ब्रह्मस्थानक
इसकूल
जीवनक किछु
घटना मोनपर अमिट निसान बना दैत अछि ,जे रहि-रहि कए मोन
पड़ैत रहैत अछि । जकर प्रभाव संपूर्ण व्यक्तित्वपर परैछ । एहने घटना छल हमरसभक नेन्नामे
गामक ब्रह्मस्थानक इसकूल गेनाइ।
गाममे सभसँ पछबारी कात पोखरिक भीरपर पीपरक गाछ छल।
ओ गामक ब्रह्म बाबा छलाह आ छथिहो । अखनो ओतए लोकसभ कबुलाक बाद दुधक ढार दैत अछि । सालमे
एकबेर ओतए महादेवक पूजा होइते अछि । आब तँ नबाह सेहो प्रायः सभसाल होइत अछि। कालक्रमे
ओहिठाम काली मंदिरक निर्माण भए गेल अछि । दीयाबातीक दिन ओतए बेस धूमधामसँ कालीक पूजा
कएल जाइत अछि । पहिने ओहिठाम खोपड़ीमे एकटा इसकूल चलैत छल जाहि मे गामभरिक नेन्नासभ
प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करैत छल । ओ इसकूल स्वर्गीय पण्डित अदिष्ट नारायण झा(बच्चू
बाबू) व्यक्तिगत रूपसँ चलबैत छलाह । ओहि इसकूलक
जतेक प्रशंसा कएल जाए से कम होएत ,कारण ओकरे बदौलत हमसभ शिक्षाक प्रथम अध्याय पूर्ण कए सकलहुँ
।
गामक तीस-चालिसटा नेन्नासभ ओहि इसकूलमे पढ़ैत छलाह
। एक-एक विद्यार्थीपर मास्टर साहेबक नजरि रहैत छलनि । कोनो विद्यार्थी जँ पढ़ाइमे कोताही
केलक किंवा इसकूलमे कोनो अनुशासनहीनता केलक तँ ओकर सिकाइत माता-पिता धरि अवश्य होइत
छलैक मुदा विद्यार्थीक शारीरिक दण्ड देबाक प्रथा ओतए नहि छल ।
हमरा मोन
पड़ैत अछि जे एकदिन हम इसकूल नहि गेल रही । ओहि समय हम दूसरा वा तीसरा किलासमे रहल होएब । मास्टर साहेब इसकूलक चारिटा विद्यार्थीकेँ
हमरा आनबाक हेतु पठओलथि । इसकूलक विद्यार्थी हमरा लेबए अएलाह अछि,से जानि
हम बारीमे केराक गाछसभक बीचमे नुका गेल रही । फेर हमरा ताकल गेल आ ओ सभ लादि कए हमरा
इसकूल लए गेलाह । रस्ताभरि ओ सभ हमरा रहि-रहि कए बिठुआ कटैत रहलाह ,जाहिसँ हम
परेसान होइत रहलहुँ । ओ सभ हमरा ओना लादि कए
किएक लए गेलाह से नहि बुझि रहल छी । भए सकैत अछि जे हम ओना जेबासँ मना कए देने होइऐक
। पाछू-पाछू हमर बहिन गेल रहथि जाहिसँ मास्टर साहेब हमरा मारथि नहि । जे-से, मुदा ओ घटना एखनधरि हमरा मोनमे गड़ल अछि।
ब्रह्मस्थानक
ओहि इसकूलमे मात्र एकहिटा शिक्षक छलाह-बच्चूबाबू(स्वर्गीय पण्डित
अदिष्ट नारायण झा ) । कतेक नियम-निष्ठासँ ओ नेन्नासभकेँ पढ़बैत
छलाह तकर वर्णन करब मोसकिल । भोरे प्रार्थनासँ इसकूलक कार्यक्रम प्रारंभ होइत छल ।
विद्यार्थीसभक हाजिरी लेल जाइत छल । एकहि खोपरीमे चारिटा किलास कोना चलैत छल आ एक्केटा
मास्टर एकहि संगे चारू किलासक नेन्नासभकेँ कोना सम्हारैत छलाह से सोचि आश्चर्य लगैत
अछि । मुदा एतबा मोन अछि जे हमसभ इसकूलमे निरंतर व्यस्त रहैत छलहुँ । कोनो प्रकारक
अनुशासनहीनताक सबाले नहि छल । कहिओ काल गीत-नाद सेहो होइत छल । इसकूलसँ छुट्टीक पहिने
खाँति सामुहिक रूपसँ सभ विद्यार्थी दोहरबैत छलाह। निरंतर चलैत एहि अभ्याससँ हमरासभक
खाँति कंठाग्र भए गेल छल जे आगा चलि कए अंकगणितमे बहुत सहायक भेल ।
इसकूलक महत्वपूर्ण
कार्यक्रममे छल-शनिदिनक शनिचरीक कार्यक्रम । सभ विद्यार्थी अपन-अपन घरसँ अरबा चाउर
अनैत छलाह,गुंड़ अनैत छलाह आ इसकूलमे ओकरासभकेँ पानिमे
फुलाकए पूजाक हेतु प्रसाद बनाओल जाइत छल, तकर बाद पूजा कएल जाइत छल । एकमुठ्ठी पूजाक प्रसादक सभ विद्यार्थीकेँ देल जाइत
छल । इसकूलक सभविद्यार्थीक एहिमे सहभागिता रहैत छल । ओहिदिन इसकूलक चहल-पहल देखएबला
रहैत छल । आब सोचैत छी जे एतके छोट कार्यक्रम आ एतेक कम लागतमे केना विद्यार्थीसभ एतेक
आनंन्दित होइत चलाह,उत्सव मनबैत छलाह? एकटा
आओर जे मनोरंजक कार्यक्रम होइत छल से गणेश चतुर्थीक अवसरपर विद्यार्थीसभ द्वारा गाममे
घुमि-घुमि कए ठाम-ठाम "गणेशजी,गणेशजी करे कराम...करैत पूजाक हेतु
चंदा एकठ्ठा करब । धियापूताक मोन -कोनो कनीकोटा नव बातमे सभ प्रशन्न
भए जाइत छल । आइ-काल्हि जकाँ बेसी सुविधा संपन्न आ अपेक्षाबला समय तँ रहैक नहि । तैँ
जएह-सएहसँ बच्चासभ आनंदित भए जाइत छल ।
आइ -काल्हिक
सुविधा संपन्न इसकूलक हिसाबे तँ ब्रह्मस्थानक ओहि इसकूलमे किछु नहि रहैक । घरक नामपर
एकटा फूसक खोपड़ी रहैक । बैसबाक हेतु माटि रहैक । खेलेबाक हेतु सेहो पर्याप्त जगह नहि
रहैक । ओहि इसकूलमे मास्टरकेँ लिखबाक हेतु
बोर्डो नहि छल । कोनो पुस्तकालय नहि छल । अभिवावकसभ सेहो शुभानअल्ला। के पढ़ि रहल
अछि,के नहि ,नेन्ना इसकूल गेल कि नहि तकरो साइते ध्यानमे रहैक । तखन रहैक कि जे ओ इसकूल सालक
साल चलैत रहल आ कैटा बहुत प्रतिभाशाली व्यक्तिक सृजन केलक? ओहिमे छलैक एकटा अद्भुत व्यक्तित्वक शिक्षक-बच्चूबाबू। साधारण लिबासमे , हाथमे एकटा डायरी लेने ओ नित्य समयपर इसकूल पहुँचि गाम-घरक नेन्नासभमे ज्ञानक ज्योति
जगबैत रहैत छलाह। हमरा मोन नहि पड़ैत अछि जे ओ कहिओ कोनो विद्यार्थीकेँ मारि-पीट केने
होथि,प्रताड़ित केने होथि । कहि ने हुनकर बातमे कोन जादू छल जे नेन्नासभक मोनकेँ घींचि
लैत छल । खेल- खेल मे चारि किलास हमसभ मात्र दूसालमे पास कए गेल रही । शिक्षाक प्रति एहन समर्पण आइ-काल्हि डिबिआ लए कए ताकब तँ नहि भेटत। दुखक बात अछि
जे एहन समर्पित व्यक्तिकेँ समाजसँ किछु नहि भेटल । ओ एकतरफा अपन काजमे लागल रहलाह जाहिसँ
गामक कतेको विद्यार्थीक जीवन बनि गेल जाहिमे हमहु सामिल छी ।
जा धरि बच्चू
बाबू अपन प्रयाससँ इसकूल चला सकलाह ताबे ओ
इसकूल चलल । बादमे आर्थिक विवशतासँ मजबूर भए ओ गाम छोड़ि कलकत्ता चलि गेलाह । ओ इसकूल
टुटि गेल । नेन्नासभ आस-पासक दोसर इसकूलसभमे चलि गेल । बादमे ओ गाम घुरि अएलाह । तखन
गामक संस्कृत विद्यालयमे शिक्षक भए गेलाह । मुदा दुर्भाग्यक बात जे ओहि संस्कृत विद्यालयमे
विद्यार्थीसँ बेसी मास्टरे छलाह आ खानापूरीक हेतु जहाँ-तहाँसँ विद्यार्थीक नाँओ लिखि
देल जाइत छल । विद्यार्थीसभ कै बेर उत्तरमध्यमाक साटीफिकीट लेबाक हेतु ओहि ठामसँ परीक्षाक
फार्म भरैत छलाह आ पासो भए जाइत छलाह । कहि नहि आब ओहि संस्कृत विद्यालयक की हाल अछि?
इसकूलमे
विद्यादानक अतिरिक्त गाम-घरमे होबएबला पूजा-पाठमे सकृय रहैत छलाह । कोनो शुभ काजक हेतु
दिन तकेबाक होअए तँ बेसी लोक हुनके ओतए जाइत चल कारण ओ बहुत व्यवहारिक रुखि रखैत छलाह आ दिन तकबामे ग्रह,नक्षत्रक
संगहि लोकक सुविधाक पर्याप्त समावेश करैत छलाह । कोनो विषयपर वाद-विवादमे अपन पक्ष
बहुत जोरदार ढ़ंगसँ रखैत छलाह । एकबेर हमर गाम अरेरक उच्चारण की सही अछि ताहि विषयपर
हुनका चौकपर जबरदस्त वाद-विवाद करैत देखने रहिअनि जे अखनो मोन पड़ैत रहैत अछि। सही
मानेमे ओ वहुआयामी व्यक्तित्वक बहुत विनम्र आ विद्वान व्यक्ति छलाह जे जीवन पर्यन्त
कोनो-ने-कोनो रूपमे समाजक सभदिन सेवा करिते रहलाह ।
दूसाल पूर्व
माऐक श्राद्धक कर्म करबाक हेतु हम ब्रह्मस्थान जाइत छलहुँ । बेर-बेर पुरना समय मोन
पड़ैत छल। आब समय बदलि गेल । गामक ब्रह्मस्थानमे काली मंदिर बनि गेल । लगीचेमे सरकारी
प्राथमिक विद्यालय खुजि गेल । ओहिमे कैटा मास्टरक बहाली भेल अछि । गामक कतेको विद्यार्थिसभ
ओहिठाम पढ़ैत छथि । सरकारी योजनाक तहत ओहि विद्यालयमे दुपहिरआक भोजन सेहो भेटैत अछि
। तथापि आब ने ओ रामा ने ओ खोटाला । एतेक सुविधाक अछैतो ओहिठाम ओ चुहचुही नहि बुझाएल
। अफसोचक बात अछि जे लोक
सभ बच्चूबाबू सन परोपकारी विद्वानक किछु नहि
कए सकल। से जे होइक मुदा हुनकर उपकारसँ हमहीटा नहि,अपितु ओहिसमयक अनेको विद्यार्थीक
जीवन बनि गेल । से सभ हुनका कहिओ नहि बिसरि
सकत । हमरा अखनो मोन अछि जे वृहस्पतिदिन कए हमर दरबाजापर ओ हमरा भट्ठा धरओने रहथि।
हमर माता-पिता सहित पितामह ताहि समय ओतए रहथि आ कतेक प्रशन्न भेल रहथि । एहन महान विभूतिक
स्मृतिकेँ सत-सत नमन!
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