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के वशीभूत हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे भविष्य  हमें माफ नहीं कर सके ।



रबीन्द्र नारायण मिश्र

mishrarn@gmail.com

बुधवार, 20 मार्च 2019

गाममे हैजा


गाममे हैजा



कै बेर जखन असगरमे रहैत छी तँ मोन गाम पहुँच जाइत अछि । ओना बूझल जाए तँ पछिला छिआलिस सालसँ हमसभ गामसँ नौकरी करबाक क्रममे बाहरे रहैत छी । कहिओ -काल गाहे -बगाहे गाम गेलहुँ । शुरुमे बेसी काल जाइत रही । जौं-जौं समय बितैत गेल ,गाम जएबाक क्रम मद्धिम पड़ैत गेल । मुदा कैटा बीतल घटनासभ अखनो मोनमे ओहिना घुमैत रहैत अछि जेना कि ओ एखने भेल हो । ओहने घटनासभमे सँ एकटा अछि गाममे हैजा होएब । हम सभ जखन इसकुलिआ विद्यार्थी रही ,बात तखनेक अछि । हमरासभक गाममे दू बेर हैजा भेल । इलाजक तेहन सुविधा नहि रहैक । ब्लाकक तरफसँ बड़का सुइआ जँ दए देल गेल तँ बुझू जे एतत्तह भए गेल । कै बेर ओ सुइआसभ सामुदायिक केन्द्र वा कोनो तेहने सार्वजनिक स्थानसभमे छिड़आइत राखल रहैत छल । बेस नमगर होइत छल ओ सुई। जँ गाम-घरमे हैजा फैलि गेल तँ सरकारी लोकसभ गामक चक्कर लगबितथि आ सुइआ देबाक कार्यक्रम होइत। कहि नहि ओहिसँ की प्रभाव होइक?
पहिने गाम-घरमे हैजा होइते रहैत छल । ई बिमारी बहुत तेजीसँ सौंसे पसरि जाइत छल । एकर  कोनो सटीक इलाज नहि रहैक । डाक्टरी सुविधा नदारद छल । बहुत भेल तँ लगपासक कोनो झोलाछाप डाक्टर बजाओल जाइत छलाह आ रोगीकेँ पानि छढ़ाओल जाइत छल । कहि नहि ओहि पानेमे की सभ रहैत छल । किओ-किओ ठीको भए जाइत छल । सभ भगवानेक भरोसे चलैत छल । म जखन नेन्ना रही तँ हमरा गाम मे दू बेर हैजा बिमारी भेल छल । सौंसे गाममे हड़बिड़रो मचि गेल रहए । ओहि समयमे एमबीबीएस डाक्टर हमरा गाममे नहि छल । धकजरीसँ एकटा एलएमपी डाक्टर बजाओल जाथि । रिक्सापर छढ़ल हाथमे छोटसन बैग आ देहपर लटकैत आलाक समग जखन ओ ककरो ओहिठाम अबितथि तँ लगपासक लोक इएह अनुमान करैत छल जे ककरो आब-तब हेतैक । तहिना जँ मधुबनी बाटाचौकपर सँ सड़ल,सुखाएल समतोला आनि कए जौं कोनो व्यक्तिकेँ देल गेलनि तँ लोक इएह बूझए जे अंतिमे हालत हेतनि । आ जँ मधुबनीक समतोलाक संगे धकजरीक आलाबला डाक्टर सेहो बजाओल गेलाह तँ बुझू जे जल्दिए टिकट कटत ।
धकजरीसँ एलएमपी डाक्टरक आएब तँ बड़का बात होइत छलैक । ओना छोट-मोट रोगक हेतु किंवा सुइआ देबाक हेतु गामक लगीचमे रहनिहार बंगाली डाक्टर अबैत छलाह । गामेक स्वर्गीय कुमारचंद्र डाक्टर सेहो बजाओल जाइत छलाह । हुनकर अड़ेर हाटपर दबाइक दोकान सेहो छलनि जे आब हुनकर पुत्र आ हमर इसकुलिआ संगी हरिहरजी चलबैत छथि । ओ सभ गाममे रोगीसभकेँ सुइआ देथिन तँ लगैक जेना कतेक भारी इलाज भए गेलैक । सुइआकेँ स्पीरीटसँ धो देल जाइक आ एकहिटा सिरिंज कहि नहि कतेकगोटेकेँ घोपल जाइक। आबक समयमें तँ लोक हाकरोस करए लागैत । कहैत जे एहि तरहक सुइआसँ बहुत रास संक्रामक रोग भए जाएत । मुदा ताहि समयक बात रहैक । भए सकैत अछि जे लोकक खून बेसी शुद्ध रहल होइक आ की महज संयोगे छल । एहन सुइआ लगेलाक बाद किओ मरल वा दुखित भए गेल से कहिओ सुनबामे नहि आएल । तेँ ओ ठीके चलि रहल छल ।
बंगाली डाक्टर लग एकटा साइकिल रहैत छलनि जे फटकिए-सँ टिपो-टिपो करैत रहैत छल । बंगाली जकाँ ओ मैथिलिओ बजैत छलाह । कहिओ काल हाटपर हम हुनका चीलमक सोटा लगबैत सेहो देखिअनि । जे होइक मुदा एकटा डाक्टरक रूपमे हुनका लग-पासमे लोक जनैत छल,मानैत छल ।
स्वर्गीय कुमारचंदकेँ गाममे बहुत इज्जति रहनि । लोक हुनका आदरपूर्वक व्यवहार करैत छल । कै बेर हमर माए दुखित भए जाइत छलीह तँ ओ अबैत छलाह । हुनकर  देल दबाइसँ ओ ठीक भए जाइत छलीह। हमरा मोन पड़ैत अछि जे एकबेर हमर मोन खराप रहए । हुनकेसँ दबाइ लेने रही । कतबो कहलिअनि ओ दबाइक दाम नहि लेलाह । कहलाह-"

अहाँ विद्यार्थी छी, मोनसँ पढ़ू, इएह हमर दाम भेल ।"

बाह! कतेक उदार सोचक लोक छलाह ओ!

गाममे पहिलबेर हैजा भेल रहए तँ बहुत छोट रही । कै गोटाकेँ पकड़लकैक । ओहिबेर हमर माए के सेहो हैजा भए गेल रहैक । बाबूजी कै बेर डाक्टर के बजाबथि । धकजरीबला डाक्टर  पानि चढ़ओने रहथि । हमर बाबा(स्वर्गीय श्रीशरण मिश्र)  बहुत दुखी रहथि । कै बेर आङन आबि कए माएक हाल-चाल लेथि। परिवारमे सभ बहुत चिंतित रहथि। रच्छ भेल जे ओ ठीक भए गेलीह । मुदा ओहिबेर सभसँ जे दुखद घटना भेल से छल एकटा अत्यंत सुंदर युवकक हैजासँ मृत्यु होएब । हुनकर पिताक ओ एकलौता पुत्र छलाह । देखबामे गौर वर्ण,नमगर-पोरगर आ आकर्षक व्यक्तित्व । हुनकर हालेमे विआह भेल छल, द्विरागमनो नहि भेल रहए। दुर्भाग्यवश ओ हैजाक चपेटमे आबि गेलाह । एहिसँ हुनकर पिता(जिनकासभ शर्माजी कहैत छल ) सभदिन हेतु अनाथ भए गेलाह । तकरबाद हम कहिओ हुनका हँसैत नहि देखलिअनि ।
जखन कखनो हमरा ओ घटना मोन पड़ैत अछि,हम बहुत दुखी  भए जाइत छी। शर्माजी विद्वान व्यक्ति छलाह। काशीसँ संस्कृत पढ़ने रहथि । बहुत विनम्र स्वभावक छलाह । सौंसे देबालपर लाल-लाल आखरमे संस्कृतक श्लोकसभ लिखने रहैत छलाह । गाममे ककरो दिन तकेबाक होइक तँ हुनका लग जाथि । हमहु कै बेर हुनका ओहिठाम दिन तकेबाक हेतु जाइत छलहुँ । भगवानक परम भक्त आ बहुत निष्ठावान लोक छलाह। तथापि एहन बज्र हुनकापर किएक खसल से नहि कही । एक हिसाबे ओ परिवार सभदिन हेतु शापित रहि गेल।
गाममे हैजाक दोसर घटना भेल छल सन्१९६८ई मे । हम ओहि समयमे आर.के.कालेज,मधुबनीमे प्री.-साइंसमे पढ़ैत रही । गामसँ लोकसभ मास करए सिमरिआ गेल रहथि । ओतहि हैजा फैल गेल रहए ।  हमर गामक एकटा महिलाकेँ हैजा पटि गेलनि । ओ ओही हालतमे गाम आबि गेलीह । तकरबाद तँ गाममे कै गोटे केँ हैजा भेलैक । नवका पोखरिपर बसल परिवारमे सँ एकगोटेकेँ सेहो हैजा भेलनि । सौंसे गाममे हरकंप मचि गेल छल । सभसँ दिक्कत एहिबात लए कए रहैक जे उचित इलाज गाममे उपलव्ध नहि रहैक । बहुत तँ पानि चढ़ा देल जाइक । लोकसभ अपना भागे जीबए,मरए । सरकारक दिससँ एतबे होइक जे सभकेँ नमका सुइआ लगा देल जाइक ।
ओहिबेरक हैजामे हमर पितिऔत भाए जीवछ भाइ(स्वर्गीय जीवनाथ मिश्र) के सेहो हैजा भए गेलनि। हमरा ओहिना मोन पढ़ैत अछि जे तीन-चारि बजे रातिएमे  बच्चाकाका(स्वर्गीय उदयकान्त मिश्र) हमर बाबूजीकेँ उठओने रहथि । हमरि निन्न सेहो टुटि गेल रहए । छठि पावनिक खरना ओही दिन भेल रहए । बाबूजी तुरंते रिक्सासँ धकजरीबला डाक्टरकेँ बजा अनने रहथि । हुनका पानि चढ़ाओल गेल । मुदा हुनका कोनो फैदा नहि होअए । ओ डाक्टर कै बेर अएलथि- गेलथि । पानि चढ़ा कए चलि जाथि ।  अंतमे दोसर दिन भोरे सेहो ओ आएल रहथि । मुदा थोड़बे कालक बाद हुनकर देहांत भए गेल । तकरबाद जे दृष्य भेल तकर वर्णन करब कठिन काज थिक । हमर पित्ती(बच्चा काका) आ काकीक हालत बेहाल रहए । हुनकर ओ एकमात्र संतान रहथि ।  बिआह भए गेल रहनि । तकर साल भरिक भीतरे ई दुर्घटना भए गेल रहए । भौजी(टभकाबाली) नैहरेमे रहथि। छठिक भोरका अर्घ हेबाक रहैक । ओमहर कलममे गाछ काटल जाइत रहए । बड़की कलममे हुनका संस्कार देल गेल । वच्चाकाका अड़ि गेलखिन जे आगि ओएह देताह । सोचल जा सकैत अछि जे हुनकापर कतेक भारी बज्र खसल । एकटा परिवार सभदिनक हेतु नष्ट भए गेल ।
जीवछ भाइ छ: हाथक बेस करगर जवान छलाह । दुखित होएबासँ एकसाँझ पहिने अखारापर व्यायाम केने छलाह । साँझमे हमहु नवका पोखरिपर हुना संगे रही । ओहिठाम सेहो एकगोटेकेँ हैजा भए गेल रहनि । भोर होइते ओ एना हेजाक चपेटमे पड़ि जेताह से नहि सोचि सकैत छलहुँ । मुदा सएह भेल । हमर काकी भरि राति भगवतीक लग आबि कए छाती पिटैत रहि गेलीह । किछु सुनबाइ नहि भेलनि । हुनकर एकमात्र संतान भोर होइते एहि दुनिआसँ चलि गेलथि  । बहुत भारी अन्याय भेल । एहि घटनाक पचास साल भए गेल मुदा अखनहु हम ओहि बारेमे सोचैत छी तँ सोचिते रहि जाइत छी । कै बेर होइत अछि जे हुनका दरभंगा लए जेबाक चाहैत छल। ओतए साइत हुनकर जान बँचि जइतनि । कहि नहि से प्रयास किएक नहि भेल? भए सकैत अछि जे ओतेक जागरुकता नहि रहैक वा की भेलेक से नहि कहि मुदा परिणाम बहुत दुखद भेल ।
एहि घटनाक बाद हमर काका आ काकी दुनूगोटेक दुखक अंत नहि छल । सौंसे गाम भम्म पड़ि रहल छल । कतेको गोटे आबि-आबि संवेदना प्रकट करैत रहलाह ।  हमरा अखनो काकाजीक ओ वेसुध पड़ल दृष्य मोन पड़ैत रहैत अछि । दुख आ संतापसँ ओ ततेक परेसान रहथि जे लोढ़ा लए मकानकेँ ढ़ाहए लागथि । सब गुम्म छल । काकाजी अध्यात्मिक प्रवृतिक लोक छलाह। बादमे ओ कै बेर तीर्थाटन पड़ चलि गेलाह। क्रमशः भगवान मे लीन भए गेलाह । अपने दरबाजापर हनुमानजीक छोटसन मंदिर बनओलथि आ दिन-राति हुनके चाकरीमे लागल रहथि । एहिसँ हुनकर मोन क्रमशः शांत भेल । मुदा काकी तँ ओहिना विक्षिप्ते रहि गेलीह । ओकर बाद कहिओ फेर सामान्य नहि भए सकलीह । आब ओ सभ एहि दुनिआमे नहि छथि । आशा करैत छी,हुनकासभक आत्माकेँ भगवान अपन शरण देने हेथिन ।
गाममे भेल हैजाक आक्रमण सभदिनक हेतु एकटा संताप छोड़ि गेल । दूटा परिवारसभ दिनक हेतु बर्बाद भए गेल । दूटा नवविवाहिता आजीवन वैधव्यक दंश भोगैत रहलीह । हुनका लोकनिक समस्त परिवार हाकरोस करैत रहि गेल । मुदा ई तँ विधाताक डांग छल । के की करैत?सभ विवश छल । आइओ ओहि घटनासभक स्मरणसँ मोनमे आपार कष्ट भए जाइत अछि । तखन तँ जीवन छैक , कतहु किछु घटनासँ वशीभूत भए ठहरि नहि जाइत अछि ,चलिते रहैत अछि। कालचक्र आगा बढ़िते अछि,बढ़िते रहत । चिकित्सा विज्ञानक विकास ओ उपलव्धताक कारण आशा करैत छी जे आब एहन घटना नहि घटत ।