शनिवार, 16 जनवरी 2021

स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र

 

स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र

 

स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र(लालबच्चा)

ओहि समयमे हम रामकृष्णपुरमक सेक्टर तीनक सरकारी आवासमे रहैत रही । ओतहि लालबच्चा(स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र) गामसँ अपन इलाजक प्रसंगमे आएल रहथि । हमही हुनका दिल्ली अएबाक हेतु प्रेरित केने रहिअनि । कारण ओहि समयमे हम लेडी हार्डींग मेडिकल कालेज,दिल्लीमे उप निदेशक(प्रशासन)क पदपर काज करैत रही । हुनका सुगर तबाह केने रनि । किछुदिन पूर्व ओ बेहोश भए गेल रहथि । दरभंगाक डाक्टरसँ देखेने रहथि । ओ सत्तरहटा दबाइ लिखि देने रहनि । दबाइ खाइत-खाइत रद्द भए जानि । हमरा पता लागल । हम हुनकर हाल-चाल लेबाक हेतु फोन केलिअनि । तखने ई कार्यक्रम बनल ।

लालबच्चा दिल्ली अएलाह तँ हम बहुत प्रसन्न भेल रही । एक समय छल जे हम आ लालबच्चा दिनमे कतेको बेर एक-दोसर ओहिठाम अबैत -जाइत रहैत छलहुँ,घंटो संगे रहैत छलहुँ । मुदा जखन नौकरीक क्रममे हम दिल्ली चलि अएलहुँ तकर बाद स्वभाविक रूपसँ संपर्क कम होइत गेल । ओ तँ बेनीपट्टी कालेजमे रसायन शास्त्रक व्याख्याता रहथि । गामेसँ जाथि-आबथि । सुनैत छी ओ रसगुल्लाक बहुत प्रेमी रहथि आ नित्य साँझमे गाम लौटति काल बेनीपट्टीक प्रसिद्ध मधुरक दोकानसँ भरि पेट रसगुल्ला खाथि । माछ खेबाक सेहो ओ बहुत सौकीन रहथि । कीलोक-कीलो माछ दबा देथि । कोनो प्रकारक शारिरिक गतिबिधि नहि रहनि । बादमे हुनकर आँखि बहुत कमजोर होइत गेलनि । पहिनोसँ हुनका आँखिक समस्या रहबे करनि । बड़मोट चश्मा लागनि । आँखिक इलाजक हेतु ओ अजमेरक कोनो प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक लग जाथि । तथापि बहुत कम सुझनि । कालेजमे तँ सुनैत छी ओ कहुना कए ठाढ़ भए जाथि आ रटल बस्तुकेँ बकि देथि । यद्यपि हुनकर हालति खरापे भेल जानि,मुदा ओ डाक्टरसँ नहि देखाबथि । डर होनि जे भात छोड़बा देत । जखन भाते नहि खाएब तँ जीबिए कए की करब? बाह रे भतखौक ।

एकदिन मधुबनीमे डेरासँ कतहु जाइत रहथि कि बेहोश भए बीच सड़कपर खसि पड़लाह । संयोग रहैक जे केओ हुनका उठा-पुठा कए सड़कसँ कात केलक । जेना-तेना डेरा पहुँचलाह । तखन डाक्टर देखलक । सुगर आसमान लागल छल । एहि तरहे तँ हुनकर इलाज शुरु भेल रहए जे कैकसाल धरि चलैत रहलनि । मुदा बिमारी ठीक हेबाक बदलामे बढ़िते गेल । जखन दिल्ली अएलाह आ लेडी हार्डींग मेडिकल कालेजमे डाक्टर आर.के.धमीजा हुनका देखलखिन तँ हुनकर इलाज पटरीपर आबि गेल । ओ मात्र दू वा तीनटा दबाइ लिखलकिन । सोचिऔक-कहाँ सत्तरहटा दबाइ आ कहाँ दू-तीनटा । दरभंगाक डाक्टरक दबाइ खाइत-खाइत हुनका रद्द होबए लागैत छल । दिल्लीमे डाक्टर धमीजासँ देखेलाक बाद बहुत आफियत भेलनि । डाक्टर कहलकनि जे छ मासपर अबैत रहब जाहिसँ इलाज सुचारु ढ़गसँ चलैत रहत । हमरा बादमे डाक्टर कहलक जे तीन-चारि वर्ष चलताह । बेटीसभक बिआह-दान जे करबाक होनि से केने जाथि । हम डाक्टरक कहब बूझि गेलिऐक ।

किछुदिनक बाद लालबच्चा गाम चलि गेलाह । फेर दोबारा दिल्ली डाक्टर धमीजासँ नहि देखेलाह । हुनकर हालति बिगड़िते गेलनि । तकरबाद जे अएलाह तँ हम हुनका राम मनोहर लोहिआ अस्पताल,दिल्ली आ एम्समे देखेलिअनि। बात ओएह । ताबे दुनू किडनी खराप भए गेल रहनि । हुनका आब डायलिसिस करा कए जीबाक रहनि । गाम-घरमे से सुबिधा नहि रहैक । तखन सीओपीडीसहायता लेल गेल । एहिमे डायलिसिसक हेतु एकप्रकारक द्रव्य पेटमे ढारल जाइत अछि । पेटमे लागल टोंटी बाटे खराप तत्वसभ देहसँ बाहर भए जाइत अछि । मुदा ई व्यवस्था बहुत दुष्कर आ खर्चीला होइत छल । बेर-बेर पेटमे संक्रमण होइत रहलनि । अंतिम बेरमे ओ फरीदाबादक एस्कोर्ट अस्पतालमे भर्ती भेल रहथि । ह्वीलचेयरपर चलथि । हमरा फोन आएल । हम अस्पताल जा कए हुनकासँ भेंट केने रहिअनि ।

ओ अस्पतालक बेडपर पड़ल रहथि । भौजी आ हुनकर ज्येष्ट बेटी प्रिती लगमे रहथिन । ओहीदिन हुनका अस्पतालसँ छुट्टी देल गेल रहनि । हमरा सामनेमे ओ ह्वीलचेयरपर गुड़कि कए कारपर चढ़ल रहथि ,बेटीक ओहिठाम फरीदाबाद जेबाक हेतु । हम वापस अपन दिल्ली डेरा पर चलि आएल रही । दू-तीन दिनका बाद ओ ट्रेनसँ अपन गाम वापस जाइत रहथि । हम हुनका फोन केने रहिअनि । ओ किछु चिंतित बुझाइत रहथि । आबाजमे जान नहि लागैत छल। ट्रेन बेगुसरायक आसपास पहुँचैत रहए । मुदा हम चिंतित भए गेल रही । गाम गेलाक किछुए दिनक बाद फोन आएल छल । दिसंबर २००९क अंतिम सप्ताहक बात हेतैक । भयानक ठंढ पड़ि रहल छल । लालबच्चा एहने समयमे हमरा लोकनिकेँ छोड़ि देने रहथि । हमरा ई सोचि दुख होइत रहैत अछि जे हम हुनकर अंतिम संस्कारमे नहि जा सकल रही ।  एहि तरहें लगभग अठावन सालक बएसमे हुनकर निधन भए गेल रहनि । सोचल जा सकैत अछि जे काकाजीकेँ एहि घटनासँ कतेक दुख भेल हेतनि ?  मुदा ओ बहुत अध्यात्मिक लोक छलाह । अपन आस्थाक बलें एहू कष्टकेँ काटि लेलाह । मुदा हुनकर व्यक्तिगत परिवारक हेतु ई जबरदस्त चोट छल । एकटा बेटी अविवाहित रहि गेल रहथिन । मुदा तीनटा बेटीक विआह ओ स्वयं कए गेल रहथि ।

समय बीतैत गेल । भौजीक पेंशनक कागजसभ सरिआ गेलनि । मासे-मास पेंशन भेटए लगलनि । सेवानिवृत्तिक बाद एकमुस्त टाकासभ सेहो भेटलनि । आर्थिक दृष्टिए हुनकर परिवार फेरसँ पटरीपर आबि गेलनि । मुदा लालबच्चा लौटि कए नहि अएलाह । कहाँसँ अवितथि? आइ धरि जे केओ गेल से घुरि कए नहि आएल । जे गेल से गेल । हमरा ओ अखनो ओहिना मोन पड़ैत रहैत छथि । मोन पड़ैत रहैत अछि हुनकर संग बिताओल गेल ओ आनंदमय युवावस्थाक क्षण । कैकबेर तँ हमदुनूगोटे भरि-भरि राति बतिाइत रहि जाइत छलहुँ । कैकबेर नवका फोखरिपर गाछसभपर लटकल गप्प करैत रहैत छलहुँ । गामपर तँ आबाजाही लागले रहैत छल । कैकदिन तँ हम हुनका संगे गप्प करैत-करैत हुनकर घर धरि जाइ । फेर दुनूगोटे वापस हमरा घर धरि आबी । पेंडुलम जकाँ हमसभ कतेको बेर अबैत जाइत रही ।

लालबच्चा ,हम आ शल्लू(श्री शैलेन्द्र झा)तीनूगोटे एकहि सालमे मैट्रिक प्रथमश्रेणीमे पास केने रही । हम आ ओ सी.एम.कालेजमे डिग्री एक भाग(डिग्री पार्ट वन)मे संगे रही । दरभंगाक नटराज सीनेमा लग हमरासभक डेरा रहए। बी.एस.सीमे मिश्रटोलाक स्वर्गीय राम नंदन मिश्रक डेरा हमरा ओएह दिआ देने रहथि । बी.एस.सी प्रतिष्ठाक परीक्षा देबए बेरमे हम हुनके संगे हराही पोखरि दरभंगाक पछबारि भीरपर एकटा छात्रावासमे रहैत रही ।

लालबच्चा रसायन शास्त्रसँ पीएचडी केने रहथि आ उच्चैठ स्थित कालीदास विद्यापति कालेजमे रसायन शास्त्रक  प्राध्यापक रहथि । हमरा गाममे पीएचडी केनिहार ओ प्रथम व्यक्ति छलाह । हुनकामे सभसँ विशेषता छल हुनकर निश्छल स्वभाव ,मोनमे कोनो छ-पाँच नहि रहैत छलनि आ कोनो बातपर भभा कए हँसि दैत छलाह । ओ बहुत सकारात्मक सोचक लोक छलाह आ कहिओ ककरो बारेमे अनट बात नहि करितथि ।

एक बेर लालबच्चाकेँ सासुर जेबाक रहनि । नवे बिआह भेल रहनि । ओही साल किछु पहिने हमरो बिआह भेल रहए । लालबच्चा हमर पनही पहिरि कए सासुर गेलथि । कहने रहथि जे पाँच-सात दिनमे वापस आबि जेताह । मुदा ओ गेलाह,से गेलाह । दस दिन बीतल,पनरह दिन बीतल । आब की कएल जाए? हमरो सासुर जेबाक छल । ताहि लेल पनहीक जरूरी छल । आखिर ककरो माध्यमसँ हुनका चिठ्ठी पठेलहुँ । तकरबाद तँ ओ तुरंत वापस आबि गेलाह । हम ओ पनही पहिरि अपन सासुर बिदा भए गेल रही । ओहि समय धरि गामसभमे ओहिना काज चलैत छलैक । कतेक गोटे तँ पहुनाइ करए बिदा होथि तखने देहपर कुरता धरथि ,सेहो ककरोसँ पैंच लए कए ।

लालबच्चा बहुत अध्यात्मिक प्रवृत्तिक लोक छलाह । निरंतर ध्यान,प्राणयाम,सभमे लागल रहितथि । गीताप्रेसक पोथीसभ पढ़ल करथि । हुनकर ई संस्कार शुरुएसँ छल । बादमे ओ ओशोक शिष्य भए गेलाह आ ओहीमे नीकसँ रमि गेलाह । मधुबनीक रजनीशपुरम(बाल्मिकी कालोनी)मे डेरा रहनि । ओहिठाम हमर मित्र श्रीनारायणजीसँ सेहो हुनका घनिष्टता भए गेल रहनि । बादमे ओ मधुबनी छोड़ि गामे रहए लागल रहथि ।

युवावस्थामे ओ बहुत स्वस्थ रहथि । गेनखेली,फूटबाल,कैरमबोर्ड खेलसभमे बहुत रूचि रहनि । कहिओ काल ओ कुश्ती सेहो खेलाथि । एहन निस्सन देह केना एतेक बिमार भए गेल से सोचि आश्चर्यमे पड़ि जाइत छी । एहीसँ लगैत अछि जे ई संसार क्षणभंगुर अछि । एहिठाम किछु असालतन नहि अछि ।

हमर माथामे सभटा बात ओहिना घुमैत रहैत अछि जेना अखने घटल होइक । मुदा ई समय थिक । ई ककरो नहि भेल अछि,ने होएत । हम आब एहि बातकेँ मानि चुकल छी जे आब ओ नहि छथि । एहि जन्ममे हमरा-हुनकर भेंट नहि भए सकत । अगिला जन्मक के देखलक अछि ? जे से । मुदा हुनकर स्मृति आ हुनका संग बिताओल गेल सुखद क्षण सतति हमरा मोन पड़ैत रहत ।

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