श्री राज किशोर मिश्र(नूनूजी)
श्री राज किशोर मिश्र(नूनूजी)क
जन्म २७.१.१९६०क अड़ेर डीह ग्राममे भेलनि । हुनकर पिताक नाम श्री शशि भूषण मिश्र आ
माताक नाम श्रीमती जीवेश्वरी देवी छनि । ओ
शुरुएसँ बहुत प्रतिभाशाली विद्यार्थी छलाह । सन् १९७६मे अड़ेर उच्च विद्यालयसँ मैट्रिकमे
विहार भरिमे दसम स्थान प्राप्त केने रहथि । तकर बाद साइंस कालेज पटनासँ प्री-युनीभर्सीटी
कए बीएचयू वाराणसी(वर्तमानमे आइआइटी)सँ बीटेक (विद्युत)केलाह
। तकर बाद सन् १९८२मे भारतीय इंजीनियरींग सेवा परीक्षामे सफल भए बीएसएनएलमे
सीजेएम(मुख्य महाप्रवंधक) दिल्लीक पदसँ सन्२०२०मे सेवानिवृत्त भेलाह । एहि प्रकारे देखल जा सकैत अछि जे विद्यार्थी अवस्थासँ
लए सेवानिवृत्ति काल धरि निरंतर विकास करैत ओ सभदिन उत्कृष्टता प्राप्त करैत रहलाह
।
नूनूजी किछुदिन गाममे बहुत
रास सामाजिक काजमे सामिल रहलाह जाहिमे गामक बीचोबीच सड़कक निर्माण आ अड़ेर चौकसँ
सटले ग्रामद्वारक निर्माण प्रमुख छल । ग्रामद्वारपर
हिनकर नाम प्रमुखतासँ लिखल अछि । अड़ेर चौकपर दूरभाष केन्द्रक स्थापनामे सेहो
हिनकर बहुत योगदान अछि । तकर बादे गाममे लोकसभ टेलीफोन लगओने रहथि । गाममे
कालीपूजा शुरु करबामे हुनकर बहुत योगदान छलनि। तकर बाद कैकसाल धरि हुनके नेतृत्वमे कालीपूजाक आयोजन बहुत सफलतापूर्वक होइत रहल ।
इलाहाबाबदसँ स्थानांतरक बाद
जखन हम दिल्ली आएल रही तँ ओहो दिल्लीमे संचार विभागमे इंजिनीयर रहथि । किछुदिन हम
हुनका संगे हुनकर कटबरिआसराय स्थित
डेरापर रहलो रही । दिल्लीसँ स्थानांतरक बाद ओ
पटना चलि गेलथि । समय-समयपर हुनकर बदली देशक विभिन्न भागमे होइत रहलनि । पटना आ हैदराबादमे हुनकर डेरापर हम गेल रही । व्यस्तताक अछैत ओ
निरंतर हमरासँ टेलीफोन द्वारा संपर्कमे रहैत रहलाह । हुनकर सकारात्मक सोच आ आत्मिय
व्यवहार निश्चय उर्जादायी रहैत अछि । दोसरक मोनकेँ बूझबाक आ दोसरकेँ सुखी देखबाक
हिनकर स्वभाव छनि । एहन-एहन लोक एहि पृथ्वीक रत्न छथि ।
हमरासभक लेल ई गौरवक बात थिक
जे ओ अपने परिवारक अंग छथि । हुनकर प्रपितामह(स्वर्गीय
राम शरण मिश्र) आ हमर पितामह (स्वर्गीय
श्रीशरण मिश्र) सहोदर भाइ रहथि । हुनकर पिता श्री शशिभूषणमिश्र बहुत यशस्वी आ पुरुषार्थी व्यक्ति
तँ छथिए संगहि ओ बहुत भाग्यवानो छथि जे
एहन-एहन संतान सभक पिता हेबाक गौरव हुनका भेलनि । हुनकर चारू पुत्र सुयोग्य आ
जीवनमे बहुत नीकसँ स्थापित छथि । सरस्वती आ
लक्षमीक एहन संगम कमेठाम देखबामे अबैत अछि ।
शुरुएसँ हुनकामे साहित्यक
प्रति सिनेह छल । ओ
जखन नेने रहथि तखनेसँ हिन्दी आ मैथिलीमे छोट-छोट कवितासभ
लिखल करथि । कैकबेर हुनकर कवितासभ विभागीय पत्रिकासभमे छपैत रहल । प्रकृतिकेँ बुझबाक प्रयास हुनकर स्वभावमे समाहित छनि । ई बात
हुनकर कवितोसभमे बेरि-बेरि स्पष्ट भेल अछि । हुनकर कवितासभमे मानव स्वभाव,प्रकृति
प्रेम आ देश भक्तिक चित्रण बहुत नीकसँ कएल गेल अछि । पेशासँ
इंजिनीयर रहितो साहित्यकारक रूपमे राजकिशोर(नूनूजी)क महत्वपूर्ण योगदान अछि ।
हुनकर अखन धरि मैथिलीमे मेघपुष्प आ हिन्दीमे प्रवाहिनी,ऊर्जा वर्णन,प्रदूषण,संवेग कविता संग्रहसभ प्रकाशित भए
चुकल अछि । किछु आओर पुस्तकसभ शीघ्रे प्रकाशित
होबए बला अछि ।
दिल्लीमे आयोजित उर्जा वर्णन
पुस्तकक विमोचनक अवसरपर भव्य आयोजनक दृष्य
अखनहु मोन पड़ैत रहैत अछि । हुनकर विभागक बड़का-बड़का इंजिनीयरसभक
पाँति लागि गेल छल । ओहि आयोजन केँ
गरिमामय बनेबाक हेतु शताधिक विद्वानसभ उपस्थित रहथि ।
कतेकोगोटे हुनकर साहित्यिक प्रतिभासँ चकित रहथि । ओ जखन अपन ओजस्वी स्वरमे कविता
पाठ करए लगलाह तँ संपूर्ण दर्शकमंडली थपड़ी पिटि
रहल छलाह,सभ अतिशय आनंदित छलाह ।
नूनूजी निरंतर उच्चकोटिक कवितासभ लिखि रहल छथि । “एकटा छलि नदी ”शीर्षक कवितामे कवि राजकिशोर
लिखैत छथि-
नदीक मृत्यु संकेत ठीक नहि
सभ जनैत जल जीवन अछि
ई महा-प्रश्न मानव समक्ष
ई विषय सघन चिंतन अछि ।
प्रकृतिक प्रति हुनकर अनन्य प्रेम उपरोक्त कवितासँ प्रस्फुटित
होइत अछि । प्रदूषण नामसँ हिन्दीमे प्रकाशित कविता संग्रहमे प्रदूषणक कारण भए रहल
क्षतिक प्रति अपन चिंता व्यक्त करैत कवि कहैत छथि-
जब पड़ता उसका दुष्प्रभाव
मानव ही नहीं अकुलाता है
रोती वनस्पतियाँ भी हैं,
निर्जीव भी दुख को पाता है ।
एवम् प्रकारेण हुनकर समस्त
साहित्यिक कृतिसभमे जीवन आ ताहिसँ जुड़ल तत्वसभक गहन चिंतन कएल गेल अछि । निश्चित रूपसँ ई पोथीसभ समस्त मानवताक भविष्यक
हेतु मार्गदर्शक बनत आ मनुक्खमे जीवन तत्व आ ओहिसँ जुड़ल भावनाकेँ प्रेरित करबामे सफल होएत । ।यद्यपि ककरो
रचनाक मुल्यांकन करब आसान बात नहि होइत अछि,मुदा एतबा
तँ स्पष्ट अछि जे हुनकामे गजबकेँ सृजनशीलता अछि । ओ निरंतर सुंदर-सुंदर कवितासभक
रचना कए रहल छथि । आशा करैत छी जे समस्त साहित्यिक जगत हुनकर साहित्यिक कृतित्वसँ
लाभान्वित होएत ।
विद्यार्थी अवस्थासँ लए कए आइ
धरि ओ अपन काज आ व्यवहारसँ एकटा तेहन डरीर खिचि देलनि अछि जकर पार पाएब असंभव नहि
तँ आसानो नहि होएत । ओ सदिखन अपन
सदव्यवहार आ सकारात्मक सोच हेतु मोन पड़ैत रहताह ।