स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र
स्वर्गीय विष्णुकान्त मिश्र(लालबच्चा)
ओहि समयमे हम रामकृष्णपुरमक सेक्टर तीनक सरकारी आवासमे रहैत रही
। ओतहि लालबच्चा(स्वर्गीय
विष्णुकान्त मिश्र) गामसँ अपन इलाजक प्रसंगमे आएल रहथि । हमही
हुनका दिल्ली अएबाक हेतु प्रेरित केने रहिअनि । कारण ओहि समयमे हम लेडी हार्डींग
मेडिकल कालेज,दिल्लीमे उप निदेशक(प्रशासन)क पदपर काज करैत रही
। हुनका सुगर तबाह केने रनि । किछुदिन पूर्व ओ बेहोश भए गेल रहथि । दरभंगाक
डाक्टरसँ देखेने रहथि । ओ सत्तरहटा दबाइ लिखि देने रहनि । दबाइ खाइत-खाइत रद्द भए
जानि । हमरा पता लागल । हम हुनकर हाल-चाल लेबाक हेतु फोन केलिअनि । तखने ई
कार्यक्रम बनल ।
लालबच्चा दिल्ली अएलाह तँ हम बहुत प्रसन्न भेल रही । एक समय छल
जे हम आ लालबच्चा दिनमे कतेको बेर एक-दोसर ओहिठाम अबैत -जाइत रहैत छलहुँ,घंटो संगे रहैत छलहुँ । मुदा जखन नौकरीक क्रममे
हम दिल्ली चलि अएलहुँ तकर बाद स्वभाविक रूपसँ संपर्क कम होइत गेल । ओ तँ बेनीपट्टी
कालेजमे रसायन शास्त्रक व्याख्याता रहथि । गामेसँ जाथि-आबथि । सुनैत छी ओ
रसगुल्लाक बहुत प्रेमी रहथि आ नित्य साँझमे गाम लौटति काल बेनीपट्टीक प्रसिद्ध
मधुरक दोकानसँ भरि पेट रसगुल्ला खाथि । माछ खेबाक सेहो ओ बहुत सौकीन रहथि ।
कीलोक-कीलो माछ दबा देथि । कोनो प्रकारक शारिरिक गतिबिधि नहि रहनि । बादमे हुनकर
आँखि बहुत कमजोर होइत गेलनि । पहिनोसँ हुनका आँखिक समस्या रहबे करनि । बड़मोट
चश्मा लागनि । आँखिक इलाजक हेतु ओ अजमेरक कोनो प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक लग जाथि ।
तथापि बहुत कम सुझनि । कालेजमे तँ सुनैत छी ओ कहुना कए ठाढ़ भए जाथि आ रटल
बस्तुकेँ बकि देथि । यद्यपि हुनकर हालति खरापे भेल जानि,मुदा
ओ डाक्टरसँ नहि देखाबथि । डर होनि जे भात छोड़बा देत । जखन भाते नहि खाएब तँ जीबिए
कए की करब? बाह रे भतखौक ।
एकदिन मधुबनीमे डेरासँ कतहु जाइत रहथि कि बेहोश भए बीच सड़कपर
खसि पड़लाह । संयोग रहैक जे केओ हुनका उठा-पुठा कए सड़कसँ कात केलक । जेना-तेना
डेरा पहुँचलाह । तखन डाक्टर देखलक । सुगर आसमान लागल छल । एहि तरहे तँ हुनकर इलाज
शुरु भेल रहए जे कैकसाल धरि चलैत रहलनि । मुदा बिमारी ठीक हेबाक बदलामे बढ़िते गेल
। जखन दिल्ली अएलाह आ लेडी हार्डींग मेडिकल कालेजमे डाक्टर आर.के.धमीजा हुनका देखलखिन
तँ हुनकर इलाज पटरीपर आबि गेल । ओ मात्र दू वा तीनटा दबाइ लिखलकिन । सोचिऔक-कहाँ
सत्तरहटा दबाइ आ कहाँ दू-तीनटा । दरभंगाक डाक्टरक दबाइ खाइत-खाइत हुनका रद्द होबए
लागैत छल । दिल्लीमे डाक्टर धमीजासँ देखेलाक बाद बहुत आफियत भेलनि । डाक्टर कहलकनि
जे छ मासपर अबैत रहब जाहिसँ इलाज सुचारु ढ़गसँ चलैत रहत । हमरा बादमे डाक्टर कहलक
जे तीन-चारि वर्ष चलताह । बेटीसभक बिआह-दान जे करबाक होनि से केने जाथि । हम
डाक्टरक कहब बूझि गेलिऐक ।
किछुदिनक बाद लालबच्चा गाम चलि गेलाह । फेर दोबारा दिल्ली
डाक्टर धमीजासँ नहि देखेलाह । हुनकर हालति बिगड़िते गेलनि । तकरबाद जे अएलाह तँ हम
हुनका राम मनोहर लोहिआ अस्पताल,दिल्ली आ एम्समे
देखेलिअनि। बात ओएह । ताबे दुनू किडनी खराप भए गेल रहनि । हुनका आब डायलिसिस करा
कए जीबाक रहनि । गाम-घरमे से सुबिधा नहि रहैक । तखन सीओपीडीसहायता लेल गेल । एहिमे
डायलिसिसक हेतु एकप्रकारक द्रव्य पेटमे ढारल जाइत अछि । पेटमे लागल टोंटी बाटे खराप
तत्वसभ देहसँ बाहर भए जाइत अछि । मुदा ई व्यवस्था बहुत दुष्कर आ खर्चीला होइत छल ।
बेर-बेर पेटमे संक्रमण होइत रहलनि । अंतिम बेरमे ओ फरीदाबादक एस्कोर्ट अस्पतालमे
भर्ती भेल रहथि । ह्वीलचेयरपर चलथि । हमरा फोन आएल । हम अस्पताल जा कए हुनकासँ
भेंट केने रहिअनि ।
ओ अस्पतालक बेडपर पड़ल रहथि । भौजी आ हुनकर ज्येष्ट बेटी प्रिती
लगमे रहथिन । ओहीदिन हुनका अस्पतालसँ छुट्टी देल गेल रहनि । हमरा सामनेमे ओ ह्वीलचेयरपर
गुड़कि कए कारपर चढ़ल रहथि ,बेटीक ओहिठाम
फरीदाबाद जेबाक हेतु । हम वापस अपन दिल्ली डेरा पर चलि आएल रही । दू-तीन दिनका बाद
ओ ट्रेनसँ अपन गाम वापस जाइत रहथि । हम हुनका फोन केने रहिअनि । ओ किछु चिंतित
बुझाइत रहथि । आबाजमे जान नहि लागैत छल। ट्रेन बेगुसरायक आसपास पहुँचैत रहए । मुदा
हम चिंतित भए गेल रही । गाम गेलाक किछुए दिनक बाद फोन आएल छल । दिसंबर २००९क अंतिम
सप्ताहक बात हेतैक । भयानक ठंढ पड़ि रहल छल । लालबच्चा एहने समयमे हमरा लोकनिकेँ छोड़ि
देने रहथि । हमरा ई सोचि दुख होइत रहैत अछि जे हम हुनकर अंतिम संस्कारमे नहि जा
सकल रही । एहि तरहें लगभग अठावन सालक
बएसमे हुनकर निधन भए गेल रहनि । सोचल जा सकैत अछि जे काकाजीकेँ एहि घटनासँ कतेक
दुख भेल हेतनि ? मुदा
ओ बहुत अध्यात्मिक लोक छलाह । अपन आस्थाक बलें एहू कष्टकेँ काटि लेलाह । मुदा
हुनकर व्यक्तिगत परिवारक हेतु ई जबरदस्त चोट छल । एकटा बेटी अविवाहित रहि गेल
रहथिन । मुदा तीनटा बेटीक विआह ओ स्वयं कए गेल रहथि ।
समय बीतैत गेल । भौजीक पेंशनक कागजसभ सरिआ गेलनि । मासे-मास
पेंशन भेटए लगलनि । सेवानिवृत्तिक बाद एकमुस्त टाकासभ सेहो भेटलनि । आर्थिक
दृष्टिए हुनकर परिवार फेरसँ पटरीपर आबि गेलनि । मुदा लालबच्चा लौटि कए नहि अएलाह ।
कहाँसँ अवितथि? आइ धरि जे
केओ गेल से घुरि कए नहि आएल । जे गेल से गेल । हमरा ओ अखनो ओहिना मोन पड़ैत रहैत
छथि । मोन पड़ैत रहैत अछि हुनकर संग बिताओल गेल ओ आनंदमय युवावस्थाक क्षण । कैकबेर
तँ हमदुनूगोटे भरि-भरि राति बतिाइत रहि जाइत छलहुँ । कैकबेर नवका फोखरिपर गाछसभपर
लटकल गप्प करैत रहैत छलहुँ । गामपर तँ आबाजाही लागले रहैत छल । कैकदिन तँ हम हुनका
संगे गप्प करैत-करैत हुनकर घर धरि जाइ । फेर दुनूगोटे वापस हमरा घर धरि आबी ।
पेंडुलम जकाँ हमसभ कतेको बेर अबैत जाइत रही ।
लालबच्चा ,हम आ शल्लू(श्री
शैलेन्द्र झा)तीनूगोटे एकहि सालमे मैट्रिक प्रथमश्रेणीमे पास केने रही । हम आ ओ
सी.एम.कालेजमे डिग्री एक भाग(डिग्री पार्ट वन)मे संगे रही । दरभंगाक नटराज सीनेमा
लग हमरासभक डेरा रहए। बी.एस.सीमे मिश्रटोलाक स्वर्गीय राम नंदन मिश्रक डेरा हमरा
ओएह दिआ देने रहथि । बी.एस.सी प्रतिष्ठाक परीक्षा देबए बेरमे हम हुनके संगे हराही
पोखरि दरभंगाक पछबारि भीरपर एकटा छात्रावासमे रहैत रही ।
लालबच्चा रसायन शास्त्रसँ पीएचडी केने रहथि आ उच्चैठ स्थित
कालीदास विद्यापति कालेजमे रसायन शास्त्रक
प्राध्यापक रहथि । हमरा गाममे पीएचडी केनिहार ओ प्रथम व्यक्ति छलाह । हुनकामे
सभसँ विशेषता छल हुनकर निश्छल स्वभाव ,मोनमे कोनो छ-पाँच नहि रहैत छलनि आ कोनो बातपर भभा कए हँसि दैत छलाह । ओ
बहुत सकारात्मक सोचक लोक छलाह आ कहिओ ककरो बारेमे अनट बात नहि करितथि ।
एक बेर लालबच्चाकेँ सासुर जेबाक रहनि । नवे बिआह भेल रहनि । ओही
साल किछु पहिने हमरो बिआह भेल रहए । लालबच्चा हमर पनही पहिरि कए सासुर गेलथि ।
कहने रहथि जे पाँच-सात दिनमे वापस आबि जेताह । मुदा ओ गेलाह,से गेलाह । दस दिन बीतल,पनरह
दिन बीतल । आब की कएल जाए? हमरो सासुर जेबाक छल । ताहि लेल
पनहीक जरूरी छल । आखिर ककरो माध्यमसँ हुनका चिठ्ठी पठेलहुँ । तकरबाद तँ ओ तुरंत
वापस आबि गेलाह । हम ओ पनही पहिरि अपन सासुर बिदा भए गेल रही । ओहि समय धरि
गामसभमे ओहिना काज चलैत छलैक । कतेक गोटे तँ पहुनाइ करए बिदा होथि तखने देहपर
कुरता धरथि ,सेहो ककरोसँ पैंच लए कए ।
लालबच्चा बहुत अध्यात्मिक प्रवृत्तिक लोक छलाह । निरंतर ध्यान,प्राणयाम,सभमे लागल रहितथि
। गीताप्रेसक पोथीसभ पढ़ल करथि । हुनकर ई संस्कार शुरुएसँ छल । बादमे ओ ओशोक शिष्य
भए गेलाह आ ओहीमे नीकसँ रमि गेलाह । मधुबनीक रजनीशपुरम(बाल्मिकी कालोनी)मे डेरा
रहनि । ओहिठाम हमर मित्र श्रीनारायणजीसँ सेहो हुनका घनिष्टता भए गेल रहनि । बादमे
ओ मधुबनी छोड़ि गामे रहए लागल रहथि ।
युवावस्थामे ओ बहुत स्वस्थ रहथि । गेनखेली,फूटबाल,कैरमबोर्ड खेलसभमे
बहुत रूचि रहनि । कहिओ काल ओ कुश्ती सेहो खेलाथि । एहन निस्सन देह केना एतेक बिमार
भए गेल से सोचि आश्चर्यमे पड़ि जाइत छी । एहीसँ लगैत अछि जे ई संसार क्षणभंगुर अछि
। एहिठाम किछु असालतन नहि अछि ।
हमर माथामे सभटा बात ओहिना घुमैत रहैत अछि जेना अखने घटल होइक ।
मुदा ई समय थिक । ई ककरो नहि भेल अछि,ने होएत । हम आब एहि बातकेँ मानि चुकल छी जे आब ओ नहि छथि । एहि जन्ममे
हमरा-हुनकर भेंट नहि भए सकत । अगिला जन्मक के देखलक अछि ? जे
से । मुदा हुनकर स्मृति आ हुनका संग बिताओल गेल सुखद क्षण सतति हमरा मोन पड़ैत रहत
।
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