अर्थतंत्र
दूपहर रातिसँ,
ककरो आवाहन कए,
उद्विग्न भावे हम,स्वागतमे ठाढ़ छलहुँ ।
की हमर आवाहन मंत्रक कोनो पाँति,
गड़बढ भए गेल छल ?
जे आहूत आगन्तुक,
हमर देखितहिँ,
पाछुए हटैत गेल ।
आर वो कहैत गेल,
जे एहि आवाहनकेँ,
आविष्ट करबाक हेतु,
अर्थक प्रयोजन अछि,
कारण सभ मंत्र -तंत्र,
एहीसँ जोड़ल अछि ।
(सन्१९८१)
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