प्रतिशोध
सोचिऔ
जे सभकिछु जँ अपने मोनक अनुसार होइतैक तँ ई दुनियाँ कतेक रमनगर रहितैक? मुदा से होइत छैक? कदापि नहि ? एकसँ एक
पैघ लोक एहि प्रयासमे लागल रहलाह जे ओ जे चाहथि सएह होइक,हुनकेटा
चलनि आ जे से नहि करैत अछि तकरा तेहन दंड
देल जाए जे आओर किओ फेर तेहन गलती करबाक साहस नहि कए सकए? मुदा
रावणोकेँ से कएल नहि भेलैक । कहबी छैक जे सभकिछु ओकर अधीन भए गेल रहैक ,तइओ जखन
समय अएलैक ओ कालक अधीन भए एहि दुनियाँ सँ चलि जाइत रहल । सौंसे जिनगी ओ प्रतिशोध लैत
रहल ।लक्षमण सूर्पनखाक नाक काटि देलखिन । ताहिबातसँ अपमानित भए सूर्पनखा रावण लग पहुँचल
आ ओकरा तरह-तरहसँ एहि अपमानक बदला लेबाक हेतु उत्तेजित केलक । प्रतिशोधक आगिमे धधकैत
अहंकारी रावणक वुद्धि भ्रष्ट भए गेल आ ओ एकपर एक गलती करैत चलि गेल । सीता हरण सेहो
तैँ भेल छल । परिणाम की भेल? ओकर घरहंज भए गेल । कहबी छैक जे रहा न कुल कोइ रोवन हारा । रावणक
सभकिछु चल जाइत रहलैक । तैँ प्रतिशोध बहुत हानिकारक भावना थिक जे मनुक्खकेँ कैबेर
राक्षस बना दैत अछि आ ओ एहन काज सभ कए बैसैति अछि जे ओकरा बादमे स्वयं पश्चाताप
होइत छैक । जरुरी अछि जे समय रहिते मनुक्ख चेति जाए आ बेसी फसाद नहि करए ।
अपन शास्त्र-पुराणमे
एहन खिस्सासभ भरल अछि जाहिमे प्रतिशोध लेबाक
कारण देबता-राक्षसमे कतेको युद्ध भेल । महाभारत तँ ऐहि तरहक घटनासँ भरल अछि । द्रोपदी
दुर्योधनपर हँसि देलथि,किछु अनट बात कहि देलथि ,ताहि बातसँ अपमानित
दुर्योधन की-की ने केलक से ककरा नहि बूझल अछि । बात एहि हदधरि चलि गेल जे भरलसभामे
छल द्वारा द्युतमे पाणडवसभकेँ हरा कए हुनकर राज-पाटसभटा तँ चलिए गेल,अपितु द्रोपदीकेँ
नाङटकए आनल जेबाक प्रयास भेल । ओहिसभामे कर्ण सेहो अपन अपमानक बदला लेबएमे नहि चुकलाह
आ द्रोपदीकेँ की-की ने कहि देलखिन ,किएक? एही लेल
जे ओ हुनका संग द्रोपदी बिआह करए हेतु तैयार नहि भेल रहथि,कारण जे
रहल हो । एहन शुर-वीर लोकसभ एहन नीचतापर उतरि गेलाह कारण हुनकासभपर प्रतिशोधक भूत सबार
छल । परिणामक चर्च करब आवश्यक नहि अछि । सभ जनैत छी जे तेहन भयानक युद्ध भेल जे घरहंज
भए गेल । अहीं कहू,एहिमे के जीतल?
मनुक्खक
जखन तामस हदसँ बेसी भए जाइत छैक आ ओकरा लगैत छैक जे ओएहटा सही अछि,आनलोकसभ
ओकरासंगे अन्याय कए रहल छैक तँ ओ बदला लेबाक भावनासँ दोसर व्यक्तिक क्षति करैत अछि
। मुदा तामसेटा मे एहन काज होइत छैक से बात नहि अछि । जेना कै बेर लोक सोचि-विचारि
कए सेहो एहन काज करैत अछि जाहिसँ ओकर प्रतिद्वंदी किंवा शत्रुकेँ सबक सिखाओल जा सकए
। जे व्यक्ति ओकर क्षति केलक तकरा सूदि,मूर समेत घाटा कएल जा सकए । मूलतः
बदला लेबाक हेतु किंवा ओलि चुकाबक हेतु लोक एहन काज करैत छथि । जाहिर बात छैक जे एहन
निषेधात्मक विचारसँ कोनो शुभ नहि भए सकैत छैक ।
जीवन अछिए
कतेकटा? देखिते-देखिते लोक बच्चासँ बूढ़ भए जाइत अछि
। जौं एहि बएह्मांडक आयुसँ तुलना करी तँ हमरा लोकनि जीवन ओकर एकटा बहुत छोट क्षणक समान
अछि । एतेक छोट जीवनमे कतेक उठापटक हमसभ कए लैत छी । कै बेर तँ छोट-छोट बात हेतु अपने
लोकक हत्यापर उतारू भए जाइत छी । पुछब जे की करी,अन्याय सहि
कए जिब कोन नीक बात भेल?
एहि तरहक बहुत तर्क देल जा सकैत अछि आ सएह सभ कहि लोक आवेशमे
, प्रतिशोधपूर्ण काज करैत छति जाहिसँ अपनेटा नहि अनको दुखी करैत रहैत छथि । जीवनमे
संतुलन बनाकए रहलासँ एवम् सहनशील रहलासँ बहुत रास समस्याकेँ आसानीसँ सलटल जा सकैत अछि
। अपन उर्जाक सकरात्मक उपयोग जँ हमसभ करब तँ अपन उन्नति तँ हेबे करत बहुत रास आनोलोकसभक
उपकार कए सकब । मुदा ताहि लेल तँ क्षमाशील होएब बड़ जरुरी अछि । नहि तँ छोट-छोट बात
हेतु हमसभ दिनराति व्यग्र रहब । कमसँ कन चैनसँ तँ नहिए रहि सकब।
एहन बात
नहि अछि जे बदमास वा कम पढ़ल-लिखल लोक प्रतिशोधी
होइत छथि । अपितु एकसँ एक पढ़ल-लिखल,विद्वान आ उच्चपद आशीन व्यक्तिसभ कैबेर ततेक प्रतिशोधी होइत
छथि वा भए जाइत छथि जे जानवरोकेँ पाछा छोढ़ि दैत छथि । जौँ अपने हुनकर अहंपर कतहु चोट
कए देलिअनि तखन देखैत रहू तमाशा । जाहिर थिक जे मनुक्खक जतेक अहंकारी,क्रोधी होएत
ओकरामे प्रतिशोधक मात्रा ततेक बेसी होएत। आइ-काल्हि तँ ई हाल अछि जे मामूली बातपर गोली
चलि जाइत अछि जेना मनुक्खक जीवनक कोनो मूल्ये नहि होइक । रस्ता चलैत जँ अहाँक मोटर
साइकल कारसँ टकरा गेल तँ भए सकैत अछि जे दोसरे क्षण गोलीक आबाजसँ कान बहीर भए जाए ।
अखबार रोज एहन घटनासँ पाटल रहैत अछि । पड़ोसीसँ गाड़ीक पार्कींगपर झंझट भेल आ दोसरे
क्षण कैटा लहास देखए पड़ि सकैत अछि । कतेक दुखक गप्प थिक जे मनुक्ख जीवनक जेना कोनो
मोले नहि रहि गेल होइक । अस्तु,प्रतिशोध निश्चय राक्षसी प्रवृति थिक एवम् एकर त्याग करबेमे
सभक कल्याण अछि ।
आइ-काल्हि
छोट-छीन घटनासभ भयानक रुप ग्रहण कए लैत अछि । मामुली बातमे लोक हिंसापर उतारु भए जाइत
अछि आ जान लेब तँ जेना सामान्य बात भए गेल अछि । अहाँ जँ भोरुका अखबार उल्टाउ तँ एहन समाचारसँ पन्ना भरल रहैत अछि । आखिर
मानवमूल्यक एहन क्षरण किएक भेल? ई सभ एकदिने नहि भेल अछि । जाहि देशमे चुट्टी-पिपड़ी धरिकेँ
इश्वरक अंश मानि पूजा कएल जाइत रहल अछि ताहीठाम इश्वरक सुंदरतम कृति मनुक्खक किछु मोल नहि रहि गेल अछि । कैठाम तँ एहन देखल गेल
जे पचीस-तीस टकाक झगड़ामे आदमीक जान चलि गेल । ई महज दुर्घटना नहि कहल जा सकैत अछि
। असल बात ई अछि जे मनुक्खक देहमे लोक राक्षसक रुप धए लैत अछि ,कखन? जखन ओकरामे
निषेधात्मक प्रवृतिक बहुलता भए जाइत अछि ,जखन लोक स्वार्थमे आन्हर भए किछु
करएपर उतारु भए जाइत अछि । एहने समयकेँ लोक कलियुग कहैत अछि । अहाँ कहि सकैत छी जे
समस्या तँ बुझलहुँ मुदा सबाल अछि जे एहि परिस्थितिसँ उबरी कोना?
निश्चित
रुपसँ प्रतिशोध एकटा गंभीर समस्या अछि जकर निवारणक कोनो सर्वमान्य समाधान नहि भए सकैत
अछि कारण ई व्यक्तिक स्वभावसँ जुड़ल समस्या अछि । । व्यक्ति-व्यक्तिक स्वभाव फराक-फराक
होइत अछि । किओ कनी जल्दिए अगुता जाइत छथि तँ किओ बहुत सहनशील होइत छथि । मुदा जाधरि
हमसभ तामसक त्याग नहि करब आ व्यर्थक अहंकारसँ उपर नहि उठब ताबे प्रतिशोधक आगिमे जरिते
रहब । क्षमाशील व्यक्तिमे प्रतिशोधक भावना कम भए जाइत अछि । तेँ हेतु हमसभ जँ क्रोध,अहंकार सन-सन
निषेधात्मक भावनासँ जतेक फराक रहब,जतेक बँचल रहब, प्रतिशोधक आवेगसँ ततबे बँचब आसान भए जाएत ।
प्रतिशोधक
परिणाम कैबेर बहुत घातक होइत अछि जाहिमे घुन संगे सातुओ पिसा जाइत छथि । जापानपर बम
खसलैक तँ भने अमेरिका, ब्रिटेनसभ युद्ध जीति गेल मुदा मानवताक जबरदस्त हारि भेलैक । हजारो निर्दोष नागरिक जे युद्धमे भाग
नहि लए रहल छल मारल गेल वा अपाहिज भए गेल । आइ-काल्हि कतेको देश आओर भयानक आणविक हथिआरसभ
जमा केने छथि । जाहिर छैक जे ओहि हथिआरसँ कोनो पूजा-पाठ तँ हेतैक नहि? जखन कखनो आ जे किओ ओकर उपयोग जाहि कोनो कारण सँ करत तँ ओ नरसंहारे करत । सबाल
ई अछि जे हमसभ एतेक उन्नत सभ्यताक अंग होइतहुँ एहि दुनियाँकेँ एहि तरहक मानवनिर्मित
प्रलयसँ बचा सकैत छी कि नहि? ओ तँ तखने संभव होएत जखन एक-एक व्यक्तिमे मानवीय गुणक अधिकता हेतैक जाहिसँ
ओकर तामसी प्रवृति हल्लुक पड़ि जाइ । तखने मनुक्ख मात्रक कल्याण संभव अछि ।