मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मंगलवार, 16 मार्च 2021

श्री राज किशोर मिश्र(नूनूजी)

 


श्री राज किशोर मिश्र(नूनूजी)

श्री राज किशोर मिश्र(नूनूजी)क जन्म २७.१.१९६०क अड़ेर डीह ग्राममे  भेलनि । हुनकर पिताक नाम श्री शशि भूषण मिश्र आ माताक नाम श्रीमती जीवेश्वरी देवी छनि । ओ शुरुएसँ बहुत प्रतिभाशाली विद्यार्थी छलाह । सन् १९७६मे अड़ेर उच्च विद्यालयसँ मैट्रिकमे विहार भरिमे दसम स्थान प्राप्त केने रहथि । तकर बाद साइंस कालेज पटनासँ प्री-युनीभर्सीटी कए बीएचयू वाराणसी(वर्तमानमे आइआइटी)सँ बीटेक (विद्युत)केलाह । तकर बाद सन् १९८२मे भारतीय इंजीनियरींग सेवा परीक्षामे सफल भए बीएसएनएलमे सीजेएम(मुख्य महाप्रवंधक) दिल्लीक पदसँ सन्२०२०मे सेवानिवृत्त भेलाह । एहि प्रकारे देखल जा सकैत अछि जे विद्यार्थी अवस्थासँ लए सेवानिवृत्ति काल धरि निरंतर विकास करैत ओ सभदिन उत्कृष्टता प्राप्त करैत रहलाह ।

नूनूजी किछुदिन गाममे बहुत रास सामाजिक काजमे सामिल रहलाह जाहिमे गामक बीचोबीच सड़कक निर्माण आ अड़ेर चौकसँ सटले ग्रामद्वारक निर्माण प्रमुख छल । ग्रामद्वारपर हिनकर नाम प्रमुखतासँ लिखल अछि । अड़ेर चौकपर दूरभाष केन्द्रक स्थापनामे सेहो हिनकर बहुत योगदान अछि । तकर बादे गाममे लोकसभ टेलीफोन लगओने रहथि । गाममे कालीपूजा शुरु करबामे हुनकर बहुत योगदान छलनि। तकर बाद कैकसाल धरि हुनके नेतृत्वमे कालीपूजाक आयोजन बहुत सफलतापूर्वक होइत रहल ।

इलाहाबाबदसँ स्थानांतरक बाद जखन हम दिल्ली आएल रही तँ ओहो दिल्लीमे संचार विभागमे इंजिनीयर रहथि । किछुदिन हम हुनका संगे हुनकर कटबरिआसराय स्थित डेरापर रहलो रही । दिल्लीसँ स्थानांतरक बाद ओ पटना चलि गेलथि । समय-समयपर हुनकर बदली देशक विभिन्न भागमे होइत रहलनि । पटना आ हैदराबादमे हुनकर डेरापर हम गेल रही । व्यस्तताक अछैत ओ निरंतर हमरासँ टेलीफोन द्वारा संपर्कमे रहैत रहलाह । हुनकर सकारात्मक सोच आ आत्मिय व्यवहार निश्चय उर्जादायी रहैत अछि । दोसरक मोनकेँ बूझबाक आ दोसरकेँ सुखी देखबाक हिनकर स्वभाव छनि । एहन-एहन लोक एहि पृथ्वीक रत्न छथि  ।

हमरासभक लेल ई गौरवक बात थिक जे ओ अपने परिवारक अंग छथि । हुनकर प्रपितामह(स्वर्गीय राम शरण मिश्र) हमर पितामह (स्वर्गीय श्रीशरण मिश्र) सहोदर भाइ रहथि । हुनकर पिता श्री शशिभूषणमिश्र बहुत यशस्वी आ पुरुषार्थी व्यक्ति तँ छथिए संगहि ओ बहुत भाग्यवानो छथि जे एहन-एहन संतान सभक पिता हेबाक गौरव हुनका भेलनि । हुनकर चारू पुत्र सुयोग्य आ जीवनमे बहुत नीकसँ स्थापित छथि । सरस्वती आ लक्षमीक एहन संगम कमेठाम देखबामे अबैत अछि ।

शुरुएसँ हुनकामे साहित्यक प्रति सिनेह छल । ओ जखन नेने रहथि तखनेसँ हिन्दी आ मैथिलीमे छोट-छोट कवितासभ लिखल करथि । कैकबेर हुनकर कवितासभ विभागीय पत्रिकासभमे छपैत रहल । प्रकृतिकेँ बुझबाक प्रयास हुनकर स्वभावमे समाहित छनि । ई बात हुनकर कवितोसभमे बेरि-बेरि स्पष्ट भेल अछि । हुनकर कवितासभमे मानव स्वभाव,प्रकृति प्रेम आ देश भक्तिक चित्रण बहुत नीकसँ कएल गेल अछि । पेशासँ इंजिनीयर रहितो साहित्यकारक रूपमे राजकिशोर(नूनूजी)क महत्वपूर्ण योगदान अछि । हुनकर अखन धरि मैथिलीमे मेघपुष्प आ हिन्दीमे प्रवाहिनी,ऊर्जा वर्णन,प्रदूषण,संवेग कविता संग्रहसभ प्रकाशित भए चुकल अछि । किछु आओर पुस्तकसभ शीघ्रे प्रकाशित होबए बला अछि ।

 

दिल्लीमे आयोजित उर्जा वर्णन पुस्तकक विमोचनक अवसरपर  भव्य आयोजनक दृष्य अखनहु मोन पड़ैत रहैत अछि । हुनकर विभागक बड़का-बड़का इंजिनीयरसभक पाँति लागि गेल छल । ओहि आयोजन केँ गरिमामय बनेबाक हेतु शताधिक विद्वानसभ उपस्थित रहथि । कतेकोगोटे हुनकर साहित्यिक प्रतिभासँ चकित रहथि । ओ जखन अपन ओजस्वी स्वरमे कविता पाठ करए लगलाह तँ संपूर्ण दर्शकमंडली थपड़ी पिटि रहल छलाह,सभ अतिशय आनंदित छलाह ।

नूनूजी  निरंतर उच्चकोटिक कवितासभ लिखि रहल छथि एकटा छलि नदी शीर्षक कवितामे कवि राजकिशोर लिखैत छथि-

नदीक मृत्यु संकेत ठीक नहि

सभ जनैत जल जीवन अछि

ई महा-प्रश्न मानव समक्ष

ई विषय सघन चिंतन अछि ।

प्रकृतिक प्रति हुनकर अनन्य प्रेम उपरोक्त कवितासँ प्रस्फुटित होइत अछि । प्रदूषण नामसँ हिन्दीमे प्रकाशित कविता संग्रहमे प्रदूषणक कारण भए रहल क्षतिक प्रति अपन चिंता व्यक्त करैत कवि कहैत छथि-

जब पड़ता उसका दुष्प्रभाव

मानव ही नहीं अकुलाता है

रोती वनस्पतियाँ भी हैं,

निर्जीव भी दुख को पाता है ।

एवम् प्रकारेण हुनकर समस्त साहित्यिक कृतिसभमे जीवन आ ताहिसँ जुड़ल तत्वसभक गहन चिंतन कएल गेल अछि । निश्चित रूपसँ ई पोथीसभ समस्त मानवताक भविष्यक हेतु मार्गदर्शक बनत आ मनुक्खमे जीवन तत्व आ ओहिसँ जुड़ल भावनाकेँ प्रेरित करबामे सफल होएत । ।यद्यपि ककरो रचनाक मुल्यांकन करब आसान बात नहि होइत अछि,मुदा एतबा तँ स्पष्ट अछि जे हुनकामे गजबकेँ सृजनशीलता अछि । ओ निरंतर सुंदर-सुंदर कवितासभक रचना कए रहल छथि । आशा करैत छी जे समस्त साहित्यिक जगत हुनकर साहित्यिक कृतित्वसँ लाभान्वित होएत ।

विद्यार्थी अवस्थासँ लए कए आइ धरि ओ अपन काज आ व्यवहारसँ एकटा तेहन डरीर खिचि देलनि अछि जकर पार पाएब असंभव नहि तँ आसानो नहि होएत । ओ सदिखन अपन सदव्यवहार आ सकारात्मक सोच हेतु मोन पड़ैत रहताह ।