मृत्यु से संवाद
जब लोगों ने बहुत ही डराया
कि मृत्यु से बचकर रहिए
यह कर देगा सर्वनाश
कुछ नहीं बचेगा उसके बाद ।
तो मैंने सोचा कि क्यों नहीं
सीधे उनसे ही संवाद कर
पूछ लिया जाए-
“मृत्युजी ! आपके बारे में जो चर्चाएं सुन रहा हूँ
क्या वह सही है?
क्या आप सचमुच बहुत क्रूर हैं?
क्या आप सचसच सबकुछ बताएंगे?
और कुछ नहीं तो कोई रास्ता ही बताएंगे
जिससे मैं आपसे बच सकूं ।
मेरी बात सुनकर वे ठहाका लगाने लगे
कहने लगे-
“यार! तुम कमाल के आदमी हो
आजतक किसी ने इतनी हिम्मत नहीं दिखाई
जो मुझसे आँख में आँख डालकर
इस तरह पूछ सके
वह भी मेरा ही प्रोफाइल”
फिर मैंने कहा-
“सीधे नहीं कह सकते तो
अपना फेसबुक प्रोफाइल का लिंक ही बता दीजिए
हम खुद सारी जानकारी निकाल लेंगे”
मृत्युजी फिर हँसे-
“ये सारे प्रोफाइल अधूरे हैं
जिसदिन मैं इनका एकाउंट चेक करूंगा
देखना सबकुछ डिलीट मिलेगा
सिर्फ मैं ही रहूंगा अकेले
एक-एककर सबको विदा कर”
फिर उन्होने इशारा किया
फेसबुक पृष्ठ पर दायीं तरफ
जहाँ कुछ लोगों ने लिख रखा था-
“लोक अकारण ही डरते हैं मृत्यु से
सभी लगे हैं जिसके निवारण में
परंतु,कोई न कोई उपाय वह कर ही लेता है
चल देता है कोई न कोई चाल ,
एक-से-एक प्रतापी, शूर-वीर
राजा,रंक फकीर
कुछ भी नहीं कर पाते हैं
मृत्यु का अनंत साम्राज्य
कर देता है सब को परास्त ।
मृत्यु उतना बुरा भी नहीं है,
है वह भी सौंदर्यमयी, ममतामयी
तमाम दुखों से हमें करता है मुक्त
सारे वंधनों से दिलाता है छुटकारा
शोक,लोभ,लाज सभी पीछे छूट जाते हैं ।
जीवन में तो दुख ही दुख है
नान प्रकार के योग- वियोग का घटित होते रहना
अपने लोगों का विछुड़ना
प्रियपात्रों का दूर हो जाना
तरह-तरह के रोग-व्याधियों से ग्रसित हो जाना
लेकिन मृत्यु एक ही बार में
इन सबसे हमें देता है विश्राम ,
नहीं रह जाती है अपेक्षा
धन-संपत्ति,यश-प्रतिष्ठा
हो जाता है अर्थहीन
फिर भी हम चिंतित हो जाते हैं
मृत्यु के आहट से ।
निश्चय ही मृत्यु बहुत दुखदायी है
जब अपना कोई चला जाता है
वरना तो रोज ही कितने मरते रहते हैं
और किसी को कुछ भी असर नहीं होता है ।
असल में दुख का कारण ही मोह है
किसी को अपना समझने से उपजा हुआ मोह ही
हमें धकेलता है
नर्क में वारंबार
जो स्वतः छूट रहा है उसे जाने दीजिए
क्यों उससे चिपकने का कर रहे हैं प्रयास
जो जितना त्याग करता है
वही बनता है महान
सभी रंगो को त्यागकर ही बनता है
सात्विकता का प्रतीक- श्वेत रंग
जो दे सकता है चिरंतन शांति
मृत्यु का भय हो सकता है समाप्त
जब हम समझने लगते हैं
आत्मा का अमरत्व
और यह भी कि
शरीर का आना-जाना तो
बस एक क्षणिक पटाक्षेप है।”
17.6.2020