अकस्मात चलि जाएब शैलेन्द्र झाजीक
के जनैत छल जे मधुबनी
टीसनपर हम हुनका अंतिम यात्रापर बिदा कए रहल छी। मुदा नियति अपन गर्भमे सएह नुकओने
छल। ओहि दिन(२८ फरबरी २०२५) हम भोरे कारसँ श्रीमतीजीक संगे जनकपुर गेल रही। ओही
दिन दू बजे शल्लुकेँ पत्नी सहित मुम्बई जेबाक छलनि। मधुबनी टीसनसँ ट्रेन पकड़बाक
छलनि। हमरा कनीको उम्मीद नहि छल जे हम मधुबनी ताधरि वापस भए सकब। मुदा संयोग एहन
भेल जे हमसभ जनकपुर,धनुषा घुमि कए तीन बजे
धरि मधुबनी वापस आबि गेल रही। मधुबनी पहुँचहि बला रही कि हम हुनका फोन केलिअनि। ओ कहलाह-
“हमसभ अखन मधुबनीए
टीसनपर छी। ट्रेन घंटा भरिसँ बेसीए विलंबसँ चलि रहल छैक।”
हमरा से जानि बहुत
प्रसन्नता भेल। हमरा भेल जे आब हुनकासँ टीसनपर भेंट भए जाएत। वाहन चालककेँ कहलिअन-
“हमरा मधुबनी टीसने पर
छोड़ि देब।”
“ठीक छैक।”
हम श्रीमतीजीकेँ मधुबनी
डेरापर छोड़ि कए वापस टीसन पहुँचलहुँ। ओहि ठाम प्लेटफार्म टिकट लेलहुँ। दस टाका
खुल्ला नहि छल। खिड़कीपर बैसल बाबूकेँ से बात कहलिअनि।ओ कहलाह-
“कोनो बात नहि। अपने
वापसीमे टाका दए देबैक।”
ओ हमरा प्लेटफार्म टिकट
देलनि।हम तुरंत प्लेटफार्म नंबर दूपर
पहुँचि गेलहुँ। ओहिठाम शल्लु(शैलेन्द्र झा) सपत्नीक बेंचपर बैसल छलाह।संगेमे गामसँ एक गोटे आएल छलखिन।हम सभ बड़ी काल धरि गप्प सप्प करैत
रहलहुँ। फोटो सेहो खिचल गेल। करीब घंटा भरिक बाद ट्रेनक आगमनक सूचना प्रसारित भेल।
जयनगर दिससँ छुक-छुक करैत ट्रेन आबि गेल। ओ ट्रेनमे चढ़ि गेलाह। हमकिछु काल ओतहि
ठाछ़ ट्रेन दिस देखैत रहि गेलहुँ। ओ हमरा प्लेटफार्मपर ठाढ़ देखलनि आ फोनसँ कहलनि-
“आब कतेक काल ठाढ़
रहबह। ट्रेनमे हमसभ आश्वस्त भए गेल छी।आब चलबे करतैक।”
हम तकर बाद प्लेटफार्मपर
सँ बिदा भए गेलहुँ ।थोड़बे कालमे ट्रेन ससरि रहल छल। हम बाहरसँ हुनकासभकेँ देखबाक
चेष्टा कए रहल छलहुँ।मुदा से संभव नहि भए रहल छल। आखिर ट्रेन आगू बढ़ैत गेल आ
थोड़बे कालमे अदृश्य भए गेल। हमहूँ बाहर भेलहुँ। प्लेटफार्म टिकट बला खिड़कीपर जा
कए बाबूकेँ दस टाका देलिअनि आ आटोसँ अपन डेरा दिस बिदा भए गेलहुँ।
ई घटना २८ फरबरी २०२५क
अछि। शल्लु पछिला दू सप्ताहसँ गाममे छलाह। ओ एहि ठाम कैकटा पारिवारिक कार्यक्रममे
सामिल हेबाक लेल मुम्बईसँ आएल छलाह। ओ अपन गाम जेबाक कार्यक्रमक बारेमे हमरा पहिने
जानकारी देने रहथि। तेँ जखन मधुबनी हमरा जेबाक कार्यक्रम बनल तँ भेल जे हुनकोसँ
भेंट होएबे करत। पन्द्रह फरबरीक रातिमे ओ मुम्बईसँ गाम पहुँचल रहथि। सत्तरह फरबरीक
हुनकासँ फोनपर गप्प भेल। ओ गाम आबि गेल छथि से पक्का भए गेल। तखन हम प्रात भेने मधुबनीसँ
गाम पहुँचलहुँ तँ हुनका फोन केलिअनि। ओ एकटा बच्चाक संगे अपने पहुँचि गेलाह। हाथमे
एकटा बेंत लेने ओ बहुत धीरे-धीरे चलैत
छलाह। हम दुनू गोटे करीब घंटा भरि बतिऔलहुँ। तकर बाद हमसभ जीबूजी(हुनकर छोट भाए) क
बनि रहल नव मकान देखबाक लेल बिदा भेलहुँ। ओहिठाम गाछक छाहरिमे हमसभ बैसलहुँ। ओतहि
हुनको हिस्साक जमीन छनि। ओहिपर मकान बनेबाक विषयमे ओ कहलाह-
“आलोकसँ गप्प भेल छल। ओ
कहलाह जे जमीन बटा गेलै ने।आब हमरापर छोड़ दिअ।”
कहबाक तात्पर्य जे ओहो
अपना हिसाबसँ ओतए मकान बना लेताह।आर-आर बातसभ होइत रहल। किछु काल ओहि ठाम बैसलाक
बाद हमसभ वापस घर दिस बिदा भेलहुँ।रस्तामे हुनकर फोटो सेहो खिचलहुँ।ओहि फोटोकेँ
देखि कए लगैत अछि जेना ओ अनन्त यात्रापर निकलि गेल होथि। मुदा से पहिनेसँ के बुझि
सकैत छल?नियति अपन काज करैत रहैत अछि। बीचमे फेर हुनकासँ भेंट भेल। ओहि दिन हमसभ लालबच्चाक
ओहिठाम भौजी(हुनकर श्रीमतीजी) सँ भेंट करए गेल रही।ओहि ठाम युगलजी सेहो रहथि। हमसभ
बड़ी काल धरि ओहिठाम बैसल गप्प -सप्प करैत रहि गेल रही। एकटा समय छल जखन
हम,लालबच्चा आ शल्लु ओहीठाम घंटो बैसल रहैत छलहुँ। काकाजी सेहो आबि
जइतथि।गप्प-सप्प चलैत रहैत। कैक बेर भोजनो ओतहि भए जाइत छल। आब समय चक्र बहुत आगू
बढ़ि गेल अछि। ने काकजी छथि,ने लालबच्चा।हुनका लोकनिक अभाव के पूरा कए सकत? मुदा
भौजी रहथि। ओ अपना भरि बहुत ध्यान देलनि। जलखै-चाहसभ सेहो भेलैक। फेर हमसभ वापस अपन
घर दिस बिदा भेलहुँ।शल्लुकेँ हुनका घर धरि पहुँचा देलिअनि आ हम मधुबनी चलि गेलहुँ।
शल्लु २८ फरबरी २०२५ कए मुम्बई चलि गेलाह। मुदा हम मधुबनी-गामे मे
छलहुँ। गामपर काज चलि रहल छल। ओहू दिन हम गाम गेल रही। गाम पहुँचलाक थोड़ काल बाद मोबाइल खोललहुँ तँ जीबूजी(हुनकर
अनुज)क पठाओल एकटा वीडियो देखाएल। ओकरा खोलिते अवाक रहि गेलहुँ।
“ई की?”
“ई की?”
शल्लुक लास एकटा
डिब्बामे बंद पड़ल छल। ओ एहिना जीवंत लागि रहल छलाह। बात बुझि गेलिऐक। हुनकर
देहान्त भए चुकल छलनि। तुरंत जीबूजीकेँ फोन केलिअनि। ओ कहलनि-
“ओ भोरे फरीदाबाद
साढ़ूक पुत्रक बिआहमे सामिल हेबाक लेल हबाइ यात्राक लेल सामानसभ सरिओलनि।तकर बाद
किछु जलखै केलनि। ओतबेमे मोन कनी गड़बड़
बुझेलनि। ओ ई बात श्रीमतीजीसँ कहलखिन। ओ वास बेसीन लग गेलाह। हुनका रद्दमे खून
निकलि गेलनि। तकर बाद ओ ठामहि खसि पड़लाह।
जाबे केओ किछु बुझितए,किछु करितए ओ एहि दुनिआसँ जा चुकल छलाह। ई सभ एतेक जल्दी भेल
जे किछु नहि कएल जा सकल। बादमे ओ अस्पताल लए जाएल गेलाह। मुदा डाक्टर हुनका मृत घोषित
कए देलकनि।”
मोन दुखसँ भरि गेल छल।
किछु बाजल नहि होअए। तुरंत शल्लुक ओहिठाम गेलहुँ। ओहिठाम हुनकर अग्रज-नरेन्द्रजी
उदास,चुपचाप अपन घरक सीढ़ीए पर बैसल छलाह।
हम किछु काल ओहिठाम हुनका संगे अपन-अपन दुख बटलहुँ।हुनका मौन श्रद्धांजलि देलिअनि
आ अपन घर वापस चलि अएलहुँ।
एहि तरहेँ हमर वालसखा आ
आजीवन मित्रक अंत भए गेल छल। सोचल जा सकैत अछि जे ई कतेक कष्टपूर्ण अनुभव छल हमरा
लेल।मुदा कएल की जा सकैत छल? मृत्यु एकटा एहन प्रश्न अछि जकर उत्तर आइ धरि केओ नहि
ताकि सकल ,जकर प्रकोपसँ केओ नहि बँचि सकल।इएहसभ सोचि कए मोनकेँ शांत करबाक प्रयास करैत
अछि। जीवन तँ चलिते रहैत छैक,मुदा जे चलि जाइत अछि तकर स्थान सभ दिन लेल रिक्ते
रहि जाइत छैक।तकर कोनो विकल्प नहि छैक। तेँ ने जीवनकेँ क्षणभंगुर कहल जाइत छैक।
शल्लु(शैलेन्द्र झा)
हमरासँ दस मास पैघ छलाह। एहि हिसाबे ओ चौहत्तरि वर्षसँ कनी बेसीए दिन जीलाह। हुनकर
जन्म बहुत प्रतिष्टित आ संपन्न परिवारमे भेल छलनि। हुनकर बाबा स्वर्गीय कमलाकान्त
झाजी बहुत आदरणीय लोक छलाह। हुनकर आ राम बाबूक दोस्ती ओहि समयमे जगजाहिर छल। दुनू
गोटे घंटो हमरा घर लगक कोनटापर ठाढ़ गप्प करैत रहि जाइत छलाह।कखनहु राम बाबू हुनका
ओहिठाम जइतथि तँ कखनहु कमलाकान्त बाबू राम बाबूक ओहि ठाम ।शल्लुक पिता शिक्षक
रहथि। अड़ेर मिडिल इसकुलमे ओ हमरासभकेँ छठा किलासमे ज्यमिति पढ़ओने रहथि। दुर्भाग्यवश, ओ कमे बएसमे
स्वर्गीय भए गेलाह। हुनकर मृत्युक दृश्य अखनहु हमरा मोन अछि।उत्तरबरिआ कोठलीमे ओ
पड़ल रहथि,दर्दसँ परेसान।हुनकर मृत्युक समयमे जाड़क मास छलैक। हम अपन दनानपर पुआरपर बैसल रही। लोकसभ हुनका अंतिम संस्कार लेल
लए जा रहल छलनि। तकर किछुए दिनक बाद शल्लुक मैट्रिकक परीक्षा भेल रहनि। ओ ओहि
परीक्षामे प्रथम श्रेणीसँ उत्तीर्ण भेल रहथि। पिताक असमय मृत्युक बाद हुनकर
परिवारमे आर्थिक संघर्ष बढ़ि गेल रहनि। तथापि ओ आर०के०कालेज मधुबनीसँ बी०एससी(गणितमे
प्रतिष्ठा) उत्तीर्ण केलनि । तकर बाद ओ
बिना किछु अवलंबकेँ जीविकाक जोगारमे घर छोड़ि देलनि।दिल्लीमे भोगेन्द्र झाजीक
डेरापर किछु दिन रहलथि। फेर हुनके संगे मुम्बई चलि गेलाह। भोगेन्द्रजी तँ अपन
कार्यक्रमक अनुसार आगू बढ़ि गेलाह,मुदा शल्लु मुम्बईमे जमि गेलाह। ओ ओहि ठाम बहुत धैर्यपूर्वक सालो संघर्ष
केलनि। ओतहि कपड़ा मीलमे काज शुरू केलनि।बादमे ओहि मीलकेँ सरकार अपना हाथमे लए
लेलकैक। ओ क्रमशः ओही ठाम विधि अधिकारी बनि गेलाह। अपन गामक,परिवारक बहुत लोकसभकेँ
ओ नौकरी धरओलनि।अपन छोट भाए लोकनिक शिक्षा आ रोजगार लेल बहुत तत्पर रहलथि।तकरे
परिणाम भेल जे कालान्तरमे हुनकर पूरा परिवार फेरसँ हरिआ गेल। सभ भाए आ हुनकर
धिआ-पुतासभ नीक-नीक पदपर पहुँचि गेलाह।हुनकर अनुज जीबूजी तँ जिला शिक्षा अधिकारीक
पद सुशोभित केलनि।
शल्लुक प्रथम बिआह
भच्छीमे भेल रहनि। हम आ लालबच्चा ओहि
बिआहमे बरिआती गेल रही। मुदा हुनकर ओ पत्नी अपन प्रथम संतानक जन्मक समयमे गामे मे स्वर्गीय
भए गेलखिन। एहि घटनासँ शल्लु बहुत दुखी भेल रहथि। ओ बच्चा टुगर भए गेल। मुदा भगवान
जकरा रक्षा करए चाहैत छथि तकरा सभ जोगार भए जाइत छैक। शल्लुक दोसर बिआह नवकरही
भेलनि। हम ओहूमे बरिआतीमे गेल रही। हुनकर ओ पत्नी ओहि नवजात शिशुकेँ अपनो संतानसँ
बेसी प्रेम आ करुणासँ पालन केलथि। एहन अनुकरणीय उदाहरण ओ अपन जीवनमे व्यवहारसँ
प्रस्तुत केलनि। तकरे परिणाम भेल जे ओ वालक बहुत तेजस्वी आ सुयोग्य भेलाह आ संप्रति
बहुत उच्च पदपर गुड़गाँवमे काज कए रहल छथि। शल्लुक दोसर बिआहसँ दूटा कन्या आ एकटा
पुत्र भेलखिन। ओहोसभ बहुत नीक शिक्षा प्राप्त केलनि आ बढ़िआसँ व्यवस्थित छथि।
सेवानिवृत्तिक बाद
शल्लु फेरसँ करीन तीन साल विधि सलाहकारक रूपमे ओही कंपनीमे काज केलनि। ओतहि जाइत
काल एक दिन ट्रेनसँ पिछड़ि कए खसि पड़लथि । जान बँचि गेलनि,मुदा जांघक हड्डी टूटि
गेल रहनि। जेना-तेना दीर्घकालीन चिकित्साक बाद ओ बेंतक सहायतासँ चलि लैत छलाह,मुदा
दिक्कति तँ भइए गेल रहनि। स्वभावसँ आध्यात्मिक रहबाक कारण जीवनक उठा-पटकक बीचो ओ
निरंतर शांत रहैत छलाह।से शांति अंतोमे हुनकर आननपर झलकैत छल।मुम्बईमे रहि ओ
मैथिलीक गतिविधिसँ निरंतर जुड़ल रहैत छलाह। मैथिली पत्रिकाक संपादनक काज ओ बहुत
दिन धरि करैत रहलाह।आदरणीय डाक्टर धनाकर ठाकुरक नेतृत्वमे संचालित अन्तर्राष्ट्रीय
मैथिली परिषदक आनलाइन साप्ताहिक बैसारमे ओ नियमित सामिल होइत रहैत छलाह आ अधिकांश
एहन बैसारक अध्यक्षता ओएह करैत छलाह।हुनकर आकस्मिक निधनसँ धनाकर बाबू सहित कतेको
गणमान्य लोकनि अपन शोक व्यक्त केलनि।हमर
गाममे तँ ई समाचार सुनितहि लोकसभ शोकमग्न भए गेलथि। सभ एतबे कहथि-
“अखने तँ आएल
छलखिन।केहन नीक छलखिन।”
मुदा फेर ओएह बात
कहब।मृत्युक कोन हिसाब छैक। ई संसारे मृत्यु भुवन थिक।जे आएल अछि से जाएत। सही कहल
गेल अछि-
जातस्य हि ध्रुवो
मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च |
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि ||
एहि तरहेँ एकटा सार्थक,सफल परोपकारी जीवन जीबि कए शल्लु अचानक हमरासभकेँ छोड़ि चलि जाइत रहलाह।
निस्सन्देह आब सशरीर ओ हमरा लोकनिक बीचमे नहि छथि,मुदा हुनकर सफल संघर्ष गाथा
,स्नेहपूर्ण व्यवहार आ परोपकारी प्रवृति सभ दिन मोन राखल जाएत आ आगामी समयमे बहुत
लोकक लेल प्रेरणाक श्रोत बनल रहत।
।।ओम् शांतिः।।
रबीन्द्र
नारायण मिश्र
२७।०५।२०२५
शल्लुक नवकरही बिआहक रातिमे ई गीत लाउडस्पीकरपर बजाओल गेल छल।