मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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रविवार, 13 जनवरी 2019

कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न


कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न



देशक लगभग आधा जनसंख्या महिला अछि । कोनो देश अपन आधा जनसंख्याकेँ मुख्यधारामे सामिल केने बिना समुचित विकास नहि कए सकैत अछि । निश्चय समयक संग बदलैत परिवेशमे महिला सशक्तीकरणक आवाज जोरसोरसँ उठैत रहल अछि तथापि व्यवहारमे ओ बात नहि आबि सकल जे हमर संविधानक निर्माता समानताक अधिकारक व्यवस्था करैत काल सोचने होएताह । तकर कतेको कारण भए सकैत अछि । शिक्षासँ लए कए नौकरी धरिमे भेदभाव होइत रहल अछि । कैठाम तँ एकहि काज करबाक हेतु महिला कर्मचारीकेँ कम वेतन देल जाइत रहल अछि । एहि तरहक तमाम असुविधाक अछैत महिला लोकनि जँ काज करितो छथि तँ कार्यस्थानपर तरह-तरहक परेसानी होइत रहल अछि । तकर सिकाइतो होइत रहल अछि । मुदा कानूनमे एहन कोनो व्यवस्था पहिने नहि छल जे महिलाक  यौन उत्पीड़नक मामिलाकेँ अपराधक श्रेणीमे राखैत आ  एहन परेसानीक कानूनी निवारणक हेतु भारतीय दंड संहिता 1860क धारा 354 एकमात्र विकल्प रहि जाइत छल । 3 अप्रैल, 2013 सँ लागू आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 क द्वारा भारतीय दंड संहितामे धारा 354A,354B,354C, आ354D जोड़ल गेल अछि जाहिसँ  यौन अपराधकेँ अलग श्रेणीमे राखि  तकर व्याख्या तँ कएले गेल अछि संगहि तकरा हेतु तीनसँ सात सालधरिक जहल आ जुर्मानाक दंड देल जा सकैत अछि ।
माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा   विशाखा बनाम राजस्थान राज्य ((JT 1997 (7) SC 384),क मामलामे कामकाजी महिलाक कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न रोकबाक हेतु  आ दोषी व्यक्तिकेँ दंडित करबाक हेतु विस्तृत दिशा निर्देश जारी केलक । तकर बादे साल 2013 में कार्यस्थल पर महिलाक  यौन उत्पीड़न अधिनियम केँ संसद द्वारा पारित कएल गेल छल।  जाहि संस्थामे दससँ अधिक लोक काज करैछ ओकरापर ई अधिनियम  लागू होइत अछि    कानून कार्यस्थल पर महिलाक यौन उत्पीड़नकेँ अवैध घोषित केलक अछि ।  यौनउत्पीड़न के विभिन्नप्रकारकेँ चिह्नित  केलक अछि, आ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़नक स्थिति मे सिकाइत आ तकर निवारण करबाक व्यवस्था केलक अछि। एहि कानूनमे निस्तारणक हेतु जरूरी नहि अछि जे महिला ओहीठाम काज करैत हो जतए एहन घटना भेल । कार्यस्थल कोनो कार्यालय/दफ्तर भए सकैछ,चाहे ओ  निजी संस्थान हो वा सरकारी।  
माननीय उच्चतम न्यायलय विशाखा बनाम राजस्थान राज्य ((JT 1997 (7) SC 384),क मामलामे कामकाजी महिलाक कार्यस्थानपर यौन उत्पीड़न रोकबाक हेतु  आ दोषी व्यक्तिकेँ दंडित करबाक हेतु निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी केलक-
नियोक्ताकेँ ई कानूनी दायित्व अछि जे कार्यस्थानपर कोनो कामकाजी महिलाकेँ यौन उत्पीड़नसँ वचाओल जाए आ जँ एहन घटना भइए जाइत अछि तँ तकर उचित निदान करबाक एवम् दोषी व्यक्तिकेँ दंडित करबाक त्वरित आ सही व्यवस्था करए । ताहि हेतु यौन उत्पीड़नक निम्नलिखित व्याख्या कएल गेल-

१.शारीरिक संपर्क आ छेड़खानी,

२.यौन संपर्क हेतु आग्रह,

३.कामुक गप्प-सप्प,

४.अश्लीलतापूर्ण चित्र आदिक प्रदर्शन,

५.कोनो प्रकारक शारीरिक, मौखिक वा गैर मौखिक व्यवहार,

आंतरिक सिकाइत समिति:

कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध, और निवारण) अधिनियम, 2013क धारा 4 के तहत प्रत्येक नियोक्ताकेँ ई कानूनी दायित्व अछि  जे ओ अपना ओहिठाम आंतरिक सिकाइत समितिक गठन करए । दस वा एहिसँ अधिक कर्मचारीकेँ काजपर रखनिहार मालिक नियोक्ता एहि कानूनी दायित्वक निर्वाह करबाक हेतु वाध्य छथि अन्यथा हुनका पचास हजार धरि जुर्माना कएल जा सकैत अछि । कानूनमे इहो प्रावधान अछि जे प्रत्येक जिलामे एकटा स्थानीय सिकाइत समितिक गटन कएल जाएत । जतए कतहु आंतरिक सिकाइत समिति नहि अछि वा नहि गठित कएल जा सकैत अछि ओहिठाम कार्यरत महिला एहि तरहक सिकाइत स्थानीय सिकाइत समितिक समक्ष कए सकैत छथि ।

 आंतरिक सिकाइत समितिमे निम्नलिखित व्यक्ति सामिल कएल जाएत-

१. वरिष्ठ स्तर पर कार्यरत महिला  पीठासीन अधिकारी हेतीह ,

२.दूटा एहन कर्मचारी जिनका कानूनक जानकारी होनि आ जे सामाजिक कार्य करबाक हेतु प्रतिवद्ध होथि,

३.गैर सरकारी संगठनक प्रतिनिधि

एहि समितिक कमसँ कम आधा सदस्य महिला हेतीह आ एकर अध्यक्ष सेहो महिले भए सकैत छथि । कानूनमे इहो प्रावधान अछि जे किओ सदस्य तीनसालसँ बेसी एकर सदस्य नहि रहताह ।

स्थानीय सिकाइत समितिः

स्थानीय सिकाइत समितिमे निम्नलिखित परिस्थितिमे सिकाइत कएल जाएत-

१.जखन सिकाइत नियोक्ताक खिलाप कएल जाएत,

२.जखन दससँ कम कर्मचारी हेबाक कारण ओहि संस्थामे आंतरिक सिकाइत समितिक गठन नहि भए सकैत अछि,

३.घरेलु नौकर द्वारा कएल गेल सिकाइत,

स्थानीय सिकाइत समितिक संरचना निम्नलिखित होएतः-

१.सामाजिक क्षेत्रमे काज केनिहारि एहन महिला जे महिलाक कल्याण हेतु प्रतिवद्ध होथि अध्यक्ष भए सकैत छथि,

२.ब्लाक तहसील,तालुका,नगरपालिकामे कार्यरतमहिला कर्मचारी सदस्य भए सकैत छथि,

३.महिलाक कल्याण काजमे रूचि रखनाहरि एहन दूटा महिला जिनका कार्यक्षेत्रमे यौन उत्पीड़नक गहन जानकारी होनि सदस्य भए सकैत छथि,

४.जिला स्तरपर समाज कल्याण वा महिला एवम् वाल विकासक काजसँ जुड़ल अधिकारी पदेन सदस्य हेतीह,

सिकाइत करबाक समय सीमाः

एहि कानूनक तहत सिकाइत घटित घटनाक तीन महिनाक भीतरे हेबाक चाही । जँ एकहि संगे  कैटा घटना भेल अछि तँ एहि अवधिक गणना एहि प्रकारक अंतिम घटना घटित हेबाक तिथिसँ होएत । जँ आंतरिक सिकाइत समितिकेँ लगैछ जे पीड़ित महिला बाजिब कारणसँ समयपर सिकाइत नहि कए सकल तँ एहि अवधिकेँ आओर तीन महिना धरि बढ़ाओल जा सकैत अछि,मुदा ताहिसँ बेसी एकरा नहि बढ़ाओल जाएत। कहक माने जे पीड़िताकेँ चाही जे एहि समय सीमाक भीतर लिखित सिकाइत आंतरिक सिकाइत समितिसँ करए।

सिकाइत के करत?

सामान्यतः पीड़ित व्यक्ति तय समय सीमाक भीतर संबंधित समितिक समक्ष लिखित सिकाइत करतीह। जौँ पीड़ित शारीरिक रूपसँ सिकाइत करबामे सक्षम नहि अछि तँ ओकर बदलामे ओकर संबंधी,मित्र वा सहकर्मी सिकाइत कए सकैत अछि ।  घटनाक जानकारी रखनिहार किओ उपरोक्त व्यक्तिसभक संगे सिकाइत कए सकैत अछि । जँ पीड़ित व्यक्तिक मृत्यु भए गेल होइक तँ ओहि घटनाक जानकारी रखनिहार किओ व्यक्ति ओकर उत्तराधिकारीक सहमतिसँ सिकाइत कए सकैत अछि ।

अंतरिम आदेश

आंतरिक सिकाइत समितिक द्वारा जाँचक क्रममे  अंतरिम आदेश दए  दुनू पक्षमेसँ ककरो दोसर कार्यालयमे स्थानान्तरित कए सकैत अछि, पीड़ित महिलाकेँ  तीन महिना धरि छुट्टी दए सकैत अछि,पीड़ित महिलाकेँ  ओकरा आओर तंग नहि कएल जा सकए ताहि हेतु उचित व्यवस्था कए सकैत अछि
आंतरिक सिकाइत समिति मामलाक दुनू पक्षक आपसी सहमतिसँ समाधानक अवसर दए सकैत अछि मुदा ओहिमे टाकाक लेन-देनक गप्प नहि होइक । मुदा जँ से संभव नहि होइत अछि तँ ९० दिनक भीतर समिति सिकाइतक जाँच कए अपन प्रतिवेदन नियोक्ताकेँ देत जाहि आधारपर सिकाइत सावित भेलापर आरोपित व्यक्तिपर विभागीय नियमानुसार आ से नहि भेलापर निम्नलिखित कारवाइ नियोक्ता कए सकैत छथि-

लिखित माफी

चेतावनी

पदोन्नति/प्रमोशन या वेतन वृद्धि रोकब

परामर्श या सामुदायिक सेवाक   व्यवस्था करब

नौकरी सँ निकालि देब

जौँ जाँच-पड़तालक बाद समितिकेँ ई पता चलैत अछि जे  सिकाइत झूठ अछि तँ सिकाइत केनहारि महिलाक खिलाफ विभागीय कारवाइक अनुशंसा कए सकैत अछि जाहिकेँ तहत ओकरा चेतावनी ,लिखित माफी,पदोन्नति रोकब वा नौकरीसँ निकालबाक कारबाइ कएल जा सकैत अछि ।

उपरोक्त कानूनक धारा १३क अनुसार जाँच समिति प्रारंभिक जाँचमे जौँ सिकाइतकेँ प्रथम दृष्टया सही पबैत अछि तँ एकार अनुशासन समितिकेँ विस्तृत जाँचक हेतु पठाओल जाएत । मेधा कोतवालक मामलामे माननीय उच्चतम न्यायलय ई व्यवस्था देलक अछि जे जाँच समितिक रिपोर्ट  अंतिम मानल जाएत आ ताहि आधारपर उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई कएल जाएत ।
सरकारी विभागमे उपरोक्त कानूनी व्यवस्थाकेँ लागू करबाक पर्याप्त तंत्र विकसित कएल गेल अछि मुदा अखनहु निजी क्षेत्रमे एकरा ठीक ढ़ंगसँ लागू करबाक हेतु सक्रियताक अभाव अछि जाहिसँ अपूर्णीय क्षति भए रहल अछि । भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त समानताक अधिकारक की माने रहि जाइत अछि जखन कि देशक आधा महिला आवादी अपन आस्तित्व ओ सम्मानक रक्षा नहि कए सकए?
कार्यस्थानमे महिला कर्मचारीक संग यौन दुर्व्यवहारकेँ रोकबाक हेतु माननीय उच्चतम न्यायलयक दिशानिर्देश आ संसद द्वारा पारित कानूनक अछैत महिला कर्मचारी सभक एहि प्रकारक समस्याक अंत नहि भए सकल तँ तकर कारण मूलतः हमरा लोकनिक समाजक पितृसत्तात्मक सामाजिक संरचना आ ताहि सँ उत्पन्न पुरुष श्रेष्ठताक भाव अछि। अस्तु,एहि समस्याक निदानक हेतु जरूरी अछि जे पुरुषक मोनमे महिलाक प्रति सम्मानक भावना हो । जे देश हजारों बर्खसँ नारी शक्तिक प्रतिरूप दुर्गा माताक आराधना करैत रहल अछि ताहिठाम से भाव होएब कोनो कठिन नहि हेबाक चाही ।


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