मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

हम बौक छी




 


हम बौक छी


पाकड़ी गाछ तर ओ पसीना पोछि रहल छल। आगा-पाछा ओकर क्यो नहि छलैक। अगसरे छल। रोज भोरे उठैत छल आ साँझ धरि परिश्रम करैत छल। बदलामे किछु अन्न-पानि भेटि जाइ छेलैक। दुपहरियामे जहन कनेक उसास होइक तँ गामक जे पूव दिस पाकरिक गाछ छेलैक ओकरे छाहरिमे बैसि पसीना पोछय लगैत छल। दस साल उम्र ओकर हेतैक। पता नहि, कहिया ओकर माए-बाप मरि गेलैक। ओकरे संगतुरिया सभ कैटा छैक जे स्कूल जाइत रहैत छैक। माए-बाप सभ ओकरा रंग-बिरंगक कपड़ा कीनि दैत छैक। किताब कीनि दैत छैक। केहन भागबंत छैक ओकर संगी सभ। सैह सभ अर्र-दर्र ओ सोचैत रहि जाइत अछि।

पता नहि अखन धरि कतेक मालिक ओहिठाम ओ काज केने अछि। जतहि गेल ओतहि लात-जुत्तासँ स्वागत भेलैक। मुदा ओ की कय सकैत छल? पेटक सबाल छलैक। जाधरि सहि सकैत छल, सहैत छल। आ कहियो चुप्पे भागि जाइक। पाछू लागल मालिक गरजैत उठैत छलैक। जेना-तेना कऽ ओ अपन पेट पोसैत गेल। आगा बढ़ैत गेल। जीबनक एक-एक दिन एकटा उपलब्धि जकाँ बीतैत गेलैक। क्रमश: ओ जवान भय गेल। एमहर सरकार नया-नया स्कीम सभ लागू केलक अछि। गाम-गाममे बैंक सभ खुजि गेलैक अछि। एक दिन ओहो बैंक गेल आ मनेजर साहेबक आगू उचिती-विनती केलक। मनेजर साहेब ओकरा एकटा रिक्सा कीनि देलखिन्ह।

ओकरो नाम मनेजरे छलैक मुदा गामक लोक मनेजरा कहैत छलैक। मनेजरा रिक्सा चलबय लागल।रोज दससँ पन्द्रह रूपया आमदनी भय जाइत छलैक। ठाठसँ जिनगीक गाड़ी सरकय लगलैक।

मनेजर राय लिखल रहैक रिक्सापर। भोरे उठय मनेजरा आ घण्टी बजबैत दनादन निकलि पड़य। मनेजराक प्रतिष्ठा अमतटोलीमे बढ़य लगलैक। कैटा कथा सेहो ओकरा बियाहक लेल आबय लगलैक। आ अन्ततोगत्वा मनेजरा बियाह कय लेलक। गामसँ पाँच कोस पच्छिम सासुर छलैक। अमन-चैन भऽ गेल रहैक ओकर जिनगीमे। भोरे छह बजे रिक्सा लऽ कऽ विदा भऽ जाइत आ साँझमे सात बजे एक ढेरी कैंचा लेने आपस होइत। मुदा ओकर ई जिनगी बेसी दिन नहि चलि सकलैक।

सात-आठ बर्ष पहिने ओ फूल बाबूसँ दसटा टका पैंच लेने छलैक। संयोगसँ वो पैसा आइ धरि आपस नहि भय सकल छलैक। ओकर हालतमे सुधार देखि गौवा-घरूआ सभ अनेरे ओकरासँ जरय  लागल छलैक। ओहि दिन साँझमे लौटल छल। बेस आमदनी भेल रहैक। घर पहुँचले छल कि फूल बाबूक गर्जन सुनेलैक-

मनेजरा छेँ, मनेजरा छेँ?”

की है मालिक।

तों अपन हिसाव-किताव किएक नहि फड़िछा रहल छेँ।

कोन हिसाब?”

कोन हिसाब! केना बजैत अछि जेना एकरा किछु बुझले ने होइक। दस बर्ख भऽ गेलौ ओहि रूपयाकेँ। कहियो देबाक सुधि अयलौक? सुदि समेत ओकर आब पाँच सौ रूपया भऽ गेल अछि! काल्हि भोर तक रूपया चूका दे नहि तँ...।

मनेजरा तामसे बुत्त भऽ गेल। नहि सहि भेलैक ई सरासर अन्याय ओ बैमानी। तामसमे ओहो गरजय लागल-

होशमे बात करू मालिक..! बुझलौं जे बड़ रूपयाबला छी।

एतबा ओ बाजल कि फूल बाबू गरियायब शुरू केलखिन्ह। मनेजराकेँ सेहो पाइक गरमी रहबे करैक। ओ अत्याचारक प्रतिकार करब कर्तव्य बुझि गेल छल।

एहले-वैहले फूल बाबूकेँ गट्टा पकड़लक आ गर्दनियाँ दैत अपना दरबाजापर सँ भगा देलक।

फूल बाबू बेस तावमे आबि गेल छलाह। मैथिली छोड़ि हिन्दीमे गरजय लगलाह-

कल देख लेंगे। ऐसे-ऐसे कितने पाजी को मैंने ठीक किया हूँ।

जबरदस्त हल्ला गाममे बजरि गेलैक। चारूकातसँ लोक सभ दौड़लैक आ दुनू गोटेकेँ फराक कऽ देलक। फूल बाबू अर्ड़-बर्ड़ बजैत आपस अयलाह।

प्रात भेने मनेजरा पूर्व जकाँ रिक्सा निकललक। ठाठसँ ओकर सीटपर बैसल आ घण्टी टनटनबैत घरसँ विदा भेल। गामसँ बहरायल कि रिक्साक चालिकें तेज कए देलक । रिक्सा हवामे उड़य लगलैक। किछु दूर आगा बढ़लापर रस्तापर  जारनि राखल भेटलैक। मनेजरा रिक्सा रोकलक आ जारनिकेँ हटबय लागल। एतबेमे चारि-पाँचटा लठैत दन-दन कऽ दुनू कातसँ धानक खेतसँ बहरेलैक। दन-दन-दन। मनेजराक कपारपर लाठी पड़य लगलैक।

मनेजरा ठामहि खसि पड़ल। ओ लठैत सभ रिक्सा पकड़लक आ ओकरा मारि लाठीसँ, मारि लाठीसँ ओतहि खण्ड-खण्ड कय देलकैक। फेर पता नहि, ओ लंठ सभ केतय निपत्ता भऽ गेलैक। बहुत काल धरि मनेजरा एहिना अचेत बीच रस्तापर पड़ल रहल आ ओकर रिक्सा टुकड़ी-टुकड़ी भऽ कऽ बगलमे राखल रहैक। माथपर सँ खुन टपकैत रहैक आ मारिसँ सौंसे देह भुजरी-भुजरी भय गेल रहैक। धण्टा भरिक बाद एकटा रिक्साबला ओही रस्तासँ गुजरलैक।

मनेजराकेँ ओतय पड़ल देखि ओ सन्न रहि गेल। ओकरा रिक्सापर दूटा पसिंजर छलैक हुनका सभकेँ रिक्सेपर छोड़ि ओ उतरल। मनेजरा रिक्सा चलबैमे ओस्ताद भय गेल छल आ तेँ रिक्साबला ओकरा 'गुरु' कहि कऽ बजबैत छलैक। 'गुरु'क ई दशा के केलक? किछु काल धरि ओ रिक्साबला क्षुब्ध रहल। आ तकर बाद जेना ओकरा अकिलमे समटा फुराय लगलैक। धराक दय मनेजराकेँ रिक्सापर लदलक आ आपस अस्पताल दिसि रिक्साकेँ तेजीसँ लबय लागल।

मनेजरा तीनि दिन धरि लगातार अस्पतालमे पड़ल रहल। ऑक्सीजन देल गेलैक। बहुत रास दवाइ-दारू करय पड़लैक। चारिम दिन साँझमे ओ आँखि खोललक। होश अबिते अपन रिक्साकेँ खोजय लागल। मुदा क्यो किछु नहि कहलकै। मनेजरा फेर चुप्प भऽ गेल। अस्पतालमे ओकरा एक मास समय लागि गेलैक। गामपर बच्चा सभ अन्न-पानिक अभावमे मरइमान रहैक। घरवाली मालिक सभबहक आंगनमे काज कऽ कऽ गुजर करैक। मुदा जाहि दिन मनेजरा आपस अस्पतालसँ अयलैक तँ ओकर घरवाली खुशीसँ दौड़ए लगलैक।

मनेजरा घुरि तँ आयल मुदा ओकर वाया पैर नेंगराय लाल छलैक। रिक्सा थकूचल गेल रहैक। तेँ आगा कि करय से नहि फुरा रहल छलैक। घरमे दूटा बच्चा सेहो भय गेल छलैक। सभ अन्न बिना रोगा रहल छलैक। मनेजराकेँ डाक्टर मास दिन आराम करबाक परामर्श देने छलैक। मुदा घरक परिस्‍थिति देखिकय ओकरा बैसल नहि गेलैक।

मनेजरा साहस केलक आ आंगनसँ निकलल। नेरकम करय गेल रहैक। मुदा जाए तँ कतय ? टांग टुटि गेल छलैक। रिक्सा थकुचायल राखल छलैक। गाममे मात्र फूले बाबू लहनाक कारोबार करैत छलाह। की  करए? झख मारि कय फूल बाबूक ओहिठाम पहुँच गेल।

ओकरा अखन धरि नहि बुझल छलैक जे ओकर घरवाली फूले बाबूक ओतए काज करैत छैक। फूल बाबू ओकरा बेश ख्याल करैत छलखिन्ह।

ओकर घरवालीक नाम सुनरी छलैक। तेहने गुणो छलैक। मुदा सौन्दर्य गरीबीसँ दागल छलैक। फूल बाबूक कहि ने कहियासँ ओकरापर नजरि गरि गेल रहन्हि। 

मनेजरा पहुँचते फूल बाबूकेँ सुनरीसँ असगरेमे हँसी-ठठा करैत देखि लेलक। ओ कतहुँ दोगमे नुका गेल आ तमासा देखए लागल। सुनरी नै नै करैत रहलैक। मुदा फूल बाबूक आक्रमकता बढ़ले गेलन्हि। एहिसँ आगू मनेजराकेँ देखबाक शक्ति नहि रहि गेल रहैक। प्रत्याक्रमणक सामर्थ्य नहि रहैक। तेँ ओ चोट्टे घुरि गेल आ घरमे आबि कऽ धराम दऽ खसल। किछु बाजल नहि होइक।ओ बौक भए गेल।

२५.१०.१९८४

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