उच्च
विद्यालय एकतारा
देहातक
इसकूलमे नामी छल उच्चाङल विद्यालय एकतारा । ओहि समयमे स्वर्गीय युगेश्वर झा(हरिपुर
वक्सी टोल) प्रधानाध्यापक छलाह आ बेलौंजाक स्वर्गीय कृष्ण कुमार झा उपप्रधानाचार्य
। इसकूलक सभ शिक्षक कोनो-ने-कोनो मामिलामे उत्कृष्ट छलाह ।
विद्यार्थीसभक हुजूममे सभ किलासमे चारि-पाँचटा उत्तम कोटिक विद्यार्थी होइत छलाह ।
किछु मध्यम कोटिक विद्यार्थी आ शेष दिनकट्टु सभ छलाह जे कोनो-ने-कोनो तात्कालिक
उद्येश्यक पूर्ति होइतहि इसकूलसँ फराक भए जाइत छलाह आ जँ इसकूल अएबो करथि तँ नामे मात्र । बेसीकाल शिक्षक
लोकनिक लप-लप करैत छड़ीसँ हुनका लोकनिक स्वागत होइत छल ।
ओहि समयमे
हमर गाम(अड़ेर डीह)मे उच्च विद्यालय नहि
रहैक । एहिठामक अधिकांश विद्यार्थी लोहा उच्च विद्यालयसँ मैट्रिक करैत छलाह ।
किछुगोटे रहिका आ एकतारा उच्च विद्यालयमे सेहो पढ़ैत छलाह । एकाध संपन्न परिवारक
विद्यार्थी बेनीपट्टी वा मधुबनीमे पढ़ैत छलाह । हमर बाबुक दोस्तसभ एकतारामे रहथिन
। तेँ हमर नाम एकतारा उच्च विद्यालयमे लिखाओल गेल । गामसँ उत्तर दिस तीन माइलपर
एकताराक इसकूल छल । एकतारा उच्च विद्यालयमे १९६३ ई०मे
नामांकनक समय हमर बएस एगारह वर्ष मात्र छल । बेलौजा
गामक स्वर्गीय कृष्ण कुमार बाबू एकतारा उच्च विद्यालयमे शिक्षक रहथि । तेँ हुनका
गामक कैकटा विद्यार्थी एकतारामे पढ़ैत छलाह । सिनुआरा,विष्णुपुर,अड़ेर
डीहटोल,जमुआरी,कुशमौल,बिचखाना,नवकरही,करही,नगवास,चंपा
परजुआरि गामसभसँ विद्यार्थीसभ ओतए पढ़बाक हेतु अबैत
छलाह ।
ओहि समयमे
इसकूलक पढ़ाइक माने भेल परीक्षामे नीकसँ नीक नंबर अननाइ । ताहि हेतु विद्यार्थीसभ
जान लगओने रहैत छलाह । किताबक-किताब घोखि जाइत छलाह । किताबक अतिरिक्तो किछु होइत
छैक तकर बोध नहि रहैक। बहुत तँ कहिओ काल स्काउटक परेड होइत छल । ताहूमे ओकर ड्रेस
बनेबाक हेतु विद्यार्थीसभकेँ बेस संघर्ष करए पड़ैत छलनि । हमहु बाबूकेँ स्काउटक
ड्रेस बनेबाक हेतु कतेक खुशामद केने रही । तखन जा कए ड्रेस बनल । ओकरा पहिरने
गामसँ एकतारा धरि गेल रही । कहि नहि सकैत छी जे हम एहि बातसँ कतेक खुश भेल रही ।
कहिओ काल
इसकूलक ओसारापर बैसकमे गीत-नाद होइत छल । कोनो विशेष अवसरपर परिचर्चा सेहो भए जाइत
छल जाहिमे विद्यार्थीसभ बजबाक हेतु भाषणकेँ रटने रहैत छलाह । दिक्कत तखन होइक जखन
बजैत-बजैत बीचेमे भाषण बिसरा जाइत छल। विद्यार्थी अबाक भेल ठाढ़ रहि जाइत छलाह,
जेना कि एकाएक बिजली चलि गेल होइक । बहुत मोसकिलसँ शिक्षकलोकनि ओहि विद्यार्थीकेँ
वापस अपन सीटपर पठबैत छलाह । किछु विद्यार्थी तँ संगीत कार्यक्रममे अरबधि कए
एकहिटा गीत गबैत छलाह । प्रायः हुनका दोसर गीत अबिते नहि छलनि । सालमे एकाधटा एहन
कार्यक्रमकेँ जँ छोड़ि देल जाए तँ इसकूलक कार्यक्रममे कोनो परिवर्तन नहि होइत छल ।
एकघंटीसँ दोसर,दोसरसँ तेसर आ अंतमे छुट्टी । एहि तरहें सालक-साल बिति
जाइत छल । विद्यार्थीक प्रतिभाकेँ जे होइक से होउ मुदा इसकूल अपन निर्लिप्त भावसँ
चलैत रहैत छल । एहन माहौलमे प्रतिभाशाली विद्यार्थीसभ तँ बढ़ि जाइत छलाह मुदा
सामान्य कोटिक विद्यार्थी कोनो जोगर नहि रहि जाइत छलाह
।
हमसभ जखन
नेना रही तँ नीक आ खराप इसकूल नहि बुझिऐक । इसकूल माने इसकूल । ओना किछु इसकूलक बहुत
नाम रहैक जेना वाटसन इसकूल मधुबनी,खिरहर उच्च विद्यालय । लोहाक उच्च
विद्यालयक सेहो नीक नाम रहैक । ओकर प्रधानाध्यापक रामकृष्ण बाबू बहुत सफल शिक्षक
छलाह । हुनका शिक्षकक हेतु राष्ट्रपति पुरस्कार सेहो भेटल रहनि । कहाँदनि ओ
बहुत सख्त छलाह। मुदा उच्च विद्यालय
एकतारा सेहो कोनो मामिलामे खराप नहि रहए ।
नीक-नीक विद्यार्थीसभ ओतहुसँ शिक्षा प्राप्त केलाह आ जीवनमे सफल रहलाह,उच्चस्थान
प्राप्त केलाह । मुदा आब जखन सोचैत छिऐक तँ लगैत अछि जे किछु सुधार तँ बहुत जरूरी
रहैक ,जेना कि पुस्तकालय ,प्रयोगशाला नीक होएब बहुत
आवश्यक छल। मनोरंजनक नामपर फोकला छल इसकूल । कहिओ काल कबड्डी होइत छल,कहिओ काल
इसकूलक ओसारापर बैसारमे गीतनाद होइत छल । बस एतबे । मुदा पढ़ाइ-लिखाइक अतिरिक्त
आओर तरहक प्रतिभाक विकासक कोनो व्यवस्था तँ छोड़ू विचारो नहि रहैत छलैक । परिणाम ई
होइत छल जे किलास पाछू पाँच-सातटा विद्यार्थी छोड़ि कए शेष विद्यार्थीकेँ तरह-तरहक
अशोभनीय उपाधिसँ सुशोभित कए देल जाइत चल,जखन-तखन
ओकरा शारिरिक दंड देल जाइत छल। हुथनाइ तँ आम बात
रहैत छल । किछु एहनो शिक्षक छलाह जे विद्यार्थिक
सुसुप्त प्रतिभाकेँ चमका दैत छलाह । ओहने शिक्षकमे छलाह डुमराक जटाशंकर बाबू । ओ
एकतारामे स्वर्गीय स्वर्गीय यदुनंदन मौआरक ओहिठाम रहैत छलाह ,
हुनकर नातिकेँ पढ़बैत छलाह। मुदा इसकूलमे ओ एकदम निष्पक्ष रहैत छलाह , भरिदिन
जी-जानसँ उच्च गणित विषय विद्यार्थीसभकेँ पढ़बैत छलाह । हमर गणित नीक बनबएमे हुनकर
गंभीर योगदान छल । ततेक सहजतासँ विद्यार्थीसभक समस्याकेँ सोझरा दैत छलाह जे हुनकर
किलास करब एकटा आनंदक विषय रहैत छल । मुदा किछुगोटे जबरदस्ती गणित लेने छलाह ।
हुनकासभकेँ गणितमे रूचि नहि रहनि । तेँ ओसभ बेर-बेर असफल होइत छलाह आ मैट्रिकक
परीक्षा पास करब हुनकासभक हेतु मोसकिल भए जाइत छल । असलमे एहि लेल अभिवावक सेहो
दोषी छलाह कारण ओ अपन संतानकेँ कोनो हालतिमे इंजिनीयर बनबाक सपना देखैत रहैत छलाह
। एहन कैकटा विद्यार्थी छलाह जे सात-सात बेर मैट्रिकक परीक्षामे एही कारणसँ फेल
होइत रहलाह । एक हिसाबे हुनकर जीवने बरबाद भए गेलनि । एहन अधिकांश लोक पढ़ाइ छोड़ि
देलनि आ खेती-बारीमे लागि गेलाह ।
ई बात कोनो
एक इसकूल धरि सीमित नहि छल । अपितु,
अखनो अपना ओहिठाम अभिभावकक इच्छा रहैत छनि जे हुनकर संतान
डाक्टर वा इंजीनियर बनथि । हम एकटा विद्यार्थीकेँ जनैत छिअनि जे डाक्ज़र बनबाक
फिराकमे अपन सात-आठ साल समय बरबाद कए लेलनि । हारि कए आर्ट्स लेलथि आ कानूनमे
डिग्री कए कोनो बड़का कंपनीमे विधि अधिकारी भए गेलाह । आब ओ ओहि विषयमे आगु बढ़ैत
गेलाह आ बहुत नीक पदपर पहुँचि गेलाह । कहबाक माने जे विद्यार्थीकेँ अपन रुचि आ
क्षमताक अनुसार विषय चुनबाक अधिकार हेबाक चाही । अभिवावक अपन महत्वाकांक्षा ओकरापर
नहि लादथि । से जँ हेतेक तँ कोनो-ने-कोनो विषयमे ओ आगु बढ़ि जाएत आ इज्जतिसँ अपन
जीविका चला सकत ।
एकतारा
इसकूलमे हमर प्रगतिमे बाबूक बहुत योगदान छलनि । ओ निरंतर हमरा उत्साहित करैत रहैत
छलाह । परीक्षामे नीक करी,सभसँ बेसी नंबर आनी ताहि लेल बहुत
ध्यान रखैत छलाह । हुनका एहिबातक बहुत अभिलाषा रहैत छलनि जे गणितमे हम सए मे सए नंबर आनी । ताहिबातसँ उत्साहित भए हम गणितपर
बहुत मेहनति करी । हमरा तकर फएदो भेल आ सभ परीक्षामे गणितमे बढ़िआ नंबर अबैत रहल ।
आठमासँ एगारहमा धरि इसकूलक परीक्षासभमे
हमर नंबरमे निरंतर इजाफा होइत रहल । एहिलेल गामपर हमर
पिता आ इसकूलमे जटाशंकर बाबू बहुत अधिक प्रेरित करैत रहलाह ।
कहल जाइत
अछि जे परिवार मनुक्खक प्रथम पाठशाला होइत अछि । ई बात एकदम सही अछि । पारिवारिक
वातावरणमे स्वतः स्वभाविक रूपसँ नेनाक अंतर्मनपर अनेकानेक प्रकारक घटनासभ अपन
प्रभाव छोड़ैत रहैत अछि । एहिक्रममे महाभारतमे वर्णित अभिमन्युक कथा बहुत प्रसंगिक
अछि । गर्भहिमे ओ पितासँ चक्रव्युह तोड़बाक शिक्षा प्राप्त कए लेने छलाह । मुदा ई शिक्षा
अपूर्ण रहि गेल छल । परिणाम भेल जे ओ चक्रव्युह तोड़ि ओहिमे पैसि तँ गेलाह मुदा
ओहिमेसँ निकलि नहि सकलाह । कहबाक तात्पर्य ई अछि जे नेनाकेँ शरुएसँ सुसंस्कार
देबाक काज रहैत अछि । तखने ओ जीवनमे नीक कए सकैत अछि । तेँ माता-पिताक बड़ पैघ
दायित्व रहैत अछि । आइ-काल्हि से नहि भए सकबाक कारण नीक-नीक इसकूलमे पढ़ननिहार
विद्यार्थीसभ पिस्तौल लेने घुमैत रहैत छथि
आ जँ शिक्षक टोकलखिन तँ जानोसँ हाथ धोइत छथि । तेँ कोनो इसकूल विद्यार्थीक अंदरमे
विद्यमान संस्कारकेँ जगाबक काज करैत अछि ।
इएह कारण छल जे देहातक वातावरणमे सुविधाहीन ओहि इसकूलसँ किछु बहुत नीक
विद्यार्थीसभक निर्माण भेल जे जीवनमे कतेको क्षेत्रमे उत्कृष्टता प्राप्त केलाह,
दुनिआमे नाम कए गेलाह । मुदा किछु एहनो विद्यार्थीसभ
भेलाह जे मैट्रिको नहि पास कए सकलाह आ जहाँ-तहाँ भसिआ गेलाह । ओएह इसकूल,ओएह
शिक्षक मुदा परिणाममे एतेक अंतर किएक होइत छल? ई सोचबाक
बात थिक । असलमे जेहने लोहा रहतैक तेहने हथिआर बनतैक ने । कतबो धिपेबैक मुदा ओकर असलिअत
तँ अपन काज करबे करत । बहुत रास
विद्यार्थीसभ परिवारमे अनुकूल वातावरण नहि
रहबाक कारण आगु नहि बढ़ि पबैत छलाह । हुनकासभकेँ
जँ व्यवहारिक शिक्षा देल जाइत तँ साइत बेसी सुखी रहितथि मुदा तकर व्यवस्था ओहि
समयक इसकूलसभमे नहि रहैत छल । परिणामस्वरूप,
चारि-पाँचटा विद्यार्थी नीक करैत छलाह ,शेष विद्यार्थीसभ टपले खाइत
रहि जाइत छलाह ।
जहाँ इसकूलमे
पैर रखितहुँ कि लगैत जेना एकटा नव दुनिआमे पहुँचि गेलहुँ। चारूकातसँ विद्यार्थीसभ
इसकूल दिस बढ़ि रहल अछि । शिक्षक लोकनि सेहो इसकूल पहुँचि
रहल छथि । केओ-केओ पहिने पहुँचि चुकल छथि । हमसभ अपन गामसँ पैरे-पैरे
इसकूल नियत समयपर पहुँचि जाइत छलहुँ । हमरा मोन नहि पड़ैत अछि जे कहिओ कोनो मौसममे
हम इसकूल विलंबसँ पहुँचल होइ । इसकूल पहुँचितहुँ,झोरा
रखितहुँ,तकर बादे प्रार्थनाक घंटी बजैत । भोरुका इसकूलमे तँ हमसभ
जमुआरीसँ आगा होइतहुँ तखन सूर्योदय होइत रहैत । रस्ता
भरि विद्यार्थीसभ भेटैत जइतथि । एकतारा उच्च
विद्यालयक सीमानमे पहुँचैत-पहुँचैत
चारूकातसँ आबि रहल विद्यार्थीक हुजूम देखाइत ।
कोनो
विद्यार्थीक व्यक्तित्व निर्माणमे शिक्षकक आ
विद्यालयक वातावरणक बहुत योगदान होइत अछि । ताहि संगे इसकूलिआ संगीसभक सेहो बहुत
योगदान रहैत अछि । एकतारा उच्च विद्यालय चारूकातसँ खुजल वातावरणमे बनल छल । कोनो
प्रकारक लंफ-लंफाक गुंजाइस नहि छल । दोकान- दौरीक नामो निसान नहि छल । कहिओ काल
बंबइ मिठाइ वा चुनिआ बदाम बेचबाक हेतु केओ आबि जाइत चल । बस एतबे । तेँ
विद्यार्थीलोकनिक ध्यान भुतिएबाक संभावना नहि छल । शिक्षक लोकनि अपना भरि विद्यार्थीसभक
बहुत ध्यान करैत छलाह खास कए तेजगर विद्यार्थीसभपर । परिणाम होइत छल जे सभसाल
किछु-ने-किछु विद्यार्थी उच्चस्तरीय
महाविद्यालयसभमे नामांकन करबैत छलाह
आ ओतएसँ जीवनक विभिन्न क्षेत्रमे नाम करैत छलाह ।
इसकूलक
वातावरण बहुत सात्विक छल । एकतारा गामसँ हटि कए एकांत बाधमे इसकूल बनल छल । इसकूलक
लग-पासमे एकहुटा एहन किछु नहि छल जाहिसँ विद्यार्थीसभक ध्यान एमहर-ओमहर होइत ,ककरो
कोनो प्रकारक गलत आदति लागैक । उच्च विद्यालयसँ थोड़बे दूरपर मिडिल इसकूल छल । ओहि
मिडिल इसकूलसँ बहुत रास विद्यार्थीसभ उच्च विद्यालय आएल छलाह । हुनकासभकेँ ओ
वातावरण पचि गेल छल । तेँ कोनो सुविधा-असुविधाक गप्प नहि होइत छलनि । मुदा हमरा
सन-सन कैकटा विद्यार्थी छलाह जे आठमामे एकताराक उच्च विद्यालयमे नाम लेखओने छलाह
। हम अड़ेर
मिडिल इसकूलसँ सातमा पास केलाक बाद एकतारा गेल रही । छओ मास धरि किलासमे गुमसुम
समय बिताबी । आठमाक छमाही परीक्षामे कोनो स्थान हमरा नहि भेटल छल । अनिल प्रथम आएल
छलाह । ओ ओहीठामक मिडिल इसकूलक विद्यार्थी छलाह आ हुनकर पिता ओही इसकूलमे शिक्षक
सेहो रहथि । संभवतःओकर बाद ओ कहिओ प्रथम नहि
केलाह । बादमे तँ हुनकर नंबर कमे होइत गेल ।
जखन परीक्षाक परिणाम अबैक तँ बाबू एक-एक विषयक नंबरपर घमरथन करैत छलाह ।
दोसर नीक विद्यार्थीसभक नंबरपर सेहो विचार करैत छलाह । मुदा हमरा कहिओ हुतथि नहि,अपितु निरंतर प्रेरित करथि जे हम आओर नीक करी । हुनके
प्रेरणाक परिणाम भेल जे हम निरंतर नीक करैत गेलहुँ आ एगारहमाक सभ परीक्षामे प्रथम
स्थान प्राप्त केलहुँ । संयोगसँ हमरासभक किलासमे चारि-पाँचटा विद्यार्थी बहुत
परिश्रमी आ प्रतिभाशाली छलाह आ तकरे परिणाम छल जे आपसमे एकटा सकारात्मक
प्रतिस्पर्धा बनल रहैत छल ,जकर बहुत अनुकूल परिणाम भेल । अंततः,
बोर्डक परीक्षामे चारिगोटेकेँ प्रथम श्रेणी भेलनि -हमरा,नारायणजी (नवकरही),श्रीनारायणजी (नगवास)
आ विजयजी (नवकरही) ।
देहातक
इसकूल होइतहु ओहिठाम पढ़ाइ बढ़िआ होइत छल ।
प्रधानाध्यापक स्वर्गीय युगेश्वर झाक बहुत आदर रहनि । ओ मैथिली व्याकरणसँ संबंधित कैकटा किताब लिखने रहथि । हमरासभकेँ ओ सामान्य गणित पढ़बैत छलाह । तकर
अतिरिक्त जे कोनो किलास खाली रहल,जकर शिक्षक कोनो कारणसँ अनुपस्थित
रहथि ,तकरा ओएह सम्हारैत छलाह
। हुनकर गाम हरिपुर (मजरही टोल) छलनि । एकबेर हम
हुनका ओहिठाम गेलो रही । ओ भगवतीक परम
भक्त छलाह । हम संघ लोक सेवा आयोगक एससीआरए परीक्षाक साक्षात्कारक हेतु दिल्ली
जाइत रही । ओ हमरा अपना ओहिठाम बजओलाह आ भगवतीसँ हमर सफलताक हेतु प्रार्थना केलथि आ
हमरा एकटा यंत्र सेहो देलथि । अपन
विद्यार्थीक प्रति एतेक कल्याणक भावना रहैत छलनि ओहि समयक शिक्षकमे तकर ई उदाहरण
थिक।
इसकूलमे
वार्षिक परीक्षाक परिणाम घोषित करबाक हेतु सभ विद्यार्थिकेँ इसकूलक सामनेक आङनमे
ठाढ़ कएल जाइत छल । शिक्षक लोकनि ओसारापर ठाढ़ होइत छलाह । प्रधानाचार्यजीक हाथमे
परिणाम तालिका रहैत छल । सभसँ पहिने आठमा किलासक परिणाम घोषित होइत छल । प्रथम,द्वितीय
,त्रितीय आ चतुर्थ स्थान पओनिहार विद्यार्थीक नाम बाजल जाइत छल ।
सभसँ पहिने प्रथम आबएबला विद्यार्थीक नाम लेल जाइत छल । ओ प्रशन्नतापूर्वक अपन नव
किलासमे सभसँ पहिने जा कए बैसि जाइत छलाह । तकर बाद दोसर,तेसर आ
चारिम स्थान पओनिहार विद्यार्थीक नाम क्रमशः घोषित होइत छल । सभसँ अंतमे
दसमाक परीक्षाफलक घोषणा कएल जाइत छल । एगारहमामे तँ बोर्ड परीक्षा होइत छल । एहि तरहसँ सफल विद्यार्थीसभ अपन-अपन नव किलासमे पहुँचि गर्वक
अनुभव करैत छलाह । एक हिसाबे
प्रतिभा आ उपलव्धिकेँ सम्मान दए विद्यार्थीसभकेँ नीक सँ नीक करबाक हेतु प्रेरित
कएल जाइत छल।
तत्कालीन
विज्ञान शिक्षक स्वर्गीयरामनरेश ठाकुरसँ विद्यार्थीसभ बहुत डराइत छल । कारण जँ
व्यवहारिक परीक्षामे फेल कए गेलहुँ तँ मैट्रिकक परीक्षामे विद्यार्थी पास नहि भए
पबैत छल चाहे ओकरा आन विषयसभमे कतबो नीक नंबर आबैक । अस्तु,लोक हुनकासँ
बहुत बँचि कए रहैत छल । व्यवहारिक किलासक हेतु एकटा कोठरी छल जाहिमे पाँच-छओटा आलमारीमे
नाना प्रकारक औजार,रसायनिक द्रव्य आदि राखल रहैत छल । हमसभ तँ एतबेसँ
प्रसन्न भए जाइत छलहुँ जे प्रयोगशाला खुजल आ हमरा लोकनिकेँ किछु करबाक अवसर भेटल ।
जँ प्रयोगशालाक डिबिआमे स्पीरीट रहल तँ काँच नली के मोड़नाइ सिखाओल जाइत ,
नहि तँ एमहर-ओमहरक किछु- किछु कए विद्यार्थीसभ संतोख कए लैत छल ।
उच्च
विद्यालय एकतारा हमरा लोकनिक शिक्षाक आधारशिला छल । हमहीटा नहि,अपितु,ओहि
समयक कतेको विद्यार्थीक जीवनक दिशा ओतए बदलि गेल । मामूली खर्चामे एतेक सुबिधाजन्य
शिक्षा भेटब भाग्यकक बात छल । एकाध अपवाद छोड़िकए अधिकांश शिक्षक बहुत परिश्रम आ
निष्ठासँ अपन कर्तव्यक निष्पादन करैत छलाह । यद्यपि
किछु शिक्षक प्राइभेट ट्युसन करैत छलाह मुदा तकर माने ई नहि होइत छल जे ट्युसन नहि
पढ़निहार विद्यार्थीक संगे कोनो भेदभाव कएल जाइत । इसकूलक पढ़ाइमे कोनो कोताही नहि
होइत छलैक । अधिकांश विद्यार्थी अंग्रेजीसँ
परेसान रहैत छलाह । अंग्रेजीमे पास करब कैकबेर बहुत मोसकिल भए जाइत छलनि। एहि हेतु
किछु विद्यार्थीसभ प्राइभेट ट्युसन सेहो करैत छलाह । गणित विषयमे सेहो अधिकांश
विद्यार्थीकेँ समस्या रहैत छलनि । ओहि समयमे
सामान्य गणित आ उच्च गणितक फराक-फराक पत्र
होइत छल । कैकटा विद्यार्थी विज्ञान पढ़बाक
चक्करमे गणित रखैत छलाह आ सालक साल फेल करैत रहि जाइत छलाह । कैकटा विद्यार्थी
बादमे विज्ञान छोड़ि कए कला संकायमे चलि जाइत छलाह । असलमे अपनासभक ओहिठाम विज्ञानक विषय पढ़नाइ
उज्ज्वल भविष्यक हेतु अनिवार्य बूझल जाइत छल । भविष्य उज्ज्वल तँ जखन होइत तखन
मुदा तत्कालमे तँ ओसभ मैट्रिकेमे लटपटा जाइत छलाह । हमरा लगैत अछि जे पढ़ाइक
तत्कालीन रूप-रेखा आ विषयक चुनाव सही नहि छल जाहि कारणसँ कतेको विद्यार्थीक जीवन
बरबाद भए गेल ।
उच्च
विद्यालय एकतारामे बिताओल गेल ओ चारिसाल(सन् १९६३-१९६६) हमरा लोकनिक
जीवन निर्माणमे बहुत सहायक सिद्ध भेल । ई बात
अलग अछि जे जँ शिक्षाक पद्धति आ प्रकार जँ आओर वैज्ञानिक रहैत तँ बहुत रास
विद्यार्थी बेसी सफल होइत आ इसकूलसँ निकललाक बाद आत्मसम्मानसँ जीवन-यापन कए सकितथि
। मुदा ई बात तँ ओहि समयक सर्वव्यापी समस्या छल आ
कमो-बेस अखनहु अछिए । तमाम असुबिधाक अछैत
ओहि इसकूलसँ सभसाल किछु एहन विद्यार्थीसभक निर्माण करैत रहल जे आगु जा कए अपना-अपना कार्यक्षेत्रमे बहुत
नाम केलनि । निश्चित रूपसँ देहातमे रचल-बसल ओहि
इसकूलक संस्थापक लोकनि एहि हेतु धन्यवादक पात्र छथि ।
6/8/20206/8/2020