शनिवार, 24 मई 2025

छोटू आटो बला

 

छोटू आटो बला

 

मधुबनीसँ गाम अबैत-जाइत हम बेसी काल साझी आटोमे बैसल रहैत छलहुँ। किशोरीलाल चौकसँ अड़ेर चौक धरिक यात्राक लेल ओ मात्र तीस टाका लैत छल।जखन कोनो सामान संगमे रहैत छल वा श्रीमतीजी संगे रहैत छलीह तखन आटो आरक्षित कए लैत छलहुँ।कहिओ काल चरिचक्कासँ सेहो जाइत छलहुँ। मुदा महग  हेबाक कारण ओकर बेसी उपयोग नहि करैत छलहुँ। ताहि लेल सीमाक आटो बला-छोटूक सेवा लैत छलहुँ। छोटू आटो बलाकेँ हमर मधुबनीक डेरा आ गामक घर देखल भए गेल छलैक। संगहि ओकरा संगे आपसी सामंजस्य सेहो भए गेल रहए। सामान्यतः ओकरा भोरे किंवा एक दिन पहिने अपन यात्राक समय बता दैत छलिऐक आ ओ समयपर उपस्थित भए जाइत छल। जखन कोनो दोकानसँ सामान कीनबाक होइत छल तँ ओतहि बजा लैत छलिऐक जाहिसँ ओकर समय खराप नहि होइक। एहि तरहेँ जरूरी  सामानसभ मधुबनी गिलेशन बाजार वा आसपासक दोकानसँ कीनि कए बहुत सुगमतासँ हम गाम लेने चलि जाइत छलहुँ।

छोटू आटो बलासँ हमर संपर्क क्रमशः बढ़ैत गेल।  ओ एकटा समांग जकाँ काज करए। अकस्मात एक दिन फोन केलापर बड़ी काल धरि घंटी बजैत रहि गेलैक। घंटी घनघनाइत रहल आ बंद भए गेल। केओ ओमहरसँ उत्तर नहि देलक। एक बेर फेर प्रयास केलहुँ।तखन ओकर पत्नी फोन उठओलनि  कहलथि-

“छोटू तँ समस्तीपुर जहलमे अछि।”

हम से सुनि बहुत चकित रही।छोटू तँ एहन लोक नहि बुझाइत छल।पातर-छितर,हँसमुख आ विनम्र युवक अछि ओ। दिन भरि परिश्रम करैत अछि। इमानदारीसँ अपन काज कए जीवन चलबैत अछि,अपन बच्चासभकेँ पढ़बैत अछि।तखन की भेलैक? ओ जहल किएक गेल? हम ई बात ओकर पत्नीसँ पुछलिऐक। ओ कहलीह-

“राँटी रेलवे गुमती लग ओकरा रेलवे पुलिस बला पकड़ि लेलकै।ओकर आटोकेँ जब्त कए लेलकै आ ओकरा समस्तीपुर जहलमे बंद कए देने छैक।”

“आखिर भेलैक की?”

“रेलवे बला पुलिस झूठ केसमे फँसा देने छैक। टक्कर मारलकै केओ आ फँसा देलकै ओकरा।”

“ओह ।ई तँ बहुत गलत भेलैक। आब की हेतैक?कहिआ धरि छुटतैक छोटू?”

“आब जखन पकड़ाइए गेल छै तँ टैम लगबे करतै।थाना,पुलिस हेतै।कहि नहि कहिआ धरि छुटतै।”

आब की करितहुँ?छोटूक रहलासँ मदति भए जाइत छलए।सामान लए गाम जाएब आसान भए जाइत छल। बीचमे आन-आन आटो बलाक मदति लेलहुँ ।ओना अपना इलाकामे आब आटो भरल अछि। मिनट-मिनटपर मधुबनीसँ अड़ेर-बेनीपट्टीक लेल आटो चलैत अछि। मुदा ओ रोड अछि खतरनाक। दुर्घटनाक समाचार अबिते रहैत अछि।असलमे सभ ततेक जल्दीमे बुझाइत रहैत अछि जे जान खतरामे कए लैत अछि,अपनहु आ यात्रीओक।मुदा कएल की जाए?

लगभग एक सप्ताह समस्तीपुर जेलमे रहलाक बाद छोटू आटोबलाकेँ जमानतिपर छोड़ि देल गेलैक। ताहि लेल ओकरा परिवारकेँ बहुत खर्चा करए पड़लैक।कर्जा लेबए पड़लैक। आखिर छोटू जहलसँ छुटि गेल। घर अबिते हमरा फोन केलक।ओकर फोन सुनि बहुत नीक लागल।हम ओकर हाल-चाल पुछलिऐक।

“आखिर भेलैक कोना?”

“की कहू मालिक? हमर कोनो गलती नहि छल। हमरासँ आगू बला टक्कर मारलकै आ भागि गेलै।हम तँ मोफतमे फँसा देल गेलहुँ।आटो से पकड़ि लेने अछि।”

“आटो किएक नहि छुटि रहल छह?की कहैत छह?”

“बहुत पाइ मांगि रहल छलै।हम से कोना दितियै।तेँ हमरा जहल पठा देलक।मुदा हमहूँ केस करबा देलिऐ घर बालीसँ।”

छोटू आटो बला सरिपहु परेसान छल। ओकर रोजी-रोटी मोसकिलमे पड़ि गेल  छलैक।ऊपरसँ कर्जा सेहो भए गेलैक।मुदा ओ हिम्मति बनओने रहल। एकटा दोसर आटो किरायापर लेलक। जी-जानसँ परिश्रम करए लागल। आब ओकर आटो पहिनोसँ बेसी चलि रहल छलैक।कहलक-

“टाइमे नै रहै छै।कतेक भारा उठेबै?दू बजे दिन धरि बारह सए कमा लै छिऐ।ओहिमे सँ तीन सए मालिककेँ होइत छै।तैओ नओ सए बँचि जाइत छै।”

छोटू आटो बला आब किरायाक रिक्सा चला रहल छल। ओकर आटो अखनहु थानामे बंद छलैक। पुलिस,कोर्टक चक्कर चलिए रहल छैक। सभकेँ चाही बहुत-बहुत टाका। छोटू से नहि दए पाबि रहल छैक।मुदा छोटू आटो बला हिम्मति नहि हारल।ओकर साहस बनल रहलैक। ओ परिश्रमपूर्वक अपन परिवारक पालन कए रहल छल।संगे कोर्ट पुलिसक चक्कर सेहो लगा रहल छल।

 नओ मई कए एहि बेरक ग्राम यात्राक अंतिम बेर मधुबनीसँ अपन गाम हम फेर ओकरे आटोसँ गेल रही। तखन धरि ओकर आटो नहि छुटल रहैक। गाम पहुँचि हम ओकरासँ बिदा लेलहुँ। तीन सए किरायाक अतिरिक्त दू सए टाका इनाम देलिऐक। कहलिऐक-

“अहाँ बहुत मदति केलहुँ। हम आब दिल्ली चलि जाएब। मुदा फेर आएब।ताधरि अहाँक आटो सेहो छुटि गेल रहत। हम सभ फेर अहाँक मदति लेबे करब। ”

छोटो आटो बलाकेँ दू सए टाका अनापेक्षित भेटि गेल रहैक ।ऊपरसँ नीक-नीक,उत्साहवर्धक  गप्प सेहो।ओ बहुत प्रसन्न छल। हमरा प्रणाम केलक , किछु-किछु पुछबो केलक ।फेर चलि जाइत रहल ,अपन जीवन संघर्षमे आगू।हम अखनो कैक बेर ओकरा बारेमे सोचैत रहैत छी। ई सोचि दुखी भए जाइत छी जे केना ओकरा सन-सन जीवन-संघर्षमे जुटल युवकसभ अनेरे परेसानीमे पड़ि जाइत छथि आ हुनका उचित न्याय समयसँ नहि भेटि पबैत छनि।से के सुनत,ककरा समय छैक एहन गरीबक बातपर ध्यान देबाक?

२२।५।२०२५