आलम
हम मधुबनीक मकान बनाबएक क्रममे बहुत रास जन-बोनिहारक
संपर्कमे अएलहुँ ।सन्१९८८मे शुरु भेल मकानक काज सन्२०१४मे समाप्त भेल । तकर बादो
केकटा जरुरी काज रहबे करए । ताबे सन्२०१६मे मकान बिकाइए गेल । ओहीक्रमे हमर मित्र
श्रीनारायणजीक माध्यमसँ आलम सेहो संपर्कमे आएल रहए । ओ मधुबनीसँ सटले भौआरा गामक
रहनिहार छल । कहब जे ओकरामे कोन एहन बात चल जे अखनो ओकर चर्च भए रहल अछि । तँ सुनि
लिअ । आलम औअल नंबरक इमानदार छल । जे काजमे लागि जाएत ताहिमे भोरसँ साँझ धरि लागल
रहत । कोनो देख-रेख करबाक काज नहि ।दैनिक मजदूरीपर ओ काज करैत छल ।ठीकाक काज ओकरा
नहि सोहाइक । मुदा ताहीमे एकदिनमे ओ ततेक काज कए दैत जे सामान्यतः दू आदमी मिलिओ
कए नहि कए सकैत छल ।ओ मकानक पेणटींगक काज सेहो करैत छल । एकबेर हम अपन मकानक
रंग-रोहन करबाक हेतु ओकरा ठीकापर काज देबए चाहलहुँ । अपना हिसाबे हम ओकरा फाजिले
रेट लगा देने रहिऐक । मुदा ओकर माथमे नहि धसलैक । ओ ठीकापर काज करबाक हेतु तैयार
नहि भेल । कहलक जे ओ दैनिक मजदूरीए पर काज करत । बादमे जखन काज कतम भेलापर हिसाब
भेल तँ पता लागल जे ठीकापर ओकरा दोबर टाका भेटितैक । हम ई बात ओकरा कहलिऐक तँ ओ
हँसि कए कहैत अछि-
की करबेक मालिक । जतने भागमे रहतै ओतने ने भेटतै । से
कहि ओ हँसि देलक । एकबेर मधुबनीक मकानमे चोरी भए गेल । असलमे ओ बहुत दिनसँ खाली
रहैक । बाहर-भीतरमे कुल मिला कए आठटा ताला लागल रहए । जखन हम मधुबनी पहुँचलहुँ तँ
फटकीसँ कोनो गड़बड़ी नहि बुझाएल । मकानक मुख्य द्वारि लग जा कए देखैत छी जे ताला
खुजल लटकल अछि । मकानमे अंदर पैसैत छी तँ कोनो केबारक ताला टुटल छल तँ ककरो कुंडी
उकरल पड१ल छल । एवम् प्रकारेण कहि नहि कतेक दिनसँ मकान ओहिना खुजल पड़ल छल । एकटा
कोठरीमे हम एकटा पेटीमे किछु ओछाओनसभ रखने रही । पेटी तँ ठामहि छल । मुदा ओछाओनसभ
लापता छल । लगैत अछि ओ चोर बहुत नफीस छल । जाढ़मे सीरक,ओछाओनसभ तँ
बहुत उपयोगी रहैक,तेँ ओसभ लए गेल । पेटी तँ बहुत भारी रहैत,तेँ ओकरा छोड१ि देलक ।
मकानक ओ हाल देखि हम क्षुव्ध रही । मकानक सुरक्षाक हेतु आलमकेँ
चौकीदारीमे लगेलहुँ । ओ अपन एकटा कुटुंबक संगे रहातिमे ओतहि सुतए । हमहु दोसर
कोठरीमे रही । दिनभरि काज चलए । रातिमे
कहिओ गाम,कहिओ सासुर आ कहिओ ओतहि रहि जाइ । मुदा आलम अपन कुटुंभक संगे लगभग एकमास
ओतए रखबारी केलक ।तकरबाद ओ मकान किराया लागि गेल । हमर मोन हल्लुक भेल आ निश्चिंत
भए दिल्ली वापस
भेलहुँ । एवम् प्रकारेण बहुत दिन धरि आलमसँ संपर्क बनल
रहल । कैकबेर तँ मधुबनी पहुँचबासँ पहिनहि ओकरा फोन कए दिऐक । ओ मुस्तैद रहैत छल आ
मकानपर पहुँचितहि काजमे लागि जाइत छल ्
बादमे जखन मकान बिका गेल तखनो ओ कैकबेर हमरा फोन केलक ।
जखन ओहि मकानक नव मालिक मकानमे काज करबए लगलाह तखनो आलम हमरा फोन केलक । मुदा हम
ओकर फोनक जबाब नहि देलिऐक । भेल जे की कहबेक । आब आलमक फोन नहि अबैत अछि । प्रायः
ओ असलियत सँ वाकिफ भए गेल होएत । मुदा ओकर स्मृति हमर मोनमे ओहिना बनल अछि आ बनल
रहत ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें