श्री शेलेन्द्र झा
नेनाक बहुत रास बातसभ बिसरा
जाइत छैक । कैकबेर किछु प्रसंग आधा-छिधा मोन रहि जाइत छैक । सएह बात भेल ओहि दिन
जखन शल्लुजीसँ गप्प करैत काल नेनामे चारिगोटे द्वारा टांगि कए ब्रह्मस्थानक इसकूल
जेबाक हम चर्च केलहुँ । हम इसकूल नहि गेलहुँ तँ बच्चू मास्टर साहेब(स्वर्गीय
अदिष्ट नारायण झा) हमरा पकड़ि कए इसकूल अनबाक हेतु चारिटा विद्यार्थीकेँ पठओने
रहथि । हमरा अखनो मोन पड़ैत अछि जे हुनकासभकेँ देखि कए हम केराबारीमे नुका गेल रही
। तथापि ओ सभ मानलथि नहि, हमरा टांगि कए इसकूल लइए गेलाह । रस्तामे केओ-केओ
हमरा बिठुआ सेहो कटैत रहल । शल्लुजी ओहिदिन कहलाह जे ओहो ओहि चारिगोटेमेसँ इकटा
छलाह । यद्यपि ई घटना हमरा मोने अछि मुदा चारूगोटे के सभ रहथि से बिसरा गेल ।
गाममे हमर घरसँ हुनकर घर
कनीके फटकी छल । नेनामे खेल-धूप करैत हमसभ अबैत-जाइत रहलहुँ । नेनामे ओ बहुत नीक
गबैत छलाह । हमरा हखनो मोन पड़ैत अछि जे
कैकबेर लोकसभ हुनका गीत गेबाक हेतु दुराग्रह करथि। आला -आला दिल ले
गया...ई गीत ओ कैकबेर गबैत रहैत छलाह । शल्लुजी मिडिल इसकूलमे पाँचमासँ सातमा धरि
हमरा संगे रहथि । तकरबाद ओ रहिका उच्च विद्यालयमे चलि गेलाह आ हम एकतारा चलि
गेलहुँ । मुदा प्री- युनीभर्सीटीमे फेर एकसाल हमसभ संग भए
गेल रही । तकरबाद हम सी.एम.कालेज दरभंगा चलि गेलहुँ ।
शल्लुजीक दूटा बिआह भेलनि ।
प्रथम बिआह भच्छी गाममे भेल रहनि । ओहिमे एकटा पुत्र छनि । संयोग एहन भेल जे ओहि
पुत्रक जन्मक समयमे हुनकर पत्नीक देहावसान गामेमे भए गेलनि । कहि नहि उचित
चिकित्सा ओतए उपलव्ध भए सकल कि नहि? हम आ लालबच्चा भच्छी बरिआती गेल रही । ओहि
समयमे दू-दिना बरिआती होइत छलैक । भोरमे टहलैत-टहलैत बरिआतीसभ बाधमे बहुत आगु धरि
चलि गेल रहथि । बरिआतीक स्वागत बहुत नीकसँ कएल गेल रहए । अखनो ओ दृश्यसभ हमर मोनमे
अबैत रहैत अछि ।
पहिल पत्नीक देहावसानक बाद
हुनकर दोसर बिआह नवकरही भेल रहए । हम ओतहु बरिआतीमे गेल रही । बरिआतीमे हम जबरदस्त
हँसीठठ्ठा करैत रही जे देखि खट्टर मास्टर साहेब बहुत आश्चर्यमे रहथि । माहौल बहुत
आनंदमयी छल । लाउस्पीकरमे राति भरि गीत बजैत रहल ….
ओ गीत अखनहुँ कहिओ काल हमर
कानमे गुंजित होइत रहैत अछि । दोसर बिआहसँ हुनका एकटा पुत्र आ दूटा कन्या भेलनि ।
सभसँ नीक बात ई भेल जे हुनकर पहिल संतानक सेहो बहुत नीकसँ पालन-पिषण कएल गेल । ओ
उच्च शिक्षा प्राप्त कए जीवनमे नीकसँ स्थापित भेल छथि । हुनकर आन संतनासभ तँ सुशिक्षित
आ जीवनमे नीकसँ व्यवस्थित छथिहे ।
व्यक्तिगत रूपसँ सल्लूजी बहुत
अध्यात्मिक स्वभावक छथि । जीवनमे सादगी आ इमानदारीक पालन करैत सफल गृहस्थ रहल छथि
।मुम्बईमे अपन फ्लैट छनि । गाममे सेहो घर बनओने छथि । मुदा गामसँ आबाजाही आब कम
भेल जा रहल छनि । पहिने तँ ओ लगपासक ककरो बिआह-दान होइ तँ गाम अवश्य जाइत छलाह ।
नौकरी करबाकक क्रममे ओ मुंबइ
चलि गेलाह । तकरबाद ४७ सालसँ ओ ओतहि रमल छथि । मुम्बईमे ओ सरकारी काटन कंपनीमे
बहुतदिन धरि ला आफीसर छलाह । सेवानिवृत्तिक बादो ओ कैकसाल धरि कानूनी
सलाहकारक रूपमे ओही कंपनीमे काज करैत रहलाह । मुम्बई गेलाक बाद ओ अपन परिवारमे भाइ
लोकनिक शिक्षामे बहुत मदति केलनि । कतेकोगोटेकेँ मुम्बईमे नौकरी धरओलनि । मुंबइक मैथिल
समाजसँ सभदिन जुड़ल रहलाह ।
४७ सालसँ ओ मुम्बईमे छथि ।
हमहु गामसँ बाहरे-बाहरे छी । ओ मुंबईमे
बसि गेल छथि आ हम ग्रेटर नोएडामे । मुदा हमरा लोकनिक संपर्क बनले अछि । फरीदाबादमे
३१ जनबरी २०१४क हुनकर कन्याक बिआह भेल रहनि । हमहु कन्यागत दिससँ ओहिमे भाग लेने
रही । ओहि समयमे हुनकासँ भेंट भेल छल । ताहिसँ पहिनो आ बादोमे एकाध बेर हुनकासँ दिल्लीमे
भेंट भेल । एकाध बेर गामोमे संगे पहुँचल रही । मुदा बहुत दिनसँ हुनकासँ भेंट नहि
भेल अछि । तथापि फोन आइ-काल्हि संपर्कक बड़का साधन भए गेल छैक । तेँ हमसभ निरंतर
संपर्कमे छी । एहन उपकारी आ सहृदय व्यक्तिक मित्रतापर ककरो गौरव भए सकैत छैक ।
ताहि हिसाबे हम जरूर भाग्यवान छी ।
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