मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

उच्च विद्यालय एकतारा

 

उच्च विद्यालय एकतारा

 

देहातक इसकूलमे नामी छल उच्चाङल विद्यालय एकतारा । ओहि समयमे स्वर्गीय युगेश्वर झा(हरिपुर वक्सी टोल) प्रधानाध्यापक छलाह आ बेलौंजाक स्वर्गीय कृष्ण कुमार झा उपप्रधानाचार्य । इसकूलक सभ शिक्षक कोनो-ने-कोनो मामिलामे उत्कृष्ट छलाह । विद्यार्थीसभक हुजूममे सभ किलासमे चारि-पाँचटा उत्तम कोटिक विद्यार्थी होइत छलाह । किछु मध्यम कोटिक विद्यार्थी आ शेष दिनकट्टु सभ छलाह जे कोनो-ने-कोनो तात्कालिक उद्येश्यक पूर्ति होइतहि इसकूलसँ फराक भए जाइत छलाह आ जँ इसकूल अएबो करथि तँ नामे मात्र । बेसीकाल शिक्षक लोकनिक लप-लप करैत छड़ीसँ हुनका लोकनिक स्वागत होइत छल ।

ओहि समयमे हमर गाम(अड़ेर डीह)मे  उच्च विद्यालय नहि रहैक । एहिठामक अधिकांश विद्यार्थी लोहा उच्च विद्यालयसँ मैट्रिक करैत छलाह । किछुगोटे रहिका आ एकतारा उच्च विद्यालयमे सेहो पढ़ैत छलाह । एकाध संपन्न परिवारक विद्यार्थी बेनीपट्टी वा मधुबनीमे पढ़ैत छलाह । हमर बाबुक दोस्तसभ एकतारामे रहथिन । तेँ हमर नाम एकतारा उच्च विद्यालयमे लिखाओल गेल । गामसँ उत्तर दिस तीन माइलपर एकताराक इसकूल छल । एकतारा उच्च विद्यालयमे १९६३ ई०मे नामांकनक समय हमर बएस एगारह वर्ष मात्र छल । बेलौजा गामक स्वर्गीय कृष्ण कुमार बाबू एकतारा उच्च विद्यालयमे शिक्षक रहथि । तेँ हुनका गामक कैकटा विद्यार्थी एकतारामे पढ़ैत छलाह । सिनुआरा,विष्णुपुर,अड़ेर डीहटोल,जमुआरी,कुशमौल,बिचखाना,नवकरही,करही,नगवास,चंपा परजुआरि गामसभसँ विद्यार्थीसभ ओतए पढ़बाक हेतु अबैत छलाह ।

ओहि समयमे इसकूलक पढ़ाइक माने भेल परीक्षामे नीकसँ नीक नंबर अननाइ । ताहि हेतु विद्यार्थीसभ जान लगओने रहैत छलाह । किताबक-किताब घोखि जाइत छलाह । किताबक अतिरिक्तो किछु होइत छैक तकर बोध नहि रहैक। बहुत तँ कहिओ काल स्काउटक परेड होइत छल । ताहूमे ओकर ड्रेस बनेबाक हेतु विद्यार्थीसभकेँ बेस संघर्ष करए पड़ैत छलनि । हमहु बाबूकेँ स्काउटक ड्रेस बनेबाक हेतु कतेक खुशामद केने रही । तखन जा कए ड्रेस बनल । ओकरा पहिरने गामसँ एकतारा धरि गेल रही । कहि नहि सकैत छी जे हम एहि बातसँ कतेक खुश भेल रही ।

 कहिओ काल इसकूलक ओसारापर बैसकमे गीत-नाद होइत छल । कोनो विशेष अवसरपर परिचर्चा सेहो भए जाइत छल जाहिमे विद्यार्थीसभ बजबाक हेतु भाषणकेँ रटने रहैत छलाह । दिक्कत तखन होइक जखन बजैत-बजैत बीचेमे भाषण बिसरा जाइत छल। विद्यार्थी अबाक भेल ठाढ़ रहि जाइत छलाह, जेना कि एकाएक बिजली चलि गेल होइक । बहुत मोसकिलसँ शिक्षकलोकनि ओहि विद्यार्थीकेँ वापस अपन सीटपर पठबैत छलाह । किछु विद्यार्थी तँ संगीत कार्यक्रममे अरबधि कए एकहिटा गीत गबैत छलाह । प्रायः हुनका दोसर गीत अबिते नहि छलनि । सालमे एकाधटा एहन कार्यक्रमकेँ जँ छोड़ि देल जाए तँ इसकूलक कार्यक्रममे कोनो परिवर्तन नहि होइत छल । एकघंटीसँ दोसर,दोसरसँ तेसर आ अंतमे छुट्टी । एहि तरहें सालक-साल बिति जाइत छल । विद्यार्थीक प्रतिभाकेँ जे होइक से होउ मुदा इसकूल अपन निर्लिप्त भावसँ चलैत रहैत छल । एहन माहौलमे प्रतिभाशाली विद्यार्थीसभ तँ बढ़ि जाइत छलाह मुदा सामान्य कोटिक विद्यार्थी कोनो जोगर नहि रहि जाइत छलाह ।

हमसभ जखन नेना रही तँ नीक  आ खराप इसकूल नहि बुझिऐक । इसकूल माने इसकूल । ओना किछु इसकूलक बहुत नाम रहैक जेना वाटसन इसकूल मधुबनी,खिरहर उच्च विद्यालय । लोहाक उच्च विद्यालयक सेहो नीक नाम रहैक । ओकर प्रधानाध्यापक रामकृष्ण बाबू बहुत सफल शिक्षक छलाह । हुनका शिक्षकक हेतु राष्ट्रपति पुरस्कार सेहो भेटल रहनि । कहाँदनि ओ बहुत  सख्त छलाह। मुदा उच्च विद्यालय एकतारा सेहो कोनो मामिलामे  खराप नहि रहए । नीक-नीक विद्यार्थीसभ ओतहुसँ शिक्षा प्राप्त केलाह आ जीवनमे  सफल रहलाह,उच्चस्थान प्राप्त केलाह । मुदा आब जखन सोचैत छिऐक तँ लगैत अछि जे किछु सुधार तँ बहुत जरूरी रहैक ,जेना कि पुस्तकालय ,प्रयोगशाला नीक होएब बहुत आवश्यक छल। मनोरंजनक नामपर फोकला छल इसकूल । कहिओ काल कबड्डी  होइत छल,कहिओ काल इसकूलक ओसारापर बैसारमे गीतनाद होइत छल । बस एतबे । मुदा पढ़ाइ-लिखाइक अतिरिक्त आओर तरहक प्रतिभाक विकासक कोनो व्यवस्था तँ छोड़ू विचारो नहि रहैत छलैक । परिणाम ई होइत छल जे किलास पाछू पाँच-सातटा विद्यार्थी छोड़ि कए शेष विद्यार्थीकेँ तरह-तरहक अशोभनीय उपाधिसँ सुशोभित कए देल जाइत चल,जखन-तखन ओकरा शारिरिक दंड देल जाइत छल। हुथनाइ तँ आम बात रहैत छल । किछु एहनो शिक्षक छलाह जे विद्यार्थिक सुसुप्त प्रतिभाकेँ चमका दैत छलाह । ओहने शिक्षकमे छलाह डुमराक जटाशंकर बाबू । ओ एकतारामे स्वर्गीय स्वर्गीय यदुनंदन मौआरक ओहिठाम रहैत छलाह , हुनकर नातिकेँ पढ़बैत छलाह। मुदा इसकूलमे ओ एकदम निष्पक्ष रहैत छलाह , भरिदिन जी-जानसँ उच्च गणित विषय विद्यार्थीसभकेँ पढ़बैत छलाह । हमर गणित नीक बनबएमे हुनकर गंभीर योगदान छल । ततेक सहजतासँ विद्यार्थीसभक समस्याकेँ सोझरा दैत छलाह जे हुनकर किलास करब एकटा आनंदक विषय रहैत छल । मुदा किछुगोटे जबरदस्ती गणित लेने छलाह । हुनकासभकेँ गणितमे रूचि नहि रहनि । तेँ ओसभ बेर-बेर असफल होइत छलाह आ मैट्रिकक परीक्षा पास करब हुनकासभक हेतु मोसकिल भए जाइत छल । असलमे एहि लेल अभिवावक सेहो दोषी छलाह कारण ओ अपन संतानकेँ कोनो हालतिमे इंजिनीयर बनबाक सपना देखैत रहैत छलाह । एहन कैकटा विद्यार्थी छलाह जे सात-सात बेर मैट्रिकक परीक्षामे एही कारणसँ फेल होइत रहलाह । एक हिसाबे हुनकर जीवने बरबाद भए गेलनि । एहन अधिकांश लोक पढ़ाइ छोड़ि देलनि आ खेती-बारीमे लागि गेलाह ।

ई बात कोनो एक इसकूल धरि सीमित नहि छल । अपितुअखनो अपना ओहिठाम अभिभावकक इच्छा रहैत छनि जे हुनकर संतान डाक्टर वा इंजीनियर बनथि । हम एकटा विद्यार्थीकेँ जनैत छिअनि जे डाक्ज़र बनबाक फिराकमे अपन सात-आठ साल समय बरबाद कए लेलनि । हारि कए आर्ट्स लेलथि आ कानूनमे डिग्री कए कोनो बड़का कंपनीमे विधि अधिकारी भए गेलाह । आब ओ ओहि विषयमे आगु बढ़ैत गेलाह आ बहुत नीक पदपर पहुँचि गेलाह । कहबाक माने जे विद्यार्थीकेँ अपन रुचि आ क्षमताक अनुसार विषय चुनबाक अधिकार हेबाक चाही । अभिवावक अपन महत्वाकांक्षा ओकरापर नहि लादथि । से जँ हेतेक तँ कोनो-ने-कोनो विषयमे ओ आगु बढ़ि जाएत आ इज्जतिसँ अपन जीविका चला सकत ।

एकतारा इसकूलमे हमर प्रगतिमे बाबूक बहुत योगदान छलनि । ओ निरंतर हमरा उत्साहित करैत रहैत छलाह । परीक्षामे नीक करी,सभसँ बेसी नंबर आनी ताहि लेल बहुत ध्यान रखैत छलाह । हुनका एहिबातक बहुत अभिलाषा रहैत छलनि जे गणितमे हम सए मे  सए नंबर आनी । ताहिबातसँ उत्साहित भए हम गणितपर बहुत मेहनति करी । हमरा तकर फएदो भेल आ सभ परीक्षामे गणितमे बढ़िआ नंबर अबैत रहल । आठमासँ एगारहमा धरि इसकूलक परीक्षासभमे  हमर नंबरमे निरंतर इजाफा होइत रहल । एहिलेल गामपर हमर पिता आ इसकूलमे जटाशंकर बाबू बहुत अधिक प्रेरित करैत रहलाह ।

कहल जाइत अछि जे परिवार मनुक्खक प्रथम पाठशाला होइत अछि । ई बात एकदम सही अछि । पारिवारिक वातावरणमे स्वतः स्वभाविक रूपसँ नेनाक अंतर्मनपर अनेकानेक प्रकारक घटनासभ अपन प्रभाव छोड़ैत रहैत अछि । एहिक्रममे महाभारतमे वर्णित अभिमन्युक कथा बहुत प्रसंगिक अछि । गर्भहिमे ओ पितासँ चक्रव्युह तोड़बाक शिक्षा प्राप्त कए लेने छलाह । मुदा ई शिक्षा अपूर्ण रहि गेल छल । परिणाम भेल जे ओ चक्रव्युह तोड़ि ओहिमे पैसि तँ गेलाह मुदा ओहिमेसँ निकलि नहि सकलाह । कहबाक तात्पर्य ई अछि जे नेनाकेँ शरुएसँ सुसंस्कार देबाक काज रहैत अछि । तखने ओ जीवनमे नीक कए सकैत अछि । तेँ माता-पिताक बड़ पैघ दायित्व रहैत अछि । आइ-काल्हि से नहि भए सकबाक कारण नीक-नीक इसकूलमे पढ़ननिहार विद्यार्थीसभ  पिस्तौल लेने घुमैत रहैत छथि आ जँ शिक्षक टोकलखिन तँ जानोसँ हाथ धोइत छथि । तेँ कोनो इसकूल विद्यार्थीक अंदरमे विद्यमान संस्कारकेँ  जगाबक काज करैत अछि । इएह कारण छल जे देहातक वातावरणमे सुविधाहीन ओहि इसकूलसँ किछु बहुत नीक विद्यार्थीसभक निर्माण भेल जे जीवनमे कतेको क्षेत्रमे उत्कृष्टता प्राप्त केलाह, दुनिआमे नाम कए गेलाह । मुदा किछु एहनो विद्यार्थीसभ भेलाह जे मैट्रिको नहि पास कए सकलाह आ जहाँ-तहाँ भसिआ गेलाह । ओएह इसकूल,ओएह शिक्षक मुदा परिणाममे एतेक अंतर किएक होइत छल? ई सोचबाक बात थिक । असलमे जेहने लोहा रहतैक तेहने हथिआर बनतैक ने । कतबो धिपेबैक मुदा ओकर असलिअत तँ अपन काज करबे करत ।  बहुत रास विद्यार्थीसभ परिवारमे  अनुकूल वातावरण नहि रहबाक कारण आगु नहि बढ़ि पबैत छलाह । हुनकासभकेँ जँ व्यवहारिक शिक्षा देल जाइत तँ साइत बेसी सुखी रहितथि मुदा तकर व्यवस्था ओहि समयक इसकूलसभमे नहि रहैत छल । परिणामस्वरूप, चारि-पाँचटा विद्यार्थी नीक करैत छलाह ,शेष विद्यार्थीसभ टपले खाइत रहि जाइत छलाह ।

जहाँ इसकूलमे पैर रखितहुँ कि लगैत जेना एकटा नव दुनिआमे पहुँचि गेलहुँ। चारूकातसँ विद्यार्थीसभ इसकूल दिस बढ़ि रहल अछि । शिक्षक लोकनि सेहो इसकूल पहुँचि रहल छथि । केओ-केओ पहिने पहुँचि चुकल छथि । हमसभ अपन गामसँ पैरे-पैरे इसकूल नियत समयपर पहुँचि जाइत छलहुँ । हमरा मोन नहि पड़ैत अछि जे कहिओ कोनो मौसममे हम इसकूल विलंबसँ पहुँचल होइ । इसकूल पहुँचितहुँ,झोरा रखितहुँ,तकर बादे प्रार्थनाक घंटी बजैत । भोरुका इसकूलमे तँ हमसभ जमुआरीसँ आगा होइतहुँ तखन सूर्योदय होइत रहैत । रस्ता भरि विद्यार्थीसभ भेटैत जइतथि । एकतारा उच्च विद्यालयक सीमानमे पहुँचैत-पहुँचैत  चारूकातसँ आबि रहल विद्यार्थीक हुजूम देखाइत ।

कोनो विद्यार्थीक व्यक्तित्व निर्माणमे शिक्षकक आ विद्यालयक वातावरणक बहुत योगदान होइत अछि । ताहि संगे इसकूलिआ संगीसभक सेहो बहुत योगदान रहैत अछि । एकतारा उच्च विद्यालय चारूकातसँ खुजल वातावरणमे बनल छल । कोनो प्रकारक लंफ-लंफाक गुंजाइस नहि छल । दोकान- दौरीक नामो निसान नहि छल । कहिओ काल बंबइ मिठाइ वा चुनिआ बदाम बेचबाक हेतु केओ आबि जाइत चल । बस एतबे । तेँ विद्यार्थीलोकनिक ध्यान भुतिएबाक संभावना नहि छल । शिक्षक लोकनि अपना भरि विद्यार्थीसभक बहुत ध्यान करैत छलाह खास कए तेजगर विद्यार्थीसभपर । परिणाम होइत छल जे सभसाल किछु-ने-किछु विद्यार्थी उच्चस्तरीय महाविद्यालयसभमे नामांकन करबैत छलाह आ ओतएसँ जीवनक विभिन्न क्षेत्रमे नाम करैत छलाह ।

इसकूलक वातावरण बहुत सात्विक छल । एकतारा गामसँ हटि कए एकांत बाधमे इसकूल बनल छल । इसकूलक लग-पासमे एकहुटा एहन किछु नहि छल जाहिसँ विद्यार्थीसभक ध्यान एमहर-ओमहर होइत ,ककरो कोनो प्रकारक गलत आदति लागैक । उच्च विद्यालयसँ थोड़बे दूरपर मिडिल इसकूल छल । ओहि मिडिल इसकूलसँ बहुत रास विद्यार्थीसभ उच्च विद्यालय आएल छलाह । हुनकासभकेँ ओ वातावरण पचि गेल छल । तेँ कोनो सुविधा-असुविधाक गप्प नहि होइत छलनि । मुदा हमरा सन-सन कैकटा विद्यार्थी छलाह जे आठमामे एकताराक उच्च विद्यालयमे नाम लेखओने छलाह ।  हम अड़ेर मिडिल इसकूलसँ सातमा पास केलाक बाद एकतारा गेल रही । छओ मास धरि किलासमे गुमसुम समय बिताबी । आठमाक छमाही परीक्षामे कोनो स्थान हमरा नहि भेटल छल । अनिल प्रथम आएल छलाह । ओ ओहीठामक मिडिल इसकूलक विद्यार्थी छलाह आ हुनकर पिता ओही इसकूलमे शिक्षक सेहो रहथि । संभवतःओकर बाद ओ कहिओ प्रथम नहि केलाह । बादमे तँ हुनकर नंबर कमे होइत गेल ।  जखन परीक्षाक परिणाम अबैक तँ बाबू एक-एक विषयक नंबरपर घमरथन करैत छलाह । दोसर नीक विद्यार्थीसभक नंबरपर सेहो विचार करैत छलाह । मुदा हमरा कहिओ हुतथि नहि,अपितु निरंतर प्रेरित करथि जे हम आओर नीक करी । हुनके प्रेरणाक परिणाम भेल जे हम निरंतर नीक करैत गेलहुँ आ एगारहमाक सभ परीक्षामे प्रथम स्थान प्राप्त केलहुँ । संयोगसँ हमरासभक किलासमे चारि-पाँचटा विद्यार्थी बहुत परिश्रमी आ प्रतिभाशाली छलाह आ तकरे परिणाम छल जे आपसमे एकटा सकारात्मक प्रतिस्पर्धा बनल रहैत छल ,जकर बहुत अनुकूल परिणाम भेल । अंततः, बोर्डक परीक्षामे चारिगोटेकेँ प्रथम श्रेणी भेलनि -हमरा,नारायणजी (नवकरही),श्रीनारायणजी (नगवास) आ विजयजी (नवकरही) ।

देहातक इसकूल होइतहु ओहिठाम पढ़ाइ बढ़िआ होइत छल । प्रधानाध्यापक स्वर्गीय युगेश्वर झाक बहुत आदर रहनि । ओ मैथिली व्याकरणसँ संबंधित कैकटा किताब लिखने रहथि । हमरासभकेँ ओ सामान्य  गणित पढ़बैत छलाह । तकर अतिरिक्त जे कोनो किलास खाली रहल,जकर शिक्षक कोनो कारणसँ अनुपस्थित रहथि ,तकरा ओएह  सम्हारैत छलाह । हुनकर गाम हरिपुर (मजरही टोल) छलनि । एकबेर हम हुनका ओहिठाम  गेलो रही । ओ भगवतीक परम भक्त छलाह । हम संघ लोक सेवा आयोगक एससीआरए परीक्षाक साक्षात्कारक हेतु दिल्ली जाइत रही । ओ हमरा अपना ओहिठाम बजओलाह आ भगवतीसँ हमर सफलताक हेतु प्रार्थना केलथि आ हमरा एकटा यंत्र सेहो देलथि ।  अपन विद्यार्थीक प्रति एतेक कल्याणक भावना रहैत छलनि ओहि समयक शिक्षकमे तकर ई उदाहरण थिक।

इसकूलमे वार्षिक परीक्षाक परिणाम घोषित करबाक हेतु सभ विद्यार्थिकेँ इसकूलक सामनेक आङनमे ठाढ़ कएल जाइत छल । शिक्षक लोकनि ओसारापर ठाढ़ होइत छलाह । प्रधानाचार्यजीक हाथमे परिणाम तालिका रहैत छल । सभसँ पहिने आठमा किलासक परिणाम घोषित होइत छल । प्रथम,द्वितीय ,त्रितीय आ चतुर्थ स्थान पओनिहार विद्यार्थीक नाम बाजल जाइत छल । सभसँ पहिने प्रथम आबएबला विद्यार्थीक नाम लेल जाइत छल । ओ प्रशन्नतापूर्वक अपन नव किलासमे सभसँ पहिने जा कए बैसि जाइत छलाह । तकर बाद दोसर,तेसर आ चारिम स्थान पओनिहार विद्यार्थीक नाम क्रमशः घोषित होइत छल । सभसँ अंतमे दसमाक परीक्षाफलक घोषणा कएल जाइत छल । एगारहमामे तँ बोर्ड परीक्षा होइत छल । एहि तरहसँ सफल विद्यार्थीसभ अपन-अपन नव किलासमे पहुँचि गर्वक अनुभव करैत छलाह । एक हिसाबे प्रतिभा आ उपलव्धिकेँ सम्मान दए विद्यार्थीसभकेँ नीक सँ नीक करबाक हेतु प्रेरित कएल जाइत छल।

तत्कालीन विज्ञान शिक्षक स्वर्गीयरामनरेश ठाकुरसँ विद्यार्थीसभ बहुत डराइत छल । कारण जँ व्यवहारिक परीक्षामे फेल कए गेलहुँ तँ मैट्रिकक परीक्षामे विद्यार्थी पास नहि भए पबैत छल चाहे ओकरा आन विषयसभमे कतबो नीक नंबर आबैक । अस्तु,लोक हुनकासँ बहुत बँचि कए रहैत छल । व्यवहारिक किलासक हेतु एकटा कोठरी छल जाहिमे पाँच-छओटा आलमारीमे नाना प्रकारक औजार,रसायनिक द्रव्य आदि राखल रहैत छल । हमसभ तँ एतबेसँ प्रसन्न भए जाइत छलहुँ जे प्रयोगशाला खुजल आ हमरा लोकनिकेँ किछु करबाक अवसर भेटल । जँ प्रयोगशालाक डिबिआमे स्पीरीट रहल तँ काँच नली के मोड़नाइ सिखाओल जाइत , नहि तँ एमहर-ओमहरक किछु- किछु कए विद्यार्थीसभ संतोख कए लैत छल ।

उच्च विद्यालय एकतारा हमरा लोकनिक शिक्षाक आधारशिला छल । हमहीटा नहि,अपितु,ओहि समयक कतेको विद्यार्थीक जीवनक दिशा ओतए बदलि गेल । मामूली खर्चामे एतेक सुबिधाजन्य शिक्षा भेटब भाग्यकक बात छल । एकाध अपवाद छोड़िकए अधिकांश शिक्षक बहुत परिश्रम आ निष्ठासँ अपन कर्तव्यक निष्पादन करैत छलाह । यद्यपि किछु शिक्षक प्राइभेट ट्युसन करैत छलाह मुदा तकर माने ई नहि होइत छल जे ट्युसन नहि पढ़निहार विद्यार्थीक संगे कोनो भेदभाव कएल जाइत । इसकूलक पढ़ाइमे कोनो कोताही नहि होइत छलैक । अधिकांश विद्यार्थी अंग्रेजीसँ परेसान रहैत छलाह । अंग्रेजीमे पास करब कैकबेर बहुत मोसकिल भए जाइत छलनि। एहि हेतु किछु विद्यार्थीसभ प्राइभेट ट्युसन सेहो करैत छलाह । गणित विषयमे सेहो अधिकांश विद्यार्थीकेँ समस्या रहैत छलनि । ओहि समयमे सामान्य गणित  आ उच्च गणितक फराक-फराक पत्र होइत छल । कैकटा विद्यार्थी विज्ञान पढ़बाक चक्करमे गणित रखैत छलाह आ सालक साल फेल करैत रहि जाइत छलाह । कैकटा विद्यार्थी बादमे विज्ञान छोड़ि कए कला संकायमे चलि जाइत छलाह ।  असलमे अपनासभक ओहिठाम विज्ञानक विषय पढ़नाइ उज्ज्वल भविष्यक हेतु अनिवार्य बूझल जाइत छल । भविष्य उज्ज्वल तँ जखन होइत तखन मुदा तत्कालमे तँ ओसभ मैट्रिकेमे लटपटा जाइत छलाह । हमरा लगैत अछि जे पढ़ाइक तत्कालीन रूप-रेखा आ विषयक चुनाव सही नहि छल जाहि कारणसँ कतेको विद्यार्थीक जीवन बरबाद भए गेल ।

उच्च विद्यालय एकतारामे बिताओल गेल ओ चारिसाल(सन् १९६३-१९६६) हमरा लोकनिक जीवन निर्माणमे बहुत सहायक सिद्ध भेल । ई बात अलग अछि जे जँ शिक्षाक पद्धति आ प्रकार जँ आओर वैज्ञानिक रहैत तँ बहुत रास विद्यार्थी बेसी सफल होइत आ इसकूलसँ निकललाक बाद आत्मसम्मानसँ जीवन-यापन कए सकितथि । मुदा ई बात तँ ओहि समयक सर्वव्यापी समस्या छल आ कमो-बेस अखनहु अछिए ।  तमाम असुबिधाक अछैत ओहि इसकूलसँ सभसाल किछु एहन विद्यार्थीसभक निर्माण करैत रहल जे आगु जा कए अपना-अपना कार्यक्षेत्रमे बहुत नाम केलनि । निश्चित रूपसँ देहातमे रचल-बसल ओहि इसकूलक संस्थापक लोकनि एहि हेतु धन्यवादक पात्र छथि ।

 

6/8/20206/8/2020