कन्याकुमारीक यात्रा
चारूकात अन्हार गुज्ज मात्र
एकटा फोक्सीन आ पानिमे ठाढ़ एक मात्र शिला। देखिते देरी कियो बाजि उठल-
“आबि गेल कन्याकुमारी..!”
दुपहर रातिमे हमरा लोकनि धङफङाक
कऽ गाड़ीसँ उतरलौं। संयोगसँ कैमरा बसेमे छुटि गेल आ प्रात भेने ओइ कैमराक हेतु लाख
छपटेलौं मुदा नहियेँ भेटल।
प्रात:काल भोरे नहा-सोना कऽ
मोटरी-चोटरी तैयार कए हमरा लोकनि इलाहाबाद टीशनपर पहुँचलौं। गंगा-काबेरी एक्सप्रेस
आएल। सभ यात्री सभ ओइमे सवार भेला। किछुए कालमे ओ गाड़ी धराक-धराक आगाँ बढ़ए लागल।
फस्ट क्लासक यात्रीकेँ विशेषता तँ बुझले होएत। कियो केकरो जल्दी टोकत नहि, आ जँ बजबो करत तँ
एकटा विशिष्ट औपचारिकताक संग। खास कऽ गंगा-काबेरी एक्सप्रेसमे बेसी दक्षिण
भारतीय लोक रहबाक कारणेँ बेस गुम्मी पसरल छल। एतबामे हमरा लोकनिकेँ मैथिलीमे
गप-सप्प करैत कियो बगलक डिब्बाक यात्री सुनला आ ओ स्वयं वोरे होइत छला। हिन्दी-भाषी छला आ बड़ी काल
धरि ओ हमरा लोकनिक माथ चटैत रहला। कखनो किछु परामर्श दैथ तँ कखनो हाथ देखैत।
ओइ क्रममे ओ हाथ देखैत-देखैत
एहेन गप कहला जाइ कारणसँ सहयात्री लोकनिसँ किछु गलफुलौऐल सेहो भऽ गेल।
गाड़ी सरपट बढ़ि रहल छल आ
चारुकात गाम-घर ओहिना छल जेना कि अपना सभ दिस अछि। प्राय: २४ घन्टा धरि गाड़ीमे
बैसल रहलाक बाद हरियर-हरियर पानिसँ खिलखिल करैत कृष्णा नदी। यात्राक क्रममे सभसँ
पैघ समस्या भेल भाषाक आ भोजनक।
मुख्यत: दक्षिण-भारतीय भोजन
सर्वत्र उपलब्ध होइत छल। दोसर दिन साँझमे हमरा लोकनि मद्रास पहुँचलौं। टीशनपर थाकल-ठेहियाएल एवम् झमाड़ल हमरा लोकनि
एकटा उत्सुकतापूर्ण दृष्टि फेरैत रहलौं।
आब की करी? ओतेकटा शहर आ ओत्तौ
ओहने रिक्शा सभ जेना कि हमरा लोकनिक गाममे अछि। मद्रासमे तीनटा मुख्य टीशन पड़ैए, पहिल- मद्रास बीच, दोसर- मद्रास सेण्ट्रल
आ तेसर- मद्रास एगमोर।
गंगा-काबेरी मद्रास बीच
टीशनपर रूकल। आ हमरा लोकनि रिक्शा पकैड़ मद्रास सेण्ट्रल टीशनपर एलौं। ऐठाम
रेलबे रेस्ट रूमे आरक्षण नहि रहबाक कारणेँ हमरा लोकनिकेँ एकटा होटलक शरण लेबए
पड़ल, कारण जे फस्टो क्लासक
विश्रामालय ठसाठस भरल छेलैक आ हमरो लोकनिकेँ यात्राक तेतेक थकान छल जे ओइ भीड़मे
प्रयाप्त विश्राम तँ नहियेँ भऽ सकैत छल। तँए एकटा साधारण होटलमे ठहरलौं।
प्रात:काल हमरा लोकनि मद्रासक
मुख्य-मुख्य स्थान घुमलौं, जेना- ‘गाँघीमण्डपम, राजाजी मण्डपम, समुद्रक किनार, अस्पताल इत्यादि।
साँझक गाड़ीसँ जे मद्रास एगमोरसँ
खूजल आ हमरा लोकनि रामेश्वरम् हेतु प्रस्थान केलौं। ऐ गाड़ीमे अपेक्षाकृत अधिक
भीड़ छेलै आ आरक्षण नहि रहैत तँ की हाल होइत से तँ भगवाने जनितैथ।
मद्राससँ रामेश्वरम्-क
यात्राक क्रममे लगभग १५-१६ घन्टा समय लागल। ज्योँ-ज्योँ रामेश्वरम् समीप आबि
रहल छल त्योँ-त्योँ समुद्रक धारी सभ देखाइत छल। आ मण्डपमक बादसँ समुद्रेमे बनल
पूलपर गाड़ी चलैत अछि। चारूकात अथाह समुद्रकेँ चीरैत छल साए-साए गोट ट्राली सभ जे
माछ मारबाक एकटा नीक साधनक रूपमे प्रयुक्त छल। तखन देखाएल बालूए-बाउलू आ आब रामेश्वरम्
एकदम समीप छल।
गाड़ी आबि कऽ ठाढ़ भऽ गेल। लगभग
२ माइल धरि एक्कापर चढ़ि कऽ हमरा लोकनि भगवान रामेश्वरम्-क मन्दिरक ठीक सामनेमे
बनल रामनाथ धर्मशालामे अँटकलौं, जइमे नाममात्र शुल्क देबए पड़ल मुदा साफ-सवच्छ ओ
सुन्दरताक दृष्टिकोणसँ ओकर मोल आँकब असम्भव अछि।
भारतवर्षमे रामश्वरम् मन्दिरक
चारुकात जे पसार अछि से सभसँ पैघ अछि आ ऐमे निरन्तर वृद्धिये भेल जाइत अछि। मन्दिरक
बनाबट एकटा अपूर्व सौन्दर्य अछि आ एकर ऊपरमे निरन्तर भजन होइत रहैत अछि, जे लाउडस्पीकरक माध्यमसँ
सबहक कान धरि पहुँचैत रहैत अछि। ओना, ओतए केतेको मन्दिर आ धर्मशाला अछि।
रामेश्वरम्-क मन्दिरक
चारुकात टापूमे बसल रामेश्वरम्-क दोकान सभमे मात्र तीर्थयात्रीकेँ धियानमे रखैत
समान सभ राखल जाइ छइ। रामेश्वरम्-क मन्दिरक काते-कात दक्षिण भारतीय भोजनबला
होटल सभ अछि आ एक पाँतिसँ केतेको दोकान अछि जइमे मुख्यत: पूजाक सामग्री जेना- फूल, नारियल आ शंखक भरमार
छल। एकटा गप तँ बुझले होएत जे रामेश्वरम् भगवानपर गंगाजल चढ़ौलासँ मोक्षलाभक
अधिकारी होबाक धार्मिक विश्वास अछि आ तँए ओतए ताम्र पात्रमे गंगाजल भरि-भरि कए लोक
सभ चढ़बैत अछि। मन्दिरमे भीड़ तँ रहिते छै, मुदा सभसँ प्रसंशनीय अछि
ओइठामक प्रशासकीय बेवस्था। पण्डा लोकनि सेहो अपेक्षाकृत अधिक परिश्रमी ओ इमानदार
बुझेला। सभसँ आकर्षक छल ओइठामक चढ़ौआ चढ़ेबाक नियम। विभिन्न प्रकारक पूजनक विभिन्न
शुल्क देबए पड़ैत जे एकटा विशेष काउण्टरपर लोक जमा करए आ ओइठाम टिकट भेट जाइत ।
बिना ओइ टिकटक लोक रामेश्वरम् मन्दिरमे नइ जा सकैत अछि। आ जँ घुसिया कऽ लाइन तक
लागियो जाए तँ ओकर प्रसाद व पूजनक सामग्री भगवानपर नहि चढ़तैन। यएह अछि पैसा देवीक
प्रकोप। जेतेक पाइ तेतेक नीक पूजा।
मन्दिरमे भरि दिनमे कएक बेर
पूजा होइ छै आ पहिल पूजा चारि बजे भोरे होइ छइ। आर जे किछु से तँ अछिए मुदा रामेश्वरम्-मे
एकटा अपूर्व प्राकृतिक सौन्दर्य छै जे राम-झरौखापर बैसलासँ बुझाइ छइ। कहबी अछि जे
भगवान राम लंकापर विजयक बाद ऐ पहाड़ीपर बैस अपन बानरी सेनाक संग विजयोत्सवक
संग-संग विश्राम लाभ केलैन। ओ स्थान ऐछो विश्रामेक पात्र। चारुकात समुद्रक अपूर्व
दृष्य दर्शनीय अछि। हजारक हजार नारियल-खजूरक गाछ सभ चारुकात पसरल अछि।
ओना तँ दक्षिण भारतमे सौंसे
नारियरक गाछक भरमार अछिए, मुदा रामेश्वरम्-मे ई नारियरक गाछ सभ एकटा अपूर्व
सौन्दर्यक निर्माण करैत अछि। ठाम-ठामपर अनेकानेक कुण्ड सभ अछि। स्वयं रामेश्वरम्
मन्दिरमे केतेको कुण्डमे स्नान करबाक हेतु लोक आठअना पाइ दए कऽ एक कुण्डसँ
दोसर कुण्डपर नहाइत फिरैत छल। जेहो मन्दिरक बेवस्था आ देशक विभिन्न भागसँ आएल
हजारो तीर्थ-यात्रीक उत्सुकता दर्शनीय छल। ठाम-ठामपर केतेको तीर्थ-यात्री द्वारा
बनौल गेल धर्मशाला सभ लोकक धार्मिक भावनाकेँ प्रतिबिम्बित करैत छल। एवंप्रकारेण २
दिन धरि आनठाम जीवन बिताए हमरा लोकनि रामेश्वरम्-सँ प्रस्थान केलौं। ऐ बीच
धर्मशालाक बेवस्थापक तगादा सेहो कए चुकल छल जे हमरा लोकनि कखन स्थान छोड़ब आ तँए
कनेक आर धड़फड़ा कऽ ओइ स्थानसँ तेसरदिन प्रात: १० बजे प्रस्थान केलौं।
रामेश्वरम् टीशनपर यात्री
ठसम-ठस भरल छल आ बहुत चेष्टाक बाद महिला डिब्बामे हम सभ पैसलौं। आरक्षण नहि छल।
कहुना काहि काटि रामेश्वरम्-सँ मण्डपम टीशनपर पहुँचलौं। ओइठामसँ बस कन्याकुमारीक
लेल खुजैत अछि। ठाम-ठामपर तस्करीबला समान सभ बिकाइत छल।
मण्डपम टीशनसँ करीब एक माइल
पैदल चलला बाद बस-स्टैण्ड भेटल आ ओतए करीब-करीब २ घन्टा प्रतीक्षाक कए हमरा
लोकनि बसमे असवार भेलौं। बसमे चढ़बासँ पूर्वे लोककेँ गाड़ीक टीशन भेटैत छेलै जइसँ
गाड़ीमे जगह सुरक्षित भऽ जाइत छेलइ। बस-स्टैण्डपर लोक टक-टकी लगा बसक प्रतीक्षा कए
रहल छल। बसकेँ अबिते लोक सभ धड़फड़ाइत ओइमे पैसए लागल आ देखते-देखते पूरा बस
ठसम-ठस भरि गेल। टोकन भेटिये गेल छल आ तँए हमरा लोकनिकेँ जगह सेहो भेटल। सनसनाइत
बस रस्ताकेँ चीरैत आगू बढ़ए लागल आ हमरा लोकनि उत्सुकतासँ दक्षिण भारतक सौन्दर्यक
अवलोकन करैत रहलौं। चारुकात केराक करजान आ नारियल-गाछक पाँति। ओइ सभमे नारियलक
खेती ओहिना बुझाएल जेना अपना सभ ओइठाम आमक अछि अथबा ओहूसँ बेसी, कारण जेमहर नजैर
दौड़ल तेम्हरे नारियरेक गाछ देखाइ।
रातिक समय छेलै तँए बहुत बेसी
दृष्यावलोकन तँ नहि भऽ सकल मुदा जहाँ बस समुद्री इलाकासँ गुजरइ तँ बेंग सबहक
कों-कॉंइ अनायासे सुनबामे आबए लगैत छल।
किछु कालक बाद हमरा लोकनि
ट्युटीकोरन नामक बन्दरगाहक लग पहुँचलौं। ओतए बस किछु कालक हेतु अँटकल आ हमरा
लोकनि कनी-मनी खेलौं। तेकर बाद फेर अन्हारे-अन्हारे बस भागए लागल आ रातुक करीब
डेढ़ बजे हमरा लोकनिकेँ एकटा फोक्सीन देखाएल। बुझाएल जेना चारुकात पानिमे ढौंसा
बेंग सभ हजारक-हजार संख्यामे हमरा लोकनिक स्वागतमे जय-जयकार करैत हो...।
धड़फड़ा कऽ हमरा लोकनि बससँ
उतरए लगलौं। यएह थिक कन्याकुमारी। भारतक स्वर्ग आ हिन्द महासागर, अरब सागर ओ बंगालक
खाड़ीक संगम स्थलपर ठाढ़ विवेकानन्दक अविस्मरणीय स्मारकक हेतु विख्यात कन्याकुमारीक
दर्शन हेतु मोन छटपटाइत छल। मुदा राति बेसी छल आ हमरा लेाकनि लगभग १२ घन्टा बसक
यात्रासँ थाकि गेल छेलौं।
थाकल-झमारल हमरा लोकनि
विवेकानन्द स्मारक शिलासँ संबद्ध विवेकानन्द लॉजमे राता-राती पहुँचलौं। ओइठामक
बेवस्था, कार्यकर्त्ता लोकनिक
सेवाक भावना ओ स्वच्छताक सविस्तार वर्णन बिना केने आगाँ बढ़ब अनुचिते होएत।
विवेकानन्द (K.V.R.M.) स्मारक शिलाक
बेवस्थाक हेतु एकटा समिति अछि जे ओइसँ सम्बन्धित ओना वस्तुक बेवस्था करैत
अछि। विवेकानन्द लॉजमे रात्रीमे ठहरबाक उत्तम बेवस्था अछि। ओइठाम चौबीसो घन्टा
स्वागत कक्ष खूजल रहैत अछि। आ दुपहरियो रातिमे ओतए असानीसँ मकानक आवन्टन कए देल जाइत
अछि। भोजनालयमे उ. भारतीय ओ द. भारतीय दुनू प्रकारक भोजन देल जाइत अछि। ओइ
भोजनालयक बेवस्था ओ स्वच्छता प्रसंशनीय अछि।
केतेको दिनक बाद हमरा
लोकनिकेँ एकबेर पुन: उत्तर भारतीय भोजन करबाक अवसर भेटल आ विवेकानन्द लॉजमे
विश्रामक बाद हमरा लोकनिक यात्राक थकान बहुत कम भऽ गेल छल।
भोरे उठि कऽ हमरा लोकनि
सुर्योदयक मनोरम दृष्य देखबाक हेतु बंगालक खाड़ीबला समुद्री भागक आस-पास
पहुँचलौं। रस्तामे केतेको लोक एहेन भेटला जे ओइ दृष्यावलोकनक हेतु दौड़ रहल छला।
ओतए लगैत अछि जेना समुद्रक निच्चाँसँ सूर्यक आगमन होइत हो। तीनटा समुद्रक संगम स्थलीपर
शक्ति सम्पन्न सूर्यक प्रात:कालीन आगमनक दृष्य केतेक मनोरम भऽ सकैत अछि ओ आखरमे
नहि उतारल जा सकैत अछि।
शतीक शिवक प्राप्तिक हेतु
तपस्या कन्याकुमारीक जइ शिलापर केलैन ओइ शिलापर एकटा उत्यन्त रमणीय मन्दिरक
निर्माण भेल अछि। ओ मन्दिर बीच समुद्रमे अछि आ ओइठाम तक पहुँचैले कन्याकुमारी स्मारक
समिति दिससँ जहाजक बेवस्था सेहो कएल गेल अछि। जहाजक शुल्क प्रति बेकती एक टाका अछि। आ भरि
दिनमे जहाज कएक बेर यात्री सभकेँ घाटपर सँ लऽ कऽ शिलाक विभिन्न भागमे ओ आपसीकाल
धरि स्वयंसेवक लोकनि जे सेवा करै छैथ से प्रसंशनीय अछि।
विवेकानन्द स्मारक शिला
मुख्यत: विवेकानन्दक स्मारक अछि। ओइठाम विवेकानन्द एकबेर समुद्रमे हेलि कऽ
पहुँचला आ २दिन धरि लगातार तपस्या करैत रहला। विवेकानन्दक अपूर्व मूर्ति ओतए
जेना सम्पूर्ण भारतवर्षकेँ उद्भोदन करैत हो। ओतए अछि एकटा ध्यान मन्दिर जइमे
लोक सभ किछु काल बैस कऽ ध्यान कए सकैत अछि।
तेतबे नहि, ओइठाम सतीक पैरक
निशान सेहो अछि ओ ओइपर एकटा पृथक मन्दिर निर्माण कएल गेल अछि। ओइ शिलापर घुमैतकाल
चारुकात समुद्रक दृश्य ओइमे जलक लगातार हिलकोर आ यात्री सबहक आश्चर्य मिश्रित
प्रतिक्रिया देखबा आ सुनवा योग छल।
आपसी-
विवेकानन्द स्मारक समिति जइ
सौन्दर्यक रचना कन्याकुमारीमे कएल अछि तइ हेतु ओ लोकनि प्रशंसनीयेटा नहि अपितु
स्तुत्य छैथ। भारतक गौरव गरिमा वा ओकर सांस्कृतिक महिमाकेँ संक्षेपमे प्रस्तुत
केनिहार ओइ स्थानकेँ नमस्कार करैत हृदयमे एक अपार आनन्दक अनुभव करैत हमरा लोकनि
बसमे असवार भऽ मदुराईक हेतु प्रस्थान कएल आ लगभग ७ घन्टाक यात्राक बाद सायंकाल
मदुराई पहुँच, एकटा होटलमे हमरा
लोकनि विश्राम कएल।
दोसर दिन भारतक प्रसिद्ध मन्दिर
मीनाक्षी भगवतीक अद्वितीय श्रृंगार देखल ओ हजारक-हजार भक्तक अपूर्व भक्ति समन्वित
पूजा-अर्चना वातावरणकेँ आनन्दमय बनौने छल। साँझमे हमरा लोकनि गाड़ीसँ मद्रास हेतु
प्रस्थान कएल आ प्रात: काल मद्रास पहुँच भरि दिन मद्रासक शहरमे रपट लगाएल।
परात भेने प्रात:काल
गंगा-काबेरीमे आरक्षण छल आ सबेर-सकाल गाड़ी पकैड़ हमरा लोकनि इलाहाबादक हेतु प्रस्थान
कएल। फेर वएह रस्ता वएह दृष्य आ धराक-धराक चलैत गाड़ी। दोसर दिन थाकल-ठेहियाएल
तथा झमाड़ल हमरा लोकनि इलाहाबाद पहुँच नि:साँस छोड़लौं।
एतबा तँ बुझाइते अछि जे हमरा
लोकनिक यात्रा समयाभावक कारणेँ किछु कष्टकर भऽ गेल, मुदा ओइ समयमे जे आनन्द
भारतक गौरवशालीक प्रतीक स्वरुप कन्याकुमारीक विवेकानन्द शिलाक दर्शनसँ भेल से
अन्यत्र नहि भऽ सकैत अछि।
कन्याकुमारी सरिपहुँ
भारतवर्षक गौरवक प्रतीक अछि।
(ई यात्रा वृतान्त ३९ बर्ख पूर्वक अछि।)