मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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गुरुवार, 10 जनवरी 2019

अपसकुन आ अंधविश्वास


अपसकुन आ अंधविश्वास



ओना समाजमे बहुत बातमे बहुत परिवर्तन भेल अछि । आधुनिक विज्ञान जीवक अर्थे बदलि देलक अछि । घरे बैसल दिल्ली,पटना आ कतए-कतएक दृष्यसभ सद्यः देखल जा रहल अछि । मोबाइल फोन कि आबि गेल, सौंसे  दुनियाँ लोकक पाकिटमे  सीमटि गेल अछि । एकटा समय छल जे लोक रातिमे एगारह बजे फोनक बूथपर जा कए सस्त फोन करैत छल । आओर आब की हाल अछि?  फोन तँ लगभग  मुफ्त भए गेल अछि । एतेक तरहक बात भेल हछि मुदा  लोकक मानसिकता खास कए ग्रामीण क्षेत्रमे ओहिने अछि । अखनो जँ घरसँ निकलैत काल किओ छीक देलक तँ लोक आपस ई कहि कए भए जाइत अछि  जे अपसकुन भए गेल। जँ बिलारि रस्ता काटे देलक तँ लोक आगा नहि बढ़त,आपस भए जाएत । एहने प्रकारक कतेको प्रकारक मान्यता अछि जे गाहे-बगाहे समाजमे ओहिना जड़ि जमओने अछि ।
अपसकुनक मान्यताक आधार की अछि से कहब मोसकिल । मुदा  ई तँ तय अछि जे परंपरासँ आबि रहल मान्यता थिक जकर कोनो वैज्ञानिक आधार नहि ताकल जा सकैत अछि । जेना अहाँ आगा बढ़लहुँ आ पाछासँ किओ टोकि देलक तँ मोनमे अपसकुनक भय होमए लगैत अछि । तहिना जँ बिलारि बामासँ दहिना रस्ता काटि देलक तँ लोक ओकरा अशुभ मानए लगैत अछि । जँ कतहुँ जेबासँ पहिने छिक्का भए गेल तँ कनी काल लोक ठहरि जाएत तखने आगू बढ़त । एहि तरहक अनेको मान्यता लोकक मोनमे बैसल छैक जे मूलतः अंधविश्वासपर आधारित लगैत अछि ।
जहिना अपसकुनक चर्चा होइत अछि तहिना सकुनोक अपन स्थान छैक। किछु घटना विशेषसँ एकरा लोक जोड़ि दैत अछि । जेना जँ कतहु यात्रापूर्व किओ जल भरल कलश लए सामनेमे ठाढ़ छथि तँ एकरा शुभ मानल जाइत अछि । यात्राक समय जँ नीलकंठ देखा गेल तँ ओ मंगलकारी मानल जाइत अछि । कतहु जेबासँ पहिने दही खेनाइ शुभ भेलैक । एहि तरहेँ नाना प्रकारक किंवदंती कहू,अंधविश्वास कहू, लोकमे प्रचलित अछि जकरा गाहे-वगाहे लोक अनुसरणो कए रहल अछि ।
बात जँ एतबे धरि रहैत तखन तँ कोनो बात नहि । जकरा जे नीक लगैक, करए । मुदा कै बेर इहो देखल जाइत अछि जे एहि तरहक अंधविश्वासक कारणे कैटा निर्दोष लोक तबाह भए जाइत छथि । कैटा विधवा अकारण सामाजिक अपमान ओ प्रतारणाक शिकार भए जाइत छथि । कै बेर तँ एहन पटिदारी प्रतिशोधक कारणसँ कएल जाइत अछि । जौँ ककरो परेसान करबाक अछि वा कोनो ओलि चुकेबाक अछि तँ ओकरा डाइन घोषित कए दिऔक। तकरबाद तँ ओकर जिनगी नर्क भइए कए रहत । काने-कान सौंसे गाममे ई बात फैल जेबामे कोनो समय नहि लगैत अछि । अकारण अंधविश्वास वा शंकाक कारण  निर्दोष लोक अपमानित होइत रहैत छथि । काज-तिहारमे हुनका नहि बजाओल जाइत अछि आ जँ गेबो केलीह तँ किओ हुनका उचित संमान नहि दैत अछि । किो हुनका हाथे चाह-पान नहि लेत। हुनका ओहिठाम जलखै नहि करए चाहत । जौं ओ आङन आबि गेलीह तँ हंगामा भए जाएत । छैक ने जुलूम?
अपसकुनक कोनो हाथ-पैर नहि होइत अछि । ई लोकक मोनमे बसैत अछि आ तकर निवारण मोनेमे भए सकैत अछि । कतहु-ने-कतहु मनुक्खक अज्ञानता सेहो एकर कारण अछि । असलमे लोकक मोनमे अनेरे सक रहैत छेक किंवा भए जाइत छैक जे ई करब तँ ओ भए जाएत ,आदि,आदि । जीवनक प्रति वैज्ञानिक रुखि भेनहि एहि तरहक अंधविश्वाससँ मुक्ति दिआ सकैत अछि । अपसकुनक जड़ि अंधविश्वासमे होइत अछि । कै बेर पढ़ल-लिखल लोकसभ सेहो एकर चपेटमे आबि जाइत छथि। जखने हम ककरोपर आंखि मूनि कए विश्वास करए लागब तँ एहन समस्या उतपन्न भए जेबाक पूरा संभावना रहैत अछि । तेँ जरूरी अछि जे हम कोनो बात, चाहे ओ केहनो पैघ आदमी ने कहने होइ,तखने मानी जखन अपन मोन तकर स्वीकृति दिअए । कहक माने जे अपन आँखि-कान खोलि कए राखब जरूरी अछि नहि तँ कखनो खत्तामे खसि सकैत छी ।
सामान्यतः ई देखल जाइत अछि जे गाम-घरमे जँ ककरोसँ झगड़ा भेलेक किंवा दिआदी कुन्नह भेलेक तँ ओकरा घरक महिला केँ डाइन घोषित कए देत । तरह-तरहक खिस्सासभ गढ़ि देत । "हुनका तँ अष्टमीक रातिमे नङटे नचैत देखलिअनि ,ओ तँ सावर मंत्र सिद्द कए लेने छथि,जँ हुनका हाथे चाह पीब तँ गेले घर छी, हे आर जे करब से करब हुनकर नोत नहि मानब ,आदि,आदि । मुदा एहिसभक पाछा आओर किछु  नहि अपितु ओहि महिला किंवा ओकर परिवारसँ ओलि चुकाएब मूल लक्ष्य रहैत अछि । एकबेर जे किओ डाइन घोषित भए गेल तखन ओकरा सालक साल एहि अपमान आ अघोषित सामाजिक  बहिष्कारक सामना करए पड़ैत अछि । एहि तरहक अनेको घटना गाम-घरमे  घटित होइत रहैत अछि,निर्दोष लोक अकारण प्रताड़ित होइत रहैत छथि आ तकर कोनो निराकरण नहि भए पबैत अछि ,कारण लोकक मोनमे कतहु-ने-कतहु अपनो डर पैसल रहैत छैक-"की पता बात सहिए होइक?"
गाम-घरमे अखनो झाड़-फूकक  खूब चलन अछि । ककरो साँप कटलक आ लोक चटिबाहकेँ पकड़ि अनैत अछि । ओ चटिबाहो चाटी चलबए लगैत अछि । जकरा जीवाक भेलेक से जीवि गेल,मरकबाक भेलेक,मरि गेल । ई एकटा संयोगे होइत अछि । जँ ढोंढ़ कटलक तँ जीबि जाएत ,जँ गहुमन वा एहने कोनो विषधर साँप केठलक तँ गेल घर छी । आब ई सभ जनैत अछि जे साँपक डाक्टरी इलाज भए सकैत छैक,तरह-तरहक दबाइक निजात भेल अछि मुदा सभठाम,सदिखन ओ उपलव्धो नहि रहैत अछि,फेर अधिकांश लोक अखनो पुरने अंधविश्वासकेँ धेने अछि । पहिने गाममे जँ ककरो किछु चोरी भए गेलैक तखनो चटबाहकेँ बजाओल जाए,बट्टा चलैक आ ओ एमहर-ओमहर घुसकए लगैक ,किंवा घुसकाओल जाइक आ कहल जाइक जे चोर ओही बाटे भागल अछि । ततबे नहि,कै बेर निर्दोष लोकक नामो लगा देलि जाइक । यद्यपि समय बहुत बदलल अछि मुदा अखनो लोकक कै बेर गंभीर बिमारीक इलाजक हेतु एहन झाड़-फूक करबए पहुँच जाइत छथि । हमरा अधीनस्थ एकटा चतुर्थ श्रेणीक कर्मचारी कै माससँ कार्यालयसँ अनुपस्तित रहैत छलाह । एकदिन अचानक ओ हाजिर भेलाह । हम पुछलिऐक॒-"एतेक दिनसँ कतए छलह?"

"सर! ऊपरी हवा लागि गेल छल । बहुत प्रयास केलहुँ मुदा जाने नहि छोड़ैत छल।"

अहीं कहू एहन लोकक की कएल जा सकैत अछि? भए सकैत अछि जे ओ भगल केने होइक,वा सहिएमे अंधविश्वासक शिकार रहल हो। एहि तरहक घटना तँ होइते रहैत अछि । लोकक मोनमे गड़ल अंधविश्वासक कम हेबाक नामे नहि लैत अछि ।
अपसकुनसँ बचबाक हेतु लोक तरह-तरहक अंधविश्वाससँ ग्रसित भए तकर निवारणक तरह-तरहक प्रयास करैत छथि । कतेको गोटे तांत्रिकसभक ओहिठाम पहुँचि जाइत छथि आ कतेको तरहक दुर्गतिमे पड़ि जाइत छथि । अपनासभमे कोनो काज करबका हेतु दिन तकेबाक प्रथा अछि । कतहि कोन दिन जाइ ,कखन जाइ,अधपहरा देखि कए जाइ ,एहि तरहे तरह-तरहक विध-विधानक कारण लोकक समय ओ शक्तिक नष्ट तँ होइते अछि संगहि समाजमे एकटा गलत संदेश सेहो जाइत अछि । आब ई समस्या कम भेल अछि जरूर मुदा अखनो समाप्त नहि भेल अछि । एहि प्रसंगेमे एकटा सरदारजी सँ भेल बातक उल्लेख करैत छी । गप्प-सप्पक क्रममे एकदिन ओ कहलाह जे हुनकासभमे बिआह रविदिनक दूपहर बारह बजे गुरुद्वारामे होइत छेक । ताहि लेल फराकसँ कोनो शुभदिनक प्रतीक्षा नहि कएल जाइत छेक । जँ नीक दिने बिआह केलासँ जीवन सुखी रहैत तँ किओ सरदार जीबे नहि करैत। हुनकर ई बात बहुत वैज्ञानिक बुझना जाइत अछि । हम ई नहि कहैत छी जे अपन आस्थाक प्रश्नपर विवाद ठाढ़ करू, मुदा व्यर्थक बातसभ जेना अपसकुनक भय  किंवा किंवदंतीक आधारपर अंधविश्वाससँ अपना आ आस-पासक समाजकेँ मुक्त करू । एहिसँ निश्चय जीवन बेसी अर्थपूर्ण होएत ।

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