मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 30 दिसंबर 2017

घोलफचक्का



घोलफचक्का



गामक लोक की की ने देखलक। मुदा दू-चारि वर्षसँ जे सभ गाममे भए रहल छल से एकदम अप्रत्याशित छलैक। गाममे नव-नव गुलंजर रोज-रोज उठैत रहैक।

रबि दिन गाममे हाट लगल रहैक। सभ पुरुष हाट करए गेल रहए। अरूण बाबू सपरिवार गाम आएल छलाह। हुनकर भाए मोहन बाबू बेश अगरजित छलाह। मैट्रिक पास केने छलाह। ओना, खेत-पथार बहुत तँ नहि रहैन मुदा गुजर होयबामे कोनो दिक्कत नहि होइक। गाम घरक झगड़ा फड़िछाबए-मे ओस्ताद छल मुदा अपना घरक झगड़ा नहि फड़िछा पबैत छलाह। घरवाली बड्ड तेज छलखिन। गोर-नार दप-दप। बी.ए.पास केने छलखिन। बाप बड़ गरीब छलखिन मुदा बड़ विवेकी। हुनकर एक मात्र कन्या छलखिन शीला जिनक विवाह मोहन बाबूसँ भेल छलनि। मुदा विआहक बाद हुनका लोकनिक आन्तरिक मतभेद बढ़ले चल जाइत छलनि। परिणामत: शीला बड़ दुखी ओ उदास रहैत छलीह।

अरूण बाबू बहुत दिनक बाद आएल छलाह। दुनू भाए आपसमे गप्प-सप्प करैत छलाह कि क्यो स्त्रीगण रिक्सापर आएल आ ओकरा संगे दोसर स्त्रीगण घरसँ बहरायल आ रिक्सापर बैस चुप्पे चल जाइत रहैक।

किछु कालक बाद मोहन बाबू आँगन गेलाह तँ घरक जिंजीर बन्द छल। आँगन सुन्न। कतहुँ क्यो नहि। मोहन बाबू गुम्म। ने हुनका आगा सुझनि आ ने पाछाँ। की करी, की नहि करी किछु फुराइते ने छलनि। क्रमशःई गप्प सौसे गाम पसरि गेल।

ई घटना कोनो नव नहि छल। एक मास पहिने एकटा एहने घटना भेल जे पूरा इलाकाकेँ झकझोड़ि देलक। पूरबरिया गामवाली बड़ सात्विक छली। दुरागमनसँ पहिने बिधबा भए गेल छलीह। तहिआसँ आइ धरि सात वर्ष बीति गेल। मुदा कतहुँ हुनक चर्चा नहि भेल।रोज प्रात: चारिये बजे उठि जाइत छली। गामक सभ लोक सूतले रहए कि अन्हरिएमे नहा-सोना कए पूजा-पाठ करए लगैत छलीह। सम्पूर्ण शरीर तेजमय।

मुदा किछु दिनसँ दर्द दर्दक शिकायत करैत छलीह। लोककेँ होइक जे पेटमे अल्सर भए  गेलनि अछि। लाजे ओ किछु बजथिन नहि। अन्ततोगत्वा पढ़ुआ काका नहि मानलखिन। हुनका जबरदस्ती अस्पताल लए गेलखिन । डाक्टर अस्पतालमे भरती कए देलकनि। ओकरा भरती करा कए पढ़ुआ काका किछु पैसा-कौड़ी जोगार करए गाम आपस अयलाह। प्रात:काल अस्पताल पहुँचला तँ रोगीक कतहुँ पत्ते नहि। डाक्टर साहेब कहलखिन जे हुनक देर रातिमे कन्या भेलनि । पता नहि रोगी केतए चल गेलीह मुदा बच्चा सुरक्षित राखल अछि।

सौंसे इलाकामे गर्द पड़ि गेल एहि बातक।  

ओना तँ गाम-घरक लोक बेश नेम-टेमबला। मुदा बेशी लोकक  मोन सिआह । क्यो ककरोसँ कम नहि मुदा भीतरे-भीतर सभकेँ धून पकड़ने जा रहल होइक तहिना बुझैत। मुदा इलाकामे एक्के बिहाड़ि। स्त्रीगण सभ घोघ उठाबए लेल बेहाल। बेटा सभक बापक कुंजी छिनए लेल बेहाल। पुतोहु सभ सासुक गट्टा पकड़ए लेल बेहाल। घरे-घरे भिन्नक हाबा से जोरगर बहल अछि जे बयन परसैत परसैत सभ परेशान। घरे-घर कै-कैटा चूल्हा भए गेलैक अछि। खैर ई तँ जे भेलैकसे भेलैक। मुदा सभसँ आश्चर्य ओहि दिन भेल जहन पुरुषोत्तम बाबूक घरवाली हनहनायल थाना पहुँचि गेलैक। ओकरा देखए लेल चौगामका हजारो लोक जमा भए गेल। करमान लागल लोक आ तैयो दनदनाइत दरोगाजीक ऑफिसमे प्रवेश कए गेल।

दरोगाजी पुलिसकेँ आदेश देलखिनजे भीड़केँ भगा दौक आ अपने ओहि कन्याक इजहार लेबए लगलाह। सँए-बहुमे गम्भीर मतभेद भए गेल छलैक। घरवाली कनिक्को रौ सहए वाली नहि छलैक। बाते-बातमे दुनू व्यक्तिमे मारि -पीट भए गेलैक। घरवाली थानामे आबि कए एफआइआर कए देलकैक-

हमारा जान का खतरा है।

तकर बाद ओ पकड़लक रिक्सा आ मधुबनी चल गेलि । बहुत दिनक बाद सुनल गेल जे ओ एकटा छोट जातिसँ बिआह कए लेलक अछि।

गाममे ओझा-गुनी आ भगैतक चर्चा अखनो जोर पकड़ने छल। फुदरक घरवालीकेँ हाथक चाटी चलैत छलैक आ कनेक-मनेक मंत्र-तंत्र सेहो ओ जनैत छल। मुदा एहि बेर अष्टमीक दिन बेस ताल भए गेलैक। ओकर घरवाली साफे बकए लगलैक। खुलि कए देवी खेलाय लगलैक। गाम-गामक भगता आएल। मुदा ककरो बुते देवी नहि पकड़मे अयलैक। गाममे ओहि दिन पछवारि गामक ओझाजी आएल छलाह। हुनको तंत्रे-मंत्र बेस जोरगर छलनि। दौड़ल-दौड़ल लोक हुनका बजौने आएल।

ओझाजी अयलाह। अनुष्ठान भरि राति भेलैक। देवी बन्‍हेबे नहि करैक। अन्ततोगत्वा भोरुकबा रातिमे आबि कए ओ देवी पकड़मे अयलैक। गटागट बाजए लगलैक-

एक मास धरि अनुष्ठान कर। ई कर ओ कर नहि तँ सौंसे गामकेँ पीस कए धए देबौक। इत्यादि-इत्यादि...।

औ बाबू! आब तँ सौंसे गौवा ओझाजीक अनुनय-विनय करए लागल। ओझाजी अपन भाव बढ़बए लगलाह-  

हमरा तँ ओतए जेबाक अछि। ई करबाक अछि, ओ करबाक अछि। हम परसू जेबे करब। एक्को दिन नहि रूकि सकैत छी।

बड्ड मुश्किलसँ ओ रूकलाह। रोज साँझसँ देवीक अनुष्ठान घरमे शुरू होइक आ भोर धरि चलैत रहैक। ओहि अनुष्ठानक दौरान ओतए ककरो आयब मनाही छलैक। देवी रहि-रहि कए गरजै-

सभकेँ देखबौ। एक-एककेँ देखबौ...!”

फूहर बाबू बाहर दरबाजापर सभ सुनैत रहैथ आ देवीक आराधना करैत-करैत औंघा जाथि। ओमहर ओझाजी अनुष्ठानमे लीन।

अनुष्ठानक अन्तिम दिन छल। निशब्द राति। ओझाजी आ फूहरक घरवाली अनुष्ठानमे लीन। सभ क्यो औंघाइत छल। एही समयमे दुनू देवी-देवता एकाएक गायब। गामसँ पूब दिस सड़क छलैक। से पकड़ने-पकड़ने ने जानि कतए चल गेल।

भोर भेने गाममे फेर एकटा गुलंजर छुटि गेल।

गाममे आब की की ने अछि। इंजीनियर, प्रोफेसर आ बीए-एमए केर तँ गप्पे जाए दियऽ।

इंजीनियर साहेबक पत्नी। बेस अपडेट छलखिन। शहरसँ गाम पैर नहि दैत छलखिन। ओहि दिन शहरसँ कतौ बाहर यात्रापर गेल छलाह। दूध देबए वास्ते दोसर गामक लोक अबैत छलनि। ओहि दिन मेम साहेब ओकरा अन्दरे बजा लेलखिन। आ कहि नहि की की गप्प करैत रहलीह। किछु कालमे घर अन्दरसँ बन्द भए गेलैक। फेर जे ई क्रम चलल से चलिते रहल। अन्ततोगत्वा ई गप्प इंजिनियर साहेबकेँ कान धरि सेहो गेलनि। एक दिन वो एहि सभहक प्रत्यक्षदर्शी सेहो भेलाह। हुनका रहल नहि गेलनि। आ ओकरे संगे ओकरा घरसँ विदा कए देलनि ।

गामक लोक बेश टेटियाह। एकदम नियमसँ रहब आ नियमसँ जीब। भोरे उठि कए पैखाना करबसँ लए कए सुतबाक काल धरि मंत्रोच्चार करैत रहताह। गरीबक घर कोनो अधलाह काज भेल नहि कि ओकरा चट्टे बारि देताह। मुदा धनिक लेल सातटा खूनो माफ।

प्रोफेसर साहेबकेँ घरवालीसँ नहि पटलनि। तलाकक मोकदमा डायर भए गेल। घरक लोकमे सँ क्यो कनियाँक पक्षधर नहि भेलैक। तलाक पास भए गेलैक। प्रोफेसर साहेब धराक दए दोसर बिआह केलाह। ओहिसँ बच्चो भेलनि ओ ओहि बच्चाकेँ विआहो भए गेलैक।

सोचियौक कतए अछि गामक ओ सभ्यता सभ। तैयो हमरा लोकनि ठढ़का चानन करिते छी। अपनाकेँ पदनधोत बुझिते छी। धुत तोरी-के..!