मैथिलीमे हमर प्रकाशित पोथी

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गुरुवार, 17 जनवरी 2019

मकान मालिक आ किरायादार


मकान मालिक आ किरायादार





आइ-काल्हिक युगमे लोकक ठेकान निरंतर बदलैत रहैत अछि । नौकरी पेशाक लोकक बदली होइत रहैत अछि । व्यापारीसभ सेहो अपन शहर बदलैत रहैत छथि । गाम-घरक लोक सेहो आस-पासक शहरमे अपन घर बना लेने छथि । जिनकासभकेँ भगवान बेसी  संपदा देने छथिन  से सभ  कै-कैटा घर बनेने रहैत छथि। जाहिर छैक कि फाजिल घरक ओ की करताह,किराया लगेताह वा बंद रखताह । घरकेँ बंद रखनाइ सेहो कोनो लाभकर समाधान नहि अछि ,तथापि किछुगोटे किरायादारक संगे झंझटमे नहि पड़ए चाहैत छथि आ घरकेँ बहुत-बहुत दिन धरि खालिए छोड़ि दैत छथि । ई बात सही अछि जे कै बेर किरायादारक संगे  मकान खाली करेबाक हेतु ,किंवा किराया वसूलीमे दिक्कति भए जाइत अछि मुदा तकर माने तँ ई नहि जे सदिखन सएह होइत रहत । फेर अहाँ जहन गाम-घर छोड़िकए बाहर जाएब तँ किरायाक मकान चाहबे करी,अपन मकान कतए-कतए बनबैत रहब । किरायाक मकान भेटैत रहए आ दुनू पक्षकेँ ठीकसँ समय बितनि ताही उद्यश्यसँ देशभरिमे किराया नियंत्रण कानून बनल अछि आ लागुओ अछि ।
मकान मालिक आ किरायेदारक बीचमे समस्या बहुत पुरान अछि । समस्याक जड़िमे मकानक अभाव आ बढ़ैत किराया अछि । मकान मालिक चाहैत रहैत छथि जे हुनकर किराया बढ़ैत रहनि आ जखन ओ चाहथि मकान खाली भए जानि । कहक माने जे एहन नहि होइक जे किराएदार मकानपर अबैध कब्जा कए लिअए,किराया सेहो नहि दिअए । मुदा किरायदारक समस्या सेहो मानबीय दृष्टिसँ देखब बहुत जरूरी अछि । मकान मालिक बेर-बेर जँ मकान काली करबैत रहताह तँ ओकरा नाना प्रकारक समस्या होएब स्वभाविक। बच्चासभक इसकूल,अपन कार्यालय आ बढ़ैत खर्छा सभमे तालमेल बैसाएब मोसकिल भए जाइत अछि । कानून एहि समस्यासभकेँ समाधान करैत बीचक रस्ता निकालबाक प्रयास करैत अछि । मुदा कै बेर ई संभव नहि भए पबैत अछि । दुनू पक्ष एक-दोसरसँ सामंजस्य नहि बैसा पबैत छथि आ मोकदमाबाजी धरि बात चलि जाइत अछि । जँ मकान मालिक दबंग अछि तँ जबरदस्ती सेहो करैत अछि । बदमासकेँ लगा कए किरायेदारक समान कै बेर बाहर फेकि देल जाइत अछि ,आदि,आदि ।
महानगर जेना कोलकाता,मुम्बइ, दिल्लीमे हालत आओर बहुत खराब अछि । कैटा किरायेदार मुख्य व्यापारिक स्थानमे पाँच-दस रुपया किराया दैत छथि आ पचासो सालसँ अड़ल छथि,मकान खाली नहि कए रहल छथि। मकानक हालत जर्जर भए चुकल अछि । मकान मालिक मोकदमा ठोकने छथि । मुदा तैँ की? किरायेदारसभ आपसमे संगठन बना कए तकर प्रतिवाद करैत रहैत छथि,मुदा मकान खाली हेबाक कोनो संभावना नहि लगैत अछि । जौँ ओ मकानसभ आइ-काल्हि किरायापर लेल जाएत तँ किराया लाखोमे भए सकैत अछि । उदाहरणस्वरुप जँ कनाटप्लेस दिल्लीक कोनो दोकान साबिक किरायापर चलि रहल अछि तँ किओ किएक खाली करत? जँ ओ ओहिठाम किरायापर मकान वा दोकान आब लेबए जाएत तँ किराया कतेक बढ़ि जाएत,सोचबो मोसकिल अछि । आनो महानगरसभमे तेहने हालत अछि । अस्तु,मकान मालिकसभक चिंता सेहो वाजिब अछि । आखिर लोक संपत्तिकेँ एहिलेल तँ नहि कीनलक जे ओकरा एहि तरहक घनचक्करमे गमा देल जाए? मुदा उपाय की अछि?
जीवनमे भोजन,वस्त्र,आवास मौलिक आवश्यकता मानल जाइत अछि । भोजन.वस्त्रक बाद रहए लेल घर तँ चाहबे करी । लोको पुछैत अछि जे अपनेक कोन गाम घर भेल? माने जे घर आदमीक परिचय थिक। ग्रामीण परिवेशमे तँ अखनो घर माने अपन घर बूझल जाइत छैक ,कारण ओहिठाम किरायाक मकान ने उपलव्ध होइत अछि आ ने लोक लैत अछि । गाममे लोकक पुस्तक-पुस्त  गुजरि जाइत छैक । एकहिठाम लोक जीवन भरि रहि जाइत अछि । पहिलुका समयमे ई बात सही छलैक । मुदा आब परिस्थिति बदलि गेल अछि । पढ़ाइ-लिखाइ,नौकरी,व्यापार हेतु लोक गाम-घरसँ बाहर होइत छथि । ई संभव नहि थिक जे सभ शहरमे अहाँ अपन घर बनेने फिरी । तैँ किरायापर मकान लेब जरुरी भए जाइत अछि । 
छोट शहरमे किरायाक मकान आशानीसँ भेटि जाइत अछि,किराया सेहो कम होइत छैक आ मकान मालिक  जखन-तखन खाली करए सेहो नहि कहैत छैक । मुदा पैघ शहरमे खास कए महानगरमे हालत  दोसर अछि । मुम्बइमे तँ ई हाल अछि जे एकहि कोठरीमे कतेको गोटे कहुनाक किरायापर गुजर करैत छथि । ऊपरसँ मकान मालिककेँ पगड़ी सेहो दिऔक,मासे-मासे किराया तँ चाहबे करी । रहि-रहि कए मकान मालिक दुलत्ती मारिते रहत,जाहिसँ अहाँ ई नहि बिसरि जाइ जे मकान किरायापर लेल गेल अछि आ किछुदिनक बाद खाली करहि पड़त । अस्तु,किरायेदारक हालत कै बेर बहुत  चिंताजनक भए जाइत अछि । मुदा समाधान की अछि? सभ आदमी मकान नहि कीनि सकैत छथि । किरायापर मकान लेनाइ एकटा मजबूरी रहैत छैक । एहि विषयमे कतेकोबेर न्यायलयमे मामिला कएल गेल । एहि विषयपर उच्चतम न्यायलय पर्यंत कतेको फैसला देलक । ओहिसभसँ किछु सुधारो भेलैक अछि।

मकान मालिक आ किरायादारमे झंझट सामान्यतः होइते छैक दूइएटा बात लेल :-१.किराया बढ़बए हेतु,२.मकान खाली करेबाक हेतु । आओर छोट-मोट समस्यासभ सेहो भए सकैत छैक जेना मकानकेँ मरम्मति केनाइ,किराया बकिऔता भए गेनाइ ,आदि-आदि । एहि समस्यासभसँ निपटए हेतु दुनू पक्ष मकान किरायापर लेबए- देबएसँ पहिनहि आपसमे किरायाक एकरारनामा बनबैत छथि । जौँ लीजक अवधि सालभरिसँ कम अछि तँ ओकरा निवंधित करबाक जरुरी नहि अछि अन्यथा एकर निवंधन सब-रजिष्ट्रारक ओहिठाम कराएब कानूनी बाध्यता अछि । जौँ किरायाक एकरारनामा बनल अछि तँ लीजक तय अवधिमे किरायाक ओहि मकानक सभ विषय-वस्तु तकरे अनुसार चलत चाहे ओ किराया बढ़ेबाक गप्प होइक,मकान खाली करेबाक गप्प होइक वा किरायाक भुगतान करब होइक । जँ किरायाक एकरारनामा नहि बनल अछि ,किंवा लीजक अवधि बीति गेल अछि तँ मकान मालिक आ किरायेदारक बीचमे स्थानीय सरकार द्वारा बनाओल गेल किराया नियंत्रण कानूनक अनुसार विवादक निर्णय होएत ।
किरायेदारक हेतु ई बहुत जरुरी अछि जे ओ तय किराया समयसँ मकान मालिककेँ दैत रहथि । किराया नहि देनाइए अपना-आपमे मकान खाली करेबाक हेतु प्रयाप्त कारण भए सकैत अछि । यदि मकान मालिक किराया नहि लैत छथि तँ किराया मुद्रादेशसँ पठाओल जा सकैत अछि । यदि सेहो संभव नहि होइत अछि तँ किराया नियंत्रण अधिकारीक ओहिठाम आवेदन दए किराया जमा करा देबाक चाही । सामान्यतः एहन परिस्थिति तखने होइत अछि जखन कि मकान मालिक मकान खाली कराबए चाहैत छथि ।
जँ मकान मालिक आ किरायेदारक विवाद आपसमे नहि सोझराइत अछि तँ दुनूमे सँ किओ किराया नियंत्रण अधिकारीक पास आवेदन दए अपन समस्या राखि सकैत छथि । उदाहरणस्वरुप,जँ मकान मालिक मकान खाली करबए चाहैत छथि तँ तकर कारण दैत मकान खाली करबा सकैत छथ । सामान्यतः मकान खाली करेबाक हेतु प्रमुख कारण मे किराया नहि देब,मकान मालिककेँ स्वयं मकानक आवश्यकता भए सकैत अछि। जँ किरायेदारकेँ अपन मकान छनि  तँ किरायाक मकान काली करेबाक ओ मजगूत आधार बनि जाइत अछि । मकान मालिक किराया निर्धारणक हेतु सेहो ओतहि अर्जी दए सकैत छथि ।
देश भरिमे सभ राज्य अपन-अपन किराया नियंत्रण कानून बनओने अछि । कैटा राज्यमे ऐहि कानूनक अधीन आबएबला मकानक किरायाक सीमा तय कएल अछि । संगहि राज्य वा केन्द्र सरकार ,स्थानीय निकायक मकानसभ सेहो एहि कानूनसँ बाहर अछि । कैटा राज्यमे नव निर्मित मकान किंवा धर्मार्थ कार्यरत संस्थाक मकान सेहो एहि कानूनक अधिकार क्षेत्रसँ बाहर राखल गेल अछि । विभिन्न राज्यक कानूनमे समरूपता होइक जाहिसँ ई कानून सर्वग्राही भए सकए आ सामान्य लोक एकर सुविधा सरलतासँ लए सकए,ताहि हेतु १९९२मे संसद द्वारा मॉडल किराया नियंत्रण कानून पास कएल गेल जे सब राज्यक लेल छल । मॉडल अधिनियममे किरायेदारीक विरासतपर मौजूदा प्रावधानमे सँ किछुकेँ संशोधित करबाक प्रस्ताव छल आओर किरायाकएकटा सीमा सेहो निर्धारित कएल गेल जाहिसँ बेसी भेलापर किराया नियंत्रण लागू नहि होएत। तकरबाद दिल्लीमे ओहि आधारपर १९९७मे कानून बनबो कएल जे स्थानीय व्यापारी वर्गक विरोधक कारण लागू नहि कएल गेल।
मकान मालिकक आ किरायेदारक बीच संवंध मधुर रहए आ कोनो मतभेद भेलापर सुगमतासँ तकर समाधान भए जाए ताहि हेति ई आवश्यक अछि जे दुनू पक्ष मकानकेँ किरायादारी प्रारंभ हेबासँ पहिने स्पष्ट प्रावधानक संगे किरायाक लीज एग्रीमेन्ट( किरायाक एकरारनामा) उचित मूल्यक स्टांप पेपरपर हस्ताक्षरित करथि। ओहिमे सभ बात जेना किराया कतेक होएत,मकान कतेक दिन किरायापर रहत,मकानक मरम्मति केना की हएत, मकान कहिआ खाली करए पड़त,स्पषटतासँ लिखल रहए । जौँ सालभरिसँ अधिक हेतु किरयापर मकान लेल जाइत अछि तँ एकरारनामाक निवंधन सेहो कराएब जरुरी अछि । एहिमे दुनू पक्षकेँ हितक समाधान भए जाइत अछि । अस्तु, मकान किराया लेबए वा देबएसँ पूरव उपरोक्त बातसभकेँ ध्यानमे रखैत कानून सम्मत किरायाक एकरारनामा बना लेबाक चाही आ तकर अनुवंधकेँ दुनू पक्षकेँ पालन करैत रहक चाही जाहिसँ सुख- शांति बनल रहए । ई सभ बात जँ ठीकसँ कएल गेल अछि तँ मकानकेँ किरायापर देबामे कोनो हर्जा नहि छैक।

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