आर.के.कौलेज- मधुबनी
सन् १९६७ इस्वीमे उच्च
विद्यालय एकतारासँ प्रथम श्रेणीमे उत्तीर्ण भेलाक बादो नामांकनक समस्या भऽ गेल, कारण हमर स्कूलक
परीक्षाफल थोड़ेक बिलमसँ आएल छल। आ ताबे नीक-नीक कौलेजक नामांकन-अवधि सम्पन्न भऽ
चुकल छल। चूकि हमरा नीक नम्बर छल तँए किछु परियास केलाक बाद आर.के.कौलेज- मधुबनीमे
प्रीसाइंसमे नामांकन भऽ गेल। एकतारा स्कूलसँ तीनटा आर विद्यार्थी (नारायणजी-
नवकरही, श्री नारायणजी नगवास
आ श्री विजयजी नवकरही) प्रथम श्रेणीमे ओही साल हमरा संगे पास केलैन आ सभ गोटे
आर.के.कौलेज- मधुबनीमे अपन-अपन नाओं लिखौलैथ। हम पहिल दिन कौलेज हाफ पैन्ट आ आफ
शर्ट पहिरने चल गेल रही। (ओहि समय हमर
उमरसोलह साल छल)कौलेजमे ए.के. छटक प्रभारी प्राचार्य रहैथ। हुनका बड़ कम
सुझैन्ह। बेंत नेने कहुना-कहुना थाहि-थाहि कऽ चलैत छला। ओइसँ पूर्व डॉ. ए.के. दत्त
प्राचार्य रहैथ। कौलेजमे हुनकर बहुत धाक रहैन। गणितक ओ मानल विद्वान छला।
आर.के.कौलेज- मधुबनीक
प्रतिष्ठा आस-पासक क्षेत्रमे नीक छेलइ। ऐ कौलेजक किछु विभाग सभ बड़ नामी छल। मुदा
जखन महौल गड़बड़ेलै तँ ई कौलेज जातीय राजनीतिक अड्डा भऽ गेल। परीक्षामे नकल आम बात
भऽ गेल रहइ।
पढ़ाइ-लिखाइ चौपट्ट छल। रोज
किछु-ने-किछु वजह ताकि कऽ विद्यार्थी सभ हड़ताल कऽ दैत छला। एहेन परिस्थितिमे
ओइठाम पढ़ब केतेक दुरुह काज रहल हएत ई सहजे अनुमान लगौल जा सकैत अछि। तथापि
नामांकनक बाद हम आ हमर दूटा गौंआँ कौलेजक ठीक सामने एकटा प्राइभेट लॉजमे डेरा
लेलौं। एक्के कोठरीमे तीनटा चौकी लागल छल। बीचमे थोड़बेक खाली जगह रहइ जइमे
भानस-भात होइत छल। पाछूमे एकटा मन्दिर सेहो छल।
कोठरीक सामने खजूरक एकटा गाछ
रहइ जइमे ताड़ी टपकौल जाइत छेलइ, सदिखन डाबा टँगले रहैत छल। हमर रूमेट सभ टटका नीर
कहियो-काल चोरा कऽ उतारि लैत छला। हमर स्कलक दूटा संगी कौलेजक होस्टलक छसीट्टा
कोठरीमे रहै छला। कौलेजमे पढ़ाइ-लिखाइ भऽ जाइ तँ बढ़ियाँ ,नहि तँ आर बढ़ियाँ। जहाँ
छुट्टी भेल कि हम गाम घसैक जाइ छेलौं। गाम आ मधुबनी छइहे केतेक दूर। गाड़ीसँ
पनरह-सँ-बीस मिनटक यात्रा।
किछु अध्यापक तँ बहुत
तनमयतासँ पढ़बैत रहैथ। हुनकर क्लास खचाखच भड़ल रहैत छल। मुदा सभसँ दिक्कत किछु
उपद्रवी विद्यार्थी नेता सभ लऽ कऽ होइत छल जे क्लासमे घुसि जाइत आ हंगाम करैत
क्लासकेँ भंग कऽ दइत।
कौलेजमे प्रवेश करिते मेघा
पटलपर अंकित नाममे सँ एकटा नाम छल- स्व. विभूति नारायण झा (मुन्नु बाबू)क जे
बी.ए. मैथिली (प्रतिष्ठा)मे विश्वविद्यालयमे प्रथम आएल छला एवम् गणितमे विशिष्टता
प्राप्त केने रहैथ।ओ हमर ग्रामिण छला। हुनकर नाओं पटलपर अंकित देख बहुत प्रेरणा
भेटैत छल।
प्रोसाइंसक क्लासमे कहियो काल
जखन हल्ला-गुल्ला बढ़ि जाइ तँ तत्कालीन कार्यकारी प्राचार्य घटक साहैब आकि कऽ कहैत
छला-
“गरीबी भारतक आम बात अछि। तँए
गरीबीमे ओकरे मदैत कएल जा सकै छै जेकरामे विशिष्टा हेतइ।”
अपन बात कहि कऽ ओ चल जाइथ।
पता नहि केतेक गोटाकेँ ओ असर करइ। कालैजसँ छुट्टीक बाद ओ (घटक साहैब) पएरे अपन
डेरा जाइत छला। अर्थशास्त्राक विद्वान छला। सुनबामे आबए जे कनिक्को समान कीनबाक
हेतु पूरा सर्वे करैत छला ,जइसँ एक्को पैसा फाजिल खर्चा नहि हो।
कौलेजक गणितक व्याख्याता श्री
एम.पी.सिन्हाजी बहुत लोकप्रिय छला। हुनकर पढ़ेबाक स्टाइल सरल तथा सुगम छल जइसँ
विद्यार्थी सभ विषय-वस्तुकेँ बुझि जाइत छल। सबाल बना कऽ ओ पुछबो करैथ जे ‘बुझाया कि नहीं
बुझाया।’ माने बुझलिऐ आकि नहि।
एक-एकटा शंकाक समाधान करितैथ। बादमे सुनलिऐ जे ओ हरिद्वारमे रहए लगला।
साँझक टहलबाक क्रममे काली
मन्दिर जाएब आम बात छल। भगवतीक भव्य स्वरुपक आराधना कए परीक्षा नीक हेबाक हेतु
हमहूँ प्रार्थना करी। प्रीसाइंस परीक्षा आबि गेल छल। पढ़ाइ तइ हिसाबसँ भेल नहि
रहए। मनमे अतिशय तनाव भऽ गेल छल। रातियोमे कौलेजक भवनमे जा कऽ पढ़ाइ करी, कारण ओइठाम एकान्तक
संग मुफ्त बिजलीक सुविधा छल। अही तनावमे रही कि एक राति बुझाएल जेना सभ किछु हिल
रहल छइ। हमरा भेल जे भुमकम भऽ रहल छइ। असलमे भेल किछु ने रहइ। पढ़ैत-पढ़ैत ओंघा
गेल रही आ चिन्तासँ भ्रम जकाँ भऽ गेल रहए। अस्तु।
जेना-तेना परीक्षा सम्पन्न
भेल। सभसँ सुखद आश्चार्य तखन भेल जखन ऐ परीक्षामे हमरा प्रथम श्रेणीसँ उत्तीर्ण
हेबाक जानकारी अखबारमे प्रकाशित परीक्षाफलसँ भेटल।
काली मन्दिरसँ दर्शन कए डेरा
अबैत काल मिथिला टाकीजमे लॉडस्पीकरपर प्रसारित होइत गीत ‘जय जय हे जगदम्बे माता..।’ अखनो कानमे
प्रतिध्वनित होइत रहैत अछि।
मधुबनी शहर यद्यपि बहुत पुरान
अछि मुदा एकरामे गुणात्मक विकास एतबे भेलैए जे चारुकात आवासीय कालोनी सभ बनि गेल
अछि। मुदा मूलभूत ढाचागत विकास नहि भऽ सकल। ओना, तेकर केतेको कारण भऽ सकैत
अछि। रोड सभ अत्यन्त कृषकाय अछि। अतिक्रमणक पराभवक कारण निरन्तर जाम लगैत रहैत
अछि। शहरक भीतर तथा शहरक आस-पास दुर्गन्ध पसरल रहैत अछि। सफाइक बेवस्था दयनीय अछि
तथापि आस-पासक लोक ओतए गामपर सँ उबि घर बना रहल छैथ। जिला बनि गेलाक बाद सरकारी
कार्यालयक संख्याक संग गतिविधिमे बढ़ोत्तरी अबस्स भेल अछि मुदा शिक्षा, चिकित्सा संतोषप्रद
नहि हेबाक कारण मधुबनीक लोक आर पैघ शहर दिस मुँह तकबाक हेतु विवश छैथ।
हमर ससुर मधुबनीमे घर बनौने
रहैथ। ओइठाम आवागमन बादोमे होइत रहल आ तइसँ प्रेरित भऽ हमहूँ मधुबनीमे घर बनौलौं।
दिल्लीमे काज करी आ घर मधुबनीमे बनाबी से विचार बहुत लोककेँ नहि जँचतैन मुदा हमरा दृढ़
इच्छा छल आ अत्यन्त परिश्रम पूर्वक सालो लगा कऽ ऐ काजकेँ पूरा कएल, मुदा मधुबनीमे घर
बनाएब उपयोगी साबित नहि भेल।
आर.के.कौलेज- मधुबनीक स्थिति
डमाडोल रहैत छल। संयोगसँ प्रसाइंसमे नीक परीक्षा फल आबि गेल छल। तँए आगाँक पढ़ाइ
हेतु सी.एम. कालैज- दड़िभंगामे नाओं लिखेलौं जे बहुत सही निर्णय रहल। कारण ओइठामक
पढ़ाइ-लिखाइक महौल मधुबनीसँ बहुत बेहतर छल।
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