मिडिल इसकूल अड़ेर आ उच्च विद्यालय एकतारामे हमरासँ एकसाल वरिष्ठ
रहथि कमलाकांत भंडारी । हमसभ जखन मिडिल इसकूलमे पढ़ैत रही तखन ओ किछु आओर
विद्यार्थीसभक संगे सरकारी कार्यक्रममे भाग लैत दिल्ली दर्शनक हेतु गेल रहथि । ओहि
समय गामसँ दिल्ली जाएब बड़का बात रहैक । सबारीक तेहन सुबिधा नहि रहैक । दिल्लीमे ओ
प्रमुख स्थानसभ देखने रहथि । ओतएसँ लौटि अपन अनुभवसँ हमरासभकेँ लाभान्वित केने
रहथि । एकतारा उच्च विद्यालयक ओ नीक विद्यार्थीमे सँ मानल जाइत रहथि । तथापि ओ
आर्ट्सक विषयसभ लेने रहथि। ओहि समयमे नीक विद्यार्थी सामान्यतः विज्ञानक विषय
पढ़ैत छलाह आ डाक्टर,इंजिनीयर
बनबाक स्वप्न देखैत छलाह । मैट्रिकक परीक्षा प्रथम श्रेणीसँ सफल भेलाक बाद ओ पटना
कालेजमे नाम लिखओने रहथि आ ओतहि विश्वविद्यालयक क्षात्रावासमे रहथि । हम
प्रतियोगिता परीक्षासभ देबाक क्रममे कैकबेर हुनका संगे छात्रावासमे रहल रही । जे
बात छैक,ओ बहुत आदरसँ हमरा रखैत छलाह । ओहीठामसँ हम परीक्षा
देबए जाइत छलहुँ ।
कमलाकांतजीक पिता
स्वर्गीय मारकंडेय भंडारी अड़ेर पंचायतक बहुत दिन धरि मुखिआ रहल रहथि । इलाकामे
हुनकर बहुत प्रतिष्ठा छल । पारिवारिक स्थिति बहुत मजगूत छलनि । हुनकर परिवार
आर्थिक रूपसँ बहुत संपन्न छल । तेँ लगपासक गामसभक प्रतिष्ठित परिवारसँ हुनका
लोकनिक बहुत नीक संबंध छलनि । कमलाकांतजी कहने रहथि जे एकताराक कृष्णदेव बाबूक
पुत्रक सासुरसँ बिदाइमे स्टोभ आएल छल । ओहिमे चाह बनितैक । ताहि जेतु केतली आ कप-प्लेट हुनके ओहिठामसँ पठाओल गेल रहैक । ओहि
समयमे स्टोभ होएब आ ताहिपर चाह बनब कतेकटा बात रहैक से एहीसँ बूझल जा सकैत अछि
। एहन संपन्न परिवारमे कमलाकांतजीक
पालन-पोषण भेल रहनि । विद्यार्थी तँ ओ नीक मानले जाथि । सभकेँ उमीद रहैक जे ओ कोनो
बड़का अधिकारी बनताह। मुदा संयोग एहन भेल जे कमलाकान्तजी पटना विश्वविद्यालयसँ अर्थशास्त्रमे
बी.ए.(प्रतिष्ठा) केलाक बाद
एम.ए.अर्थशास्त्रक परीक्षा दैत रहथि कि अचानक बहुत जोर दुखित पड़ि गेलाह । परीक्षा
छोड़ि कए गाम आबए पड़लनि । पढ़ाइ छुटि गेलनि ।
बहुत दिनधरि ओ ओहिना गामेमे रहि गेलाह ।
हम जखन इलाहाबादमे रही तखन सन् १९८५मे ओ मैथिलीसँ एमए केलाह ।
तकरबाद स्वर्गीय डाक्टर सुभद्र झाजी मार्गदर्शनमे कबीरदासपर ललित नारायण मिथिला
विश्वविद्यालयसँ पी.एच.डीक उपाधि प्राप्त केलनि । तकरबाद ओ पटना स्थित सरकारी इंटर
कालेजमे शिक्षक भए गेलाह आ अंत धरि ओएह काज करैत सेवानिवृत्त भए गेलाह। ओ मैथिली
एकेडमी पटनाक सदस्य सेहो रहलाह आ मैथिलीक विकास बहुत तरहक गतिविधिक संचालन करैत
रहलाह ।
हम इलाहाबादमे रही की दिल्लीमे कमलाकांतजी निरंतर संपर्कमे
रहलाह । दिल्ली ओ जखन कखनो अबैत छथि तँ अवश्य संपर्क करैत छथि । हम गाम जाइत छी
तखन तँ भेंट होइते अछि । हम मैथिलीमे लीखी ताहि हेतु ओ लगातार हमरा प्रेरित करैत
रहैत छलाह । दिल्लीमे कैकबेर स्वर्गीय मोहन भारद्वाजजीक संगे ओ अबैत छलाह । हुनके
माध्यमसँ हमरा मोहन भारद्वाजजीसँ संपर्क भेल जे क्रमशः घनिष्टतामे बदलैत गेल । ओ
कैकबेर हमरा ओहिठाम अएबो केलाह । हमर छोट बालकक पटनामे बिआहक अवसरपर बरिआतीमे कमलाकांतजी
आ मोहन भारद्वाजजी दुनूगोटे गेल रहथि ।
सेवानिवृत्तिक बाद ओ गामेपर रहैत छथि । तथापि साहित्यिक गतिविधिमे
रुचि बनओने रहैत छथि । हमरा निरंतर उत्साहित करैत रहैत छथि । जखन कखनो हमरासँ गप्प
होइत छनि तँ हमर पुस्तकसभक चर्च अवश्य करैत छथि।
किछुदिन पूर्व ओ दिल्ली आएल रहथि । मुदा कोरोनाक माहौलक कारण भेंट
नहि भए सकल,फोनेसँ गप्प भेल
।
सबसँ प्रसन्नताक बात थिक जे ग्रामीण वातावरणमे रहितहुँ ओ साहित्यिक
गतिविधिमे लागल रहैत छथि । मुदा उचित सहयोगक कारण कैकबेर उदासो भए जाइत छथि। आशा
करैत छी जे ओ स्वस्थ रहि आगामी अनेको साल धरि हमरा ओहिना प्रेरित करैत रहताह ।
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