मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025

यात्रा गामक

 

 रहिका बड़ पुरान चौक अछि।

कार तीव्र गतिसँ आगू बढ़ल जा रहल छल। सड़कक दुनू दिस हरियर कंचन खेत-पथारक अद्भुत दृश्य देखबामे आबि रहल छल। सरसौक पीयर-पीयर फूल मनमोहक लागि रहल छल। हबाइ अड्डासँ कनीके आगू बढ़लापर आधुनिक तरीकाक फ्लैटसभ देखबामे आएल।बादमे तँ एहने फ्लैटसभ मधुबनी-सौराठ रोडपर सेहो देखबामे आएल। ग्रामीण क्षेत्रो मे बास योग्य जमीन बहुत महग हेबाक कारण फ्लैट संस्कृतिके बढ़ब स्वाभाविक अछि।सी एम कालेज दरभंगामे पढ़बाक समयमे आ बादमे दरभंगामे टेलीफोन इन्सपेक्टरक नौकरीक क्रममे दरभंगा-गाम आएब-जाएब लागले रहैत छल। बेसी काल रहिका आबि दरभंगाक बस पकड़ैत छलहुँ। बसौली,केवटी,दरिमा,खिरमा,  हबाइ अड्डा होइत बस दरभंगा स्टैंड पहुँचैत छल। ओहि समयमे दरभंगा हबाइ अड्डा वायुसेनाक अधीन छल। ओतए नागरिक सेवा नहि होइत छल। हबाइ अड्डापर कारी-उज्जर रंगक एकटा झंडा फहराइत रहैत छल जे बसे मे सँ देखल जा सकैत छल।

कपिलेश्वर होइत हमसभ आब रहिका चौकपर पहुँचि गेल रही। पहिने जखन हम दिल्लीसँ गाम आबी तखन रहिका चौक जस-के-तस देखाइत छल। कोनो परिवर्तन नहि। ओएह गनल-गुथल दोकानसभ। ओतहि एकटा दोकानपर किछु मैथिलीक किताबसभ भेटि जाइत छल।मुदा एहि बेर बहुत परिवर्तन बुझाएल।चारू कात अनेक दोकानसभ पसरल छल।बीच चौराहापर एकटा स्तंभ बनल अछि।हमसभ ओतहि सुधाक दोकानसँ एक किलो माने चारिटा पाकेट पेरा कीनलहुँ आ  गाम दिस बढ़ि गेलहुँ।

रहिका-सतलखाक बीचमे एकटा बहुत पुरान धार अछि। ओतहि जखन हमसभ बच्चा रही तँ एकटा बस उनटि गेल रहैक। हमसभ गामसँ आबि कए ओ दृश्य देखने रही। अखनहु जखन हम ओहिठामसँ गुजरैत छी तँ ओ घटना मोन पड़ि जाइत अछि।सतलखासँ कनीके आगू बढ़लापर लकसैर टोल अबैत अछि। ओहिठाम एकटा कनझरनी रहैत छलि। हमसभ जखन बच्चा रही तखन ओकर बेस चला-चलती रहैक। जकरा ककरो कान,माथ दुखाइत,से ओकरासँ झड़ेबाक लेल जाइत छल।एक बेर हमहूँ बच्चामे ककरो संगे ओकरा ओहिठाम गेल रही। ओ नाक पकड़ि कए किछु मंत्र पढ़ैत छलि  आ संबंधित व्यक्तिक नाकसँ पिलुआ झड़ए लगैत छल।नीचाँमे पिलुआक पथार लागि जाइत छल। रोगी एहि     दृश्यकेँ देखि बहुत आश्वस्त होइत छल जे चलू , एतेक रास पिलुआ नाकसँ बाहर भए गेल। आब तँ चेनसँ रहब,दर्द नहि होएत। लोक नकझरनीकेँ एहि सेवाक बदलामे किछु चाउर,किंवा पाइ दैत छल,नहि तँ उधारिओ राखि लैत छल।बादमे ओ गाम जा कए बकिऔता वसूली करैत छलि।हमरा जनैत सभटा ओकर मात्र हाथक सफाइ छल।कोनो मनुक्खक नाकसँ एतेक रास पिलुआ यदि झरितए तखन ओ जीबित रहितए से संभव नहि बुझा रहल अछि।जे होइ,मुदा ओहि समयमे ओ बहुत प्रसिद्ध छलि आ ओकरा ओहिठाम कारणीसभक पाँति लागल रहैत छल।

सतलखा लकसैर टोलसँ जुड़ल छथि प्रोफसर यशोधर झाजी। हुनका मैथिलीमे साहित्य अकादमीक प्रथम पुरस्कार हुनकर पोथी’ ‍मिथिला वैभव’ लेल भेटल छल। ओ हमर पितियौत बहिनक ससुर छलाह । जखन हुनका पुरस्कार भेटल रहनि तँ ओ किछु दिनक बाद अपने हाथे मिथिला वैभव पोथी हमर पिताकेँ देने रहथिन। हम ओहि समय मैट्रिकमे रही। ओहि किताबकेँ पढ़बाक प्रयास केने रही। ओहिमे बेसी दर्शनक चर्चा बुझाएल। गाम जाइत काल हुनकर डीह देखाएल। ओहिपर एकटा पक्का मकान बनल अछि जाहिमे निरंतर ताला लागल रहैत अछि। ताला लागल एहन मकानक गामक-गाम भरमार भए गेल अछि।हम ओहि मकान दिस बड़ी काल धरि देखैत रहि गेलहुँ। ओहि डीहक भूतकालक दृश्य मोन पड़ि गेल।हम इएहसभ सोचिए रहल छलहुँ कि कार आगू बढ़ि गेल।