फसाद
भोरसँ साँझ धरि ओ
टीशनपर प्रतीक्षा करैत रहल। जए बेर गाड़ी अबैक वो सचेष्ट भए जाइत छल। आबय बला लोक
सभ दिस टकटकी लगौने रहैत छल। मुदा सभ बेर ओकरा निराशे होमए लगलैक। अन्तो-अन्त साँझमे ओ थाकल-झमारल गाम
लौटल तँ देखलक जे पलटनमाक घरवाली ओ पलटनाक माएमे मचल छलैक।लगैक जेना गंभीर विवाद भए
गेलैक अछि। आँगन आयल। मुदा दुनूमे सँ क्यो सुनए लेल तैयार नहि छलैक। मामला बढ़ैत
देखि वो गरजल। मुदा बेकार। दुनू मौगी आपसमे एक-दोसरक गड़ा गाटि देबाक निश्चय कए
चूकल छल। खवासकेँ नहि रहि भेलैक। ओ उठौलक लाठी आ पलटनमा माएकेँ लगलैक सटाक, सटाक। पलटनमाक माए
गरियबैत भागल।
मामला शान्त भेलैक।
आइ तीन साँझसँ घरमे क्यो नहि खेने छलैक। पलटनमाक अबाइ छलैक आ तेँ ओ गेल छल टीशन।
एमहर पलटनमा घरवाली मालिकक आँगनमे काज कऽ कऽ आयल छलैक। अबैत काल मालकिनी किछु देने
छलखिन तकरे बटवारा करैत-करैत सासु-पुतोहुमे विवाद पसरि गेल छलैक।
साल भरिसँ पलटनमा
बाहर कमाइ कऽ रहल छलैक। जहियासँ गाम छोड़लकै तहियासँ आइ धरि कोनो खोज-खबरि नहि आयल
छलैक। गामक बहुत लोक कलान्तरमे भोज करैत छलैक आ ओहिठामसँ सभ मास क्यो ने क्यो
अबिते रहैत छलैक। ओकरे सभसँ पलटनमाक समाचार गाममे पहुँचैत रहैक।
पुबाहि टोलक कए गोटा
पछिला मास आयल छलैक आ ओकरा दिया पलटनमा समाद देने रहैक जे आगा मास पुर्णिमा दिन
गाम आयत। मुदा नहि अयलैक। एहि बातक अंदेशा रहैक खवासकेँ। टीशनसँ घुरैतकाल ओ बड़
अछता-पछता रहल छलाह। एही गुन-धुनमे गाम आयले छल। खवास कि घरक गरम वातावरणमे आर
गरमा गेलाह। पलटनमा माएकेँ तामसपर नीक मारि पड़ि गेल छलैक आ ओ मारि खा कऽ पता नहि कतए
निपत्ता भए गेल।
खवासक कतेको पुस्त
ओही गाममे गुजर केने छल। मुदा पलटनमा गामक सीमान नांघि देलकै। पलटनमाक एहि काजसँ मालिक
सभ बड़ अप्रशन्न भेल रहैक। मुदा ओ ककरो नहि सुनलक। माए जायकाल बड़ कनैत रहैक। मुदा
की कऽ सकैत छलैक। पलटनमा कलकत्ता पहुँचते देरी काज शुरू कऽ देलक। आमदनी नीक होइक।
मुदा रखबाक लूरि नहि रहैक। संगी-साथी सभ आगत-भागत कए ओकरासँ सभटा पैसा खर्च करा
लैक।
एक दिन ओहि मीलमे
आन्दोलन भेलैक। मजदूर सभ मालिकक अत्याचारक खिलाफ अवाज उठौलक। ओहि आवाजक पलटनमाक
मोनपर बेस प्रतिकृया भेल रहैक। पलटनमा लोककेँ नारा लगबैत देखि चिकरि उठल-
“नहीं चलेगी, नहीं चलेगी, यह बैमानी नहीं
चलेगी।”
पूरा मीलमे तालाबन्दी
भऽ गेलैक। मजदूर सभ मील मालिकक घरक घेरा कए देलक। मीलक मालिक लाख कोशिश केलक मुदा
पलटनमा टससँ मस नहि भेलैक। मीलक गेटपर एक सौसँ अधिक मजदूरक संग अनशनपर बैस गेलैक।
आन्दोलन तीव्रतर होइत गेलैक। अन्ततोगत्वा पलटनमा गिरफ्तार भए गेल। ओकर संगी सभ
सेहो जहल गेल। नारा लगैत रहलैक-
“नहीं चलेगी, नहीं चलेगी...।”
ई सभ घटना अनायास भए
गेल छलैक। पलटनमा तेँ अपन रोजी-रोटीक कमाइमे लागल छल। मुदा ओकर सोनित कहि नहि
कियैक एकाएक खौल उठलैक।
पलटनमा जहल गेल मुदा
जेना एहि घटनासँ ओकर संस्कारमे अप्रत्याशित परिवर्तन आबि गेल छलैक। गामक दमघुटाउ
वो दब्बू वातावरणमे रहैत रहैत ओ मौन सभ प्रकारक प्रतारणा ओ अन्याय सहैत रहल। मुदा
एहि घटनासँ जेना ओकर अन्तरात्माक ज्वालामुखी फुटि पड़ल छलैक। ज्वालामुखी जे संघर्षक
आगिसँ अन्यायकेँ जरा देबय चाहैत छल।
जाहि दिन ओकरा जयबाक
प्रोग्राम छलैक ओहि दिन ओ पकड़ल गेल। जहलमे एकान्तमे ओकरा कहि नहि की की फुराइत
रहलैक। खवासक टुटल खोपरी आ चारूकात गामक मालिक सभहक बड़का-बड़का दलान। पण्डितजीक
बड़का दलान। दनानक अगवासमे बैसार होइक। साँझक साँझ गामक सभ प्रतिष्ठित व्यक्ति सभ
अबैत छलाह आ अपन-अपन विचार व्यक्त करैत छलाह। लहना-तकादाक हिसाव-किताब सेहो ओतहि
होइत छलैक।
बुधदिन छलैक गाममे
हाट लागल छलैक। पण्डितजीक ओहिठाम बेस बैसार भेल। पूरा गामक लोक जमा भेल छल। खवास ओतए
बुधन बाबूक किछु कर्ज छलन्हि। ओही कर्जकेँ सधयबाक हेतु बैसार छलैक। पँच लोकनि ई
फैसला केलन्हि जे खवास अपन घराड़ी बुधन बाबूक नामे कऽ देथि आ पलटनमा हुनका ओहिठाम
चरबाही करय। कारण जे घराड़ीक मुल्यसँ मात्र मूर सधैत छलैक आ सूरक तरीमे ओ चरवाही
करत। एहि निर्णयक संग ओहि दिन बैसार खतम भए गेल।
खवास आँगन पहुँचले
हेताह कि पलटनमाक माए देहरियेपर भेटलन्हि आ समाचार पुछि गरजय लागल-
“नहि जानि ई वभना सभ
की की करत। गे दाइ गे दाइ हमर घराड़ी एकरा सभ नहि देखल जाइत छैक।”
मुदा किछु ने चललैक।
दोसर दिन खवास बेनीपट्टी जा कऽ अपन घराड़ी बुधन बाबूक नामे रजिष्ट्री कए देलखिन।
रजिष्ट्री घरसँ निकलैत हुनका होन्हि जेना आँखिक डिम्मा क्यो बहार कऽ लेने हो।
सगतरि अन्हारे अन्हार।
साँझ पड़ैत-पड़ैत
खवास गाम पहुँचल। मुदा एतबेसँ बुधन बाबूक मोन नहि भरलन्हि। पलटनमाकेँ खबरि देमय
लगलखिन जे तोरा हमरा ओतय काज करय पड़तौक। हँसि कऽ कर आ कि कानि कऽ कर।
पलटनमाक मोनकेँ ई सभ
असहज लगलैक ओ दोसर दिन दुपहर रातिमे चुप्पे-चाप गामसँ पड़ाएल। पलटनमा जहलमे
पड़ल-पड़ल ई सभ सोचैत रहल मोन कहैक-
“छोड़ पलटनमा ई
रास्ता। कमो खो। की राखल छैक फसादमे। आखिर हमरा लोकनिक कै पुस्त तँ एहिना बीति
गेल। सभ अपन चैनसँ जिनगी कटलक। फेर ई आफद कियैक।”
दोसर मोन कहैक-
“नहि, नहि लड़ पलटनमा लड़।
संघर्ष केनहिसँ परिवर्तन हेतैक। आखिर अपने लेल लोक नहि जीबैत अछि। भविष्यक हेतु
भावी पीढ़ीक हेतु आधारशिला तँ वर्तमाने पीढ़ी तैयार करैत अछि किने।”
यैह सभ सोचैत रहय कि
जेलर साहेब आबि गेलखिन आ ओकर चिंतन क्रम टुटि गेलैक....।
जेलमे सात दिन बिता
चूकल छल पलटनमा। मीलक मालिक मीलमे ताबन्दी कऽ देलक आ संगे मीलमे काज केनिहार नवका
कर्मचारी सभकेँ छँटनी सेहो कए देलक। ई सभ समाचार पलटनमाकेँ जेलेमे भेटैत रहैत
छलैक।
ओहि दिन रातुक बारह
बाजि रहल छलैक। जेलर पहरेदार फोंफ काटि रहल छल। पलटनमा आ ओकर दूटा संगी जेलक
चाहरदीवारी फानि गेल। जेलमे खतराक घण्टी बाजए लागल आ चारूकात विजली जरि गेल। मुदा
पलटनमा ओ ओकर संगी नदारद। कतहुँ ओकर थाह पता नहि चललैक। पलटनमा दौड़ैत गेल। दौड़ैत
गेल आ बहुत दूर एकटा अज्ञात जगहमे जा कऽ अचेत भए गेल। ओकर दुनू संगी ओकर पछोर देने
ओतय पहुँचलैक।
दुपहर दिन छलैक। बारह
घन्टा लगातार दौड़ैत रहलाक बाद तीनू गोटे असोथकित भए गेल छल। पलटनमा अचेत छल आ ओकर
दुनूटा संगी गमछीसँ ओकरा हवा करैत छलैक।
संघर्ष, संघर्ष, संघर्ष। पलटनमा अपढ़
छल। गरीब छल। मुदा हालतसँ लड़ए चाहैत छल। ओकर सभसँ बड़का अपराध यैह छलैक। गाममे
ओकरा सन-सन सैकड़ो मजदूर ओहि हालातसँ गुजरिकए नियतिसँ सामंजस्य कऽ चूकल छल। मुदा ओ
नहि सहि सकल। तेँ गाम छोड़ए पड़लैक। शहरमे पुनश्च ओकरा असह भए गेलैक। यातना, शोषण ओ प्रतारणाक
खिलाफ नारा लगा देलकैक। मुदा आब कतए जायत! गाम छुटलैक, तँ शहर आयल। शहरसँ
पड़ा कऽ जंगल आयल। आब कतए जाय। की करय। खैर अखन तँ ई सभ सोचबाक समय नहि छलैक।
चेतनतासँ कष्ट अनुभूति होइत छैक। तकरो अखन ओकरामे अभाव भए गेल छलैक। ओ अचेत पड़ल छल ।ओकर दुनू संगी ओकरा गमछासँ हवा
करैत रहलैक।
दिन लुक-झुक कऽ रहल
छलैक। सूर्यास्तक समय करीब छलैक। पलटनमा सुगबुगेलै। पलटनमाक संगी सभ खुशी भेल।
कनी-मनी कछमछ कयलाक बाद पलटनमा फुरफुरा कऽ उठि गेल जेना किछु भेबे नहि कयल रहैक।
पलटनमा ओहि राति
जंगलेमे बितौलक। चारूकात जंगलक भयानक जानवर सभक आवाज अबैत रहल। भोर होमए पड़ छलैक। पलटनमा गंभीर चिन्तनमे लीन छल।
की गरीबक हार-काठ पाथरक बनल होइत छैक? नहि, तखन ओकरापर जनमिते समाज एहन कठोरतासँ किएक पेश होइत
छैक। एक-एक पल जीवनक हेतु संघर्षमे बीत जाइत छैक। की संसारक सौन्दर्यक आनन्द लेबाक
ओकरा कोनो अधिकार नहि होइत छैक? जीबाक हेतु प्रयत्न करैत-करैत वो मृत्यु दिश अग्रसर भए
जाइत अछि। यैह छिऐक गरीबक जीवनवृत..?
यैह सभ सोच-विचारमे ओ
छल कि कनेक दूरपर पुलिसक जीप अबैत ओकरा नजरि अयलैक। एकबेर पुन: पलटनमा अपन संगी
सभक संगे भागल।
मील मालिक पलटनमाक
पकड़बाक हेतु पुलिसकेँ जेब गरम कए देने छलैक आ पुलिस ओकरा पाछू हाथ धो कऽ पड़ि गेल
छल। पलटनमा भागिते जा रहल छल। मुदा जंगलकेँ चारूकातसँ घेर लेल गेल छलैक।
पलटनमा ओ ओकर संगी
पकड़ल गेल। पकड़लाक बाद ओकर हाथ पाछू कए बान्हि देल गेलैक ।
थानामे पलटनमाकेँ
एकटा घरमे एसगर बन्द कए देल गेलैक। प्रात भेने ओहि घरसँ पलटनमाक लाश निकललैक। कहि
नहि राति भरि ओकरा की की यातना देल गेलैक। पलटनमा आब एकटा मुर्दा छल। पोस्टमार्टम
रिपोर्टक अनुसार ओकर मृत्यु जंगलमे कोनो जहरीला जानवर द्वारा काटि लेने भेलैक।
प्रात:काल अखबारमे छपि गेलैक-
“भगोरा कैदीक लाश
जंगलसँ आनल गेल।”
पलटनमाक बाप ओहि राति
बेस पेशोपेशमे सूतल छल। प्रात: काल ओकरा एकटा तार भेटलैक।
“पलटनमा जंगलमे जानवरक
प्रकोपसँ मरि गेल। लाश लऽ जाउ।”
पलटनमाक बाप सुन्न
पड़ि गेल। शून्यतामे ओकर आँखि देखैत रहि गेलैक। पलटनमाक माए एकबेर फेर चिचिआ उठलैक
आ तुरन्त शान्त भऽ गेलैक। एक दिस पलटनमाक माए आ दोसर दिस पलटनमाक बाप निस्तब्ध, चुप, चेतना विहीन पड़ल
रहल। गामक लोक कनीकाल तमासा देखलक आ अपन-अपन काजमे लागि गेल। क्यो-क्यो कहैत रहैक-
“पलटनमा अनेरे फसाद
केलक। गाममे एतेक गोटे गुजर करैत अछि, मरि जाइत अछि। गरीबो बहुत अछि मुदा एना उजाहटि तँ
ओकरे ने छलैक आ तकर फलो तँ वैह भोगत।”